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संवेदनशील मुख्यमंत्री की ईदी: कैंसर से जूझ रहे युवक को 30 लाख की मदद।


मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

अमरावती के 23 वर्षीय नावेद अब्दुल नईम के लिए इस साल की ईद नई उम्मीद लेकर आई है। पिछले कुछ वर्षों से वह ब्लड कैंसर (तीव्र लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया) से संघर्ष कर रहा है। लेकिन मुख्यमंत्री मा. श्री देवेंद्र फडणवीस की संवेदनशीलता और मुख्यमंत्री सहायता निधि व धर्मार्थ अस्पताल सहायता कक्ष के प्रमुख श्री रामेश्वर नाईक की तत्परता के चलते नावेद का इलाज मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में शुरू हो चुका है। उनकी तबीयत में धीरे-धीरे सुधार देखा जा रहा है।

परिवार के लिए बड़ा संकट – इलाज का खर्च सुनकर सन्न हुए पिता

कैंसर के कारण नावेद का वजन करीब 12 किलो घट चुका था। उनके शरीर में खून की भारी कमी, नाक और मुंह से रक्तस्राव, चक्कर आना जैसी गंभीर समस्याएं देखी जा रही थीं। वर्ष 2023 में पहली बार कैंसर का पता चलने के बाद दोबारा यह बीमारी सामने आने से परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। नावेद के पिता अमरावती में एक कपड़े की दुकान में कार्यरत हैं और तीन बेटियों की पढ़ाई व परिवार की जिम्मेदारी भी उन्हीं पर है। ऐसे में 30 से 35 लाख रुपये का इलाज करवाना उनके लिए असंभव था। जब उन्होंने यह भारी-भरकम खर्च सुना, तो जैसे पैरों तले जमीन खिसक गई।

इस कठिन परिस्थिति में उन्होंने अमरावती के विधायक संजय खोड़के और सुलभा खोड़के से संपर्क किया, जिन्होंने उनकी स्थिति को समझते हुए मुख्यमंत्री सहायता निधि से आर्थिक मदद दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

संवेदनशील मुख्यमंत्री ने बढ़ाया मदद का हाथ

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की संवेदनशीलता के चलते नावेद को तुरंत आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई गई। श्री रामेश्वर नाईक के सहयोग से मुख्यमंत्री सहायता निधि से 2 लाख रुपये, टाटा ट्रस्ट से 15 लाख रुपये तथा शेष राशि धर्मार्थ अस्पताल सहायता से कोकिलाबेन अस्पताल और सिद्धिविनायक ट्रस्ट के जरिए उपलब्ध करवाई गई। इस सहयोग के चलते नावेद के इलाज का मार्ग प्रशस्त हुआ और मुंबई में उनके अत्याधुनिक उपचार की प्रक्रिया शुरू की गई।

इलाज में प्रगति – स्टेम सेल ट्रांसप्लांट की तैयारी

फिलहाल, नावेद पर मिनी हाईपर CVAD कीमोथेरेपी और अन्य दवाओं का इलाज जारी है। उनकी 21 वर्षीय बहन की HLA संगतता परीक्षण में पुष्टि हो चुकी है, जिससे वह स्टेम सेल दाता बनने के लिए योग्य पाई गई हैं। 4 अप्रैल को उनके स्टेम सेल्स नावेद के शरीर में प्रत्यारोपित किए जाएंगे। डॉक्टरों के अनुसार, इस बोन मैरो ट्रांसप्लांट (BMT) से नावेद के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार आने की उम्मीद है। फिलहाल इलाज सकारात्मक रूप से आगे बढ़ रहा है, जिससे परिवार में राहत और आशा का माहौल है।

परिवार की कृतज्ञता – मुख्यमंत्री को बताया 'रियल हीरो'

नावेद के परिवार ने मुख्यमंत्री मा. श्री देवेंद्र फडणवीस, कक्ष प्रमुख श्री रामेश्वर नाईक और उनकी पूरी टीम का आभार व्यक्त किया। नावेद की मां और बहनों ने भावुक होकर कहा, "नावेद हमारे लिए सिर्फ एक बेटा या भाई नहीं, बल्कि हमारी जिंदगी का सहारा है। कैंसर ने उसे कमजोर बना दिया था, लेकिन अब उसे मिली मदद से वह फिर से जिंदगी की जंग लड़ सकता है। हमारे लिए यह सबसे बड़ी ईद की सौगात है।"

नावेद के शब्द – 'मुख्यमंत्री ने हमें सच्ची ईदी दी'

