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दिशा सालियान मौत मामला: पिता ने मुंबई उच्च न्यायालय में नई याचिका दायर, एनआईए जांच की मांग, समीर वानखेडे जैसे अधिकारी की निगरानी पर जोर, आदित्य ठाकरे समेत कई लोगों पर गंभीर आरोप।


मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

दिवंगत सेलिब्रिटी मैनेजर दिशा सालियान की मौत को लेकर एक बार फिर विवाद गहराता जा रहा है। दिशा के पिता सतीश सालियान ने मुंबई उच्च न्यायालय में एक नई याचिका दायर कर सनसनीखेज आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया है कि दिशा की सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या की गई थी और इसके पीछे एक बड़ा षड्यंत्र हो सकता है।

एनआईए जांच की मांग, समीर वानखेडे जैसे अधिकारी की निगरानी पर जोर

सतीश सालियान ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) से इस मामले की स्वतंत्र जांच की मांग की है। उन्होंने इस जांच की निगरानी किसी ईमानदार और निष्पक्ष अधिकारी, जैसे कि पूर्व नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) अधिकारी समीर वानखेडे, से कराने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उनका कहना है कि मौजूदा जांच में कई महत्वपूर्ण तथ्य नजरअंदाज किए गए हैं और सच को सामने लाने के लिए एक निष्पक्ष जांच आवश्यक है।

मुंबई पुलिस, आदित्य ठाकरे, सूरज पंचोली समेत कई लोगों पर गंभीर आरोप

याचिका में मुंबई पुलिस, पूर्व महापौर किशोरी पेडणेकर, शिवसेना (यूबीटी) विधायक आदित्य ठाकरे, अभिनेता सूरज पंचोली और अन्य लोगों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। सतीश सालियान का कहना है कि पत्रकार अर्णब गोस्वामी और भाजपा नेता नितेश राणे द्वारा लगाए गए आरोपों में सच्चाई है और उन्हें गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि मुंबई पुलिस और किशोरी पेडणेकर ने उन्हें गुमराह किया और मानसिक दबाव डाला, जिससे वह उन सबूतों को मानने के लिए मजबूर हो गए जो पुलिस ने उनके सामने रखे थे।

पहले परिवार ने किया था इनकार, अब दोबारा जांच की मांग

यह उल्लेखनीय है कि इससे पहले दिशा सालियान के परिवार ने आदित्य ठाकरे के इस मामले से किसी भी संबंध से इनकार किया था। हालांकि, अब सतीश सालियान ने अपनी याचिका में पुनः जांच की मांग की है, जिससे इस मामले में एक नया मोड़ आ गया है।

भाजपा नेता नितेश राणे की मांग: आदित्य ठाकरे से हो पूछताछ

भाजपा नेता नितेश राणे ने भी अपनी मांग को दोहराते हुए कहा कि दिशा सालियान और सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामलों में आदित्य ठाकरे से हिरासत में पूछताछ की जानी चाहिए। उन्होंने 8 जून 2020 को दिशा सालियान, आदित्य ठाकरे, राहुल कनाल, सूरज पंचोली, सचिन वाझे और एकता कपूर के मोबाइल लोकेशन की जांच की मांग की है। उनका दावा है कि ये सभी लोग उस रात 100 मीटर के दायरे में मौजूद थे, जिससे कई सवाल खड़े होते हैं।

सुशांत सिंह राजपूत की मौत से भी जुड़ा मामला, मोबाइल लोकेशन और सीसीटीवी फुटेज की जांच की मांग

इसके अलावा, मुंबई उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर 13 और 14 जून 2020 को सुशांत सिंह राजपूत, रिया चक्रवर्ती, आदित्य ठाकरे, अरबाज खान, संदीप सिंह और शौविक चक्रवर्ती के मोबाइल लोकेशन की जांच की मांग की गई है।

याचिका में इन दोनों दिनों के दौरान आदित्य ठाकरे से संबंधित सभी सीसीटीवी फुटेज की भी जांच की अपील की गई है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि उन दिनों क्या हुआ था।

न्यायालय के फैसले पर टिकी नजरें

इस मामले की आगे की सुनवाई पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। अदालत का निर्णय इस मामले में नए मोड़ ला सकता है और कई बड़े नामों की भूमिका पर सवाल खड़े कर सकता है। अब यह देखना होगा कि न्यायालय इस याचिका पर क्या रुख अपनाता है और क्या इस मामले की फिर से जांच शुरू होगी।











अर्थसंकल्पीय अधिवेशन में आयुष्मान भारत मिशन महाराष्ट्र के प्रमुख डॉ. ओमप्रकाश शेटे की प्रभावशाली उपस्थिति।


 






मुंबई: दिनेश मीरचंदानी

महाराष्ट्र के अर्थसंकल्पीय अधिवेशन के दौरान डॉक्टर ओमप्रकाश शेटे की गरिमामयी उपस्थिति दर्ज हुई, जहां उन्होंने राज्य के प्रमुख विधायकों और मंत्रियों के साथ विस्तृत चर्चा की। इस महत्वपूर्ण बैठक में राज्य के समग्र विकास, स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी, बुनियादी ढांचे के विस्तार और नागरिकों की मूलभूत आवश्यकताओं को प्राथमिकता देने जैसे विषयों पर गहन विचार-विमर्श किया गया।

बैठक में राज्य के प्रतिष्ठित जनप्रतिनिधियों ने सहभाग लिया, जिनमें प्रमुख रूप से आमदार राम कदम, आमदार राहुल कुल, आमदार किसन कथोरे, मंत्री दत्ता मामा भरणे, आमदार अभिमन्यु पवार सहित कई वरिष्ठ नेता उपस्थित थे। इस अवसर पर जनकल्याण से जुड़े कई महत्वपूर्ण विषयों को प्रभावी रूप से उठाया गया, जिससे राज्य में नए विकास कार्यों को दिशा देने की संभावनाएं प्रबल हुईं।

स्वास्थ्य सेवाओं और बुनियादी ढांचे के विकास पर केंद्रित चर्चा

इस मुलाकात के दौरान स्वास्थ्य सुविधाओं की मजबूती, नागरिकों को आवश्यक सेवाओं की सुगमता और विभिन्न विकास कार्यों में तेजी लाने को लेकर गंभीर मंथन हुआ। इसमें ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में मेडिकल सुविधाओं के विस्तार, सड़क और परिवहन ढांचे की मजबूती और नागरिकों के समग्र कल्याण को लेकर कई अहम सुझाव सामने आए।

विशेषज्ञों का मानना है कि डॉक्टर ओमप्रकाश शेटे की इस पहल से राज्य की शासन व्यवस्था और जनता के बीच संवाद को नई ऊर्जा मिलेगी। इस बैठक के माध्यम से जनता की समस्याओं के समाधान के लिए ठोस रणनीति तैयार करने पर बल दिया गया, जिससे आने वाले समय में राज्य में विकास कार्यों को अधिक मजबूती मिलेगी।

जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने की दिशा में बड़ा कदम

विशेषज्ञों का मानना है कि इस उच्चस्तरीय चर्चा से राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं, बुनियादी ढांचे और जनकल्याणकारी योजनाओं को नया आयाम मिलेगा। इस बैठक के सकारात्मक नतीजे जल्द ही दिखाई देने की उम्मीद जताई जा रही है।

डॉक्टर ओमप्रकाश शेटे द्वारा उठाए गए इस सराहनीय कदम से स्पष्ट है कि उनकी प्राथमिकता राज्य के नागरिकों के जीवन को सुगम और उन्नत बनाना है। उनकी इस सक्रियता से शासन और जनता के बीच भरोसा और संवाद और अधिक मजबूत होगा, जिससे विकास की राह में नए अवसर सृजित होंगे।

**इस बैठक के बाद पूरे राज्य में उम्मीदों की लहर—आगामी योजनाओं पर टिकी सबकी निगाह











मुंबई के लीलावती अस्पताल में घोटाले की बड़ी साजिश, 1500 करोड़ रुपये की गड़बड़ी का पर्दाफाश..!


मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

देश के प्रतिष्ठित लीलावती अस्पताल ट्रस्ट में 1500 करोड़ रुपये के घोटाले का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। इस घोटाले में पूर्व ट्रस्टियों पर अस्पताल के फंड से करोड़ों रुपये की हेराफेरी का गंभीर आरोप लगा है। बताया जा रहा है कि यह फर्जीवाड़ा पिछले दो दशकों से चल रहा था, जिसके चलते अस्पताल की सेवाओं पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। मामले की गंभीरता को देखते हुए 7 मार्च, 2025 को एफआईआर दर्ज की गई, और अब पुलिस तथा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) इस बहुचर्चित घोटाले की गहराई से जांच में जुट गए हैं।

ट्रस्ट की ऑडिट जांच में हुआ वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा

लीलावती अस्पताल ट्रस्ट की ऑडिट रिपोर्ट में व्यापक वित्तीय अनियमितताएं सामने आई हैं। जांच में पता चला कि ट्रस्ट के धन का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया गया। मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने बताया कि वर्ष 2002 के बाद, जब ट्रस्ट के प्रमुख किशोर मेहता की तबीयत बिगड़ी, तो उनके कुछ नजदीकी रिश्तेदारों ने अस्पताल के संचालन पर अवैध रूप से कब्जा जमा लिया। इसके बाद, अगले 20 वर्षों में ट्रस्ट के फंड में बड़े पैमाने पर हेराफेरी की गई, जिससे ट्रस्ट को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा।

1500 करोड़ रुपये की हेराफेरी, विदेशी लेन-देन का भी शक

प्रारंभिक जांच के अनुसार, ट्रस्ट से हेराफेरी किए गए 1500 करोड़ रुपये की राशि को अवैध तरीके से देश से बाहर भेजे जाने की आशंका जताई जा रही है। वित्तीय गड़बड़ियों के इस मामले में कई प्रभावशाली लोगों के शामिल होने का अंदेशा है। जांच एजेंसियां अब यह पता लगाने का प्रयास कर रही हैं कि इस धनराशि का कहां और कैसे इस्तेमाल किया गया।

चिकित्सा क्षेत्र में बड़े घोटाले की गूंज, होगी कड़ी कार्रवाई

यह घोटाला न केवल एक प्रतिष्ठित अस्पताल के फंड के दुरुपयोग को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि किस प्रकार कुछ लोग चिकित्सा क्षेत्र को भी भ्रष्टाचार का अड्डा बना सकते हैं। इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए प्रवर्तन निदेशालय और पुलिस की विशेष टीमें गहन जांच में जुट गई हैं।

सरकार और जांच एजेंसियों ने आश्वासन दिया है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और इस घोटाले के हर पहलू की गहराई से जांच की जाएगी। लीलावती अस्पताल ट्रस्ट से जुड़े इस महाघोटाले के खुलासे से चिकित्सा जगत में हड़कंप मचा हुआ है और अब सबकी निगाहें जांच एजेंसियों की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।











मुश्किल वक्त में मददगार बने आयुष्मान भारत प्रमुख ओमप्रकाश शेटे, KEM हॉस्पिटल में बुजुर्ग की सफल सर्जरी।


 

मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

सांगली निवासी श्रीमती सिंधू अशोक पाटील (65 वर्ष) गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्या से जूझ रही थीं और मिरज के भारती हॉस्पिटल में भर्ती थीं। डॉक्टरों ने तत्काल ब्रेन सर्जरी की आवश्यकता जताई, जिसकी अनुमानित लागत ₹6,50,000 थी। परिजनों की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण यह खर्च उठा पाना संभव नहीं था।

इस कठिन परिस्थिति में उन्हें सलाह मिली कि वे मुंबई के KEM हॉस्पिटल में संपर्क करें। परिवार तत्काल एम्बुलेंस से मरीज को लेकर KEM हॉस्पिटल पहुँचा, लेकिन वहां बेड उपलब्ध नहीं था। निराशा और चिंता के बीच परिजन असमंजस में थे कि अब आगे क्या किया जाए।

इसी दौरान परिवार को सांगली के श्री कपिल पाटील से संपर्क करने की सलाह दी गई। उन्होंने मामले की गंभीरता को समझते हुए इसे आयुष्मान भारत मिशन, महाराष्ट्र के प्रमुख श्री ओमप्रकाश शेटे तक पहुँचाया। शेटे साहब ने तुरंत KEM हॉस्पिटल की अधिष्ठाता डॉ. संगीता राउत से संपर्क किया और तत्काल बेड की व्यवस्था कराई।

परिणामस्वरूप, 3 मार्च 2025 को श्रीमती सिंधू पाटील की न्यूरो सर्जरी सफलतापूर्वक संपन्न हुई और यह संपूर्ण उपचार आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत निःशुल्क किया गया।

इस पूरे घटनाक्रम में श्री ओमप्रकाश शेटे की तत्परता और सहयोग ने एक गरीब परिवार को संकट से उबारा और मरीज को नया जीवनदान मिला। आयुष्मान भारत मिशन के तहत जरूरतमंदों को समय पर और निःशुल्क चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने का यह उदाहरण उन हजारों मरीजों के लिए आशा की किरण है, जो आर्थिक तंगी के चलते सही इलाज नहीं करवा पाते।









महाराष्ट्र में ‘लव जिहाद’ कानून की आवश्यकता: मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस


मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य में ‘लव जिहाद’ कानून की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि यह केवल कुछ व्यक्तिगत मामलों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक संगठित प्रयास का हिस्सा है। उन्होंने दावा किया कि इस संबंध में अब तक एक लाख से अधिक शिकायतें दर्ज की गई हैं।

फडणवीस ने यह बयान अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिला पत्रकारों के एक समूह से बातचीत के दौरान दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस विषय को गंभीरता से ले रही है और पहले ही एक समिति का गठन किया गया है, जो अन्य राज्यों में लागू कानूनों का अध्ययन कर रही है।

राज्य विधानसभा में पेश होगा ‘लव जिहाद’ पर निजी विधेयक

वर्तमान राज्य विधानसभा सत्र में भाजपा के दो विधायकों ने ‘लव जिहाद’ से निपटने के लिए एक निजी सदस्य विधेयक पेश करने का प्रस्ताव दिया है। ‘लव जिहाद’ शब्द उस संदर्भ में उपयोग किया जाता है जहां आरोप लगाया जाता है कि मुस्लिम पुरुष अपनी असली पहचान छिपाकर हिंदू महिलाओं को विवाह के लिए लुभाने का प्रयास करते हैं।

