BREAKING NEWS
national

सियासत

politics

आमदार कुमार आयलानी ने मनपा के पानी कर वृद्धि प्रस्ताव का किया कड़ा विरोध, मनपा आयुक्त को लिखा पत्र।


उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

उल्हासनगर महानगर पालिका (मनपा) की आमदनी बढ़ाने के उद्देश्य से आर्थिक वर्ष 2025-26 में पानी के बिल (कर) में वृद्धि करने का प्रस्ताव रखा गया है। इस निर्णय का कड़ा विरोध करते हुए उल्हासनगर के आमदार कुमार आयलानी ने मनपा आयुक्त मनीषा आव्हाले को पत्र लिखकर तत्काल इस प्रस्ताव को रद्द करने की मांग की है।

पानी दर वृद्धि से नागरिकों पर बढ़ेगा आर्थिक बोझ

आमदार कुमार आयलानी ने अपने पत्र में स्पष्ट किया कि शहर के नागरिक पहले से ही जल संकट की समस्या से जूझ रहे हैं। ऐसे में पानी के कर में वृद्धि करना न केवल अनुचित है, बल्कि नागरिकों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डालने जैसा होगा। उन्होंने कहा कि जब तक जल आपूर्ति व्यवस्था में सुधार, नियमितता, और उचित दाब के साथ पानी की सप्लाई सुनिश्चित नहीं होती, तब तक किसी भी प्रकार की बढ़ोतरी अनुचित होगी।

मुख्यमंत्री और मंत्रियों से पत्राचार जारी, अपने जल स्रोत के लिए प्रयासरत

आमदार ने बताया कि पानी की समस्याओं को दूर करने के लिए वे मुख्यमंत्री और संबंधित मंत्रियों के स्तर पर लगातार पत्राचार कर रहे हैं। इसके अलावा, उल्हासनगर शहर के लिए स्वतंत्र जल स्रोत विकसित करने की दिशा में भी ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि जब तक नागरिकों को पर्याप्त और सुचारू जल आपूर्ति नहीं मिलती, तब तक किसी भी प्रकार का कर बढ़ाना अन्यायपूर्ण होगा।

मनपा आयुक्त से मुलाकात, तत्काल निर्णय रद्द करने की मांग

आमदार आयलानी ने इस मुद्दे पर मनपा आयुक्त मनीषा आव्हाले से मुलाकात कर चर्चा की। उन्होंने मनपा प्रशासन से यह अनुरोध किया कि जल कर वृद्धि के इस प्रस्ताव को तुरंत रद्द किया जाए। आमदार ने नागरिकों को आश्वासन दिया है कि उनके पानी के बिल में किसी भी प्रकार की बढ़ोतरी नहीं होने दी जाएगी।

नागरिकों के हित में संघर्ष जारी रहेगा

आमदार कुमार आयलानी ने स्पष्ट किया कि उन्हें नागरिकों के अधिकारों और सुविधाओं की रक्षा करनी है, और इस लड़ाई में वे किसी भी स्तर तक जाने को तैयार हैं।

महानगर पालिका के इस फैसले को लेकर शहरवासियों में नाराजगी देखी जा रही है, और आमदार कुमार आयलानी के इस कदम का नागरिकों ने स्वागत किया है। अब देखना यह होगा कि मनपा प्रशासन इस पर क्या निर्णय लेता है।











उल्हासनगर में 26 फर्जी डॉक्टरों का भंडाफोड़, 18 पर केस दर्ज।


 


उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

उल्हासनगर महानगरपालिका के वैद्यकीय आरोग्य विभाग ने ठाणे जिलाधिकारी व जिला दंडाधिकारी कार्यालय से मिली गुप्त सूचना के आधार पर शहर में एक बड़े चिकित्सा घोटाले का पर्दाफाश किया है। जांच में पता चला कि उल्हासनगर क्षेत्र में 26 डॉक्टर बिना लाइसेंस के अवैध रूप से चिकित्सा सेवाएं दे रहे थे। ये डॉक्टर बिना किसी मान्य प्रमाण पत्र के मरीजों का इलाज कर रहे थे, जिससे जनता की जान को गंभीर खतरा था।

