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अमेजन इंडिया के कंट्री हेड ने दिया इस्तीफा:मनीष तिवारी ने 8 साल से ज्यादा समय तक अमेजन में काम किया, 2016 में जॉइन की थी कंपनी




 अमेजन इंडिया के कंट्री हेड मनीष तिवारी ने इस्तीफा दे दिया है। कंपनी के स्पोक्सपर्सन ने मनीष के इस्तीफे की पुष्टि की है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मनीष के कंपनी छोड़ने के बाद अमेजन इंडिया की लीडरशिप में बड़े बदलाव हो सकते हैं।

अमेजन इंडिया देश के सबसे बड़े ई-कॉमर्स प्लेयर्स में से एक है। हालांकि, कंपनी ने अब तक यह नहीं बताया कि मनीष की जगह कौन लेने वाला है। कंपनी भारत में ग्रोथ और कॉम्पिटिशन के अहम दौर से गुजर रही है।

मनीष ने अमेजन में 8 साल 6 महीने तक काम किया
मनीष तिवारी ने इस कंपनी में 8 साल 6 महीने तक काम किया। उन्होंने अब किसी और कंपनी में नई भूमिका स्वीकार की है। उन्होंने भारत में अमेजन की सेल्स सर्विसेज समेत पूरे कंज्यूमर बिजनेस का नेतृत्व किया है।

मनीष ने 2016 में अमेजन इंडिया को जॉइन किया था
साथ ही मनीष ने भारत में ऑनलाइन खरीद और बिक्री के तौर-तरीकों को बदलने पर फोकस किया। तिवारी ने 2016 में अमेजन इंडिया को जॉइन किया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेजन ने भी मनीष के रिजाइन को कंफर्म किया है, लेकिन उनकी जगह पर कौन आएगा, इस बारे में किसी तरह का संकेत नहीं दिया है।

मनीष तिवारी अक्टूबर 2024 तक अमेजन में बने रहेंगे। 2016 में कंपनी जॉइन की थी।
मनीष तिवारी अक्टूबर 2024 तक अमेजन में बने रहेंगे। 2016 में कंपनी जॉइन की थी।

कंपनी के स्पोक्सपर्सन ने बताया, 'अमेजन इंडिया के कंट्री मैनेजर मनीष तिवारी ने कंपनी से बाहर अवसर तलाशने का फैसला किया है। पिछले 8 साल में मनीष की लीडरशिप में कस्टमर्स और सेलर्स के लिए शानदार काम हुआ है और इस तरह से अमेजन भारत में पसंदीदा मार्केटप्लेस बनकर सामने आया है।'


SC रिजर्वेशन में कोटे में कोटा मंजूर:सुप्रीम कोर्ट ने अपना 19 साल पुराना फैसला पलटा, कहा- राज्य आरक्षण में सब कैटेगरी बना सकते हैं

राज्य सरकारें अब अनुसूचित जाति, यानी SC के रिजर्वेशन में कोटे में कोटा दे सकेंगी। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (1 अगस्त) को इस बारे में बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने 20 साल पुराना अपना ही फैसला पलटा है। तब कोर्ट ने कहा था कि अनुसूचित जातियां खुद में एक समूह हैं, इसमें शामिल जातियों के आधार पर और बंटवारा नहीं किया जा सकता।

कोर्ट ने अपने नए फैसले में राज्यों के लिए जरूरी हिदायत भी दी है। कहा है कि राज्य सरकारें मनमर्जी से फैसला नहीं कर सकतीं। इसके लिए दो शर्तें होंगी...
पहली: अनुसूचित जाति के भीतर किसी एक जाति को 100% कोटा नहीं दे सकतीं।
दूसरी: अनुसूचित जाति में शामिल किसी जाति का कोटा तय करने से पहले उसकी हिस्सेदारी का पुख्ता डेटा होना चाहिए।

फैसला सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संविधान पीठ का है। इसमें कहा गया कि अनुसूचित जाति को उसमें शामिल जातियों के आधार पर बांटना संविधान के अनुच्छेद-341 के खिलाफ नहीं है।