फडणवीस ने कहा, "शुरुआत में ये मामले व्यक्तिगत प्रतीत होते थे, लेकिन यह एक पैटर्न दर्शाता है। यह एक कट्टरपंथी मानसिकता को प्रकट करता है, जिसे नियंत्रित करने के लिए कड़े कानूनों की जरूरत है। हम समिति की रिपोर्ट का अध्ययन करेंगे और आवश्यक कदम उठाएंगे।"

मीडिया मॉनिटरिंग सेल का उद्देश्य स्पष्ट किया

जब मीडिया मॉनिटरिंग सेल को लेकर सवाल किया गया तो फडणवीस ने स्पष्ट किया कि इस सेल का मुख्य उद्देश्य सरकार से संबंधित खबरों पर नजर रखना है, ताकि आवश्यकता पड़ने पर स्पष्टीकरण दिया जा सके और किसी भी प्रकार की भ्रांतियों को दूर किया जा सके।

व्यक्तिगत जीवन और महिला सशक्तिकरण पर विचार

फडणवीस ने अपने निजी जीवन के बारे में बात करते हुए कहा कि वह एक बेटी के पिता होने के कारण खुद को भाग्यशाली मानते हैं। उन्होंने कहा, "मैं एक बेटी का पिता होने पर गर्व महसूस करता हूं। मुझे विश्वास है कि बेटियां माता-पिता की देखभाल करने में अधिक सक्षम होती हैं।"

उन्होंने यह भी कहा कि उनकी बेटी राजनीति में शामिल होने की इच्छुक नहीं है और वकील बनना चाहती है, जिससे यह संभावना है कि वह अपने परिवार के अंतिम व्यक्ति होंगे जो राजनीति में सक्रिय रहेंगे।

पत्नी की स्वतंत्रता का सम्मान और सोशल मीडिया ट्रोलिंग पर विचार

अपनी पत्नी की स्वतंत्रता को लेकर उन्होंने कहा कि वह हमेशा उनके विचारों का सम्मान करते हैं, भले ही वह सभी मुद्दों पर उनसे सहमत न हों। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि उनकी पत्नी को अक्सर सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का सामना करना पड़ता है, जो सार्वजनिक जीवन से जुड़े लोगों के लिए एक आम समस्या बन चुकी है।

महिला आरक्षण विधेयक पर विचार

महिला आरक्षण विधेयक के प्रभाव पर चर्चा करते हुए फडणवीस ने कहा कि 1990 के दशक में जब उन्होंने नगर निगम चुनाव जीता था, तब कई महिला उम्मीदवारों को अपने पतियों के लिए रास्ता देना पड़ता था, जो प्रॉक्सी रूप से शासन करते थे। हालांकि, उन्होंने कहा कि अब हालात बदल चुके हैं और निर्वाचित महिलाएं स्वतंत्र रूप से कार्य कर रही हैं।

निष्कर्ष

महाराष्ट्र सरकार ‘लव जिहाद’ के मुद्दे को गंभीरता से ले रही है और एक प्रभावी कानून लाने की दिशा में विचार कर रही है। फडणवीस के अनुसार, यह केवल व्यक्तिगत घटनाओं का मामला नहीं है, बल्कि एक योजनाबद्ध रणनीति का हिस्सा है, जिसे रोकने के लिए कानूनी उपाय आवश्यक हैं। साथ ही, उन्होंने महिला सशक्तिकरण और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर भी अपने विचार साझा किए।












भाजपा के पूर्व विधायक गणपत गायकवाड के खिलाफ नया विवाद: पूर्व शिवसेना(शिंदे) नेता महेश गायकवाड को मिली जान से मारने की धमकी।


मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

उल्हासनगर पुलिस थाना क्षेत्र में कुछ समय पहले भाजपा के पूर्व विधायक गणपत गायकवाड और शिवसेना नेता महेश गायकवाड के बीच विवाद पूरे देश में चर्चा का विषय बना था। इस घटना में गणपत गायकवाड ने महेश गायकवाड पर गोली चलाई थी, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इस गोलीकांड के बाद गणपत गायकवाड को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।

अब, इस मामले ने एक नया मोड़ ले लिया है। महेश गायकवाड को एक गुप्त चिट्ठी के जरिए जान से मारने की धमकी दी गई है। यह धमकी अंबरनाथ के आनंदनगर में एक शादी समारोह के दौरान उन्हें दी गई। इस चिट्ठी में स्पष्ट रूप से लिखा गया था, "गणपत गायकवाड और वैभव गायकवाड का नाम मत लो, वरना तुम्हारा हाल बाबा सिद्दीकी जैसा कर दिया जाएगा।"

जेल से आई धमकी? महेश गायकवाड ने जताया शक

महेश गायकवाड का कहना है कि यह चिट्ठी जेल में इस्तेमाल होने वाले कागज और लिफाफे पर लिखी गई है, जिससे उन्हें शक है कि यह सीधे गणपत गायकवाड द्वारा ही भेजी गई होगी। उन्होंने आरोप लगाया कि गणपत गायकवाड को जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट दिया जा रहा है।

गायकवाड ने कहा, "गणपत गायकवाड जेल में बंद हैं, लेकिन वे 15 दिन जेल में और 15 दिन जे. जे. अस्पताल में बिताते हैं। उन्हें मेडिकल चेकअप के बहाने मुंबई घुमाया जाता है। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि उन्हें किसी का संरक्षण प्राप्त है।"

सीबीआई जांच की मांग

महेश गायकवाड ने इस धमकी भरे पत्र को लेकर अंबरनाथ पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने यह भी कहा कि वे इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग करेंगे और इसके लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख करेंगे।

गणपत गायकवाड पर पहले भी गंभीर आरोप

इससे पहले, महेश गायकवाड ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गणपत गायकवाड के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि गणपत गायकवाड तळोजा जेल में कैद हैं, लेकिन मेडिकल जांच के नाम पर उन्हें बार-बार मुंबई लाया जाता है और उन्हें जेल से बाहर रहने का अवसर दिया जाता है।

यह पूरा मामला अब एक बार फिर राजनीतिक और कानूनी हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि पुलिस और प्रशासन इस धमकी भरे पत्र की जांच किस दिशा में ले जाते हैं और क्या वाकई इसमें गणपत गायकवाड की कोई संलिप्तता है।










कैट के आदेश से सरकार बैकफुट पर, आईआरएस अधिकारी सामीर वानखेड़े को फिर से मुंबई में किया जाएगा बहाल।


मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) ने भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारी सामीर वानखेड़े के मुंबई से चेन्नई स्थानांतरण को अवैध और मनमाना करार देते हुए इसे रद्द करने का आदेश दिया है। इस फैसले के बाद वानखेड़े को उनकी मुंबई पदस्थापना पर बहाल करने के निर्देश दिए गए हैं।

यह फैसला सरकारी अधिकारियों के तबादले से जुड़े नियमों पर एक महत्वपूर्ण न्यायिक हस्तक्षेप माना जा रहा है। कैट ने स्पष्ट किया कि स्थानांतरण नियमों के अनुसार नहीं किया गया था और यह उनके करियर और पारिवारिक जीवन को नुकसान पहुंचाने वाला था।

स्थानांतरण को बताया नियमों के विरुद्ध

कैट ने अपने फैसले में कहा कि स्थानांतरण प्रक्रिया में नियमों का सही तरीके से पालन नहीं हुआ। इस फैसले से यह साफ संकेत मिलता है कि किसी भी अधिकारी का तबादला मनमाने ढंग से नहीं किया जा सकता।

वानखेड़े की याचिका पर सुनवाई करते हुए कैट ने आदेश दिया कि उन्हें मुंबई में उनके पूर्व पद पर ही बहाल किया जाए।

क्या है पूरा मामला?

