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उल्हासनगर टीडीआर घोटाले पर मंत्रालय में हाईलेवल बैठक: डीआरसी क्रमांक 14, 17 और 18 स्थगित, दोषियों पर होगी कठोर कार्रवाई।


 



उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

उल्हासनगर में उजागर हुए बहुचर्चित टीडीआर घोटाले को लेकर गुरुवार को मंत्रालय में एक महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता राज्य के पूर्व राज्यमंत्री बच्चू भाऊ कडू ने की। इस दौरान नगरविकास विभाग के प्रधान सचिव श्री असीम गुप्ता ने उल्हासनगर महानगरपालिका आयुक्त को स्पष्ट निर्देश दिए कि टीडीआर/आरसीसी/डीआरसी क्रमांक 14, 17 और 18 को जांच पूरी होने तक पूरी तरह स्थगित रखा जाए।

इसके साथ ही इन टीडीआर की खरीद-बिक्री पर तत्काल रोक लगाने के आदेश दिए गए। इतना ही नहीं, यदि किसी निर्माण अनुमति में ये टीडीआर पहले से समाविष्ट किए गए हैं तो उन निर्माण अनुमतियों को भी तत्काल प्रभाव से निरस्त करने का निर्णय लिया गया है।

प्रधान सचिव श्री गुप्ता ने कहा कि जांच 10 दिनों के भीतर पूरी की जाएगी और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि उल्हासनगर में टीडीआर घोटाला हुआ है और इसे उजागर करने का श्रेय अधिवक्ता स्वप्निल पाटील को जाता है। गुप्ता ने सवाल उठाते हुए कहा – “जब एक समाजसेवक यह घोटाला सामने ला सकता है, तो जिम्मेदार अधिकारी इस अनियमितता से अनजान क्यों रहे? उनकी जवाबदेही तय होनी चाहिए।”

बैठक में राष्ट्र कल्याण पार्टी के अध्यक्ष श्री शैलेश तिवारी ने उल्हासनगर आयुक्त की कार्यप्रणाली पर कड़ा आक्रोश व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि 4 मार्च को दिए गए आदेशों का पालन न करना आयुक्त की गंभीर लापरवाही और निष्क्रियता को दर्शाता है।

इस हाईलेवल बैठक में माननीय राज्यमंत्री बच्चू भाऊ कडू, नगरविकास विभाग के प्रधान सचिव श्री असीम गुप्ता, अवर सचिव श्री निर्मलकुमार चौधरी, सचिव नवी-12 श्री मोरे, उल्हासनगर महानगरपालिका की आयुक्त श्रीमती मनीषा आव्हाळे, राष्ट्र कल्याण पार्टी के अध्यक्ष श्री शैलेश तिवारी, प्रहार जनशक्ति पार्टी के जिलाध्यक्ष अधिवक्ता स्वप्निल पाटील, समाजसेवक श्री वासू कुकरेजा तथा ठाणे जिला संपर्क प्रमुख श्री हितेश जाधव उपस्थित रहे।

👉 मंत्रालय स्तर पर हुई इस बैठक के बाद अब उल्हासनगर टीडीआर घोटाले की जांच तेज होने की संभावना है और आने वाले दिनों में कई बड़े खुलासे तथा सख्त प्रशासनिक कार्रवाई सामने आ सकती है।












उल्हासनगर-5 जींस मार्केट में 25 से 30 लाख का संदिग्ध सौदा, विकी के खिलाफ शिकायत की तैयारी – पुलिस जांच के आसार


(फाइल इमेज)

उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

उल्हासनगर-5 का जींस मार्केट एक बार फिर सुर्खियों में है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मार्केट से जुड़ा एक बड़ा आर्थिक मामला प्रकाश में आया है। बताया जा रहा है कि विकी नामक व्यक्ति ने बीते तीन से चार दिनों के भीतर लगभग 25 से 30 लाख रुपये मूल्य का माल बेचा है। यह सौदा उल्हासनगर-5 स्थित 444 धागे वाले क्षेत्र के आसपास संपन्न हुआ।

व्यापारी वर्ग और सूत्रों की मानें तो इस लेन-देन में कई तरह की अनियमितताओं और संदिग्ध गतिविधियों की आशंका जताई जा रही है। बाजार के जानकारों का कहना है कि यदि जल्द ही इस मामले में स्पष्टता नहीं आती है, तो इसकी औपचारिक शिकायत पुलिस थाने में दर्ज कराई जा सकती है।

मार्केट एसोसिएशन ने भी मामले पर करीबी नजर रखी हुई है और प्राथमिक स्तर पर इसे गंभीरता से लिया जा रहा है। व्यापारियों का मानना है कि यदि इस पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो आने वाले दिनों में मार्केट का माहौल प्रभावित हो सकता है।

फिलहाल पुलिस जांच की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा है और व्यापारी वर्ग सख्त कानूनी कदमों की उम्मीद लगाए बैठा है।













उल्हासनगर-5 जींस मार्केट में करोड़ों की ठगी! व्यापारी तरुण फरार, पुलिस में शिकायत की तैयारी..?


(फाइल इमेज)

उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

उल्हासनगर-5 के जींस मार्केट से एक बड़े आर्थिक घोटाले का मामला सामने आया है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, तरुण नामक व्यापारी ने मार्केट के कई व्यापारियों से करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी की है। बताया जा रहा है कि तरुण बीते कुछ समय से जींस के कपड़े (रोल) के कारोबार में सक्रिय था और इसी कारोबार के बहाने उसने बड़े पैमाने पर व्यापारियों से धन वसूला।

सूत्रों की मानें तो धोखाधड़ी का शिकार हुए व्यापारी अब पुलिस थाने में आधिकारिक शिकायत दर्ज कराने की तैयारी में हैं। इस घोटाले ने पूरे मार्केट में सनसनी फैला दी है और व्यापारी वर्ग में भारी आक्रोश देखा जा रहा है।

मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस विभाग भी सतर्क हो गया है और जल्द ही जांच शुरू होने की संभावना है। उधर, व्यापारियों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचाती हैं बल्कि बाजार की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े करती हैं।

👉 विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय रहते कड़ी कार्रवाई नहीं की गई तो ऐसे घोटाले शहर के व्यापारिक माहौल पर गहरा असर डाल सकते हैं।