फैसले का आधार: अदालत ने फैसला उन याचिकाओं पर सुनाया है, जिनमें कहा गया था कि अनुसूचित जाति और जनजातियों के आरक्षण का फायदा उनमें शामिल कुछ ही जातियों को मिला है। इससे कई जातियां पीछे रह गई हैं। उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए कोटे में कोटा होना चाहिए। इस दलील के आड़े 2004 का फैसला आ रहा था, जिसमें कहा गया था कि अनुसूचित जातियों को सब-कैटेगरी में नहीं बांट सकते।

फैसले के मायनेः राज्य सरकारें अब राज्यों में अनुसूचित जातियों में शामिल अन्य जातियों को भी कोटे में कोटा दे सकेंगी। यानी अनुसूचित जातियों की जो जातियां वंचित रह गई हैं, उनके लिए कोटा बनाकर उन्हें आरक्षण दिया जा सकेगा।

मसलन- 2006 में पंजाब ने अनुसूचित जातियों के लिए निर्धारित कोटे के भीतर वाल्मीकि और मजहबी सिखों को सार्वजनिक नौकरियों में 50% कोटा और पहली वरीयता दी थी।


जस्टिस गवई फैसला देने वाली 7 जजों की बेंच में शामिल थे।

कोर्ट रूम लाइव...

पक्ष में फैसला देने वाले जजों के बयान...

  • CJI डीवाई चंद्रचूड़ : सब-क्लासिफिकेशन (कोटे में कोटा) आर्टिकल 14 का उल्लंघन नहीं करता, क्योंकि सब-कैटेगरीज को सूची से बाहर नहीं रखा गया है। आर्टिकल 15 और 16 में ऐसा कुछ नहीं है जो राज्य को किसी जाति को सब-कैटेगरी में बांटने से रोकता हो। SC की पहचान बताने वाले पैमानों से ही पता चल जाता है कि वर्गों के भीतर बहुत ज्यादा फर्क है।
  • जस्टिस बीआर गवई : सब कैटेगरी का आधार राज्यों के आंकड़ों से होना चाहिए, वह अपनी मर्जी से काम नहीं कर सकता। क्योंकि आरक्षण के बाद भी निम्न ग्रेड के लोगों को अपने पेशे को छोड़ने में कठिनाई होती है। ईवी चिन्नैया केस में असली गलती यह है कि यह इस समझ पर आगे बढ़ा कि आर्टिकल 341 आरक्षण का आधार है।
  • जस्टिस गवई : इस जमीनी हकीकत से इनकार नहीं किया जा सकता, एससी/एसटी के भीतर ऐसी कैटेगरी हैं जिन्हें सदियों से उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है। सब कैटेगरी का आधार यह है कि बड़े समूह के अंतर्गत आने वाले एक समूह को ज्यादा भेदभाव का सामना करना पड़ता है। अनुसूचित जातियों के हाई क्लास वकीलों के बच्चों की तुलना गांव में मैला ढोने वाले के बच्चों से करना गलत है।
  • जस्टिस गवई : बीआर अंबेडकर ने कहा है कि इतिहास बताता है कि जब नैतिकता का सामना अर्थव्यवस्था से होता है तो जीत अर्थव्यवस्था की होती है। सब-कैटेगरी की परमिशन देते समय, राज्य केवल एक सब-कैटेगरी के लिए 100% आरक्षण नहीं रख सकता है।
  • जस्टिस शर्मा : मैं जस्टिस गवई के इस विचार से सहमत हूं कि एससी/एसटी में क्रीमी लेयर की पहचान का मुद्दा राज्य के लिए संवैधानिक अनिवार्यता बन जाना चाहिए।

पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत खारिज:UPSC ने धोखाधड़ी-जालसाजी की FIR दर्ज कराई थी, एक दिन पहले IAS सिलेक्शन भी रद्द किया

 ट्रेनी IAS अफसर रही पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका दिल्ली कोर्ट ने खारिज कर दी है। पटियाला हाउस कोर्ट ने गुरुवार 1 अगस्त को दिल्ली पुलिस को आदेश दिया कि UPSC परीक्षा में फर्जीवाड़ा करने वाले बाकी कैंडिडेट्स की भी जांच की जाए। साथ ही अगर UPSC के किसी कर्मचारी ने पूजा की मदद की हो, तो उसकी भी जांच हो।

