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भक्तों के लिए खुशखबरी! भिमाशंकर तक अब रोपवे से होगी आसान यात्रा।


भिमाशंकर: दिनेश मीरचंदानी 

भिमाशंकर की पवित्र यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक बड़ी खुशखबरी आई है। केंद्र सरकार की पर्वतमाला योजना के तहत बालिवरे गाँव से भिमाशंकर तक एक अत्याधुनिक रोपवे के निर्माण को मंजूरी दे दी गई है।

बालिवरे गाँव, जो कर्जत और मुरबाड तालुका की सीमा पर स्थित है, अब ठाणे और रायगढ़ जिलों के तीर्थयात्रियों के लिए भिमाशंकर तक सीधी और सुगम यात्रा का मार्ग प्रदान करेगा। इस रोपवे के निर्माण से श्रद्धालुओं को कठिन पर्वतीय मार्गों से बचते हुए, तेज़ और सुरक्षित यात्रा का लाभ मिलेगा।

सरकार का बड़ा कदम, पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा यह परियोजना न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगी, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था और रोजगार के नए अवसर भी सृजित करेगी। केंद्र सरकार की पर्वतमाला योजना के तहत स्वीकृत यह रोपवे श्रद्धालुओं के लिए एक वरदान साबित होगा, जिससे यात्रा अधिक सुविधाजनक और आनंददायक बन जाएगी।

क्या है पर्वतमाला योजना? पर्वतमाला योजना के तहत, सरकार देश के विभिन्न पहाड़ी धार्मिक और पर्यटन स्थलों पर रोपवे निर्माण को प्रोत्साहित कर रही है। इसका उद्देश्य यात्रा को सुगम बनाना, सड़क यातायात का बोझ कम करना और पर्यावरण संरक्षण में योगदान देना है।

भिमाशंकर: आध्यात्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम भिमाशंकर ज्योतिर्लिंग, बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक, हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष आध्यात्मिक महत्व रखता है। यह क्षेत्र न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि अपनी प्राकृतिक सुंदरता और वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र के लिए भी प्रसिद्ध है।

इस परियोजना के पूरा होने के बाद, भक्तों को सुरक्षित, तेज़ और आरामदायक यात्रा का अनुभव मिलेगा, जिससे भिमाशंकर की यात्रा अब और अधिक सुगम और आनंददायक बन जाएगी।












टिटवाला में नकली सीमेंट रैकेट का भंडाफोड़ – शीर्ष ब्रांडों की हो रही थी नकल


 


ठाणे (टिटवाला): दिनेश मीरचंदानी 

ठाणे ग्रामीण पुलिस ने टिटवाला पुलिस स्टेशन के अंतर्गत काम्बा गांव में संचालित एक अवैध फैक्ट्री से लगभग 3,000 पैकेट नकली सीमेंट बरामद किए हैं। इसमें 200 से अधिक बोरे एक ट्रक से जब्त किए गए, जबकि 2,500 से अधिक बोरे फैक्ट्री से बरामद किए गए। ये सीमेंट पैकेट भारत के शीर्ष ब्रांडों की नकली प्रतियां थे, जिन पर "बेचने के लिए नहीं" लिखा हुआ था।

ठाणे ग्रामीण पुलिस अधीक्षक डॉ. डी. एस. स्वामी के निर्देश पर पुलिस टीम ने इस ठिकाने पर छापा मारा। जांच में सामने आया कि यह नकली सीमेंट गोरेगांव से लोड किया जाता था और कल्याण-मुरबाड रोड, टिटवाला पुलिस स्टेशन क्षेत्र में स्थित फैक्ट्री तक पहुंचाया जाता था।

फरार आरोपी, पहले भी हो चुकी है गिरफ्तारी
फैक्ट्री के मालिक संजय भाटिया और राजेश भाटिया हैं, जिन्हें पूर्व में भी इसी तरह के मामले में गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल वे जमानत पर थे। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, छापेमारी के बाद से दोनों फरार हैं।

पुलिस कार्रवाई जारी
पुलिस ने इस मामले में पंचनामा और एफआईआर की प्रक्रिया शुरू कर दी है और आगे की जांच जारी है।


















दिशा सलीयन मौत: हाई-प्रोफाइल केस में समीर वानखेड़े की एंट्री से मचेगा भूचाल!


मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

दिशा सलीयन मौत मामले में एक नया और चौंकाने वाला मोड़ आ सकता है। NCB के पूर्व अधिकारी समीर वानखेड़े की एंट्री से इस केस में नए खुलासों की उम्मीद की जा रही है। वानखेड़े, जो अपने सख्त रुख और हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच के लिए जाने जाते हैं, अब इस रहस्यमयी केस में एक अहम भूमिका निभाने जा रहे हैं।

क्या नए सबूतों से बदल जाएगी जांच की दिशा?

सूत्रों के अनुसार, कुछ अहम दस्तावेज, गवाहों के बयान और नई जानकारियां जल्द ही सामने आ सकती हैं, जो इस मामले की जांच को पूरी तरह नया मोड़ दे सकती हैं। यह केस पहले से ही विवादों और चर्चाओं के केंद्र में रहा है, और अब समीर वानखेड़े की एंट्री ने इसमें नए मोड़ की संभावनाओं को और मजबूत कर दिया है।

वानखेड़े की एंट्री क्यों है अहम?

समीर वानखेड़े पहले भी हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच कर चुके हैं और अपने सख्त और बेबाक रवैये के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने इससे पहले कई चर्चित केसों में बड़े-बड़े खुलासे किए हैं, जिनका असर देशभर में देखा गया। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या वानखेड़े इस केस में भी कोई ऐसा रहस्य उजागर करेंगे, जिससे सच्चाई सामने आ सके?

क्या अब मिलेंगे जवाब?

दिशा सलीयन मौत मामले को लेकर अब तक कई सवाल अनसुलझे हैं। क्या यह सिर्फ एक हादसा था या इसमें कोई बड़ी साजिश थी? क्या वानखेड़े की जांच से इस मामले में कोई नई कड़ी जुड़ सकती है?

देशभर की निगाहें इस केस पर टिकीं

समीर वानखेड़े की एंट्री के बाद मीडिया, जनता और कानून एजेंसियों की नजरें इस केस पर टिक गई हैं। हर कोई यह जानना चाहता है कि क्या वाकई अब इस रहस्यमयी मामले की गुत्थी सुलझने वाली है या फिर यह मामला फिर से किसी नई बहस में उलझ जाएगा?

आने वाले दिनों में इस केस से जुड़े बड़े खुलासों की संभावना जताई जा रही है। इस मामले से जुड़े हर अपडेट के लिए जुड़े रहें!











सुशांत सिंह राजपूत केस: CBI ने दाखिल की अंतिम रिपोर्ट, हत्या नहीं आत्महत्या को बताया कारण


नई दिल्ली: दिनेश मीरचंदानी 

बहुचर्चित अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने अपनी अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी है। सीबीआई ने हत्या की संभावना को पूरी तरह से खारिज करते हुए इसे आत्महत्या का मामला बताया है।

CBI जांच में क्या आया सामने?

सीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु फांसी लगाने से हुई और उनके शरीर या कपड़ों पर संघर्ष के कोई निशान नहीं मिले। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह हत्या नहीं बल्कि आत्महत्या का मामला है।

एम्स फॉरेंसिक रिपोर्ट भी आई सामने

एम्स के फॉरेंसिक विशेषज्ञ डॉ. सुधीर गुप्ता ने पहले ही अपनी रिपोर्ट में हत्या की संभावना को खारिज किया था। उनका कहना था कि सुशांत की मौत आत्महत्या का मामला है और इस बात की पुष्टि सभी मेडिकल जांचों से हो चुकी है।

14 जून 2020 को हुई थी रहस्यमयी मौत

बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत 14 जून 2020 को मुंबई स्थित अपने फ्लैट में मृत पाए गए थे। उनकी मृत्यु के बाद पूरे देश में न्याय की मांग उठी थी और मामला पहले मुंबई पुलिस, फिर CBI, प्रवर्तन निदेशालय (ED) और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) तक पहुंचा था।

क्या यह मामला अब खत्म हो गया?