उल्हासनगर-5 जींस मार्केट में 4 करोड़ की ठगी! व्यापारी तरुण फरार, पर्दे के पीछे कौन – जल्द होगा खुलासा


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उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

उल्हासनगर-5 के जींस मार्केट से करोड़ों रुपये की ठगी का एक बड़ा मामला उजागर हुआ है। सूत्रों के अनुसार, तरुण नामक व्यापारी, जो लंबे समय से जींस के कपड़े (रोल) का कारोबार करता था, अचानक मार्केट के व्यापारियों से लगभग 4 करोड़ रुपये लेकर फरार हो गया है। तरुण करीब 7 साल पहले भी बाजार के कई व्यापारियों से 15 से 17 करोड़ रुपए लेकर गायब हो चुका था।

जानकारी के मुताबिक, तरुण पहले कुछ महीनों से मार्केट में कारोबार कर रहा था और इस दौरान उसने स्थानीय व्यापारियों का भरोसा जीता। लेकिन हाल ही में उसने एकाएक बड़े पैमाने पर पैसे लेकर कारोबारियों को चूना लगाया और फरार हो गया।

व्यापारियों का आरोप है कि यह कोई सामान्य धोखाधड़ी नहीं है, बल्कि इसके पीछे बड़े स्तर पर मिलीभगत और षड्यंत्र हो सकता है। हालांकि, अभी तक इस मामले में किसी भी प्रकार की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। 

इस घटना के बाद जींस मार्केट के सैकड़ों व्यापारी गहरे आर्थिक संकट में फंस गए हैं। कई व्यापारियों ने बताया कि उनकी सालों की मेहनत और पूंजी तरुण के धोखे से बर्बाद हो गई है। मार्केट में अब भय, आक्रोश और असुरक्षा का माहौल है।

👉 जल्द होगा खुलासा: तरुण के फरार होने के पीछे किसका हाथ है, इसका खुलासा बहुत जल्द किया जाएगा।












उल्हासनगर-5 जींस मार्केट में करोड़ों की ठगी, व्यापारी तरुण फरार – राजस्थान की कपड़ा मिलों को भी लगाया चूना।


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उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

उल्हासनगर-5 के जींस मार्केट से करोड़ों रुपए की ठगी का सनसनीखेज मामला उजागर हुआ है। सूत्रों के अनुसार, तरुण नामक व्यापारी ने स्थानीय व्यापारियों को लगभग 4 करोड़ रुपए का चूना लगाया है। बताया जा रहा है कि तरुण जींस के कपड़े (रोल) का व्यापार करता था और इसी व्यापार के नाम पर उसने बड़ी रकम वसूली।

10 साल पहले भी कर चुका है बड़ा घोटाला

जांच में सामने आया है कि यह कोई पहला मामला नहीं है। करीब एक दशक पहले भी तरुण ने स्थानीय व्यापारियों को 15 से 17 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाया था। लंबे समय तक गायब रहने के बाद उसने पुनः कारोबार शुरू किया और दोबारा व्यापारियों को अपने जाल में फंसा लिया।

राजस्थान की मिलें भी बनीं शिकार

जानकारी के मुताबिक, तरुण ने राजस्थान के भीलवाड़ा की प्रतिष्ठित कपड़ा मिलों से माल उठाया और उसका भुगतान नहीं किया। अब मिल मालिक भी बकाया रकम की मांग को लेकर सामने आए हैं। यह घोटाला स्थानीय स्तर तक सीमित न रहकर अब टेक्सटाइल इंडस्ट्री के बड़े वर्ग को प्रभावित कर रहा है।

आरोपी फरार, व्यापारियों में आक्रोश

फिलहाल, आरोपी तरुण फरार बताया जा रहा है।वहीं दूसरी ओर व्यापारियों में भारी आक्रोश है। पीड़ित कारोबारी प्रशासन से सख्त कार्रवाई और जल्द न्याय की मांग कर रहे हैं।

👉 यह मामला न केवल उल्हासनगर के कारोबारियों को झटका दे रहा है, बल्कि राजस्थान की कपड़ा इंडस्ट्री को भी प्रभावित कर रहा है। इससे टेक्सटाइल व्यापार जगत में गहरी चिंता व्याप्त है।






















उल्हासनगर राशन कार्यालय में दलालों का कब्ज़ा, आम जनता त्रस्त – प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग।


उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

उल्हासनगर शहर का राशन कार्यालय इन दिनों दलालों की पकड़ में जकड़ा हुआ है। सरकारी योजनाओं के अंतर्गत सस्ते दाम पर अनाज और आवश्यक वस्तुएं पाने वाले गरीब एवं जरूरतमंद नागरिक दलालों की मनमानी और शोषण से बेहाल हैं।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि राशनकार्ड से जुड़ा कोई भी कार्य – चाहे नया कार्ड बनवाना हो, नाम जोड़ना/हटाना हो, या फिर कार्ड पर नियमित रूप से अनाज प्राप्त करना – दलालों की मदद के बिना लगभग असंभव हो गया है। बताया जा रहा है कि हर छोटे-बड़े कार्य के लिए नागरिकों से भारी-भरकम रकम वसूली जाती है।

लोगों का आरोप है कि इस पूरे खेल में विभागीय अधिकारी और कर्मचारी भी मौन हैं, जिससे दलालों का नेटवर्क और मजबूत होता जा रहा है। नतीजा यह है कि आम जनता को अपने हक का राशन पाने के लिए महीनों तक दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं और आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है।

सामाजिक संगठनों ने इस स्थिति पर गहरी नाराज़गी जताई है और चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन एवं जनप्रतिनिधि इस समस्या पर तुरंत संज्ञान नहीं लेते, तो नागरिक आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे।

वर्तमान में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधि गरीबों को उनका हक दिलाने और दलालों पर लगाम कसने के लिए निर्णायक कदम उठाएंगे या फिर आम जनता यूं ही शोषण का शिकार होती रहेगी।












उल्हासनगर में पानी बिल वृद्धि पर रोक: उल्हास सिटिज़न्स फ़ोरम की तीन महीने की जंग रंग लाई, अब स्थायी रद्दीकरण की मांग तेज़।


उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

उल्हासनगर में पानी के बिलों में की गई वृद्धि पर फिलहाल रोक लगा दी गई है, हालांकि इसे स्थायी रूप से रद्द नहीं किया गया है। इस मुद्दे पर उल्हास सिटिज़न्स फ़ोरम के अध्यक्ष नरेश कुमार ताहिलरामाणी और उनकी टीम पिछले तीन महीनों से लगातार जनजागृति और संघर्ष कर रहे हैं।