पूजा खेडकर पर उम्र, माता-पिता की गलत जानकारी, पहचान बदलकर तय सीमा से ज्यादा बार सिविल सर्विसेस का एग्जाम देने का आरोप था। UPSC ने दस्तावेजों की जांच के बाद पूजा को सीएसई-2022 नियमों के उल्लंघन का दोषी पाया था। इसके बाद UPSC ने उनके खिलाफ एफआईआर कराई थी।

धोखाधड़ी और जालसाजी के इस केस में गिरफ्तारी से बचने के लिए पूजा ने अग्रिम जमानत याचिका लगाई थी। कोर्ट में UPSC के वकील ने कहा था कि उन्होंने सिस्टम को धोखा दिया है। वह एक साधन संपन्न व्यक्ति हैं और उनके द्वारा कानून का दुरुपयोग करने की संभावना बनी हुई है। अदालत ने दलीलें सुनने के बाद बुधवार को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

UPSC ने बुधवार 31 जुलाई को पूजा का सिलेक्शन रद्द कर दिया था। साथ ही भविष्य में UPSC का कोई एग्जाम देने पर भी रोक लगा दी थी। पूजा को एग्जाम में 2022 में 841वीं रैंक मिली थी। वे 2023 बैच की ट्रेनी IAS थीं और जून 2024 से ट्रेनिंग पर थीं।

UPSC ने कहा था- पूजा को 2 बार समय दिया, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया

  • पूजा ने रूल्स तोड़े: UPSC ने बताया था कि पहचान बदलकर तय सीमा से ज्यादा बार सिविल सर्विसेस का एग्जाम देने के लिए 18 जुलाई को कारण बताओ नोटिस (एससीएन) जारी किया गया था। इसमें कहा गया है कि पूजा को 25 जुलाई तक अपना जवाब देना था, लेकिन उन्होंने अपने जवाब के लिए जरूरी दस्तावेज जुटाने के लिए 4 अगस्त तक का समय मांगा। आयोग ने कहा- उन्हें फिर 30 जुलाई को दोपहर 3:30 बजे तक समय दिया, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया।

नई संसद की छत से पानी लीक, नीचे बाल्टी रखी:विपक्ष बोला- संसद के बाहर पेपर लीक और अंदर पानी लीक; लोकसभा सचिवालय बोला- ठीक करा लिया


कांग्रेस नेता मणिकम टैगाेर समेत कई नेताओं ने वीडियो शेयर किया, जिसमें संसद की छत से पानी टपकता हुआ दिखाई दे रहा है। - Money Bhaskar

कांग्रेस नेता मणिकम टैगाेर समेत कई नेताओं ने वीडियो शेयर किया, जिसमें संसद की छत से पानी टपकता हुआ दिखाई दे रहा है।

एक साल पहले बनकर तैयार हुई नई संसद की छत से पानी लीक होने का एक वीडियो सामने आया है। इसमें दिखाई दे रहा है कि संसद की लॉबी में छत से पानी गिर रहा है और उसके नीचे एक बाल्टी रखी है जिसमें पानी जमा हो रहा है। यह वीडियो कांग्रेस के मणिकम टैगोर ने शेयर कर सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा- संसद के बाहर पेपर लीक और अंदर पानी लीक।

इसे लेकर लोकसभा सचिवालय ने कहा कि ग्रीन संसद की अवधारणा को ध्यान में रखते हुए संसद भवन के कई हिस्सों में कांच के गुंबद (ग्लास डोम) लगाए गए हैं, ताकि नेचुरल लाइट आ सके। इसमें लॉबी भी शामिल है। बुधवार को भारी बारिश के बाद ग्लास डोम को सील करने के लिए लगाया गया ग्लू हट गया था, जिसके चलते पानी का रिसाव हुआ। हालांकि इसे अब ठीक कर लिया गया है।

बुधवार को नई संसद के मकर द्वार के बाहर बारिश का पानी भर गया।
बुधवार को नई संसद के मकर द्वार के बाहर बारिश का पानी भर गया।