सीबीआई की इस अंतिम रिपोर्ट के बाद सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में जांच प्रक्रिया पूरी हो गई है। हालांकि, उनके परिवार और फैंस अभी भी इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं और इंसाफ की मांग कर रहे हैं।

अब देखना होगा कि क्या यह मामला यहीं खत्म होगा या सुशांत के चाहने वाले न्याय के लिए फिर कोई नई कानूनी लड़ाई लड़ेंगे!












स्वास्थ्य सेवा में बड़ा बदलाव! डॉ. ओमप्रकाश शेटे बने आयुष्मान भारत योजना के महाराष्ट्र अध्यक्ष


मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

महाराष्ट्र में स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, डॉ. ओमप्रकाश शेटे को "आयुष्मान भारत योजना" का महाराष्ट्र राज्य अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इस नियुक्ति से राज्य के गरीब, वंचित और जरूरतमंद लोगों को पहले से भी बेहतर और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएँ मिलने की उम्मीद है।

डॉ. ओमप्रकाश शेटे अपने समर्पण और जनसेवा के लिए जाने जाते हैं। उनकी नियुक्ति से सरकार द्वारा संचालित इस योजना को और अधिक प्रभावी तरीके से लागू किया जाएगा, जिससे लाखों जरूरतमंदों को मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवाएँ सुलभ होंगी।

राज्य के नागरिकों के लिए बड़ा लाभ आयुष्मान भारत योजना के तहत पात्र नागरिकों को सरकारी और निजी अस्पतालों में मुफ्त उपचार मिलता है। अब डॉ. शेटे के नेतृत्व में इस योजना का विस्तार और प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाएगा, जिससे समाज के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सुविधाएँ पहुँचेंगी।

इस नियुक्ति के बाद, स्वास्थ्य विभाग और सरकारी एजेंसियों की ओर से भी अपेक्षा की जा रही है कि आने वाले समय में योजना को और अधिक मजबूती मिलेगी, जिससे महाराष्ट्र के लाखों गरीब और जरूरतमंद नागरिकों को लाभ पहुँचेगा।











आईपीएल 2025 से पहले उल्हासनगर में सट्टेबाजी पर पुलिस की कड़ी नजर, युवाओं के भविष्य की चिंता।


उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2025 की शुरुआत से पहले उल्हासनगर में क्रिकेट सट्टेबाजी के मामले बढ़ रहे हैं। इसे रोकने के लिए पुलिस सक्रिय हो गई है। हाल ही में, दो युवकों ने सट्टे में भारी नुकसान उठाने के बाद दुखद रूप से अपनी जान गंवा दी थी, जिससे पूरे क्षेत्र में चिंता का माहौल बन गया था।

सट्टेबाजी के कारण दो युवकों की दर्दनाक घटना

सूत्रों के अनुसार, ये दोनों युवक ऑनलाइन क्रिकेट सट्टेबाजी में लिप्त थे और लगातार आर्थिक नुकसान का सामना कर रहे थे। इस स्थिति ने उन पर मानसिक दबाव बढ़ा दिया, जिससे उन्होंने दुर्भाग्यपूर्ण कदम उठा लिया। इस घटना के बाद पुलिस ने सट्टेबाजी नेटवर्क पर नियंत्रण पाने के लिए कड़े कदम उठाने की योजना बनाई है और जल्द ही सख्त कार्रवाई की जा सकती है।

युवाओं के भविष्य पर मंडराता खतरा

क्रिकेट सट्टेबाजी धीरे-धीरे युवाओं को अपनी चपेट में ले रही है। तेज़ी से पैसा कमाने की चाहत में कई छात्र और नौकरीपेशा लोग इसमें फंस रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि सट्टेबाजी से केवल आर्थिक नुकसान ही नहीं होता, बल्कि यह मानसिक तनाव भी बढ़ा सकती है, जिससे युवाओं के भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

जनता से सतर्क रहने की अपील

पुलिस और सामाजिक संगठनों ने नागरिकों से अपील की है कि वे सट्टेबाजी जैसी अवैध गतिविधियों से दूर रहें और अपने परिवार के सदस्यों को भी इसके दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करें। यदि किसी को सट्टेबाजी से जुड़ी कोई जानकारी मिले, तो तुरंत पुलिस को सूचित करें।