फ़ोरम ने तीन महीने पहले एक वीडियो संदेश के माध्यम से UMC कमिश्नर से अपील की थी कि पानी के बिलों में वृद्धि न की जाए, पानी की पाइप लाइन लीकेज को तुरंत बंद करवाया जाए और स्वच्छ व समान जल वितरण सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने यह भी उजागर किया कि “ब्लू लाइन” प्रोजेक्ट फेल हो जाने के कारण आज भी GI पाइप से पानी की सप्लाई की जा रही है।

मिडक (MIDC) द्वारा भेजे गए ₹550 करोड़ के बिल को सांसद डॉ. श्रीकांत शिंदे ने कम करवाया था, फिर भी पानी के बिल बढ़ाने का निर्णय जनता के लिए अनुचित बताया गया। फ़ोरम का कहना है कि UMC के लगभग ₹1000 करोड़ के कर्ज़ की वसूली इस तरह करना गलत है।

इससे पहले तीन विधायकों ने भी पानी बिल वृद्धि न करने की सिफारिश की थी, लेकिन असर नहीं हुआ। पांच दिन पहले उल्हास सिटिज़न्स फ़ोरम ने फिर एक वीडियो, सोशल मीडिया बैनर और इंस्टाग्राम के माध्यम से इस ‘ज़ुल्म’ के खिलाफ मोर्चा खोला। इसके बाद राजनीतिक पार्टियां सक्रिय हुईं और अब इस मुद्दे का श्रेय लेने की कोशिश कर रही हैं।

फ़ोरम ने यह भी मांग की है कि होटल, कंस्ट्रक्शन वर्क जैसी व्यावसायिक गतिविधियों पर सही तरीके से पानी का बिल लगाया जाए। उनका कहना है कि दिन-ब-दिन लोग बोतलबंद पानी पीने को मजबूर हैं — यहां तक कि UMC ऑफिस में भी — जो बताता है कि पानी की गुणवत्ता कितनी सुरक्षित है। साथ ही टैक्सपेयर्स के फंड का दुरुपयोग रोकने, शहर में चालिया साहिब पर फाउंटेन शुरू करने और गड्ढे भरने जैसे कार्यों का श्रेय जागरूक जनता को दिया जाना चाहिए।

नरेश कुमार ताहिलरामाणी का कहना है, "यह हमारी आधी जीत है। हमें फिलहाल स्टे मिला है, लेकिन स्थायी रद्दीकरण के लिए हमारी आवाज़ और तेज़ होगी।"












उल्हासनगर में 'व्यसनमुक्त भारत अभियान' का ऐतिहासिक आयोजन IRS अधिकारी समीर वानखेड़े ने युवाओं को दिया प्रेरणा का संदेश।


 






उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी

उल्हासनगर के प्रतिष्ठित एस.एस.टी. कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स में आज 'व्यसनमुक्त भारत अभियान' के तहत एक भव्य और प्रेरणादायक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर देश के चर्चित और कर्तव्यनिष्ठ IRS अधिकारी समीर वानखेड़े मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, जिनका कॉलेज के प्राचार्य डॉ जे.सी पुरुस्वानी, समस्त शिक्षकगण एवं शहर के प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता कुमार मेंघवानी,विक्की मेंघवानी,वकील संस्कार शिंदे,दिनेश मीरचंदानी ने सम्मानपूर्वक स्वागत किया।

कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य युवाओं को नशा, शराब, तंबाकू और अन्य व्यसनों से दूर रहने हेतु जागरूक करना और उन्हें समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी का बोध कराना था।

समीर वानखेड़े ने अपने ओजस्वी और विचारोत्तेजक संबोधन में कहा:

"नशा सिर्फ शरीर नहीं, समाज को भी खोखला करता है। हर युवा यदि ठान ले कि वह नशे से दूर रहेगा और दूसरों को भी प्रेरित करेगा, तो व्यसनमुक्त भारत का सपना जल्द साकार होगा।"

उन्होंने युवाओं से स्वस्थ जीवनशैली अपनाने, सकारात्मक सोच रखने, और राष्ट्रनिर्माण में भागीदार बनने का आह्वान किया।

कॉलेज के प्राचार्य ने भी कहा कि छात्रों में व्यसन के खिलाफ चेतना जगाने की दिशा में यह कार्यक्रम एक मील का पत्थर साबित होगा।

इस आयोजन में सैकड़ों छात्र-छात्राएं, शिक्षकगण, अभिभावक, और समाजसेवी संगठनों के प्रतिनिधि बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान छात्र-छात्राओं द्वारा प्रस्तुत की गई सांस्कृतिक झांकियाँ और नारों ने भी जनचेतना को गहराई से छुआ।

कार्यक्रम के अंत में एक सर्वसम्मति प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें सभी ने नशामुक्त भारत के संकल्प को दोहराया और इस मुहिम को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया।

यह आयोजन केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक क्रांति की शुरुआत थी — जो युवाओं को नई दिशा, नया जोश और एक स्वच्छ समाज की ओर ले जाने का माध्यम बनेगा।























उल्हासनगर-5 में अवैध गारमेंट कारखानों पर कब गिरेगी गाज? रेजिडेंशियल एरिया में चल रहे जींस और गाउन की अवैध सिलाई यूनिटों पर उल्हासनगर प्रशासन और पुलिस कब लेंगे एक्शन?


(फाइल इमेज)

उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

उल्हासनगर-5 के शांत रेजिडेंशियल इलाकों में अवैध जींस और गाउन सिलाई कारखानों का जाल दिनोंदिन फैलता जा रहा है। स्थानीय नागरिकों की मानें तो इन क्षेत्रों को योजनाबद्ध तरीके से व्यावसायिक गतिविधियों का अड्डा बना दिया गया है, जिससे न केवल क्षेत्र की मूल संरचना प्रभावित हो रही है, बल्कि आम जनजीवन भी संकट में है।

🏭 अवैध कारखाने, वैध सवाल

इन अवैध गारमेंट यूनिटों में:

बिना अनुमति निर्माण और कमर्शियल उपयोग किया जा रहा है।

न तो फायर सेफ्टी के इंतजाम हैं और न ही कोई स्ट्रक्चरल ऑडिट होता है।

बाहर से आए श्रमिकों का कोई पुलिस वेरिफिकेशन नहीं — जिससे आपराधिक घटनाओं की आशंका बनी रहती है।

🛑 नागरिकों की परेशानी:

लगातार ट्रैफिक जाम और ध्वनि प्रदूषण।

पानी और बिजली की चोरी जैसी समस्याएं।

अव्यवस्थित जनसंख्या और सुरक्षा संकट।

❓ प्रशासनिक चुप्पी क्यों?

