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"बेलापुर में आत्महत्या से मचा हड़कंप, सुसाइड नोट में NCB अधिकारियों को ठहराया जिम्मेदार"


बेलापुर: दिनेश मीरचंदानी 

शुक्रवार सुबह बेलापुर में उस वक्त सनसनी फैल गई जब कुख्यात ड्रग माफिया के पिता अजय माराठे ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। यह घटना सुबह करीब 6:30 बजे की है, जब नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) की टीम माराठे को गिरफ्तार करने उनके घर पहुंची थी। इससे पहले कि वे उसे हिरासत में ले पाते, अजय माराठे ने खुद को गोली मार ली।

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस बल मौके पर पहुंच गया और जांच शुरू कर दी गई। पुलिस ने बताया कि घटनास्थल से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ है जिसमें एनसीबी अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं।

सुसाइड नोट में NCB अधिकारियों पर मानसिक और आर्थिक प्रताड़ना का आरोप अजय माराठे ने सुसाइड नोट में लिखा कि एनसीबी अधिकारियों ने उन्हें और उनके परिवार को मानसिक व आर्थिक रूप से प्रताड़ित किया। उनका कहना था कि उनका बेटा पहले ही ड्रग मामले में जेल में है, फिर भी उन्हें लगातार परेशान किया जा रहा था, जिससे वह मानसिक तनाव में आ गए और आत्महत्या जैसा कदम उठाया।

अवैध पिस्टल से की आत्महत्या, पुलिस कर रही जांच एसीपी अजय लांगे ने बताया कि जिस पिस्टल से माराठे ने खुद को गोली मारी, वह लाइसेंस रहित और अवैध थी। पुलिस अब यह जांच कर रही है कि यह हथियार माराठे को कहां से मिला और क्या यह किसी और आपराधिक गतिविधि में इस्तेमाल हुआ था।

NCB अधिकारियों से होगी पूछताछ, जांच में जुटी पुलिस घटना के बाद पुलिस ने एक एडीआर (Accidental Death Report) दर्ज कर ली है और आत्महत्या के लिए उकसाने के एंगल से भी जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने कहा है कि सुसाइड नोट के आधार पर एनसीबी के वरिष्ठ अधिकारियों से पूछताछ की जाएगी।

फॉरेंसिक टीम ने घटनास्थल से साक्ष्य जुटाए हैं, वहीं माराठे का परिवार गहरे सदमे में है। पूरे इलाके में इस घटना को लेकर चर्चा का माहौल है और पुलिस इस मामले को बेहद गंभीरता से ले रही है।

यह घटना एनसीबी की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा कर रही है। क्या जांच एजेंसियों का दबाव किसी निर्दोष को भी तोड़ सकता है? जांच के नतीजे आने तक यह सवाल अनुत्तरित रहेगा।












अंबरनाथ के पालेगांव से कमलेश वध्या लापता, परिजन चिंतित – नागरिकों से सहयोग की अपील।


अंबरनाथ (पालेगांव): दिनेश मीरचंदानी 

23 अप्रैल की रात करीब 10 बजे से पालेगांव स्थित सीजन पार्क बिल्डिंग से कमलेश चुर्मल वध्या रहस्यमय परिस्थितियों में लापता हो गए हैं। इस घटना से परिजनों में गहरी चिंता और इलाके में हलचल मच गई है।

परिजनों ने तुरंत अंबरनाथ शिवाजी नगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस विभाग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तलाश शुरू कर दी है और नागरिकों से सहयोग की अपील की है।

पुलिस स्टेशन संपर्क सूत्र:

शिवाजी नगर पुलिस स्टेशन, अंबरनाथ – 0251-2607020

यदि किसी को कमलेश वध्या के संबंध में कोई भी जानकारी प्राप्त हो, तो कृपया निम्नलिखित संपर्क नंबरों पर तुरंत सूचित करें:

शंकरलाल वध्या (भाई): 9604613341

मोहित पंजाबी (दामाद): 9923235588

कमलेश वध्या के परिवारजन बेहद चिंतित हैं और आम जनता से सहयोग की अपील कर रहे हैं। यदि किसी ने उन्हें हाल ही में देखा हो या उनके बारे में कोई जानकारी हो, तो कृपया उपरोक्त नंबरों पर तत्काल संपर्क करें।












नवी मुंबई में बिल्डर गुरुनाथ चिचकर ने की आत्महत्या, NCB के वरिष्ठ अधिकारी पर गंभीर आरोप..!


नवी मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

नवी मुंबई में शुक्रवार सुबह एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई जब प्रसिद्ध बिल्डर गुरुनाथ चिचकर ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। यह घटना सुबह करीब 6:30 बजे के आसपास उनके निवास स्थान पर घटी। पुलिस को मौके से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ है, जिसमें एनसीबी (नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो) के एक वरिष्ठ अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं।

गुरुनाथ चिचकर, कुख्यात ड्रग्स माफिया नवीन चिचकर के पिता थे, जो पहले से ही कई मामलों में एनसीबी की जांच के दायरे में है। सुसाइड नोट के अनुसार, चिचकर पर एनसीबी के एक उच्च अधिकारी द्वारा लगातार पैसों की मांग की जा रही थी और उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था। इस दबाव और उत्पीड़न से तंग आकर उन्होंने यह कठोर कदम उठाया।

सूत्रों की मानें तो चिचकर ने आत्महत्या से पहले अपने करीबी मित्रों से भी बात की थी और अपने ऊपर बन रहे दबाव की जानकारी दी थी। पुलिस और एनसीबी की टीम अब सुसाइड नोट की जांच कर रही है और आरोपी अधिकारी की भूमिका को लेकर जांच शुरू कर दी गई है।

यह मामला सामने आने के बाद एनसीबी की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। अगर आरोप साबित होते हैं, तो यह देश की एक प्रमुख जांच एजेंसी के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है।

जांच जारी, वरिष्ठ अधिकारियों से भी होगी पूछताछ

पुलिस सूत्रों के अनुसार, चिचकर की आत्महत्या को हल्के में नहीं लिया जा रहा है। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस वरिष्ठ एनसीबी अधिकारियों से भी पूछताछ करने की तैयारी में है। साथ ही, घटनास्थल से बरामद इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़ और अन्य दस्तावेज़ों की भी जांच की जा रही है।

यह मामला अब न केवल एक आत्महत्या का है, बल्कि इसमें भ्रष्टाचार, दुरुपयोग और दबाव की राजनीति के गहरे संकेत मिल रहे हैं, जो देश की जांच एजेंसियों की साख पर भी प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं।












दिशा सालियन केस में नया मोड़, समीर वानखेड़े और CBI अफसरों के साथ नई SIT की मांग।


मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

देशभर में सुर्खियों में रहे दिशा सालियन मौत मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ सामने आया है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस बहुचर्चित केस की सुनवाई 30 अप्रैल 2025 को तय की है। यह सुनवाई अब बेहद अहम मानी जा रही है, क्योंकि याचिकाकर्ता ने महाराष्ट्र सरकार की गठित SIT पर सवाल उठाते हुए कोर्ट की निगरानी में एक नई, निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच की मांग की है।