अखिलेश बोले- इससे तो पुरानी संसद अच्छी थी
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि इस नई संसद से अच्छी तो वो पुरानी संसद थी, जहां पुराने सांसद भी आकर मिल सकते थे। क्यों न फिर से पुरानी संसद चलें, कम से कम तब तक के लिए, जब तक अरबों रुपयों से बनी संसद में पानी टपकने का कार्यक्रम चल रहा है। जनता पूछ रही है कि भाजपा सरकार में बनी हर नई छत से पानी टपकना, उनकी सोच-समझकर बनाई गई डिजाइन का हिस्सा होता है या फिर…

वहीं सपा के मीडिया सेल ने ट्वीट किया कि भाजपा सरकार में नेता इंजीनियर बन जाते हैं, इंजीनियरों को निर्देश देना शुरू कर देते हैं, काम में दखलंदाजी और आर्किटेक्चर में दखल देते हैं जिसका परिणाम सामने है। नए संसद भवन में पानी टपक रहा है। न पानी निकासी के इंतजाम हैं, न सीवर ड्रेनेज सिस्टम दुरुस्त है। भाजपा सरकार में दिल्ली हो या यूपी दोनों जगह यही हो रहा है।

दिल्ली में बुधवार को एक घंटे में 114 मिमी से ज्यादा बारिश
दिल्ली में बीते कुछ दिनों से बारिश के चलते हालात बेहद खराब हैं। 27 जुलाई को ओल्ड राजेंद्र नगर में बारिश के बाद पानी भरने से राउ कोचिंग इंस्टीट्यूट के बेसमेंट में पानी भर गया। इसमें तीन स्टूडेंट्स की जान चली गई। वहीं, 31 जुलाई को सिर्फ एक घंटे में 114 मिमी बारिश हुई। इसके चलते संसद, सुप्रीम कोर्ट, एम्स, लुटियंस दिल्ली, भारत मंडपम, इंडिया गेट-रिंग रोड टनल, प्रगति मैदान पानी में डूबे रहे।

सोना ₹596 बढ़कर ₹69,905 पर पहुंचा:चांदी ₹568 चढ़कर ₹83,542 प्रति किलो बिक रही, कैरेट के हिसाब से देखें गोल्ड की कीमत



सोने-चांदी की कीमतों में आज यानी 1 अगस्त को बढ़त है। इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) की वेबसाइट के मुताबिक 10 ग्राम 24 कैरेट सोना 596 रुपए बढ़कर 69,905 रुपए पर पहुंच गया है। कल इसके दाम 69,309 रुपए प्रति दस ग्राम थे।

वहीं एक किलो चांदी 568 रुपए चढ़कर 83,542 रुपए प्रति किलो बिक रही है। इससे पहले चांदी 82,974 रुपए किलो प्रति पर थी। इस साल चांदी 29 मई को अपने ऑल टाइम हाई 94,280 रुपए प्रति पर पहुंच गई थी।


4 महानगरों और भोपाल में सोने की कीमत

  • दिल्ली: 10 ग्राम 22 कैरेट सोने की कीमत 64,650 रुपए और 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 70,510 रुपए है।
  • मुंबई: 10 ग्राम 22 कैरेट सोने की कीमत 64,500 रुपए और 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 70,360 रुपए है।
  • कोलकाता: 10 ग्राम 22 कैरेट गोल्ड की कीमत 64,500 रुपए और 24 कैरेट 10 ग्राम सोने की कीमत 70,360 रुपए है।
  • चेन्नई: 10 ग्राम 22 कैरेट सोने की कीमत 64,300 रुपए और 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 70,150 रुपए है।
  • भोपाल: 10 ग्राम 22 कैरेट सोने की कीमत 64,550 रुपए और 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 70,410 रुपए है।

फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो का मुनाफा 127 गुना बढ़ा:2 करोड़ से बढ़कर 253 करोड़ रुपए हुआ, शेयर 4% चढ़कर बंद



फूड डिलीवरी करने वाली कंपनी जोमैटो का अप्रैल-जून तिमाही में मुनाफा सालाना आधार पर 126.5 गुना बढ़कर 253 करोड़ रुपए हो गया है। एक साल पहले की समान तिमाही में कंपनी का कंसॉलिडेटेड नेट प्रॉफिट 2 करोड़ रुपए था।