मुख्यमंत्री सहायता निधि से मिली आर्थिक मदद और विभिन्न ट्रस्टों के सहयोग से हो रहा इलाज मेरे और मेरे परिवार के लिए अमूल्य है। मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस ने मदद का हाथ आगे नहीं बढ़ाया होता, तो शायद मेरा इलाज ही संभव नहीं हो पाता। इसकी कल्पना भी करना मुश्किल है! आज मेरे इलाज की राह खुली है, यही मेरे और मेरे परिवार के लिए 'सच्ची ईदी' है।" – नावेद अब्दुल नईम।











मुंबई पुलिस को बड़ा झटका: डीसीपी सुधाकर पठारे की सड़क दुर्घटना में मौत।



हैदराबाद: दिनेश मीरचंदानी 

मुंबई पुलिस के वरिष्ठ और प्रतिष्ठित अधिकारी, डीसीपी (डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस) डॉ. सुधाकर पठारे की शनिवार को एक भीषण सड़क दुर्घटना में दुखद मृत्यु हो गई। यह हादसा इतना भयावह था कि उन्होंने मौके पर ही दम तोड़ दिया। उनकी असामयिक मृत्यु की खबर से मुंबई पुलिस विभाग सहित पूरे प्रशासनिक तंत्र में शोक की लहर दौड़ गई है।

डॉ. सुधाकर पठारे अपने कार्यों और अनुकरणीय सेवाओं के लिए जाने जाते थे। वे एक अनुशासित, कर्तव्यनिष्ठ और सम्मानित अधिकारी थे, जिन्होंने अपने वर्षों के प्रशासनिक अनुभव से पुलिस विभाग को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया

दुर्घटना का विवरण

जानकारी के अनुसार, डॉ. सुधाकर पठारे आधिकारिक प्रशिक्षण के लिए हैदराबाद में थे। इसी दौरान, जब वे एक रिश्तेदार के साथ मंदिर दर्शन के लिए जा रहे थे, तो उनकी कार एक भीषण हादसे का शिकार हो गई। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि वाहन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया और मौके पर ही डॉ. पठारे एवं उनके रिश्तेदार की मृत्यु हो गई।

पुलिस विभाग में शोक की लहर

मुंबई पुलिस विभाग ने डॉ. सुधाकर पठारे के आकस्मिक निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। वे एक प्रेरणादायक नेता और पुलिस बल के मजबूत स्तंभ थे। उनके सहकर्मियों और अधीनस्थों ने उन्हें एक ईमानदार, साहसी और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी के रूप में याद किया, जिन्होंने कानून व्यवस्था बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इस दुर्घटना की खबर मिलते ही पूरे पुलिस प्रशासन में गहरा दुःख छा गया है। अधिकारी और कर्मी उनके असमय निधन पर शोक व्यक्त कर रहे हैं। उनकी अंतिम यात्रा में कई वरिष्ठ अधिकारी, पुलिस कर्मी और प्रशासनिक अधिकारी शामिल होंगे।

डॉ. सुधाकर पठारे का जाना पुलिस विभाग के लिए अपूरणीय क्षति है। उनकी कर्तव्यपरायणता और नेतृत्व क्षमता हमेशा याद रखी जाएगी।












मुंबई के पवई में सिंधी एसोसिएशन द्वारा भव्य चेती चंद महोत्सव का आयोजन।




मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

सिंधी समुदाय के सबसे बड़े उत्सवों में से एक चेती चंद महोत्सव का भव्य आयोजन पवई सिंधी एसोसिएशन पवई और HHH GROUP (NGO)- हेल्पिंग हैंड्स फॉर ह्यूमैनिटी ,ओर आमची मुंबई ❤️ हलचल ग्रुप द्वारा किया जा रहा है। यह उत्सव सिंधी नव वर्ष के स्वागत के रूप में मनाया जाता है और समुदाय को एकजुट करने के उद्देश्य से आयोजित किया जाता है।

आयोजन का विवरण:

📅 तारीख: रविवार, 30 मार्च
⏰ समय: शाम 5:30 बजे से
📍 स्थान: ओलंपिया लॉन, ओलंपिया बिल्डिंग, गैलेरिया मॉल के सामने, हिरानंदानी गार्डन्स, पवई।

भव्य सांस्कृतिक आयोजन और परंपराओं का संगम

चेती चंद महोत्सव में संगीत, नृत्य, पारंपरिक सिंधी व्यंजन, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और रंगीन परंपराओं का अनूठा संगम देखने को मिलेगा। यह कार्यक्रम न केवल सिंधी समुदाय के लिए बल्कि सभी सांस्कृतिक प्रेमियों के लिए एक शानदार अनुभव होगा।

सामुदायिक एकता और उत्सव का संदेश

यह महोत्सव एक सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है, जो समुदाय को एक साथ लाने और परंपराओं को संजोने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है। आयोजकों ने सभी को इस रंगारंग उत्सव में शामिल होकर यादगार पल संजोने के लिए आमंत्रित किया है।

सिंधी नव वर्ष का स्वागत करने के लिए, इस भव्य आयोजन में जरूर शामिल हों!





