उल्हासनगर महानगरपालिका और पुलिस प्रशासन की चुप्पी से नागरिकों में गुस्सा है। अब तक न कोई अतिक्रमण विरोधी मुहिम चलाई गई, न कोई सख्त कार्रवाई की गई। सवाल यह है कि आखिर जिम्मेदारी कौन लेगा?

✅ नागरिकों की पांच प्रमुख मांगें:

1. रेजिडेंशियल एरिया से अवैध गारमेंट यूनिटों को तत्काल हटाया जाए।

2. बाहर से आए कारीगरों का पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य किया जाए।

3. उल्हासनगर महानगर पालिका नियोजन के उल्लंघन पर नियमित निरीक्षण व कार्रवाई हो।

4. खतरनाक इमारतों की फायर सेफ्टी और स्ट्रक्चरल जांच कर उन्हें सील किया जाए।

5 यह सब अवैध जींस और गाउन सिलाई कारखाने कब इंडस्ट्रियल जोन में जाएंगे।

🔍 सवाल यही है:

क्या प्रशासन की नींद टूटेगी? या फिर एक हादसे का इंतजार है?

उल्हासनगर महानगरपालिका और पुलिस प्रशासन को अब "कार्रवाई" शब्द को सिर्फ फाइलों से निकालकर जमीनी हकीकत में बदलना होगा — इससे पहले कि यह संकट और गहरा हो जाए।












उल्हासनगर SDO कार्यालय में ‘राठौर राज’? "मेरे बिना एक पत्ता भी नहीं हिल सकता!" — एक रहस्यमयी राठौर का दावा!


उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

उल्हासनगर के उपविभागीय अधिकारी (SDO) कार्यालय में इन दिनों एक चौंकाने वाला मामला गरमा रहा है। एक व्यक्ति, जो खुद को राठौर बताता है, खुलेआम दावा कर रहा है कि "पूरा SDO ऑफिस मैं चला रहा हूँ, और मेरी मर्जी के बिना यहां एक पत्ता भी नहीं हिल सकता!"

यह बयान प्रशासनिक पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। राठौर नामक यह व्यक्ति आखिर कौन है? क्या वह किसी प्रभावशाली अधिकारी या राजनेता से जुड़ा है? या फिर सरकारी तंत्र में उसकी गहरी पैठ है?

सूत्रों के मुताबिक:

राठौर SDO कार्यालय के कई कार्यों में सीधे दखल देता है।

सनद(सीडी), सीडी वेरीफिकेशन और अन्य दस्तावेजों की प्रक्रिया में उसका कथित हस्तक्षेप आम है।

कई आवेदकों को यह कहा गया कि “राठौर से बात करो, तभी काम होगा।”

जनता का आक्रोश: स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस पूरे घटनाक्रम पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि एक आम आदमी सरकारी ऑफिस को अपने नियंत्रण में बताकर दबंगई कर रहा है, और प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है।

प्रमुख सवाल जो उठ रहे हैं:

क्या राठौर वास्तव में SDO कार्यालय में ‘सुपर अफसर’ बना बैठा है?

क्या यह अधिकारियों की मिलीभगत का मामला है?

प्रशासन कब जागेगा और इस मामले में जांच कराएगा?

👉 जनता की मांग:

उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित कर इस कथित 'राठौर राज' का पर्दाफाश किया जाए और दोषियों पर हो कड़ी कार्रवाई।

📌 यह मामला सिर्फ एक ऑफिस की साख का नहीं, बल्कि जनता के अधिकारों और लोकतांत्रिक व्यवस्था की मूल भावना का सवाल है।












हिंदुस्तान के शेरदिल आईआरएस अधिकारी समीर वानखेड़े 19 जुलाई 2025 को उल्हासनगर में, विशेष कार्यक्रम में होंगे शामिल।


उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी

देश के जाने-माने और अपने निडर कार्यशैली के लिए प्रसिद्ध भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) अधिकारी समीर वानखेड़े आगामी 19 जुलाई, 2025 को उल्हासनगर का दौरा करेंगे। इस बहुप्रतीक्षित दौरे पर, समीर वानखेड़े विशेष कार्यक्रम में शामिल होंगे, जिसकी तैयारी उल्हासनगर में बड़े पैमाने पर की जा रही है।

अपनी सख्त और बेबाक छवि के लिए पहचाने जाने वाले समीर वानखेड़े ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) में अपने कार्यकाल के दौरान कई हाई-प्रोफाइल मामलों को संभाला है, जिसने उन्हें पूरे देश में एक 'शेरदिल' अधिकारी के रूप में पहचान दिलाई है। उनके कार्यकाल में ड्रग्स विरोधी अभियानों और माफिया के खिलाफ की गई कठोर कार्रवाई ने उन्हें जनमानस में नायक का दर्जा दिलाया है।

कार्यक्रम के आयोजकों ने बताया कि समीर वानखेड़े युवाओं को प्रेरणा देने और देश सेवा के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से इस आयोजन में शिरकत करेंगे। सूत्रों के अनुसार, वे भ्रष्टाचार, ड्रग्स के खतरे और राष्ट्र निर्माण में नागरिक भागीदारी जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं।

श्री वानखेड़े का यह दौरा न केवल उल्हासनगर के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है, बल्कि यह देश के युवाओं और नागरिकों को ईमानदारी, साहस और कर्तव्यनिष्ठा के प्रति प्रेरित करने का भी एक प्रयास है। 19 जुलाई 2025 का यह दिन उल्हासनगर के इतिहास में एक यादगार तारीख बनने वाला है, जब एक सच्चे राष्ट्रसेवक का आगमन होगा।












यूएमसी में लेखा विभाग में घोटाले की बू! ट्रांसफर के बावजूद पुराने अधिकारी काम पर, नए अधिकारियों को चार्ज नहीं मिल रहा!


उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

उल्हासनगर महानगरपालिका (यूएमसी) में लेखा विभाग को लेकर गंभीर अनियमितताएं सामने आ रही हैं। महाराष्ट्र सरकार के स्पष्ट शासन निर्णय (GR) के बावजूद, यूएमसी की आयुक्त मनीषा आव्हाळे ने पुराने अधिकारियों को पद पर बनाए रखा है, जो न सिर्फ नियमों के खिलाफ है बल्कि प्रशासनिक प्रक्रियाओं की भी अनदेखी करता है।

सूत्रों के अनुसार, लेखा अधिकारी किरण भिल्लाडे और ऑडिटर देशमुख का कार्यकाल पूर्ण होने के बाद जून 2025 में उनका स्थानांतरण किया गया था। महाराष्ट्र शासन के अनुसार किसी भी लेखा अधिकारी को एक ही पद पर अधिकतम तीन वर्षों से अधिक नहीं रखा जा सकता। परंतु, ट्रांसफर ऑर्डर जारी होने और नए लेखा अधिकारी पांडे के यूएमसी पहुंचने के बावजूद उन्हें चार्ज नहीं दिया जा रहा है।

आश्चर्यजनक बात यह है कि यूएमसी कमिश्नर मनीषा आव्हाळे न केवल स्थानांतरित अधिकारियों को अवैध रूप से कार्यरत रख रही हैं, बल्कि उन्हें सरकारी भुगतान जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को निभाने की अनुमति भी दे रही हैं।

वर्तमान में स्थानांतरित लेखा अधिकारी किरण भिल्लाडे शासन पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि उनका ट्रांसफर आदेश रद्द किया जाए और कार्यकाल में विस्तार दिया जाए। यह बात प्रशासनिक पारदर्शिता और निष्पक्षता पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।

❗प्रमुख सवाल जो उठ रहे हैं:

जब नया अधिकारी चार्ज लेने के लिए उपस्थित है तो चार्ज क्यों नहीं दिया जा रहा?

महाराष्ट्र शासन के नियमों की यूएमसी में खुलेआम अनदेखी क्यों की जा रही है?

क्या यह किसी बड़े वित्तीय घोटाले को छिपाने का प्रयास है?

किसके दबाव में कार्यकाल पूरा कर चुके अधिकारियों को बनाए रखा जा रहा है?

अगर यह परंपरा बन गई तो क्या भविष्य में शासन के ट्रांसफर नियम केवल दिखावा बनकर रह जाएंगे?

नए अधिकारी पहले ही आ चुके हैं, फिर भी उन्हें चार्ज नहीं दिया जा रहा है।

नए अधिकारी को रोका क्यों जा रहा है❓

पहली बार...

यूएमसी आयुक्त की मनमानी!

यह पहली बार हो रहा है जब यूएमसी में ट्रांसफर ऑर्डर के बावजूद पुराने अधिकारी अवैध रूप से पद पर बने हुए हैं और नए अधिकारियों को चार्ज नहीं सौंपा जा रहा है। यह एक अत्यंत गंभीर और ऐतिहासिक उल्लंघन है जो पूरे प्रशासन की नीयत पर सवाल खड़ा करता है।

अब देखना यह होगा कि राज्य सरकार इस अवैध कृत्य के विरुद्ध कब और क्या ठोस कदम उठाती है।

इस मामले में तत्काल उच्चस्तरीय जांच और कार्रवाई की मांग की जा रही है।













उल्हासनगर मनपा आयुक्त मनीषा आव्हाले पर 'बंगला घोटाले' का आरोप, उद्योग समूह से कथित 'सुविधा के बदले लाभ' की डील!


(फाइल फोटो)

उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

उल्हासनगर महानगरपालिका (यूएमसी) की वर्तमान आयुक्त मनीषा आव्हाले पर पद का दुरुपयोग करने के गंभीर आरोप लगे हैं। सूत्रों के अनुसार, सेंचुरी रेयान कंपनी ने उन्हें अपने परिसर में एक आलीशान बंगला रहने के लिए दिया है, जबकि पूर्व आयुक्तों को केवल सामान्य सरकारी आवास ही उपलब्ध कराए जाते थे।

इसके साथ ही, यह आरोप भी सामने आया है कि उस बंगले की साफ-सफाई, रसोई और अन्य घरेलू कार्यों के लिए मनपा के 7–8 नियमित कर्मचारियों को तैनात किया गया है, जिनका वेतन उल्हासनगर महानगर पालिका के बजट से यानी जनता के टैक्स से चुकाया जा रहा है। इस पूरी व्यवस्था को महानगर पालिका के नियमों और सेवा शर्तों का घोर उल्लंघन माना जा रहा है।

जानकारी के अनुसार, सेंचुरी रेयान कंपनी को हाल ही में मनपा ने लगभग 9 करोड़ रुपये की संपत्ति कर में बड़ी राहत दी है। इस रियायत और आयुक्त को बंगला देने के मामले को आपस में जोड़कर देखा जा रहा है, जिसे "क्लियर बार्टर डील" यानी सुविधा के बदले लाभ की संज्ञा दी जा रही है।

स्थानीय जनप्रतिनिधि और सामाजिक संगठन इस पर तीखी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। उनका कहना है कि आयुक्त ने व्यक्तिगत फायदे के लिए एक उद्योग समूह को अनुचित लाभ पहुंचाया है, जबकि उल्हासनगर में पेयजल संकट, टूटी सड़कों और कचरा प्रबंधन जैसी समस्याएं अब भी जस की तस बनी हुई हैं। सामाजिक संगठनों ने राज्य सरकार से इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज करने की मांग की है।

अब शहर के जागरूक नागरिकों की निगाहें नगरविकास मंत्रालय पर टिकी हैं। सवाल उठता है — क्या इस बार सत्ता में बैठे अधिकारी भी कानून की पकड़ में आएंगे, या यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह केवल फाइलों तक सीमित रह जाएगा?