आईआरएस अधिकारी सामीर वानखेड़े को हाल ही में मुंबई से चेन्नई स्थानांतरित किया गया था। उन्होंने इस स्थानांतरण को अनुचित और नियमों के खिलाफ बताते हुए कैट में अपील दायर की थी।

अपनी याचिका में वानखेड़े ने तर्क दिया कि उनका तबादला बिना उचित प्रक्रिया अपनाए किया गया था, जिससे उनके पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन पर असर पड़ सकता था।

अब कैट ने उनकी याचिका स्वीकार कर ली है और सरकार के तबादला आदेश को रद्द कर दिया है।

सरकारी तबादलों पर उठे सवाल

यह फैसला सरकारी अधिकारियों के स्थानांतरण से जुड़ी प्रक्रियाओं पर गंभीर सवाल उठाता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि बिना उचित प्रक्रिया के किसी अधिकारी का तबादला नहीं किया जा सकता।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह आदेश सरकार को स्पष्ट संदेश देता है कि स्थानांतरण के मामलों में नियमों का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए।

अब इस फैसले के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि केंद्र सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है। क्या सरकार इस आदेश को स्वीकार करेगी या फिर उच्च न्यायालय में चुनौती देगी?

यह फैसला क्यों अहम है?

✔️ कानूनी रूप से गलत स्थानांतरण पर कड़ा संदेश 

✔️ सरकारी अधिकारियों की नौकरी सुरक्षा को मजबूती 

✔️ भविष्य में स्थानांतरण प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता की उम्मीद

आगे क्या?

वानखेड़े के स्थानांतरण को कैट द्वारा रद्द किए जाने के बाद, अब सभी की नजर इस पर है कि सरकार इस फैसले को स्वीकार करती है या चुनौती देती है।

यह मामला न केवल सामीर वानखेड़े के करियर के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि अन्य सरकारी अधिकारियों के तबादलों से जुड़े नियमों पर भी बड़ा प्रभाव डाल सकता है।

अब देखना यह होगा कि सरकार इस फैसले के बाद क्या अगला कदम उठाती है!








पत्रकारों की आर्थिक सुरक्षा के लिए महाराष्ट्र सरकार का बड़ा कदम – 100 करोड़ की निधि से होगा वित्तीय प्रबंधन


 

मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

महाराष्ट्र सरकार ने पत्रकारों के कल्याण के लिए एक अहम फैसला लेते हुए "शंकरराव चव्हाण स्वर्ण महोत्सवी पत्रकार कल्याण निधि" के आर्थिक प्रावधान में महत्वपूर्ण संशोधन की घोषणा की है। यह निर्णय 14 मार्च 2024 के शासन निर्णय में बदलाव करते हुए लिया गया है, जिससे पत्रकारों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है।

संशोधित अनुच्छेद क्रमांक 4 के अनुसार, इस योजना के लिए आवश्यक खर्च का वहन सामान्य प्रशासन विभाग की मांग क्रमांक ए-6, 2220- सूचना एवं प्रकाशन, 01- चलचित्र, 001- संचालन एवं प्रशासन (00) (01), प्रकाशन संचालक (2220 0043) 31- सहायक अनुदान (वेतन इतर) (अनिवार्य) से किया जाएगा।

100 करोड़ रुपये की निधि से होगा वित्तीय प्रबंधन

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस योजना के अंतर्गत राष्ट्रीयकृत बैंक में सावधि जमा किए गए 100 करोड़ रुपये की निधि के ब्याज से भी इस योजना का वित्तीय प्रबंधन किया जाएगा। यह कदम सरकार द्वारा मीडिया क्षेत्र के पेशेवरों को सशक्त करने और उनकी आर्थिक स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।

पत्रकारों को मिलेगा सीधा लाभ

इस फैसले से राज्य के पत्रकारों और मीडिया कर्मियों को बड़ा लाभ मिलेगा। सरकार का यह निर्णय उनकी वित्तीय सहायता सुनिश्चित करेगा और उन्हें सामाजिक सुरक्षा प्रदान करेगा। पत्रकारिता क्षेत्र में कार्यरत लोगों को इससे आर्थिक मजबूती मिलेगी, जिससे वे अपने कार्य को निर्भीक और स्वतंत्र रूप से कर सकेंगे।

मीडिया जगत में खुशी की लहर

सरकार के इस निर्णय का मीडिया जगत में व्यापक स्वागत किया जा रहा है। वरिष्ठ पत्रकारों और मीडिया संगठनों ने सरकार के इस कदम को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह निर्णय पत्रकारिता क्षेत्र को सशक्त करेगा और उनकी बेहतरी के लिए मील का पत्थर साबित होगा।

सरकार की मंशा – स्वतंत्र और सशक्त पत्रकारिता

महाराष्ट्र सरकार ने यह कदम पत्रकारों की सुरक्षा और स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए उठाया है। यह निर्णय स्पष्ट संकेत देता है कि सरकार पत्रकारिता की स्वतंत्रता को बनाए रखने और उनके हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

यह फैसला महाराष्ट्र में मीडिया उद्योग को एक नई दिशा देगा और पत्रकारों को आर्थिक रूप से मजबूत करने की दिशा में एक बड़ी पहल साबित होगा।











महाराष्ट्र विधान भवन में बजट सत्र 3 मार्च से प्रारंभ होकर 26 मार्च तक चलेगा, 10 मार्च को पेश होगा महाराष्ट्र राज्य का बजट।


मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

 महाराष्ट्र विधान भवन में राज्य का बजट सत्र 3 मार्च से प्रारंभ होकर 26 मार्च तक चलेगा। इस महत्वपूर्ण सत्र में राज्य की वित्तीय नीतियों, आर्थिक योजनाओं और विकास कार्यों पर व्यापक चर्चा होगी।

वित्त वर्ष 2025-26 के लिए महाराष्ट्र का बजट 10 मार्च को विधानसभा और विधान परिषद में प्रस्तुत किया जाएगा। यह बजट राज्य की आर्थिक दिशा को तय करने वाला होगा और विभिन्न क्षेत्रों में निवेश, कल्याणकारी योजनाओं और नई नीतियों को परिभाषित करेगा।

सत्र के दौरान, सरकार के नीतिगत फैसलों और वित्तीय योजनाओं पर चर्चा होने के साथ-साथ विपक्ष भी विभिन्न मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा। मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री बजट की प्राथमिकताओं पर विशेष जोर देंगे, जिससे जनता को राहत और राज्य के विकास को गति मिलेगी।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विपक्षी दल महंगाई, बेरोजगारी और अन्य मुद्दों को लेकर सरकार से तीखे सवाल पूछ सकते हैं।