जोमैटो ने गुरुवार, 1 अगस्त को वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही के नतीजे जारी किए। कंपनी की पहली तिमाही में आय (रेवेन्यू) 74% बढ़कर 4,206 करोड़ हो गई। एक साल पहले की समान तिमाही में रेवेन्यू 2,416 करोड़ रुपए था।


2026 के अंत तक 2,000 स्टोर बनाने का प्लान
जोमैटो का क्विक कॉमर्स बिजनेस 'ब्लिंकट' तेजी से ग्रो कर रहा है। इसके 31 मार्च 2024 तक 526 स्टोर थे जो जून में बढ़कर 629 हो गए। यानी, जून तिमाही में 113 नए स्टोर खोले गए हैं। ब्लिंकिट के को-फाउंडर अलबिंदर ढींडसा ने कहा- कंपनी का लक्ष्य 2026 के अंत तक 2,000 स्टोर बनाने का है। इनमें से ज्यादातर स्टोर भारत के टॉप 10 शहरों में होंगे।

जोमैटो का शेयर 3.68% चढ़ा, 237.90 रुपए पर बंद
रिजल्ट आने के बाद जोमैटो का शेयर 3.68% बढ़कर 237.90 रुपए पर बंद हुआ। बीते 6 महीने में कंपनी का शेयर 69.26% बढ़ा है। वहीं बीते एक साल में कंपनी के शेयर ने 180% का रिटर्न दिया है। 1 अगस्त 2023 को जोमैटो 84.75 रुपए पर था।

सरकार ने जुलाई में GST से ₹1.82 लाख करोड़ जुटाए:ये 2024-25 का दूसरा बड़ा कलेक्शन, सालाना आधार पर 10% बढ़ा; ₹16,283 करोड़ रिफंड जारी



सरकार ने जुलाई 2024 में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स, यानी GST से 1.82 लाख करोड़ रुपए जुटाए हैं। सालाना आधार पर इसमें 10.3% की बढ़ोतरी हुई है। ये अब तक का किसी भी महीने जुटाया गया तीसरा और वित्त वर्ष 2024-25 का दूसरा सबसे बड़ा GST कलेक्शन है।

सरकार ने इस दौरान डोमेस्टिक यानी देश के अंदर होने वाले कारोबार से 1.34 लाख करोड़ टैक्स वसूला है। सालाना आधार पर इसमें 8.9% का ग्रोथ हुआ है। वहीं, इंपोर्ट के जरिए 48,039 करोड़ GST सरकार ने जुटाया है। एक साल में इसमें 14.2% की बढ़ोतरी हुई है।

  • जुलाई में सरकार ने टोटल 16,283 करोड़ रुपए की राशि रिफंड की।
  • रिफंड के बाद, जुलाई के लिए नेट GST रेवेन्यू 1,65,793 करोड़ रहा।
  • पिछले वर्ष की समान अवधि (जुलाई 2023) की तुलना में ये 14.4% ज्यादा है।

वित्त वर्ष 2024-25 में अब तक GST कलेक्शन

महीनाGST कलेक्शन (लाख करोड़ में)
अप्रैल 2024₹2.10
मई 2024₹1.73
जून 2024₹1.74
जुलाई 2024₹1.82
टोटल₹7.39

नोट: आंकड़े लाख करोड़ रुपए में हैं
सोर्स: GST पोर्टल

टॉप-5 GST कलेक्शन

अप्रैल 2024₹2.10 लाख करोड़
अप्रैल 2023₹1.87 लाख करोड़
जुलाई 2024₹1.82 लाख करोड़
मार्च 2024₹1.78 लाख करोड़
मई 2024₹1.73 लाख करोड़

जून में सरकार ने GST का डेटा जारी नहीं किया
सरकार ने जून महीने का GST कलेक्शन का डेटा जारी नहीं किया था, लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि जून में GST संग्रह ₹1.74 लाख करोड़ तक पहुंच गया, जो पिछले वित्त वर्ष के जून की तुलना में लगभग 8% ज्यादा है।

पिछले साल जून में सरकार ने GST से 1.61 लाख करोड़ रुपए GST से जुटाए थे। वहीं अगर मई 2024 के कलेक्शन को देखें तो सरकार ने तब GST से 1.73 लाख करोड़ रुपए जुटाए थे। यानी, मई और जून का कलेक्शन लगभग बराबर रहा है।