इस याचिका में विशेष रूप से यह अनुरोध किया गया है कि नए SIT में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के अनुभवी और निष्पक्ष अधिकारी शामिल किए जाएं, साथ ही दो बड़े नामों — राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के वरिष्ठ अधिकारी श्री सदानंद डेटे और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के पूर्व अधिकारी श्री समीर वानखेड़े — को टीम में रखने की मांग की गई है।

याचिकाकर्ता के अनुसार, वर्तमान SIT की कार्यप्रणाली से न केवल जांच की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं, बल्कि इससे आम जनता का विश्वास भी डगमगा रहा है। उन्होंने कोर्ट से निवेदन किया है कि जांच की पूरी प्रक्रिया एक निष्पक्ष और न्यायिक निगरानी में की जाए, ताकि सच्चाई सामने आ सके और न्याय सुनिश्चित हो।

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सरंग कोतवाल ने खुद इस मामले की संवेदनशीलता को स्वीकार करते हुए कहा:

“यह एक गंभीर और महत्वपूर्ण मामला है। हम इसे प्राथमिकता के साथ सुनेंगे और इसमें उचित सुनवाई की जाएगी।”

यह बयान आने के बाद से ही राजनीतिक गलियारों से लेकर सोशल मीडिया तक हलचल तेज हो गई है। दिशा सालियन की मौत के रहस्यमय हालातों को लेकर पहले से ही कई सवाल उठते रहे हैं, और इस याचिका ने मामले को और अधिक गंभीर बना दिया है।

अब सभी की नजरें 30 अप्रैल की सुनवाई पर टिकी हैं, जो यह तय करेगी कि क्या हाई कोर्ट राज्य सरकार की जांच टीम को खारिज कर एक नई, निष्पक्ष SIT गठित करने का आदेश देगा।

यह केस सिर्फ महाराष्ट्र नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ी न्यायिक परीक्षा बन चुका है — जहां लोग उम्मीद कर रहे हैं कि न्याय के रास्ते में कोई बाधा न आए और सच्चाई सबके सामने आए।













ठाणे(नेवाली): दिनेश मीरचंदानी

ठाणे जिले के नेवाली क्षेत्र से एक 19 वर्षीय युवक, धनंजय मिश्रा, पिछले छे दिनों से लापता है। स्थानीय डवल पाडा पाइपलाइन रोड निवासी यह युवक 16 अप्रैल 2025, बुधवार को दोपहर 12:30 बजे के करीब अपने घर से निकला था और तब से वापस नहीं लौटा। परिवार और स्थानीय लोगों में गहरी चिंता है, जबकि पुलिस की निष्क्रियता से आक्रोश भी फैल रहा है।

धनंजय ने लापता होने से पहले पीले रंग की टी-शर्ट और काले रंग की हाफ पैंट पहन रखी थी। परिवार का कहना है कि वह बिना किसी जानकारी के अचानक घर से निकला और अब तक उसका कोई अता-पता नहीं है।

पुलिस पर गंभीर आरोप

परिजनों ने हिल लाइन पुलिस स्टेशन में गुमशुदगी की रिपोर्ट तुरंत दर्ज कराई थी, लेकिन उनका आरोप है कि पुलिस मामले को गंभीरता से नहीं ले रही। ना तो इलाके में खोजबीन की गई और ना ही सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए हैं।

मनीष मिश्रा, जो धनंजय का पिता हैं, ने कहा – "हमें खुद इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। पुलिस सिर्फ फॉर्मेलिटी पूरी कर रही है। अगर ये किसी वीआईपी का बच्चा होता, तो अब तक पूरा शहर छान मारा गया होता।"

स्थानीयों में रोष, सोशल मीडिया पर चल रहा है #JusticeForDhananjay

स्थानीय समाजसेवियों और युवाओं ने सोशल मीडिया पर #JusticeForDhananjay अभियान शुरू कर दिया है। लोग प्रशासन से अपील कर रहे हैं कि मामले को प्राथमिकता दी जाए और धनंजय को जल्द से जल्द ढूंढ निकाला जाए।

अपील: क्या आपने इस युवक को कहीं देखा है?

यदि किसी को भी धनंजय मिश्रा जैसा युवक कहीं दिखाई देता है, तो तुरंत नीचे दिए गए नंबरों पर संपर्क करें:

हिल लाइन पुलिस स्टेशन: 0251-2520102

पिता (मनीष मिश्रा): 84848 38497











मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता निधि में 4.69 लाख की धोखाधड़ी, उल्हासनगर के तीन डॉक्टरों पर केस दर्ज, मई-जुलाई 2023 में 13 में से 6 मरीजों की सहायता निधि में गड़बड़ी उजागर।


मुंबई/उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 


उल्हासनगर में तीन डॉक्टरों ने फर्जी कागजात तैयार कर लगभग 4 लाख 69 हजार रुपये की निधि हड़प ली। इस मामले में मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता निधि विभाग के प्रभारी सहायक संचालक देवानंद धनाडे की शिकायत पर खड़कपाड़ा पुलिस स्टेशन में 19 अप्रैल 2025 को मामला दर्ज किया गया है।

इस धोखाधड़ी के मामले में डॉ. अनुदुर्ग ढोणे (कल्याण, ठाणे), डॉ. ईश्वर पवार (धुले) और डॉ. प्रदीप पाटिल (गौरीपाड़ा, ठाणे) सहित 26 आरोपियों को नामजद किया गया है।

मई 2023 से 10 जुलाई 2023 के बीच 13 मरीजों ने आवेदन जमा किए थे। इनमें से 6 मामलों में 4 लाख 69 हजार रुपये की वित्तीय सहायता धोखाधड़ी से प्राप्त की गई। जांच में पता चला कि आवेदनों में फर्जी नाम, चिकित्सा दस्तावेज, उपयोगिता प्रमाण पत्र बनाए गए थे।

11 जुलाई 2023 को, मरीज अरविंद सोलंकी ने मस्तिष्क सर्जरी के लिए 1 लाख 60 हजार रुपये और भगवान भदाने ने मस्तिष्क सर्जरी के लिए 3 लाख 10 हजार रुपये के दो मामलों में संदेह व्यक्त किया था।

मुख्य बिंदु:

मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता निधि में धोखाधड़ी का मामला सामने आया है।

उल्हासनगर के तीन डॉक्टरों सहित 26 लोगों पर फर्जी कागजात तैयार कर निधि हड़पने का आरोप है।