बजट सत्र के दौरान राज्य की अर्थव्यवस्था, कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर और औद्योगिक विकास जैसे प्रमुख विषयों पर विस्तार से चर्चा होने की संभावना है।









महाराष्ट्र में ड्रग्स के खिलाफ सख्त ऐलान: पुलिसकर्मी भी दोषी पाए गए तो होगी सीधी बर्खास्तगी – सीएम फडणवीस


मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

महाराष्ट्र में ड्रग्स के बढ़ते खतरे पर लगाम लगाने के लिए मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस ने कड़ा संदेश दिया है। राज्य में अब ड्रग्स से जुड़े मामलों में पुलिसकर्मियों पर भी "जीरो टॉलरेंस" नीति लागू होगी। सीएम फडणवीस ने स्पष्ट कर दिया कि यदि कोई भी पुलिस अधिकारी या कर्मी ड्रग तस्करी या इससे जुड़े अपराधों में शामिल पाया जाता है, तो उसे सिर्फ निलंबित नहीं, बल्कि सीधे बर्खास्त कर दिया जाएगा।

ड्रग्स माफिया के खिलाफ अब 'सर्जिकल स्ट्राइक'

मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि "ड्रग्स का कारोबार समाज को खोखला कर रहा है, और इसे खत्म करने के लिए अब हम सख्त कार्रवाई करेंगे।" उन्होंने पुलिस विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि ड्रग्स के मामलों में लिप्त पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह कोई अपराधी हो या खुद कोई पुलिसकर्मी।

राज्य सरकार की इस नई नीति के तहत पुलिस विभाग में भी आंतरिक जांच तेज होगी, और भ्रष्टाचार व मादक पदार्थों की तस्करी में लिप्त कर्मियों पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी।

ड्रग्स कारोबार पर लगाम लगाने के लिए बड़े कदम

राज्य सरकार ने ड्रग्स के खिलाफ अपनी मुहिम को तेज करने के लिए कई अहम फैसले लिए हैं:

✔ ड्रग तस्करों के खिलाफ विशेष अभियान चलाए जाएंगे। 

✔ स्कूल-कॉलेजों के आसपास विशेष सतर्कता बरती जाएगी। 

✔ पुलिस विभाग के भीतर कड़ी निगरानी रखी जाएगी, ताकि कोई अधिकारी या कर्मचारी ड्रग्स कारोबार में लिप्त न हो। 

✔ ड्रग्स की सप्लाई चेन तोड़ने के लिए अंतरराज्यीय एजेंसियों के साथ समन्वय किया जाएगा।

राज्य सरकार की ऐतिहासिक पहल

महाराष्ट्र सरकार की यह सख्त नीति राज्य में ड्रग्स नेटवर्क को जड़ से खत्म करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। मुख्यमंत्री फडणवीस के इस फैसले के बाद ड्रग्स कारोबार में लिप्त पुलिसकर्मियों और अपराधियों में हड़कंप मच गया है।

जनता की अपील – "ड्रग्स मुक्त महाराष्ट्र"

सरकार के इस फैसले का सामाजिक संगठनों और आम जनता ने स्वागत किया है। लोगों का कहना है कि युवा पीढ़ी को नशे की गिरफ्त से बचाने के लिए यह सख्त कदम बेहद जरूरी था।

महाराष्ट्र अब ड्रग्स मुक्त समाज की ओर कदम बढ़ा चुका है, और मुख्यमंत्री फडणवीस के इस निर्णय को एक निर्णायक मोड़ के रूप में देखा जा रहा है।










"लाडकी बहन योजना से महिलाओं को मिला संबल, फरवरी माह की राशि आज से खातों में उपलब्ध"


मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

सरकार की महत्वाकांक्षी योजना "लाडकी बहन योजना" के तहत फरवरी माह की 1500 रुपये की किस्त आज से लाभार्थियों के खातों में जमा की जा रही है। यह योजना महिलाओं और बच्चियों के सशक्तिकरण और उनके वित्तीय विकास को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई है।

लाडकी बहन योजना का उद्देश्य महिलाओं और बच्चियों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है, ताकि वे अपने जीवन में आत्मनिर्भर बन सकें। इस योजना के तहत हर महीने लाभार्थियों के खातों में निर्धारित राशि जमा की जाती है, जिससे उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य आवश्यकताओं के लिए वित्तीय सहायता मिलती है।

सरकारी अधिकारियों के अनुसार, इस महीने की किस्त आज से जमा की जा रही है और लाभार्थी अपने नजदीकी बैंक या एटीएम से इस राशि को निकाल सकते हैं। योजना से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि इसका लाभ सीधे लाभार्थियों के खातों में पहुंचाने के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की गई हैं।

लाडकी बहन योजना ने पिछले कुछ वर्षों में हजारों महिलाओं और बच्चियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए हैं। इस योजना के माध्यम से न केवल उन्हें आर्थिक सहायता मिल रही है, बल्कि उन्हें समाज में सम्मान और स्वावलंबन भी प्राप्त हो रहा है।

सरकार ने इस योजना को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए निरंतर प्रयास जारी रखे हैं। लाभार्थियों से अपील की गई है कि वे अपने खातों की जांच करें और किसी भी समस्या की स्थिति में संबंधित अधिकारियों से संपर्क करें।

लाडकी बहन योजना महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो समाज में बदलाव लाने और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।








उल्हासनगर गोलीकांड: पूर्व विधायक गणपत गायकवाड के बेटे वैभव गायकवाड को मिली क्लीन चिट, चार्जशीट में सिर्फ दो आरोपी शामिल।


मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

महाराष्ट्र के उल्हासनगर में एक साल पहले हुए सनसनीखेज गोलीकांड ने राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए थे। इस मामले में एक नया मोड़ आया है, जिसमें पूर्व भाजपा विधायक गणपत गायकवाड के बेटे वैभव गायकवाड को क्लीन चिट दे दी गई है। ताज़ा चार्जशीट में केवल दो आरोपियों—नागेश बडेराव और कुणाल पाटील—का ही नाम शामिल किया गया है।

क्या था पूरा मामला?

यह मामला तब सामने आया जब तत्कालीन भाजपा विधायक गणपत गायकवाड ने शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता महेश गायकवाड और उनके सहयोगी राहुल पाटील पर हिललाइन पुलिस स्टेशन में ही छह राउंड फायर किए थे। इस चौंकाने वाली घटना के बाद राज्यभर में हड़कंप मच गया था और कानून-व्यवस्था को लेकर तीखी बहस छिड़ गई थी। गणपत गायकवाड को इस मामले में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था, जहां वे अब भी बंद हैं।

चार्जशीट में क्या कहा गया?