पीडब्ल्यूडी घोटाले से उल्हासनगर प्रशासन में हड़कंप, इंजीनियर संदीप जाधव ने मांगा वीआरएस।

उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

उल्हासनगर महानगरपालिका (यूएमसी) के सार्वजनिक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में करोड़ों रुपये के घोटाले का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि विभाग में वर्षों से बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताएं चल रही थीं। इस प्रकरण में विभाग के जूनियर इंजीनियर संदीप जाधव पर गंभीर आरोप लगे हैं।

विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, उल्हासनगर महानगर पालिका आयुक्त मनीषा अहवाले द्वारा विभागीय कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के उद्देश्य से शुरू की गई सघन जांच कार्रवाई के बाद, संदीप जाधव ने अचानक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) के लिए आवेदन कर दिया।

जाधव के वीआरएस की टाइमिंग और विभाग में मची अफरातफरी से यह स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि वह जांच की आंच से बचना चाह रहे हैं। बताया जा रहा है कि पीडब्ल्यूडी विभाग में टेंडर प्रक्रिया, कार्यादेश और बिल भुगतान में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां हुई हैं, जिनमें कई ठेकेदार और अधिकारी भी संदेह के घेरे में हैं।

आयुक्त अहवाले की सख्त कार्यशैली और निगरानी के कारण पूरे विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया है कि दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा और जांच को निष्पक्षता व पारदर्शिता के साथ अंजाम तक पहुंचाया जाएगा।

उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में भ्रष्टाचार के इस मामले में और भी नाम सामने आ सकते हैं। साथ ही, यह भी संभावना जताई जा रही है कि एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) या राज्य सतर्कता विभाग इस प्रकरण की औपचारिक जांच अपने हाथ में ले सकते हैं।

इस घोटाले ने न सिर्फ पीडब्ल्यूडी विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि उल्हासनगर में सरकारी प्रशासन की जवाबदेही और पारदर्शिता पर भी नई बहस छेड़ दी है।












समाज के लिए मिसाल बनेंगे IRS अधिकारी समीर वानखेडे: SST कॉलेज उल्हासनगर-4 में 19 जुलाई 2025 को ऐतिहासिक नशा मुक्ति कार्यक्रम, युवाओं को देंगे प्रेरणा।


उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

उल्हासनगर में इस वर्ष 19 जुलाई का दिन एक ऐतिहासिक और सामाजिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होने वाला है। भारतीय राजस्व सेवा (IRS) के वरिष्ठ और देशभर में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के पूर्व अधिकारी के तौर पर अपने बेधड़क व ईमानदार कार्यों से प्रसिद्ध समीर वानखेडे उल्हासनगर के SST कॉलेज में आयोजित एक विशेष नशा मुक्ति जनजागरूकता कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे।

यह कार्यक्रम न केवल कॉलेज के छात्रों के लिए बल्कि पूरे शहर के युवाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत बनेगा। समीर वानखेडे, जिनका नाम ड्रग माफियाओं के विरुद्ध निर्णायक अभियानों और नशे के नेटवर्क को उजागर करने के लिए जाना जाता है, इस अवसर पर अपने अनुभवों को साझा करेंगे और युवाओं को नशे से दूर रहने की प्रेरणा देंगे।

कार्यक्रम का उद्देश्य: युवाओं को नशे के खिलाफ जागरूक करना

SST कॉलेज द्वारा आयोजित यह विशेष सत्र उनके सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) का एक हिस्सा है, जिसका उद्देश्य है— "नशा मुक्त भारत, स्वस्थ भारत"। कॉलेज प्रबंधन के अनुसार, यह पहल छात्रों को नशीले पदार्थों की भयावहता से अवगत कराने और उन्हें एक सकारात्मक, जागरूक, और लक्ष्य-निर्धारित जीवन के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से की जा रही है।

कार्यक्रम की शुरुआत 19 जुलाई को दोपहर 12:00 बजे SST कॉलेज उल्हासनगर-4 में होगी।

समीर वानखेडे: एक नाम, जो युवाओं के लिए प्रेरणा है

समीर वानखेडे का व्यक्तित्व स्वयं में ही एक आदर्श बन चुका है। अपने करियर में उन्होंने बड़े-बड़े नशा सिंडिकेट्स का पर्दाफाश किया है। उनके नेतृत्व में NCB ने कई चर्चित मामलों में प्रभावी कार्यवाही की, जिससे युवा पीढ़ी के बीच एक स्पष्ट संदेश गया कि नशा किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं।

छात्रों में उत्साह और उम्मीदों का माहौल

कॉलेज परिसर में छात्रों के बीच इस कार्यक्रम को लेकर भारी उत्साह देखा जा रहा है। कई छात्र इसे अपने जीवन की दिशा तय करने वाले क्षण के रूप में देख रहे हैं। SST कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि यह कार्यक्रम युवाओं को न केवल नशे के दुष्परिणामों से अवगत कराएगा बल्कि उन्हें एक सकारात्मक समाज के निर्माण की दिशा में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करेगा।












डीसीपी सचिन गोरे के जन्मदिन पर शहर में बधाइयों की गूंज, सम्मान और सादगी के माहौल में मनाया गया विशेष दिवस।


उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

झोन-4 के पुलिस उपायुक्त (DCP) श्री सचिन गोरे के जन्मदिन के अवसर पर उल्हासनगर शहर में हर्ष और उत्साह का वातावरण देखने को मिला। पुलिस सेवा में अपनी सादगी, अनुशासन और कार्यकुशलता के लिए पहचाने जाने वाले श्री गोरे को उनके जन्मदिवस पर शहर के अनेक गणमान्य नागरिकों और समाजसेवियों ने शुभकामनाएं दीं।

इस विशेष अवसर पर मंत्रालय टाइम्स के संपादक दिनेश मिराचंदानी, मानव शक्ति एनजीओ के अध्यक्ष कुमार मेंघवानी, भाजपा नेता विक्की मेंघवानी और पुलिस विभाग से PSI प्रशांत चव्हाण ने डीसीपी गोरे से मुलाकात कर उन्हें पुष्पगुच्छ भेंट किया और शुभकामनाएं प्रकट कीं।

कार्यक्रम भले ही सादगीपूर्ण रहा, परंतु उसमें आत्मीयता, गरिमा और सम्मान की स्पष्ट झलक दिखाई दी। उपस्थित अतिथियों ने डीसीपी गोरे के सामाजिक योगदान और उनके प्रशासनिक दृष्टिकोण की सराहना की, साथ ही उनके उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना भी की।

शहरवासियों और पुलिस विभाग के बीच सेतु की भूमिका निभा रहे डीसीपी श्री गोरे के प्रति यह सम्मानजनक भाव इस बात का प्रतीक है कि प्रशासनिक जिम्मेदारियों के साथ मानवीय मूल्यों का निर्वाह करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।












