(फाइल फोटो)
मुंबई: दिनेश मीरचंदानी
महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी जोरों पर है, और इन चुनावों में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक परिवर्तन सामने आया है। संभाजीराजे छत्रपति के नेतृत्व वाली स्वराज्य संघटना को भारतीय निर्वाचन आयोग ने एक राजनीतिक पार्टी के रूप में मान्यता दी है, और अब यह पार्टी ‘महाराष्ट्र स्वराज्य पार्टी’ के नाम से चुनावी मैदान में उतरेगी।
'पेन की निब' चुनाव चिन्ह, तीसरे मोर्चे के गठन के संकेत
संभाजीराजे छत्रपति ने जानकारी दी है कि उनकी नई पार्टी आगामी विधानसभा चुनावों में अपने उम्मीदवार उतारेगी और उन्हें 'पेन की निब' चुनाव चिन्ह मिला है। इस चुनाव चिन्ह को नई दिशा में पार्टी के भविष्य का प्रतीक बताया जा रहा है। इस पार्टी के गठन के साथ ही संभाजीराजे ने महाराष्ट्र की राजनीति में तीसरे मोर्चे के गठन के संकेत दिए हैं। राज्य में फिलहाल महाविकास आघाड़ी और महायुति के दो प्रमुख गुट सक्रिय हैं, लेकिन संभाजीराजे की नई पार्टी इन दोनों गठबंधनों के लिए एक नया चुनौती पेश कर सकती है।
मराठा समाज का समर्थन: पार्टी की ताकत
विशेष रूप से मराठा समाज का समर्थन इस पार्टी की ताकत बनने की संभावना जताई जा रही है। मराठा समाज महाराष्ट्र में एक बड़ा और प्रभावशाली समूह है, और उनकी एकजुटता से महाराष्ट्र स्वराज्य पार्टी की चुनावी स्थिति मजबूत हो सकती है। मराठा आरक्षण आंदोलन में संभाजीराजे छत्रपति की अग्रणी भूमिका के चलते उन्हें इस समाज का बड़ा समर्थन मिलने की उम्मीद है।
बच्चू कडू के साथ गठबंधन की चर्चा
राज्य में प्रहार संघटना के प्रमुख बच्चू कडू और संभाजीराजे छत्रपति के साथ गठबंधन की चर्चाएं भी तेज हैं। बच्चू कडू का समाज के लिए किया गया काम राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, और अगर ये दोनों नेता साथ आते हैं तो राज्य के चुनावी समीकरणों में बड़ा बदलाव संभव है। यह गठबंधन महाविकास आघाड़ी और महायुति दोनों गठबंधनों के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।
तीसरे मोर्चे के गठन की संभावना
महाराष्ट्र की राजनीति में तीसरे मोर्चे की संभावना अब और प्रबल हो गई है। कई छोटे दल मिलकर तीसरा मोर्चा बनाने की योजना बना रहे हैं, और अगर महाराष्ट्र स्वराज्य पार्टी को इन छोटे दलों का समर्थन मिला तो तीसरे मोर्चे की ताकत काफी बढ़ जाएगी। इससे राज्य में नए चुनावी समीकरण बनने की संभावना है, जिसका सीधा असर आगामी चुनावों के परिणामों पर पड़ेगा।
महाराष्ट्र में इस नए राजनीतिक परिवर्तन से बड़ी उथल-पुथल की संभावना जताई जा रही है। 'पेन की निब' किसका भविष्य लिखेगी और किसे राजनीतिक लाभ मिलेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।