इस मामले में उल्हासनगर कोर्ट में हाल ही में पूरक चार्जशीट दाखिल की गई, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया कि वैभव गायकवाड के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिले और उनका इस अपराध में कोई हाथ नहीं है। हालांकि, चार्जशीट में यह भी बताया गया कि वैभव गायकवाड अब भी फरार हैं और पुलिस उनकी तलाश कर रही है।

महेश गायकवाड ने की थी इनाम की घोषणा

महेश गायकवाड ने पिछले महीने पुलिस अधिकारियों के लिए 25,000 रुपये के इनाम की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि जो पुलिस अधिकारी वैभव गायकवाड को गिरफ्तार करेगा, उसे यह इनाम दिया जाएगा और यह राशि मुख्यमंत्री सहायता कोष में जमा की जाएगी। महेश गायकवाड ने आरोप लगाया था कि आरोपी विधायक के फार्महाउस पर जा रहे हैं और पुलिस राजनीतिक दबाव में काम कर रही है, इसलिए अब तक गिरफ्तारी नहीं हुई।

क्या आगे होगा?

अब जब वैभव गायकवाड को चार्जशीट में क्लीन चिट मिल गई है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में आगे क्या कानूनी कदम उठाए जाते हैं। गणपत गायकवाड अभी भी जेल में हैं, जबकि इस हाई-प्रोफाइल केस में पुलिस की भूमिका और राजनीतिक दबाव पर सवाल उठाए जा रहे हैं।










अनजान महिला को "स्मार्ट" कहना अश्लीलता: मुंबई कोर्ट का कड़ा फैसला।


(फाइल इमेज)

मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

महिलाओं की गरिमा और सम्मान से जुड़े मामलों में मुंबई की एक अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि किसी अनजान महिला को रात में व्हाट्सऐप पर "आप पतली हैं, बहुत स्मार्ट और गोरी दिखती हैं, मैं पसंद करता हूँ" जैसे संदेश भेजना अश्लीलता की श्रेणी में आता है और इसे आपराधिक कृत्य माना जाएगा।

कोर्ट का कड़ा रुख

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (दिंडोशी) डी. जी. ढोबले ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि अश्लीलता का मूल्यांकन समकालीन सामुदायिक मानकों के आधार पर किया जाना चाहिए। न्यायालय ने आरोपी को दोषी ठहराते हुए उसकी सजा को बरकरार रखा।

क्या है मामला?

मामला एक पूर्व महिला पार्षद से जुड़ा है, जिन्हें एक व्यक्ति ने रात 11 बजे से 12.30 बजे के बीच लगातार व्हाट्सऐप पर आपत्तिजनक संदेश और तस्वीरें भेजीं। आरोपी ने अपने संदेशों में महिला की शारीरिक बनावट की तारीफ की थी, जिसे अदालत ने महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला कृत्य माना।

न्यायालय का फैसला क्यों अहम?

अदालत ने कहा, "समाज में स्वीकृत मर्यादाओं और नैतिकता के अनुसार किसी महिला को इस तरह के संदेश भेजना न केवल अनुचित है बल्कि अश्लीलता की परिभाषा में आता है।"

कोर्ट का यह फैसला महिलाओं की सुरक्षा और डिजिटल माध्यमों पर अभद्र व्यवहार पर रोक लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इस फैसले से यह संदेश स्पष्ट होता है कि ऑनलाइन स्पेस में भी मर्यादाओं का पालन जरूरी है और महिलाओं को मानसिक रूप से परेशान करने वाले कृत्यों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अश्लीलता पर सख्त होगी कार्रवाई

विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला उन लोगों के लिए एक चेतावनी है, जो सोशल मीडिया और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग कर महिलाओं को असहज महसूस कराते हैं।

इस फैसले के बाद अब यह देखना होगा कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर महिलाओं की गरिमा की रक्षा के लिए कानून को और सख्त किया जाता है या नहीं।










फराह खान पर हिंदू धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप, हिंदुस्तानी भाऊ ने दर्ज कराई शिकायत।


मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

हिंदुस्तानी भाऊ ने फराह खान के खिलाफ दर्ज करवाई शिकायत, हिंदू धार्मिक भावनाएं आहत करने का लगाया आरोप

मुंबई में बढ़ा विवाद, पुलिस जांच में जुटी

मुंबई: मशहूर कोरियोग्राफर और फिल्म निर्देशक फराह खान एक नए विवाद में घिर गई हैं। सोशल मीडिया की चर्चित हस्ती और पूर्व रियलिटी शो प्रतिभागी हिंदुस्तानी भाऊ (विकास फाटक) ने फराह खान के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है। उन्होंने आरोप लगाया है कि फराह खान की कुछ टिप्पणियों से हिंदू धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं जिससे समाज में नाराजगी का माहौल बन रहा है।  

क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के अनुसार, हिंदुस्तानी भाऊ ने मुंबई के संबंधित पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवाई है, जिसमें फराह खान पर हिंदू धर्म की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का गंभीर आरोप लगाया गया है। भाऊ का कहना है कि फराह खान के बयान धार्मिक मान्यताओं के विरुद्ध हैं और इसे लेकर कड़ी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।  

सोशल मीडिया पर बवाल

यह मामला सामने आते ही सोशल मीडिया पर ArrestFarahKhan ट्रेंड करने लगा। हिंदुस्तानी भाऊ के समर्थक बड़ी संख्या में फराह खान के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। कई धार्मिक संगठनों ने भी इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी जाहिर की है।  

फराह खान की प्रतिक्रिया का इंतजार

इस विवाद पर अब तक फराह खान की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और कानूनी पहलुओं पर विचार कर रही है। अगर आरोप साबित होते हैं, तो फराह खान के खिलाफ कानूनी कार्रवाई संभव हो सकती है।  

क्या होगा आगे?

इस पूरे मामले ने बॉलीवुड और सोशल मीडिया में नया विवाद खड़ा कर दिया है। पुलिस जल्द ही फराह खान को नोटिस भेज सकती है और उनसे इस विषय पर स्पष्टीकरण मांगा जा सकता है। अब देखना होगा कि यह मामला कितना गंभीर मोड़ लेता है और फराह खान इस पर क्या प्रतिक्रिया देती हैं।










IRS अधिकारी समीर वानखेडे ने नशा मुक्ति अभियान को दिया समर्थन, भारत विकास परिषद के कार्यक्रम में युवाओं को जागरूक करने का किया आह्वान।


 













मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

भारतीय राजस्व सेवा (IRS) के वरिष्ठ अधिकारी समीर वानखेडे ने भारत विकास परिषद द्वारा आयोजित नशा मुक्ति अभियान में भाग लेकर समाज में नशे के बढ़ते प्रभाव और उसके दुष्परिणामों पर गहरी चिंता व्यक्त की। यह आयोजन दहानुकर कॉलेज, विले पार्ले, मुंबई में हुआ, जहां सैकड़ों छात्र, सामाजिक कार्यकर्ता और प्रतिष्ठित नागरिक उपस्थित रहे।

नशे के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए समीर वानखेडे ने कहा कि नशे की लत सिर्फ व्यक्तिगत जीवन को ही नहीं, बल्कि पूरे समाज और देश की प्रगति को भी प्रभावित करती है। उन्होंने युवाओं को इस बुरी लत से बचने की सलाह देते हुए कहा, "नशा जीवन का नाश कर सकता है, इसे रोकने के लिए हमें मिलकर काम करना होगा।"

RSS से संबद्ध भारत विकास परिषद का सराहनीय प्रयास

यह कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से संबद्ध भारत विकास परिषद द्वारा आयोजित किया गया था, जो वर्षों से समाज सेवा और नैतिक मूल्यों के उत्थान के लिए कार्य कर रही है। परिषद के नशा मुक्ति अभियान का उद्देश्य युवाओं को जागरूक करना और समाज में सकारात्मक बदलाव लाना है।