जैसे ही प्रशासन को इस अवैध गतिविधि की जानकारी मिली, वैद्यकीय आरोग्य अधिकारी डॉ. मोहिनी धर्मी और उनकी विशेष टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की। इस दौरान कई डॉक्टरों को बिना किसी मान्यता के चिकित्सा सेवा देते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया।

18 डॉक्टरों पर मामला दर्ज, कई क्लीनिक हुए सील

अब तक की जांच में 18 डॉक्टरों के खिलाफ मामला दर्ज किया जा चुका है, जिनमें से 8 डॉक्टर महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल से पंजीकृत नहीं थे। शेष 4 डॉक्टरों की गहन जांच जारी है, जबकि 2 डॉक्टरों के क्लीनिक प्रशासन ने सील कर दिए हैं। इसके अलावा, डोंबिवली क्षेत्र में भी ऐसे अवैध डॉक्टरों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जा रही है।

प्रशासन ने नागरिकों को किया सतर्क, फर्जी डॉक्टरों से बचने की अपील

इस मामले को लेकर प्रशासन ने नागरिकों को सचेत करते हुए अपील की है कि वे ऐसे फर्जी डॉक्टरों के झांसे में न आएं और अवैध रूप से चल रही चिकित्सा सेवाओं से बचें। यदि किसी को भी संदिग्ध डॉक्टर के बारे में जानकारी मिलती है, तो उसे तुरंत प्रशासन को सूचित करना चाहिए।

साथ ही, प्रशासन ने सभी डॉक्टरों को चेतावनी दी है कि वे आवश्यक प्रमाण पत्र और लाइसेंस के बिना चिकित्सा व्यवसाय न करें। वैधता प्रमाणित करने के बाद ही किसी को चिकित्सा क्षेत्र में कार्य करने की अनुमति दी जाएगी।

डॉ. मोहिनी धर्मी (वैद्यकीय आरोग्य अधिकारी, उल्हासनगर महानगरपालिका) ने स्पष्ट किया कि प्रशासन स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेगा और दोषी पाए जाने वाले डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रहेगी।

यह मामला न केवल स्वास्थ्य सेवाओं में हो रहे फर्जीवाड़े को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि प्रशासन नागरिकों की सुरक्षा के लिए पूरी तरह सतर्क है।












दिशा सालियान मौत मामले की जांच संभाल सकते हैं IRS अधिकारी समीर वानखेड़े..!


 मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

बॉलीवुड से जुड़ी रहस्यमयी मौतों के मामलों में एक और बड़ा मोड़ आ सकता है। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय एजेंसियां दिशा सालियान मौत मामले की दोबारा जांच करने की योजना बना रही हैं, और इस जिम्मेदारी को भारतीय राजस्व सेवा (IRS) के वरिष्ठ अधिकारी समीर वानखेड़े को सौंपा जा सकता है।

समीर वानखेड़े इससे पहले सुशांत सिंह राजपूत और ड्रग्स से जुड़े कई हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच में अपनी कड़ी कार्रवाई के लिए सुर्खियों में रहे हैं। यदि यह मामला उन्हें सौंपा जाता है, तो यह उम्मीद की जा रही है कि मामले में नए सिरे से जांच होगी और कई अनसुलझे सवालों के जवाब मिल सकते हैं।

दिशा सालियान, जो अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की पूर्व मैनेजर थीं, 8 जून 2020 को मुंबई में रहस्यमय परिस्थितियों में एक ऊंची इमारत से गिर गई थीं। उनकी मौत को लेकर कई विवाद और साजिश से जुड़े दावे सामने आए थे। इसके कुछ ही दिनों बाद, 14 जून 2020 को सुशांत सिंह राजपूत भी अपने फ्लैट में मृत पाए गए थे।

सूत्रों का कहना है कि मामले से जुड़े कई अहम पहलुओं की अब तक पूरी तरह से जांच नहीं की गई है। ऐसे में अगर समीर वानखेड़े इस केस को संभालते हैं, तो इसकी गहन समीक्षा होने की संभावना है। हालांकि, इस संबंध में आधिकारिक पुष्टि का इंतजार किया जा रहा है।

इस घटनाक्रम पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं, और अगर जांच दोबारा शुरू होती है, तो यह बॉलीवुड से जुड़े बड़े खुलासों की ओर इशारा कर सकता है।












भाजपा नेता के संरक्षण में फल-फूल रहा उल्हासनगर में अवैध प्लास्टिक पन्नियों का कारोबार, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (SP) नेता संतोष पांडेय ने की कार्रवाई की मांग..!


उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

उल्हासनगर में अवैध प्लास्टिक पन्नियों के व्यापार को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। आरोप है कि इस गैरकानूनी धंधे को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक स्थानीय नेता का संरक्षण प्राप्त है, जिससे यह कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है। इस अवैध गतिविधि से न केवल पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है।

राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (एसपी) के नेता संतोष पांडेय ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाते हुए उल्हासनगर महानगर पालिका से तुरंत सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि प्रशासन ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो जनहित में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।

प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

शहर में मानकों की अनदेखी कर अवैध रूप से प्लास्टिक पन्नियों की बिक्री की जा रही है, लेकिन अब तक प्रशासन ने इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है, जिससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

संतोष पांडेय ने प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए कहा, "यह एक संगठित रैकेट है, जिसमें बड़े राजनीतिक प्रभाव की झलक दिख रही है। प्रशासन को इस पर तुरंत संज्ञान लेना चाहिए, अन्यथा जनता को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।"

अब देखना यह होगा कि उल्हासनगर महानगर पालिका इस मामले में क्या कदम उठाती है या फिर राजनीतिक दबाव के कारण यह अवैध व्यापार यूं ही जारी रहेगा।











चेती चांद महोत्सव 2025: भव्य आयोजन में शामिल हों और उल्लास मनाएं!


 


मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

सिंधी समाज के सबसे बड़े त्योहारों में से एक, चेती चांद महोत्सव, इस वर्ष भी हर्षोल्लास और भव्यता के साथ मनाया जाएगा। इस शुभ अवसर पर सभी श्रद्धालु और समुदाय के सदस्य एक साथ आकर भगवान झूलेलाल का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे और भक्ति, सांस्कृतिक कार्यक्रमों व आनंदमय वातावरण का हिस्सा बनेंगे।

कार्यक्रम का विवरण:

📅 तारीख: 30 मार्च 2025

⏰ समय: शाम 4 बजे से रात 10 बजे तक

📍 स्थान: ओलंपिया लॉन, ओलंपिया बिल्डिंग, हिरानंदानी गार्डन, पवई

कार्यक्रम में भक्ति संगीत, सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ, पारंपरिक झूलेलाल सत्संग का आयोजन किया जाएगा। समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व और श्रद्धालु इस आयोजन में भाग लेंगे।

सभी श्रद्धालुजनों से अनुरोध है कि वे इस भव्य महोत्सव में शामिल होकर भगवान झूलेलाल की कृपा प्राप्त करें और इस पावन अवसर को यादगार बनाएं।

|| जय झूलेलाल ||























महाराष्ट्र पुलिस भर्ती में देरी: भीषण गर्मी और मानसून बना बाधा, अब 15 सितंबर 2025 से होगी प्रक्रिया शुरू


मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

महाराष्ट्र में 10,000 पुलिस कर्मियों की भर्ती प्रक्रिया अपने निर्धारित समय पर शुरू नहीं हो पाएगी। गृह विभाग ने 2024 से दिसंबर 2025 के बीच खाली पड़े पदों को भरने की अनुमति दी थी, लेकिन वर्तमान में पड़ रही भीषण गर्मी और आगामी मानसून के कारण इस प्रक्रिया में देरी की संभावना जताई जा रही है।