आईपीएल के दौरान सट्टेबाजी की घटनाएं बढ़ने की संभावना है, इसलिए पुलिस और प्रशासन इस पर कड़ी निगरानी बनाए हुए हैं। जरूरी है कि सभी लोग सतर्क रहें और युवाओं को इस जोखिम से बचाने में सहयोग करें।

मंत्रालय टाइम्स के साथ बने रहें, क्योंकि आने वाले समय में उल्हासनगर के सट्टेबाजों के नाम भी प्रकाशित हो सकते हैं।

















कानून के खिलाफ जाकर शुरू हुआ उल्हासनगर SDO कार्यालय, बिना कम्प्लीशन सर्टिफिकेट कैसे मिली मंजूरी?


 उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

14 अक्टूबर 2024 को बड़े धूमधाम से उल्हासनगर के नए SDO कार्यालय का उद्घाटन किया गया था, लेकिन अब इस कार्यालय को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। सबसे बड़ी चिंता यह है कि इस इमारत को अब तक कम्प्लीशन सर्टिफिकेट (Completion Certificate) नहीं मिला है, फिर भी इसे कैसे चालू कर दिया गया?

बिना कम्प्लीशन सर्टिफिकेट के कैसे हुआ उद्घाटन?

नियमानुसार किसी भी सरकारी या निजी इमारत के उपयोग के लिए कम्प्लीशन सर्टिफिकेट (CC) होना आवश्यक होता है। यह प्रमाणपत्र तब जारी किया जाता है जब इमारत सभी निर्माण मानकों और सुरक्षा दिशानिर्देशों पर खरी उतरती है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि उल्हासनगर SDO कार्यालय को अब तक CC प्राप्त नहीं हुआ है, फिर भी यह जनता के लिए खोल दिया गया।


दिव्यांगों के लिए नहीं कोई सुविधा

सरकार की ‘सुगम्य भारत अभियान’ के तहत सभी सरकारी भवनों में दिव्यांगजनों के लिए बुनियादी सुविधाएं अनिवार्य हैं, जिसमें लिफ्ट, रैंप और अन्य सहायक साधन शामिल होते हैं। लेकिन उल्हासनगर SDO कार्यालय में न तो लिफ्ट की सुविधा है और न ही रैंप की व्यवस्था, जिससे दिव्यांगजनों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यह सरकार के ‘दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016’ का भी उल्लंघन है, जिसमें सभी सार्वजनिक स्थानों को दिव्यांगों के अनुकूल बनाए जाने का प्रावधान है।

MSEB ने बिना कम्प्लीशन सर्टिफिकेट के कैसे दिया बिजली कनेक्शन?

एक और बड़ा सवाल यह है कि जब इमारत को अब तक कम्प्लीशन सर्टिफिकेट नहीं मिला है, तो महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (MSEB) ने इस इमारत को बिजली कनेक्शन कैसे प्रदान किया? MSEB के नियमों के अनुसार किसी भी नई इमारत को बिजली कनेक्शन देने से पहले कम्प्लीशन सर्टिफिकेट अनिवार्य होता है। ऐसे में यह स्पष्ट है कि नियमों की अनदेखी कर बिजली कनेक्शन दिया गया, जो भ्रष्टाचार और अनियमितता की ओर इशारा करता है।

प्रशासन से जवाब तलब जरूरी

यह मामला अब स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों के बीच चर्चा का विषय बन चुका है। आम जनता यह जानना चाहती है कि बिना कानूनी औपचारिकताओं को पूरा किए कैसे सरकारी कार्यालय संचालित किया जा सकता है? क्या प्रशासन इन गंभीर चूकों की जिम्मेदारी लेगा और दोषियों पर कार्रवाई होगी?

क्या होगा आगे?

अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इस मुद्दे को लेकर क्या कदम उठाता है। क्या SDO कार्यालय को जल्द से जल्द कम्प्लीशन सर्टिफिकेट दिया जाएगा या फिर इस मामले की गहन जांच होगी? साथ ही, क्या दिव्यांगजनों के लिए जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी?

शहरवासियों को उम्मीद है कि संबंधित विभाग इस मुद्दे को गंभीरता से लेंगे और जल्द ही उचित कार्रवाई करेंगे।