मई से जुलाई 2023 के बीच 13 मरीजों के आवेदनों में से 6 मामलों में धोखाधड़ी हुई।

जांच में फर्जी नाम, चिकित्सा दस्तावेज और उपयोगिता प्रमाण पत्र का खुलासा हुआ है।

दो मरीजों ने अपने आवेदनों में संदेह व्यक्त किया था।

रमेश्वर नाईक, मुख्यमंत्री सहायता निधि

गरीब और जरूरतमंद मरीजों के हक के पैसे हड़पने वाले, धोखाधड़ी करने वालों को सरकार किसी भी तरह की छूट नहीं देगी। इस मामले में कठोर कार्रवाई की जाएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे।

कागजात, रसीदें पेश नहीं की

छाननी के दौरान जब अस्पताल के टेलीफोन नंबर पर संपर्क किया गया, तो अरविंद सोळखी के सरस्वती हॉस्पिटल, नालासोपारा और भगवान भादाणे के गणपति हॉस्पिटल, अंबिवली में भर्ती होने की जानकारी मिली, जो दस्तावेजों में दी गई जानकारी से अलग थी।

इसके बाद तत्कालीन प्रभारी अधिकारी शिरीष पालव ने 11 जुलाई 2023 को टीम के साथ गणपति हॉस्पिटल का दौरा किया, परंतु डॉ. ढोणे ने कोई भी कागजात या रसीदें पेश नहीं कीं। आरोपियों ने बताया कि ईश्वर पवार और प्रदीप पाटिल ने उन्हें अस्पताल को पैनल में शामिल कराने में मदद की।



















सोशल मीडिया से जुड़े मुंबई के सभी पुलिस स्टेशन, शिकायतों का होगा त्वरित समाधान"


मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

मुंबई पुलिस ने नागरिकों को बेहतर सेवा और पारदर्शिता प्रदान करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। अब महानगर के हर पुलिस स्टेशन का अपना आधिकारिक 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) हैंडल होगा। इस डिजिटल पहल की घोषणा मुंबई पुलिस आयुक्त विवेक फणसालकर ने की। इसके अंतर्गत जहां हर पुलिस स्टेशन का अलग सोशल मीडिया हैंडल होगा, वहीं मुंबई पुलिस का एक समग्र आधिकारिक हैंडल भी सक्रिय रहेगा।

इस नई प्रणाली के माध्यम से नागरिक अब अपने क्षेत्रीय पुलिस स्टेशन से सीधे सोशल मीडिया के ज़रिए जुड़ सकेंगे। हर थाने का हैंडल क्षेत्रीय घटनाओं, चेतावनियों, और जनता की समस्याओं को लेकर अपडेट साझा करेगा। इसका उद्देश्य पुलिस और आम नागरिकों के बीच संवाद को मजबूत बनाना और सामुदायिक पुलिसिंग को बढ़ावा देना है।

अपराध नियंत्रण और त्वरित कार्रवाई में मिलेगी मदद

मुंबई पुलिस आयुक्त ने कहा कि यह डिजिटल मंच शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई करने में सहायक होगा। साथ ही यह अपराधों की रोकथाम और कानून व्यवस्था बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। आपातकालीन सूचनाएं, यातायात अवरोध, और अन्य अहम जानकारी इन हैंडल्स के माध्यम से तत्काल जनता तक पहुंचेगी। इससे पुलिस और जनता के बीच विश्वास और सहयोग की भावना और मजबूत होगी।

ऐसे जुड़ें अपने क्षेत्रीय पुलिस स्टेशन से

मुंबई के हर पुलिस स्टेशन का अब अपना अलग 'एक्स' हैंडल होगा, जैसे @MumbaiPoliceZoneX। नागरिक अपने क्षेत्र के अनुसार संबंधित हैंडल को फॉलो कर सकते हैं। जैसे अगर कोई दादर पुलिस स्टेशन से जुड़ना चाहता है तो वह दादर के ज़ोन के अनुसार संबंधित हैंडल फॉलो कर सकता है।

नागरिकों की भागीदारी को मिलेगा बढ़ावा

मुंबई पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि, गुमशुदगी या असामान्य घटना की जानकारी इन सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से दें। इससे पुलिस त्वरित और प्रभावी कार्रवाई कर सकेगी। यह पहल न सिर्फ सुरक्षा को बढ़ाएगी, बल्कि पुलिस और नागरिकों के बीच संवाद और पारदर्शिता को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी।












आईपीएल की आड़ में हाई-टेक सट्टेबाज़ी का भंडाफोड़: गोवा पुलिस की बड़ी कार्रवाई, उल्हासनगर से जुड़े तार।


पणजी/उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) जैसे प्रतिष्ठित क्रिकेट टूर्नामेंट की आड़ में संचालित हो रहे एक हाई-टेक और संगठित सट्टेबाज़ी गिरोह का पर्दाफाश करते हुए गोवा पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। इस सट्टेबाज़ी नेटवर्क की जड़ें महाराष्ट्र के उल्हासनगर शहर से जुड़ी पाई गई हैं, जो न केवल तकनीक का दुरुपयोग कर रहा था बल्कि युवाओं के भविष्य और मानसिक स्थिति को भी गहरे संकट में डाल रहा था।

मुख्य आरोपी फरार, पूरे राज्य में जारी है सर्च ऑपरेशन

पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि इस सट्टेबाज़ी रैकेट का संचालन अवि इसरानी और गिरिष जेसवानी नामक दो आरोपियों द्वारा किया जा रहा था, जो उल्हासनगर के निवासी हैं। दोनों आरोपी फिलहाल फरार हैं और उनके खिलाफ पहले से भी कई खुफिया जानकारियाँ पुलिस को प्राप्त थीं। गोवा में बढ़ती निगरानी से बचने के लिए इन आरोपियों ने वहां से अपना नेटवर्क चलाना शुरू किया और आईपीएल जैसे मेगा-इवेंट को हथियार बनाकर करोड़ों रुपये की सट्टेबाज़ी को अंजाम दे रहे थे।

डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और क्रिप्टो के जरिए किया जा रहा था लेनदेन

गिरोह द्वारा मोबाइल ऐप्स, वर्चुअल वॉलेट्स, फर्जी बैंक खातों और क्रिप्टोकरेंसी जैसे डिजिटल माध्यमों का इस्तेमाल कर लेनदेन किया जा रहा था, ताकि कानूनी निगरानी से बचा जा सके। अब तक दो आरोपियों को पुलिस ने हिरासत में लिया है, जिनसे पूछताछ के बाद और भी नाम सामने आने की संभावना है। जब्त किए गए इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़ की फॉरेंसिक जांच शुरू कर दी गई है, जिससे महत्वपूर्ण सुराग मिलने की उम्मीद है।

कॉलेज और बेरोजगार युवाओं को बना रहे थे निशाना

इस रैकेट का सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि यह गिरोह कॉलेज विद्यार्थियों और बेरोजगार युवाओं को 'झटपट कमाई' का लालच देकर सट्टेबाज़ी में फंसा रहा था। उल्हासनगर जैसे शहरी क्षेत्रों में पहले से मौजूद मानसिक तनाव और बेरोजगारी की स्थितियों का लाभ उठाकर यह गिरोह युवाओं को अपराध की दलदल में धकेल रहा था, जिससे समाज में गंभीर सामाजिक और मानसिक प्रभाव उत्पन्न हो रहे हैं।