उल्हासनगर मनपा में व्यापक प्रशासनिक फेरबदल: अधिकारियों की जिम्मेदारियों में बड़ा बदलाव, पारदर्शिता और कार्यकुशलता पर जोर।


 

उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी

उल्हासनगर महानगरपालिका (Ulhasnagar Municipal Corporation) में प्रशासनिक कार्यप्रणाली को और अधिक दक्ष, पारदर्शी तथा जवाबदेह बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है। मनपा प्रशासन ने दो महत्वपूर्ण कार्यालयीन आदेश जारी किए हैं, जिनके तहत कई वरिष्ठ और सहायक आयुक्तों की विभागीय जिम्मेदारियों में बड़े स्तर पर फेरबदल किया गया है। ये आदेश मनपा आयुक्त एवं प्रशासक के अनुमोदन से तत्काल प्रभाव से लागू किए गए हैं।

🔸 पहला आदेश (क्रमांक 584, दिनांक: 12 जून 2025)

नगर विकास विभाग के दिशा-निर्देशों और शासन की स्वीकृति के अनुरूप, चार सहायक आयुक्तों के कार्यक्षेत्र में परिवर्तन किया गया है:

1. श्री अजय साबळे – सहायक आयुक्त, अब प्रभाग समिति क्रमांक 01 कार्यालय

2. श्री विशाल कदम – सहायक आयुक्त, अब प्रभाग समिति क्रमांक 03 कार्यालय

3. श्रीमती अलका पवार – सहायक आयुक्त, अब प्रभाग समिति क्रमांक 04 कार्यालय

4. श्री गणेश शिंपी – सहायक आयुक्त, अब प्रभाग समिति क्रमांक 02 कार्यालय

इसके अतिरिक्त, श्री अजय कर्डक को समन्वयक अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया है। सभी अधिकारियों को अपने-अपने नवविभाजित विभागों का कार्यभार तुरंत संभालने के निर्देश जारी किए गए हैं।

🔸 दूसरा आदेश (क्रमांक 585, दिनांक: 13 जून 2025)

इस आदेश के अंतर्गत विभागीय पुनर्गठन तीन तालिकाओं में दर्शाया गया है:

📋 तक्ता "अ" — उप आयुक्त के अधीन सौंपे गए विभाग:

श्रीमती स्नेहा करपे, उप आयुक्त को निम्न विभागों की जिम्मेदारी सौंपी गई:

1. वैद्यकीय आरोग्य विभाग

2. वाहन व परिवहन विभाग

3. जनगणना व आधार केंद्र

4. पर्यावरण विभाग

5. जनसंपर्क विभाग

6. निवडणूक (चुनाव) विभाग

7. विवाह नोंदणी

8. जन्म-मृत्यु नोंदणी

9. बाजार व परवाना विभाग

10. क्रीड़ा व सांस्कृतिक विभाग

📋 तक्ता "ब" — अतिरिक्त विभागीय दायित्व:

1. डॉ. सुनील लोंढे, सहायक आयुक्त (प्रभाग 2) – निवडणूक विभाग

2. श्री गणेश पवार, वरिष्ठ लिपिक – अतिरिक्त प्रशासनिक सहयोग

📋 तक्ता "क" — स्थानांतरित अधिकारियों की नियुक्तियाँ:

1. श्री नितेश रंगारी – उप कर निर्धारक व संकलक, विभाग प्रमुख: मालमत्ता कर विभाग

2. श्री अजित गोवारी – अधीक्षक, विभाग प्रमुख: सामान्य प्रशासन विभाग

3. श्री सचिन जाधव – वरिष्ठ लिपिक, विभाग प्रमुख: निवडणूक विभाग

🎯 प्रशासन का उद्देश्य:

इन फेरबदल का प्रमुख उद्देश्य मनपा की प्रशासनिक प्रक्रियाओं को तेज़, पारदर्शी एवं प्रभावी बनाना है। सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने-अपने कार्यभार तुरंत ग्रहण करें और प्रशासन को रिपोर्ट प्रस्तुत करें। यह भी स्पष्ट किया गया है कि विभागीय शिथिलता या लापरवाही को किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जाएगा।

🔚 निष्कर्ष:

उल्हासनगर मनपा द्वारा जारी किए गए ये प्रशासनिक आदेश न केवल आंतरिक कार्यप्रणाली को बेहतर बनाएंगे, बल्कि इससे नागरिकों को भी सेवाओं का त्वरित और प्रभावी लाभ मिलेगा। यह कदम शहर के सुशासन और उत्तरदायित्वपूर्ण प्रशासनिक व्यवस्था की दिशा में एक बड़ा और स्वागतयोग्य प्रयास माना जा रहा है।



















राज ठाकरे के जन्मदिन पर जनसेवा की मिसाल: उल्हासनगर में छात्रों के बीच वितरित की गई नोटबुक, समाजसेवकों की रही सक्रिय भागीदारी।


 



उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज साहेब ठाकरे के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में उल्हासनगर में एक प्रेरणादायक सेवा कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसने न केवल सामाजिक जिम्मेदारी का परिचय दिया, बल्कि शिक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में एक सशक्त कदम साबित हुआ।

गुरु तेग बहादुर कॉलोनी, हॉस्पिटल एरिया, उल्हासनगर-3 में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में स्कूली छात्रों को निःशुल्क नोटबुक्स वितरित की गईं। कार्यक्रम का आयोजन समाजसेवक हिरो राजाई के कार्यालय में किया गया, जिसमें शहर के अनेक प्रतिष्ठित सामाजिक कार्यकर्ताओं और मनसे पदाधिकारियों की सक्रिय उपस्थिति रही।

इस जनहितैषी पहल में मनसे उल्हासनगर शहर अध्यक्ष संजय घुगे, उपाध्यक्ष मुकेश शेतपालांनी, समाजसेवक हिरो राजाई, सतीश तिवारी, विजय आवळे, पुरण सिंग, श्रीमती सोनल लखानी सहित कई गणमान्य अतिथि शामिल हुए। इन सभी ने बच्चों को शिक्षा के प्रति प्रेरित करते हुए उन्हें शैक्षणिक सामग्री प्रदान की।