गणमान्य लोगों की उपस्थिति और युवाओं का उत्साह

इस अवसर पर विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों, शिक्षाविदों और प्रशासनिक अधिकारियों ने भी भाग लिया। उपस्थित गणमान्य लोगों ने नशा मुक्ति के प्रति अपने विचार साझा किए और इस पहल को और व्यापक स्तर पर ले जाने की जरूरत पर बल दिया।

समीर वानखेडे की सक्रिय भूमिका

IRS अधिकारी समीर वानखेडे को उनके सख्त और निष्पक्ष रवैये के लिए जाना जाता है। उन्होंने इस कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति से समाज में नशे के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने के लिए एक मजबूत संदेश दिया।

इस आयोजन ने नशा मुक्ति के प्रति नई चेतना जगाई और युवाओं को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। भारत विकास परिषद के इस सराहनीय प्रयास की पूरे शहर में सराहना हो रही है।









मुंबई में श्रमजीवी महिलाओं की ऐतिहासिक भेंट: मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और डॉ. ओमप्रकाश शेटे के सान्निध्य में प्रेरणादायक संवाद।


 








मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

यवतमाल जिले के घाटंजी क्षेत्र में कठिन परिस्थितियों में धुलाई और बर्तन साफ करने का कार्य करने वाली 20 महिलाओं के जीवन में एक ऐतिहासिक क्षण आया, जब उन्हें "रसिकाश्रय" संस्था के माध्यम से "जीवाची मुंबई, श्रमाची आनंदवारी" उपक्रम के तहत मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और देवदूत आरोग्य दूत डॉ. ओमप्रकाश शेटे से सह्याद्री अतिथिगृह में मिलने का अवसर प्राप्त हुआ।

यह केवल एक औपचारिक मुलाकात नहीं थी, बल्कि संघर्षरत महिलाओं के सपनों और आशाओं को नई दिशा देने वाला एक प्रेरणादायक संवाद था। यह उन महिलाओं के लिए एक ऐसा क्षण था, जिसने उनकी जिंदगी में एक नई रोशनी भर दी।

भावनाओं से भर आया माहौल, खुशी के आंसुओं में छलकी उम्मीदें

इस भेंट के दौरान कई महिलाओं की आँखों में खुशी और भावनाओं के आँसू छलक पड़े। एक बुजुर्ग महिला अपनी भावनाओं को रोक नहीं सकी और उसकी आवाज़ भर्रा गई। उन्होंने बताया कि "हमने कभी हवाई जहाज नहीं देखा था, लेकिन अब हमने उसमें सफर भी किया। बीते दो दिनों में हमें स्वर्ग जैसी अनुभूति हुई।"

महिलाओं के संघर्ष को समझते हुए डॉ. ओमप्रकाश शेटे ने उनके कठिन जीवन की चुनौतियों को उजागर किया और आश्वासन दिया कि सरकार गरीब और श्रमिक वर्ग के जीवन को बेहतर बनाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

"रसिकाश्रय" संस्था की ऐतिहासिक पहल, महिलाओं के जीवन में लाई उजाला

इस पूरी पहल का आयोजन "रसिकाश्रय" संस्था द्वारा किया गया था, जिसका उद्देश्य इन मेहनतकश महिलाओं को मुख्यधारा से जोड़कर उन्हें सशक्त बनाना था। संस्था के अथक प्रयासों की सराहना करते हुए डॉ. ओमप्रकाश शेटे ने कहा, "गरीब और श्रमिक वर्ग के उत्थान के लिए सरकार पूरी तरह समर्पित है। हम हर संभव प्रयास करेंगे कि इन महिलाओं को एक सम्मानजनक जीवन मिले।"

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी इस अवसर पर महिलाओं से बातचीत की और सरकार की योजनाओं से उन्हें अवगत कराया। उन्होंने भरोसा दिलाया कि श्रमिक वर्ग के सशक्तिकरण के लिए सरकार हमेशा उनके साथ खड़ी रहेगी।

मुलाकात के बाद महिलाओं में उमड़ा नया जोश, कहा- 'यह किसी सपने से कम नहीं!'

इस ऐतिहासिक भेंट के उपरांत, महिलाओं के चेहरे पर अद्भुत उत्साह और आत्मविश्वास झलक रहा था। उन्होंने इस अवसर को अपने जीवन का सबसे यादगार अनुभव बताया। एक महिला ने भावुक होकर कहा, "यह मुलाकात किसी सपने जैसी लगी। हमें यकीन नहीं हो रहा कि हम जिन नेताओं को अब तक टीवी पर देखते थे, आज उनसे मिलकर अपनी बात कह सके।"

इस पहल ने यह साबित कर दिया कि यदि सही दिशा में प्रयास किए जाएं, तो समाज के हाशिए पर खड़े लोगों को भी मुख्यधारा में लाया जा सकता है। "रसिकाश्रय" संस्था और सरकार की यह पहल उन हजारों महिलाओं के लिए प्रेरणा बन सकती है, जो आज भी अपने अधिकारों और बेहतर जीवन की तलाश में संघर्ष कर रही हैं।

गरीब और श्रमिक वर्ग के लिए सरकार की प्रतिबद्धता

डॉ. ओमप्रकाश शेटे और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की इस पहल ने न केवल इन महिलाओं के जीवन को एक नया अनुभव दिया, बल्कि यह भी दर्शाया कि सरकार गरीब और श्रमिक वर्ग के कल्याण के लिए गंभीर और प्रतिबद्ध है।

इस भेंट के बाद महिलाओं को सरकारी योजनाओं की अधिक जानकारी मिली और उन्हें यह विश्वास हुआ कि सरकार उनकी बेहतरी के लिए कार्यरत है।

"रसिकाश्रय" की यह ऐतिहासिक पहल समाज में बदलाव की एक नई किरण लेकर आई है। यह यात्रा केवल 20 महिलाओं तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि आने वाले समय में यह हजारों जरूरतमंद महिलाओं के जीवन को रोशन करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।










नवाब मलिक के खिलाफ बड़ा झटका: अदालत ने मानहानि मामले को बताया संगीन, पुलिस जांच के आदेश।

मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के वरिष्ठ नेता नवाब मलिक को बड़ा झटका लगा है। अधिवक्ता जसमीन वानखेड़े द्वारा दायर मानहानि, महिला की मर्यादा भंग करने और धमकी देने के मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी (JMFC) ने इसे गंभीर मानते हुए पुलिस जांच के आदेश जारी कर दिए हैं।

क्या है मामला? अधिवक्ता जसमीन वानखेड़े ने नवाब मलिक पर मानहानि सहित कई गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा था कि मलिक ने उनके खिलाफ अपमानजनक और आधारहीन बयान दिए, जिससे उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची। इसके अलावा, महिला की मर्यादा भंग करने और धमकी देने के मामले भी दर्ज किए गए हैं।

अदालत ने क्या कहा? JMFC अदालत ने इस मामले को मानहानिपूर्ण बताते हुए कहा कि आरोपों की गंभीरता को देखते हुए पुलिस जांच जरूरी है। अदालत के इस फैसले के बाद अब पुलिस नवाब मलिक के खिलाफ विस्तृत जांच करेगी और आगे की कानूनी कार्रवाई तय की जाएगी।

क्या होगी अगली कार्रवाई? न्यायालय के आदेश के बाद पुलिस को इस मामले में जांच शुरू करने के लिए निर्देश दिए गए हैं। यदि जांच में आरोप सही पाए जाते हैं, तो नवाब मलिक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सकती है।

इस फैसले के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है, और इस मामले को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं। अब देखना होगा कि पुलिस जांच में क्या खुलासे होते हैं और नवाब मलिक इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं।










 

वन नेशन, वन राशन कार्ड पर सवाल! बिना मौजूदगी के कैसे हुआ फिंगरप्रिंट मिलान?