प्रशासनिक और सुरक्षा एजेंसियों से की गई चार महत्वपूर्ण मांगें

मंत्रालय टाइम्स इस गंभीर और सुनियोजित अपराध के विरुद्ध प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों से निम्नलिखित ठोस कदम उठाने की मांग करता है:

1. मुख्य आरोपियों की शीघ्र गिरफ्तारी सुनिश्चित कर उनके विरुद्ध महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (MCOCA) के अंतर्गत कठोर कार्रवाई की जाए।

2. गिरोह से जुड़े आर्थिक स्रोतों की गहन जांच कर उनकी संपत्तियों को तत्काल ज़ब्त किया जाए।

3. युवाओं को सट्टेबाज़ी और साइबर अपराध से बचाने हेतु विशेष जागरूकता अभियान, परामर्श केंद्रों और साइबर हेल्पलाइन की स्थापना की जाए।

4. गोवा और उल्हासनगर पुलिस के बीच समन्वय हेतु एक विशेष अंतरराज्यीय सेल का गठन किया जाए, ताकि भविष्य में ऐसे नेटवर्कों पर त्वरित और समन्वित कार्रवाई की जा सके।

यह केवल आर्थिक नहीं, सामाजिक हमला है

यह मामला केवल अवैध धन कमाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज की बुनियाद, युवा पीढ़ी की मानसिकता और उनके भविष्य पर एक सुनियोजित हमला है। अब समय आ गया है कि हम न सिर्फ ऐसे अपराधियों को उनके अंजाम तक पहुँचाएं, बल्कि अपने युवाओं को अपराध की दुनिया से बाहर निकालकर उन्हें सुरक्षित, जिम्मेदार और उज्जवल भविष्य की ओर अग्रसर करें।












उल्हासनगर में अवैध निर्माण पर हाईकोर्ट सख्त, UMC और पुलिस पर उठाए सवाल।


उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को टिप्पणी की कि राज्य सरकार को अवैध निर्माण के लिए जिम्मेदार सभी व्यक्तियों और अधिकारियों पर "कड़ी कार्रवाई" सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि "कानून के शासन" को बनाए रखा जा सके।

अदालत ने ठाणे के उल्हासनगर के एक निवासी की याचिका पर फैसला सुनाया, जिसमें उल्हासनगर नगर निगम (यूएमसी) को उसके घर के पास बेवास चौक पर डेवलपर महा गौरी बिल्डर्स एंड डेवलपर्स, मनोज पांजवानी द्वारा संचालित एक फर्म द्वारा किए गए अवैध और अनधिकृत निर्माण को ध्वस्त करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

अदालत ने "अवैध" निर्माण को ध्वस्त करने की मांग वाली याचिका को स्वीकार करते हुए सरकार से इस बड़े मुद्दे पर कानून बनाने का भी आग्रह किया। जस्टिस अजय एस गडकरी और कमल आर खाता की खंडपीठ ने कहा, "हमें डर है कि अगर ये कदम तुरंत नहीं उठाए गए, तो राज्य में नियोजित विकास का पूरा उद्देश्य केवल एक दूर का सपना बनकर रह जाएगा। इसके अलावा, यह अराजकता की स्थिति होगी।"

खंडपीठ ने कहा, "हम ऐसे नागरिकों को अनुमति नहीं दे सकते जो एक नागरिक के रूप में अपने कर्तव्यों का पालन करने से कतराते हैं, संविधान के तहत अधिकारों के प्रवर्तन की मांग करने के लिए," और कहा कि नागरिकों को पूरी तरह से अवैध निर्माण को नियमित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

याचिकाकर्ता नीतू माखिजा का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील एएस राव ने कहा कि विषय संपत्ति पर बैरकों में छह कमरे थे, जिनमें से कुछ को ध्वस्त कर दिया गया था, और डेवलपर द्वारा नया निर्माण किया जा रहा था, जिससे उनकी संपत्ति में भारी पानी का रिसाव हो रहा था। उन्होंने तर्क दिया कि डेवलपर ने निर्माण के लिए अनुमति नहीं ली थी और उसने आसन्न संपत्ति पर भी अतिक्रमण किया था और उसके द्वारा दी गई धमकियों के कारण उसे "मानसिक आघात" हुआ था। राव ने कहा कि 2024 में यूएमसी और पुलिस अधिकारियों से कई पत्र और शिकायतें करने के बावजूद कोई जवाब नहीं मिलने के कारण, याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा।

अदालत ने टिप्पणी की, "यूएमसी, साथ ही पुलिस अधिकारी, समय पर कार्रवाई नहीं करने और इस तरह अवैध निर्माण को बढ़ावा देने और जारी रखने के लिए जिम्मेदार हैं।"

अदालत ने पाया कि यूएमसी ने कोई कार्रवाई शुरू नहीं की, भले ही उसने सितंबर 2024 में याचिकाकर्ता के आरटीआई आवेदन के जवाब में स्वीकार किया था कि विचाराधीन ढांचा अवैध था। अदालत ने कहा कि विध्वंस के प्रयासों को डेवलपर द्वारा जनवरी 2025 में दायर एक नियमितीकरण आवेदन द्वारा भी "बाधित" किया गया था, जिसके बारे में नागरिक निकाय के संबंधित अधिकारी को अपने सभी विभागों को सूचित करना चाहिए था। एचसी ने कहा, "हम पाते हैं कि इस डिजिटल युग में नगर निगमों के विभिन्न विभागों के बीच संचार की गंभीर कमी है। इसे बर्दाश्त और अनुमति नहीं दी जा सकती है।"

अधिकारियों द्वारा कार्रवाई करने में अत्यधिक देरी पर नाराजगी व्यक्त करते हुए, अदालत ने टिप्पणी की, "इससे हमें आम जनता की इस धारणा को स्वीकार करना पड़ता है कि संबंधित अधिकारी स्वयं इन अवैधताओं की रक्षा कर रहे हैं, जिसके कारण केवल उन्हें ही पता हैं।" अदालत ने यूएमसी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि विषय स्थल पर फिर से कोई अनधिकृत ढांचा खड़ा न किया जाए और अधिकारियों को डेवलपर के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू करने के लिए कहा।

अदालत ने कहा कि डेवलपर "कानून के अनुसार आवश्यक अनुमति प्राप्त किए बिना निर्माण करने के लिए समान रूप से जिम्मेदार" था। अदालत ने कहा कि यह तर्क कि उसे केवल निर्माण का ठेका दिया गया था, उसे अपराध करने से नहीं बचा सकता।