वक्ताओं ने इस अवसर पर राज ठाकरे के समाजोन्मुखी दृष्टिकोण और जनसेवा के प्रति समर्पण को सराहा और कहा कि आज की शिक्षा में निवेश, कल के उज्जवल भविष्य की नींव है। इस पहल को स्थानीय लोगों और छात्रों के अभिभावकों ने भी बड़े उत्साह से सराहा।

कार्यक्रम का उद्देश्य केवल जन्मदिन को औपचारिक रूप से मनाना नहीं था, बल्कि समाज के पिछड़े तबके के बच्चों को पढ़ाई में सहयोग कर, उनकी शिक्षा यात्रा को सुगम बनाना था। इस पहल ने न केवल एक प्रेरणादायक संदेश दिया, बल्कि यह भी सिद्ध किया कि राजनीति के साथ अगर सामाजिक सरोकार जुड़ जाएं, तो सकारात्मक बदलाव संभव हैं।

इस आयोजन ने स्पष्ट किया कि मनसे न केवल राजनीतिक आंदोलन का नाम है, बल्कि यह समाजसेवा के लिए भी उतनी ही गंभीरता से प्रतिबद्ध है।




















उल्हासनगर-4 के शिवनेरी हॉस्पिटल की लापरवाही: जिंदा बुज़ुर्ग को मृत बताकर अंतिम संस्कार की नौबत तक पहुँचा।


उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

उल्हासनगर के शिवनेरी हॉस्पिटल से एक बेहद चौंकाने वाला और गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है, जिसने पूरे चिकित्सा तंत्र पर सवाल खड़े कर दिए हैं। 65 वर्षीय अभिमान तायडे नामक बुजुर्ग को जिंदा होते हुए भी डॉक्टर द्वारा मृत घोषित कर दिया गया। यही नहीं, अस्पताल प्रशासन ने तुरंत डेथ सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया, जिससे परिजन अंतिम संस्कार की तैयारियों में लग गए थे।

जानकारी के अनुसार, अभिमान तायडे की तबीयत कुछ समय से खराब चल रही थी और मुंबई के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। अचानक बेहोश हो जाने पर उनके बेटे ने उन्हें रिक्शा से उल्हासनगर के शिवनेरी हॉस्पिटल पहुंचाया। यहां डॉ. आहुजा ने बाहर ही, रिक्शे में मरीज की जांच कर उन्हें मृत घोषित कर दिया। बिना किसी मेडिकल जांच या उचित पुष्टि के, अस्पताल ने डेथ सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया।

हालांकि, जैसे ही परिजन अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे, उन्होंने देखा कि अभिमान तायडे की छाती में हलचल हो रही है और उनकी धड़कन चल रही है। घबराए परिजन तुरंत उन्हें उल्हासनगर के एक निजी अस्पताल में लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने तत्परता दिखाते हुए इलाज शुरू किया और थोड़ी ही देर में मरीज को होश आ गया। उनकी जान बच गई।

इस पूरे घटनाक्रम के बाद परिजनों में जहां राहत है, वहीं गहरा आक्रोश भी है। उन्होंने शिवनेरी हॉस्पिटल और डॉ. आहुजा के खिलाफ कड़ी नाराजगी जताई है।

डॉक्टर ने मानी गलती, दी सफाई:

डॉ. आहुजा ने अपनी चूक स्वीकार करते हुए कहा, "रोगी की नब्ज नहीं मिल रही थी, और आसपास के शोर के कारण दिल की धड़कन भी सुनाई नहीं दी। इसी वजह से गलती से मृत घोषित कर दिया गया, इसके लिए मैं खेद प्रकट करता हूं।"

मरीज ने कहा - "अब मैं ठीक हूं"

होश में आने के बाद अभिमान तायडे ने कहा, "मुझे पीलिया हुआ था, अब मेरी तबीयत ठीक है। मैंने खाना भी खा लिया है।"

अब बड़ा सवाल यह उठता है कि इतनी गंभीर चिकित्सा लापरवाही के बावजूद क्या डॉक्टर और अस्पताल प्रशासन पर कोई ठोस कार्रवाई होगी? क्या भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कोई ठोस प्रणाली बनाई जाएगी?

यह मामला न केवल एक व्यक्ति की जान से जुड़ा है, बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़ा करता है। स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की भूमिका अब जांच के घेरे में है।












मुख्यमंत्री सहायता निधि के अंतर्गत कल्याण (पूर्व) अग्निकांड पीड़ितों को ₹5 लाख की आर्थिक सहायता।


ठाणे: दिनेश मीरचंदानी 

दिनांक 20 अप्रैल 2025 को कल्याण (पूर्व) चिकनपाडा क्षेत्र में हुए भीषण अग्निकांड में पांच मंजिला इमारत की छत गिरने से छह व्यक्तियों की दर्दनाक मृत्यु हो गई। इस दुखद घटना में सुशील नारायण गुजर, नम्रता श्रीकांत शेलार, प्रतिभा कालेधरन साहू, सुनीता निलकंठ साहू, बैंकर चव्हाण और सुजाता मनाला पाखी की मौत हुई।

राज्य सरकार द्वारा इस घटना को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री सहायता निधि से मृतकों के परिजनों को ₹5,00,000 प्रति मृतक, कुल ₹30,00,000 (तीस लाख रुपये) की आर्थिक सहायता स्वीकृत की गई है। यह सहायता सीधे संबंधित परिजनों के बैंक खातों में स्थानांतरित की जाएगी।

इस सहायता की प्रक्रिया के अंतर्गत संबंधित परिजनों के नाम, बैंक खाते और आधार संख्या के दस्तावेज मुख्यमंत्री कार्यालय को प्राप्त हो चुके हैं। निधि की राशि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, फोर्ट ब्रांच, मुंबई से संबंधित खातों में भेजी जाएगी।

सहायता निधि स्वीकृति का यह पत्र दिनांक 11 जून 2025 को जारी किया गया है, जिसे सह कक्ष प्रमुख तथा कक्ष अधिकारी श्री शरद घावटे ने हस्ताक्षरित किया।

इस सराहनीय पहल के माध्यम से सरकार ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि राज्य नागरिकों के साथ हर संकट की घड़ी में खड़ा है। पीड़ितों के परिवारों को यह सहायता एक छोटी सी राहत जरूर देगी, लेकिन सरकार की संवेदनशीलता और तत्परता का प्रमाण भी है।