राज्य के अपर पुलिस महानिदेशक कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, भर्ती प्रक्रिया की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थीं, और इसे जून 2025 से शुरू करने की योजना थी। हालांकि, भीषण गर्मी और जून में आने वाले मानसून को देखते हुए भर्ती परीक्षा और शारीरिक दक्षता परीक्षण आयोजित कर पाना प्रशासन के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। ऐसे में, अब भर्ती प्रक्रिया के 15 सितंबर 2025 से शुरू होने की संभावना जताई जा रही है।

सरकार कर रही हालात की समीक्षा, जल्द जारी होगा नया शेड्यूल

राज्य सरकार और पुलिस विभाग लगातार स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं। संबंधित अधिकारियों का कहना है कि अभ्यर्थियों की सुरक्षा और निष्पक्ष भर्ती प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए यह निर्णय लिया गया है। जल्द ही उम्मीदवारों को नई तारीखों की आधिकारिक जानकारी दी जाएगी।

इस भर्ती प्रक्रिया में देरी से हजारों अभ्यर्थियों की चिंता बढ़ गई है, लेकिन प्रशासन का कहना है कि गर्मी और बारिश के बीच उम्मीदवारों की शारीरिक परीक्षा कराना मुश्किल होगा, इसलिए नई तारीखों के साथ परीक्षा आयोजित करना ही बेहतर विकल्प होगा। अब सभी की निगाहें सरकार द्वारा जारी किए जाने वाले नए शेड्यूल पर टिकी हैं।












उल्हासनगर तहसीलदार कार्यालय अवैध? प्रशासन को देना होगा जवाब!


उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

उल्हासनगर तहसीलदार कार्यालय बिना कंप्लीशन सर्टिफिकेट (पूर्णता प्रमाण पत्र) के ही शुरू कर दिया गया है। यह एक बड़ा प्रशासनिक सवाल खड़ा करता है कि जब इस कार्यालय के पास आवश्यक इमारत प्रमाणपत्र ही नहीं है, तो इसे कैसे शुरू किया गया?

सूत्रों के अनुसार, किसी भी सरकारी या निजी इमारत को उपयोग में लाने के लिए कंप्लीशन सर्टिफिकेट आवश्यक होता है। यह सर्टिफिकेट प्रमाणित करता है कि इमारत सभी नियमों और सुरक्षा मानकों का पालन करती है। लेकिन उल्हासनगर तहसीलदार कार्यालय के मामले में इस नियम को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है।

दिव्यांगों के लिए नहीं है कोई सुविधा

सरकारी नियमों के अनुसार, किसी भी सार्वजनिक कार्यालय में दिव्यांगों के लिए लिफ्ट या रैंप जैसी सुविधाएं अनिवार्य होती हैं। लेकिन उल्हासनगर तहसीलदार कार्यालय में न तो लिफ्ट की सुविधा है और न ही व्हीलचेयर रैंप की कोई व्यवस्था। इससे दिव्यांग नागरिकों और वरिष्ठ नागरिकों को कार्यालय में आने-जाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

MSEB ने कैसे दे दिया बिजली कनेक्शन?

बिना कंप्लीशन सर्टिफिकेट के बिजली कनेक्शन देना महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी (MSEB) के नियमों के खिलाफ है। महाराष्ट्र इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (MERC) के अनुसार, किसी भी नई इमारत को तब तक बिजली कनेक्शन नहीं दिया जा सकता जब तक उसके पास वैध कंप्लीशन सर्टिफिकेट न हो।

इससे भी बड़ी बात यह है कि पुराने बिजली कनेक्शन को नई जगह शिफ्ट करना भी नियमों के खिलाफ है। ऐसे में सवाल उठता है कि MSEB ने तहसीलदार कार्यालय को बिजली कनेक्शन किस आधार पर दिया?

प्रशासन की चुप्पी, जनता की परेशानी

स्थानीय प्रशासन और MSEB अधिकारियों से इस मामले में जवाब मांगा गया है, लेकिन अब तक कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है। नागरिकों का कहना है कि जब आम जनता को बिजली कनेक्शन के लिए तमाम नियमों का पालन करना पड़ता है, तो सरकारी कार्यालयों पर यह नियम क्यों लागू नहीं होते?

सरकार को इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान देने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसे मामलों को रोका जा सके और नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं मिल सकें।