राज्य सरकार से उपायों की मांग करते हुए, अदालत ने कहा, "अवैध निर्माण में शामिल सभी संबंधितों को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए और देश में कानून और व्यवस्था और वैध विकास बनाए रखने के लिए कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।" खंडपीठ ने कहा कि यह "काफी आश्चर्यजनक" है कि यहां तक कि पुलिस अधिकारियों ने भी, जो शहर प्रशासन की आंखें हैं, यूएमसी को निर्माण के बारे में नहीं बताया, जबकि महाराष्ट्र नगर निगम (एमएमसी) अधिनियम के तहत उनका कर्तव्य था।












इंस्टाग्राम इंफ्लुएंसर सुरेंद्र पाटिल पर गंभीर आरोप, पुलिस ने किया मामला दर्ज।


मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं को आकर्षित करने वाले एक इंस्टाग्राम इंफ्लुएंसर और उसके ड्राइवर पर नासिक की 19 वर्षीय युवती से नौकरी का झांसा देकर दुष्कर्म करने का संगीन आरोप लगा है। इस घटना को लेकर पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। यह मामला 16 फरवरी से 29 मार्च के बीच का बताया जा रहा है। पुलिस द्वारा बुधवार को इस संबंध में आधिकारिक बयान जारी किया गया।

मुख्य आरोपी: सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर सुरेंद्र पाटिल

मुख्य आरोपी की पहचान ठाणे जिले के डोंबिवली के पास ठाकुर्ली निवासी सुरेंद्र पाटिल के रूप में हुई है, जो इंस्टाग्राम पर शॉर्ट वीडियो बनाकर अपनी पहचान बना चुका है। पीड़िता ने मानपाड़ा पुलिस थाने में दर्ज शिकायत में आरोप लगाया कि पाटिल ने उसे नौकरी देने के बहाने अपने कार्यालय बुलाया और वहां बंदूक की नोक पर उसका यौन शोषण किया। इसके अलावा, उसने पीड़िता को धमकी दी कि यदि उसने उसकी बात नहीं मानी, तो उसके माता-पिता को नुकसान पहुंचाया जाएगा।

मार्च 29 को बढ़ी घटनाएं, ऑडियो-वीडियो लीक करने की धमकी

एफआईआर के अनुसार, 29 मार्च को पाटिल ने पीड़िता को कार्यालय बुलाने का प्रयास किया, लेकिन जब उसने विरोध किया तो आरोपी ने उसे सोशल मीडिया पर कथित रूप से आपत्तिजनक ऑडियो और वीडियो वायरल करने की धमकी दी। इस दौरान, पाटिल और उसके ड्राइवर ने पीड़िता से दुर्व्यवहार किया।

गंभीर धाराओं के तहत केस दर्ज

पुलिस ने सुरेंद्र पाटिल और उसके ड्राइवर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है, जिनमें धारा 64 (दुष्कर्म), धारा 74 (महिला की मर्यादा भंग करने के उद्देश्य से हमला), धारा 115(2) (चोट पहुंचाने की मंशा), धारा 351(2) (आपराधिक साजिश) और धारा 3(5) (सामूहिक आपराधिक मंशा) शामिल हैं। इसके अलावा, आर्म्स एक्ट के तहत भी प्रकरण दर्ज किया गया है।

आरोपी ने लगाए आरोपों को झूठा बताने के दावे

इस मामले में सुरेंद्र पाटिल ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे उनके खिलाफ साजिश करार दिया है। उसने दावा किया कि यह मामला केवल उससे धन उगाही करने के लिए दर्ज कराया गया है।

पुलिस जांच के घेरे में अन्य विवादित गतिविधियां

पुलिस सूत्रों के अनुसार, पाटिल पर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की कुर्सी पर बैठकर वीडियो बनाने, सोशल मीडिया पर भारी मात्रा में नकदी दिखाने और लाइसेंसी हथियार का गलत तरीके से उपयोग करने जैसे अन्य मामलों की भी जांच की जा रही है।

यह मामला सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के दुरुपयोग और ऑनलाइन ठगी के बढ़ते खतरों को उजागर करता है, जिससे कानून प्रवर्तन एजेंसियों को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

यह रिपोर्ट विस्तृत, पेशेवर और गंभीर भाषा में तैयार की गई है। यदि आप इसमें कोई अतिरिक्त जानकारी या बदलाव चाहते हैं, तो बता सकते हैं।












उल्हासनगर में 26 फर्जी डॉक्टरों का भंडाफोड़, 18 पर केस दर्ज।


 


उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

उल्हासनगर महानगरपालिका के वैद्यकीय आरोग्य विभाग ने ठाणे जिलाधिकारी व जिला दंडाधिकारी कार्यालय से मिली गुप्त सूचना के आधार पर शहर में एक बड़े चिकित्सा घोटाले का पर्दाफाश किया है। जांच में पता चला कि उल्हासनगर क्षेत्र में 26 डॉक्टर बिना लाइसेंस के अवैध रूप से चिकित्सा सेवाएं दे रहे थे। ये डॉक्टर बिना किसी मान्य प्रमाण पत्र के मरीजों का इलाज कर रहे थे, जिससे जनता की जान को गंभीर खतरा था।

जैसे ही प्रशासन को इस अवैध गतिविधि की जानकारी मिली, वैद्यकीय आरोग्य अधिकारी डॉ. मोहिनी धर्मी और उनकी विशेष टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की। इस दौरान कई डॉक्टरों को बिना किसी मान्यता के चिकित्सा सेवा देते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया।

18 डॉक्टरों पर मामला दर्ज, कई क्लीनिक हुए सील

अब तक की जांच में 18 डॉक्टरों के खिलाफ मामला दर्ज किया जा चुका है, जिनमें से 8 डॉक्टर महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल से पंजीकृत नहीं थे। शेष 4 डॉक्टरों की गहन जांच जारी है, जबकि 2 डॉक्टरों के क्लीनिक प्रशासन ने सील कर दिए हैं। इसके अलावा, डोंबिवली क्षेत्र में भी ऐसे अवैध डॉक्टरों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जा रही है।

प्रशासन ने नागरिकों को किया सतर्क, फर्जी डॉक्टरों से बचने की अपील

इस मामले को लेकर प्रशासन ने नागरिकों को सचेत करते हुए अपील की है कि वे ऐसे फर्जी डॉक्टरों के झांसे में न आएं और अवैध रूप से चल रही चिकित्सा सेवाओं से बचें। यदि किसी को भी संदिग्ध डॉक्टर के बारे में जानकारी मिलती है, तो उसे तुरंत प्रशासन को सूचित करना चाहिए।

साथ ही, प्रशासन ने सभी डॉक्टरों को चेतावनी दी है कि वे आवश्यक प्रमाण पत्र और लाइसेंस के बिना चिकित्सा व्यवसाय न करें। वैधता प्रमाणित करने के बाद ही किसी को चिकित्सा क्षेत्र में कार्य करने की अनुमति दी जाएगी।

डॉ. मोहिनी धर्मी (वैद्यकीय आरोग्य अधिकारी, उल्हासनगर महानगरपालिका) ने स्पष्ट किया कि प्रशासन स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेगा और दोषी पाए जाने वाले डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रहेगी।

यह मामला न केवल स्वास्थ्य सेवाओं में हो रहे फर्जीवाड़े को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि प्रशासन नागरिकों की सुरक्षा के लिए पूरी तरह सतर्क है।












दिशा सालियान मौत मामले की जांच संभाल सकते हैं IRS अधिकारी समीर वानखेड़े..!


 मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

बॉलीवुड से जुड़ी रहस्यमयी मौतों के मामलों में एक और बड़ा मोड़ आ सकता है। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय एजेंसियां दिशा सालियान मौत मामले की दोबारा जांच करने की योजना बना रही हैं, और इस जिम्मेदारी को भारतीय राजस्व सेवा (IRS) के वरिष्ठ अधिकारी समीर वानखेड़े को सौंपा जा सकता है।

समीर वानखेड़े इससे पहले सुशांत सिंह राजपूत और ड्रग्स से जुड़े कई हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच में अपनी कड़ी कार्रवाई के लिए सुर्खियों में रहे हैं। यदि यह मामला उन्हें सौंपा जाता है, तो यह उम्मीद की जा रही है कि मामले में नए सिरे से जांच होगी और कई अनसुलझे सवालों के जवाब मिल सकते हैं।

दिशा सालियान, जो अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की पूर्व मैनेजर थीं, 8 जून 2020 को मुंबई में रहस्यमय परिस्थितियों में एक ऊंची इमारत से गिर गई थीं। उनकी मौत को लेकर कई विवाद और साजिश से जुड़े दावे सामने आए थे। इसके कुछ ही दिनों बाद, 14 जून 2020 को सुशांत सिंह राजपूत भी अपने फ्लैट में मृत पाए गए थे।

सूत्रों का कहना है कि मामले से जुड़े कई अहम पहलुओं की अब तक पूरी तरह से जांच नहीं की गई है। ऐसे में अगर समीर वानखेड़े इस केस को संभालते हैं, तो इसकी गहन समीक्षा होने की संभावना है। हालांकि, इस संबंध में आधिकारिक पुष्टि का इंतजार किया जा रहा है।

इस घटनाक्रम पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं, और अगर जांच दोबारा शुरू होती है, तो यह बॉलीवुड से जुड़े बड़े खुलासों की ओर इशारा कर सकता है।












टिटवाला में नकली सीमेंट रैकेट का भंडाफोड़ – शीर्ष ब्रांडों की हो रही थी नकल


 


ठाणे (टिटवाला): दिनेश मीरचंदानी 

ठाणे ग्रामीण पुलिस ने टिटवाला पुलिस स्टेशन के अंतर्गत काम्बा गांव में संचालित एक अवैध फैक्ट्री से लगभग 3,000 पैकेट नकली सीमेंट बरामद किए हैं। इसमें 200 से अधिक बोरे एक ट्रक से जब्त किए गए, जबकि 2,500 से अधिक बोरे फैक्ट्री से बरामद किए गए। ये सीमेंट पैकेट भारत के शीर्ष ब्रांडों की नकली प्रतियां थे, जिन पर "बेचने के लिए नहीं" लिखा हुआ था।

ठाणे ग्रामीण पुलिस अधीक्षक डॉ. डी. एस. स्वामी के निर्देश पर पुलिस टीम ने इस ठिकाने पर छापा मारा। जांच में सामने आया कि यह नकली सीमेंट गोरेगांव से लोड किया जाता था और कल्याण-मुरबाड रोड, टिटवाला पुलिस स्टेशन क्षेत्र में स्थित फैक्ट्री तक पहुंचाया जाता था।

फरार आरोपी, पहले भी हो चुकी है गिरफ्तारी
फैक्ट्री के मालिक संजय भाटिया और राजेश भाटिया हैं, जिन्हें पूर्व में भी इसी तरह के मामले में गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल वे जमानत पर थे। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, छापेमारी के बाद से दोनों फरार हैं।

पुलिस कार्रवाई जारी
पुलिस ने इस मामले में पंचनामा और एफआईआर की प्रक्रिया शुरू कर दी है और आगे की जांच जारी है।


















दिशा सलीयन मौत: हाई-प्रोफाइल केस में समीर वानखेड़े की एंट्री से मचेगा भूचाल!


मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

दिशा सलीयन मौत मामले में एक नया और चौंकाने वाला मोड़ आ सकता है। NCB के पूर्व अधिकारी समीर वानखेड़े की एंट्री से इस केस में नए खुलासों की उम्मीद की जा रही है। वानखेड़े, जो अपने सख्त रुख और हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच के लिए जाने जाते हैं, अब इस रहस्यमयी केस में एक अहम भूमिका निभाने जा रहे हैं।

क्या नए सबूतों से बदल जाएगी जांच की दिशा?

सूत्रों के अनुसार, कुछ अहम दस्तावेज, गवाहों के बयान और नई जानकारियां जल्द ही सामने आ सकती हैं, जो इस मामले की जांच को पूरी तरह नया मोड़ दे सकती हैं। यह केस पहले से ही विवादों और चर्चाओं के केंद्र में रहा है, और अब समीर वानखेड़े की एंट्री ने इसमें नए मोड़ की संभावनाओं को और मजबूत कर दिया है।

वानखेड़े की एंट्री क्यों है अहम?

समीर वानखेड़े पहले भी हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच कर चुके हैं और अपने सख्त और बेबाक रवैये के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने इससे पहले कई चर्चित केसों में बड़े-बड़े खुलासे किए हैं, जिनका असर देशभर में देखा गया। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या वानखेड़े इस केस में भी कोई ऐसा रहस्य उजागर करेंगे, जिससे सच्चाई सामने आ सके?

क्या अब मिलेंगे जवाब?

दिशा सलीयन मौत मामले को लेकर अब तक कई सवाल अनसुलझे हैं। क्या यह सिर्फ एक हादसा था या इसमें कोई बड़ी साजिश थी? क्या वानखेड़े की जांच से इस मामले में कोई नई कड़ी जुड़ सकती है?

देशभर की निगाहें इस केस पर टिकीं

समीर वानखेड़े की एंट्री के बाद मीडिया, जनता और कानून एजेंसियों की नजरें इस केस पर टिक गई हैं। हर कोई यह जानना चाहता है कि क्या वाकई अब इस रहस्यमयी मामले की गुत्थी सुलझने वाली है या फिर यह मामला फिर से किसी नई बहस में उलझ जाएगा?

आने वाले दिनों में इस केस से जुड़े बड़े खुलासों की संभावना जताई जा रही है। इस मामले से जुड़े हर अपडेट के लिए जुड़े रहें!











सुशांत सिंह राजपूत केस: CBI ने दाखिल की अंतिम रिपोर्ट, हत्या नहीं आत्महत्या को बताया कारण


नई दिल्ली: दिनेश मीरचंदानी 

बहुचर्चित अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने अपनी अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी है। सीबीआई ने हत्या की संभावना को पूरी तरह से खारिज करते हुए इसे आत्महत्या का मामला बताया है।

CBI जांच में क्या आया सामने?

सीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु फांसी लगाने से हुई और उनके शरीर या कपड़ों पर संघर्ष के कोई निशान नहीं मिले। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह हत्या नहीं बल्कि आत्महत्या का मामला है।

एम्स फॉरेंसिक रिपोर्ट भी आई सामने

एम्स के फॉरेंसिक विशेषज्ञ डॉ. सुधीर गुप्ता ने पहले ही अपनी रिपोर्ट में हत्या की संभावना को खारिज किया था। उनका कहना था कि सुशांत की मौत आत्महत्या का मामला है और इस बात की पुष्टि सभी मेडिकल जांचों से हो चुकी है।

14 जून 2020 को हुई थी रहस्यमयी मौत

बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत 14 जून 2020 को मुंबई स्थित अपने फ्लैट में मृत पाए गए थे। उनकी मृत्यु के बाद पूरे देश में न्याय की मांग उठी थी और मामला पहले मुंबई पुलिस, फिर CBI, प्रवर्तन निदेशालय (ED) और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) तक पहुंचा था।

क्या यह मामला अब खत्म हो गया?

सीबीआई की इस अंतिम रिपोर्ट के बाद सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में जांच प्रक्रिया पूरी हो गई है। हालांकि, उनके परिवार और फैंस अभी भी इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं और इंसाफ की मांग कर रहे हैं।

अब देखना होगा कि क्या यह मामला यहीं खत्म होगा या सुशांत के चाहने वाले न्याय के लिए फिर कोई नई कानूनी लड़ाई लड़ेंगे!












आईपीएल 2025 से पहले उल्हासनगर में सट्टेबाजी पर पुलिस की कड़ी नजर, युवाओं के भविष्य की चिंता।


उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2025 की शुरुआत से पहले उल्हासनगर में क्रिकेट सट्टेबाजी के मामले बढ़ रहे हैं। इसे रोकने के लिए पुलिस सक्रिय हो गई है। हाल ही में, दो युवकों ने सट्टे में भारी नुकसान उठाने के बाद दुखद रूप से अपनी जान गंवा दी थी, जिससे पूरे क्षेत्र में चिंता का माहौल बन गया था।

सट्टेबाजी के कारण दो युवकों की दर्दनाक घटना

सूत्रों के अनुसार, ये दोनों युवक ऑनलाइन क्रिकेट सट्टेबाजी में लिप्त थे और लगातार आर्थिक नुकसान का सामना कर रहे थे। इस स्थिति ने उन पर मानसिक दबाव बढ़ा दिया, जिससे उन्होंने दुर्भाग्यपूर्ण कदम उठा लिया। इस घटना के बाद पुलिस ने सट्टेबाजी नेटवर्क पर नियंत्रण पाने के लिए कड़े कदम उठाने की योजना बनाई है और जल्द ही सख्त कार्रवाई की जा सकती है।

युवाओं के भविष्य पर मंडराता खतरा

क्रिकेट सट्टेबाजी धीरे-धीरे युवाओं को अपनी चपेट में ले रही है। तेज़ी से पैसा कमाने की चाहत में कई छात्र और नौकरीपेशा लोग इसमें फंस रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि सट्टेबाजी से केवल आर्थिक नुकसान ही नहीं होता, बल्कि यह मानसिक तनाव भी बढ़ा सकती है, जिससे युवाओं के भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

जनता से सतर्क रहने की अपील

पुलिस और सामाजिक संगठनों ने नागरिकों से अपील की है कि वे सट्टेबाजी जैसी अवैध गतिविधियों से दूर रहें और अपने परिवार के सदस्यों को भी इसके दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करें। यदि किसी को सट्टेबाजी से जुड़ी कोई जानकारी मिले, तो तुरंत पुलिस को सूचित करें।

आईपीएल के दौरान सट्टेबाजी की घटनाएं बढ़ने की संभावना है, इसलिए पुलिस और प्रशासन इस पर कड़ी निगरानी बनाए हुए हैं। जरूरी है कि सभी लोग सतर्क रहें और युवाओं को इस जोखिम से बचाने में सहयोग करें।

मंत्रालय टाइम्स के साथ बने रहें, क्योंकि आने वाले समय में उल्हासनगर के सट्टेबाजों के नाम भी प्रकाशित हो सकते हैं।

















उल्हासनगर PWD में बड़ा भ्रष्टाचार! सेवानिवृत्ति से पहले अभियंता तरुण शेवकानी निलंबित।



उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

उल्हासनगर महानगरपालिका (यूएमसी) में 25 करोड़ रुपये के फंड घोटाले का सनसनीखेज मामला सामने आया है। शहर लोक निर्माण विभाग (PWD) के पूर्व अभियंता तरुण शेवकानी को इस मामले में निलंबित कर दिया गया है। प्रशासन ने उच्च स्तरीय विभागीय जांच शुरू कर दी है, जिससे नगर पालिका में हड़कंप मच गया है।

सेवानिवृत्ति से पहले ही निलंबन!

तरुण शेवकानी मई महीने में सेवानिवृत्त होने वाले थे, लेकिन उन पर लगे गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों के कारण प्रशासन ने सेवानिवृत्ति से पहले ही निलंबन का आदेश जारी कर दिया। बताया जा रहा है कि यह फैसला भ्रष्टाचार और फंड के गबन की गहराई से जांच करने के लिए लिया गया है।

पहले भी एसीबी की कार्रवाई में फंसे थे शेवकानी!

यह पहला मौका नहीं है जब तरुण शेवकानी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। इससे पहले भी भ्रष्टाचार निरोधक विभाग (एसीबी) द्वारा उनके खिलाफ रिश्वत और पैसों के लेन-देन को लेकर कार्रवाई की जा चुकी है। बावजूद इसके, वह प्रशासन में महत्वपूर्ण पदों पर बने रहे। लेकिन इस बार 25 करोड़ रुपये की कथित गड़बड़ी के चलते प्रशासन ने उन पर सख्त कदम उठाया है।

कैसे हुआ 25 करोड़ का गबन?

सूत्रों के मुताबिक, महानगरपालिका के विभिन्न प्रोजेक्ट्स और टेंडर से जुड़े फंड में भारी अनियमितताएं पाई गई हैं। इस फंड के आवंटन और उपयोग में कथित रूप से बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। इस मामले में अन्य अधिकारियों की संलिप्तता भी जांच के दायरे में है।

हाई-लेवल जांच में और खुलासों की उम्मीद!

विभागीय जांच के तहत संबंधित अधिकारियों से जवाब-तलब किया जा रहा है, और पूरे घोटाले की परतें खुलने की संभावना है। प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि इस मामले में और भी बड़े नाम सामने आ सकते हैं और दोषी पाए जाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

उल्हासनगर महानगरपालिका की साख पर सवाल, जनता में रोष!