 


मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

राशन वितरण प्रणाली में बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। विक्रोली पार्क साइड इलाके में एक 13 वर्षीय नाबालिग लड़के, तन्मय कांबळे, के फर्जी फिंगरप्रिंट के जरिए राशन सत्यापन का मामला सामने आया है। यह घटना न केवल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है, बल्कि सरकार द्वारा संचालित डिजिटल राशन प्रणाली की सुरक्षा को भी कठघरे में खड़ा करती है।

कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह नाबालिग राशन दुकान पर गया ही नहीं था, फिर भी उसका फिंगरप्रिंट सिस्टम में सत्यापित हो गया। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि बिना उपस्थिति के यह सत्यापन कैसे संभव हुआ? क्या किसी ने इस लड़के का बायोमेट्रिक डेटा चोरी किया या फिर सिस्टम में हेरफेर की गई?

बायोमेट्रिक सिस्टम की सुरक्षा पर गंभीर सवाल

सरकार द्वारा संचालित "वन नेशन, वन राशन कार्ड" योजना के तहत राशन वितरण के लिए बायोमेट्रिक सत्यापन अनिवार्य है। लेकिन अगर बिना असली व्यक्ति की मौजूदगी के भी फिंगरप्रिंट सत्यापित हो सकता है, तो यह पूरी प्रणाली की सुरक्षा को कमजोर कर सकता है।

क्या बायोमेट्रिक डेटा लीक हो रहा है?

क्या राशन दुकानों में भ्रष्टाचार चल रहा है?

क्या किसी बड़े साइबर घोटाले की शुरुआत हो चुकी है?

प्रशासन की चुप्पी, जनता में आक्रोश

इस मामले के सामने आने के बाद स्थानीय नागरिकों में आक्रोश है। लोगों का कहना है कि यदि ऐसा एक नाबालिग के साथ हो सकता है, तो फिर कितने और लोगों के बायोमेट्रिक डेटा के साथ छेड़छाड़ हो रही होगी?

राशन दुकान संचालकों और प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। क्या यह लापरवाही का मामला है या फिर एक संगठित घोटाले की शुरुआत?

केंद्र सरकार से त्वरित जांच की मांग

अब इस पूरे मामले में केंद्र सरकार और राज्य प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग की जा रही है। यदि बायोमेट्रिक सिस्टम में छेड़छाड़ संभव हो सकती है, तो यह आधार कार्ड, बैंकिंग और अन्य सरकारी सेवाओं की सुरक्षा के लिए भी खतरा बन सकता है।

यह मामला सिर्फ एक राशन दुकान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश की डिजिटल पहचान सुरक्षा से जुड़ा गंभीर मुद्दा बन चुका है। प्रशासन क्या कार्रवाई करता है, यह देखना अब बेहद जरूरी हो गया है।









धारावी में गणतंत्र दिवस समारोह: IRS अधिकारी समीर वानखेडे ने नशा मुक्ति का दिया ऐतिहासिक संदेश।


 








मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

 गणतंत्र दिवस के अवसर पर धारावी में आयोजित एक भव्य समारोह में भारतीय राजस्व सेवा (IRS) के वरिष्ठ अधिकारी समीर वानखेडे ने तिरंगा फहराया और नागरिकों को देशभक्ति, एकता और सामाजिक सुधार का संदेश दिया। इस कार्यक्रम में स्थानीय नागरिकों, युवाओं और बच्चों की बड़ी संख्या में उपस्थिति ने इसे खास बना दिया।

ध्वजारोहण के बाद समीर वानखेडे ने अपने प्रेरणादायक भाषण से उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने कहा, "गणतंत्र दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हमारा देश एकता, अखंडता और स्वतंत्रता जैसे महान मूल्यों पर आधारित है। धारावी के इन प्रतिभाशाली बच्चों के साथ तिरंगा फहराना मेरे लिए गर्व और प्रेरणा का पल है, क्योंकि ये बच्चे भारत के उज्ज्वल भविष्य का प्रतिनिधित्व करते हैं।"

नशा मुक्ति पर दिया विशेष जोर

अपने संबोधन में समीर वानखेडे ने नशा मुक्त भारत के निर्माण का आह्वान किया। उन्होंने कहा, "नशा मुक्ति केवल नशीले पदार्थों से छुटकारा पाने का नाम नहीं है, बल्कि यह एक स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने, सकारात्मक सोच को बढ़ावा देने और एक सशक्त भविष्य के निर्माण का प्रयास है। हमें मिलकर ऐसा राष्ट्र बनाना है, जहाँ हर व्यक्ति अपनी पूरी क्षमता के साथ जीवन जी सके।"

उन्होंने बच्चों और युवाओं से विशेष अपील की कि वे नशे से दूर रहकर अपने जीवन को देश सेवा और विकास के लिए समर्पित करें। वानखेडे ने कहा, "हमारा गणतंत्र उन सपनों और प्रयासों की नींव पर खड़ा है, जो हमारे पूर्वजों ने किए थे। अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस विरासत को नई ऊंचाइयों तक ले जाएँ।"

समाज सुधार के लिए संकल्प

कार्यक्रम के समापन पर सभी उपस्थित लोगों ने नशा मुक्त समाज बनाने का संकल्प लिया। समीर वानखेडे ने सभी से एकजुट होकर समाज सुधार में योगदान देने की अपील की। उन्होंने कहा कि नशा मुक्त भारत का सपना तभी साकार होगा, जब हर नागरिक जागरूकता और जिम्मेदारी के साथ इस मिशन में हिस्सा लेगा।

धारावी के बच्चों ने बढ़ाया उत्साह

कार्यक्रम में धारावी के बच्चों ने देशभक्ति गीत और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से उपस्थित लोगों का मन मोह लिया। वानखेडे ने इन बच्चों को देश का भविष्य बताते हुए कहा, "इनकी ऊर्जा और प्रतिभा देखकर यह विश्वास होता है कि भारत का भविष्य उज्ज्वल है।"

नशा मुक्त भारत का आह्वान

समारोह का अंत राष्ट्रगान और "नशा मुक्त भारत" के नारे के साथ हुआ। इस कार्यक्रम ने न केवल गणतंत्र दिवस का जश्न मनाया, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव के लिए एक प्रेरणा भी दी। वानखेडे का संदेश अब पूरे देश में एक नई उम्मीद और जागरूकता की लहर पैदा कर रहा है।

यह समारोह सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन का प्रतीक बन गया है।