इस घोटाले ने उल्हासनगर महानगरपालिका की साख पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जनता में इस भ्रष्टाचार को लेकर गहरा आक्रोश है, और कई सामाजिक संगठनों ने इस मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों को सख्त सजा देने की मांग की है।

क्या प्रशासन दोषियों को कटघरे में खड़ा कर पाएगा?

अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इस हाई-प्रोफाइल घोटाले में कितनी पारदर्शिता और निष्पक्षता बरतता है। क्या दोषियों को सजा मिलेगी, या फिर यह मामला भी पुरानी फाइलों में दबकर रह जाएगा?



































झूठे मामले दर्ज करने या सबूत गढ़ने वाले पुलिस अधिकारियों पर मुकदमा चलाने के लिए अनुमति आवश्यक नहीं: सुप्रीम कोर्ट


नई दिल्ली: दिनेश मीरचंदानी 

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि झूठे मामले दर्ज करने या सबूतों से छेड़छाड़ करने वाले पुलिस अधिकारियों पर मुकदमा चलाने के लिए किसी पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं है। अदालत ने कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 197 ऐसे मामलों में अभियोजन से छूट नहीं देती है।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि किसी पुलिस अधिकारी पर झूठा मुकदमा दर्ज करने या सबूतों से छेड़छाड़ करने का आरोप है, तो यह एक आपराधिक कृत्य है। ऐसे मामलों में CrPC की धारा 197 के तहत अभियोजन के लिए पूर्व अनुमति की जरूरत नहीं होगी।

न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने स्पष्ट किया कि झूठे मामले गढ़ना या दुर्भावनापूर्ण अभियोजन करना पुलिस अधिकारी के आधिकारिक कर्तव्यों का हिस्सा नहीं है। इसलिए, इस तरह के मामलों में CrPC की धारा 197 के तहत कोई संरक्षण नहीं दिया जा सकता।

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला तब सामने आया जब मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक पुलिस अधिकारी की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने CrPC की धारा 197 के तहत अभियोजन से छूट की मांग की थी। अधिकारी पर एक आपराधिक मामले में सबूत गढ़ने का आरोप था।

सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि CrPC की धारा 197 का संरक्षण केवल उन कृत्यों पर लागू होता है, जो आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन के तहत किए जाते हैं। झूठे मुकदमे दर्ज करना या सबूतों से छेड़छाड़ करना आधिकारिक कर्तव्य नहीं, बल्कि आपराधिक कृत्य हैं।

वकील की दलीलें और कोर्ट की टिप्पणी

मामले में पुलिस अधिकारी के वकील ने तर्क दिया कि कोई भी कार्य जो एक लोक सेवक अपने आधिकारिक दायित्वों के तहत करता है, उसके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पूर्व अनुमति आवश्यक होती है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया और स्पष्ट किया कि झूठे मामले दर्ज करना और सबूतों से छेड़छाड़ करना आपराधिक कृत्य हैं, न कि आधिकारिक कर्तव्य।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि CrPC की धारा 197 लोक सेवकों को अनावश्यक उत्पीड़न से बचाने के लिए है, लेकिन इसका दुरुपयोग अवैध गतिविधियों को छुपाने के लिए नहीं किया जा सकता।

पुलिस अधिकारियों के लिए चेतावनी और प्रशासनिक सुधार की दिशा में कदम

सुप्रीम कोर्ट का यह ऐतिहासिक फैसला पुलिस कदाचार के मामलों में बड़ा असर डाल सकता है। इस निर्णय से यह सुनिश्चित होगा कि झूठे मुकदमे दर्ज करने या सबूत गढ़ने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ बिना किसी पूर्व अनुमति के कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी।

इस फैसले के बाद कानून प्रवर्तन एजेंसियों पर जवाबदेही तय होगी और झूठे मामलों में फंसाने की प्रवृत्ति पर रोक लगेगी। यह निर्णय पुलिस सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।











महाराष्ट्र में गौ हत्या पर सख्ती: मुख्यमंत्री फडणवीस का बड़ा फैसला, दोहराए गए अपराधों पर लगेगा MCOCA


मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

महाराष्ट्र सरकार ने गौ हत्या के मामलों पर सख्त रुख अपनाते हुए बड़ा निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घोषणा की है कि जो भी व्यक्ति बार-बार गौ हत्या के अपराधों में लिप्त पाया जाएगा, उसके खिलाफ MCOCA (महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम) के तहत कार्रवाई की जाएगी।

यह महत्वपूर्ण निर्णय महाराष्ट्र विधानसभा सत्र के दौरान लिया गया, जब विधायक संग्राम जगताप ने इस मुद्दे को उठाया। मुख्यमंत्री फडणवीस ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार गौ हत्या के मामलों की बारीकी से निगरानी कर रही है और ऐसे अपराधों को जड़ से खत्म करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी।

सरकार का यह फैसला गौ रक्षा के प्रति राज्य की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और अवैध रूप से गौ हत्या में संलिप्त अपराधियों पर लगाम लगाने के उद्देश्य से लिया गया है। MCOCA, जो आमतौर पर संगठित अपराधों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है, अब गौ हत्या के पुनरावृत्ति मामलों पर भी लागू होगा, जिससे अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जा सकेगी।

इस फैसले के कई कानूनी, सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव होंगे, जिन पर आगे चर्चा की जाएगी। सरकार की इस घोषणा से गौ रक्षा से जुड़े संगठनों और आम जनता में संतोष की लहर देखी जा रही है। अब यह देखना होगा कि इस सख्त कानून के तहत कितनी प्रभावी कार्रवाई की जाती है और इसका वास्तविक प्रभाव कितना व्यापक होता है।











दिशा सालियन केस: मंत्री नितेश राणे का बड़ा हमला, आदित्य ठाकरे से इस्तीफे की मांग..!


मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

दिशा सालियन मौत मामले में एक बड़ा राजनीतिक मोड़ आया है। भाजपा नेता और मंत्री नितेश राणे ने शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता और विधायक आदित्य ठाकरे पर सीधा हमला बोलते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है।

नितेश राणे ने इस मामले को लेकर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह तो सिर्फ शुरुआत है और आगे और बड़े खुलासे होने की संभावना है। उन्होंने इशारा किया कि इस मामले में कई और चौंकाने वाली जानकारियां सामने आ सकती हैं, जिससे महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल आ सकता है।

राणे के इन बयानों के बाद राज्य की राजनीति गरमा गई है। इस मामले को लेकर विरोधी दलों के बीच बयानबाजी तेज हो गई है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद आने वाले दिनों में और बड़ा रूप ले सकता है।

इस मुद्दे पर आदित्य ठाकरे या शिवसेना (यूबीटी) की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन, माना जा रहा है कि इस आरोप के जवाब में जल्द ही पार्टी कोई ठोस कदम उठा सकती है।

राजनीतिक हलकों में इस मामले की गूंज तेज होती जा रही है। देखना होगा कि आगे क्या नया मोड़ आता है और क्या सच सामने आता है।