मुख्यमंत्री सहायता निधि की तत्परता से सड़क हादसे में घायल छात्र को नई जिंदगी।


 

अहिल्यानगर: दिनेश मीरचंदानी 

मुख्यमंत्री सहायता निधि की तत्परता और संवेदनशीलता ने एक गंभीर रूप से घायल छात्र को नई जिंदगी दी। अहिल्यानगर निवासी 16 वर्षीय सतीश मारुति होडगर, जो कक्षा 10वीं का एक मेधावी छात्र है, एक दुर्भाग्यपूर्ण सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल हो गया। दुर्घटना में उसके दाहिने हाथ को गंभीर चोट आई, और डॉक्टरों ने तत्काल शल्य चिकित्सा को ही एकमात्र उपाय बताया।

परंतु आर्थिक तंगी से जूझ रहे सतीश के परिवार के लिए यह ऑपरेशन कराना संभव नहीं था। ऐसे कठिन समय में मुख्यमंत्री सहायता निधि कक्ष ने तत्परता दिखाते हुए मात्र 24 घंटे के भीतर एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता मंजूर की। यह राशि सीधे अस्पताल के खाते में स्थानांतरित कर दी गई, जिससे सतीश की शल्य चिकित्सा समय पर संपन्न हो सकी।

परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर

सतीश के पिता, मारुति होडगर, वर्षों पहले हुए एक हादसे में अपना एक आंख गंवा चुके हैं। दिव्यांग होने के कारण वे कोई स्थायी नौकरी नहीं कर सके और वर्तमान में एक छोटे से रसवंतीगृह में दैनिक मजदूरी पर काम करते हैं, जहां उन्हें प्रतिदिन केवल 400 रुपये मिलते हैं। सतीश की माँ भी घर चलाने के लिए मेहनत-मजदूरी और घरेलू काम करती हैं, जिससे उन्हें मात्र 300 रुपये प्रतिदिन की आमदनी होती है। सतीश की एक 20 वर्षीय बड़ी बहन और 12 वर्षीय छोटा भाई भी हैं। ऐसे में, परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटाना ही एक बड़ी चुनौती थी, और इस स्थिति में महंगा इलाज कराना लगभग असंभव था।

मुख्यमंत्री सहायता निधि ने दिया तत्काल सहयोग

सतीश के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद स्थानीय डॉक्टरों की मदद से मुख्यमंत्री सहायता निधि कक्ष से संपर्क किया गया। परिवार की स्थिति और जरूरत को देखते हुए, सहायता निधि कक्ष ने त्वरित निर्णय लेते हुए केवल 24 घंटे के भीतर एक लाख रुपये की वित्तीय सहायता स्वीकृत की। यह राशि सीधे अस्पताल के खाते में भेजी गई, जिससे बिना किसी देरी के सतीश की सर्जरी हो सकी।

परिवार ने जताया कृतज्ञता भाव

सतीश के माता-पिता अपनी भावनाओं को रोक नहीं सके और मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस तथा सहायता निधि कक्ष के प्रमुख श्री रामेश्वर नाइक का दिल से आभार प्रकट किया।

सतीश के पिता मारुति होडगर ने कहा, "हमारे परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना भी कठिन है। ऐसे में हमारे बेटे के इलाज के लिए इतनी बड़ी रकम मिलना किसी चमत्कार से कम नहीं है। अगर यह सहायता समय पर न मिलती, तो हमारे बेटे का हाथ हमेशा के लिए बेकार हो सकता था। हम माननीय मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस और सहायता निधि कक्ष के अधिकारियों के आभारी हैं, जिन्होंने इतनी तत्परता से मदद की।"

संवेदनशील प्रशासन का बेहतरीन उदाहरण

मुख्यमंत्री सहायता निधि कक्ष समय-समय पर गरीब और जरूरतमंद नागरिकों की मदद के लिए तत्पर रहा है। खासकर, जब किसी गरीब परिवार को तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता होती है, तब यह कक्ष त्वरित कार्यवाही करता है। सतीश के मामले में भी यह संवेदनशीलता देखने को मिली, जब मात्र 24 घंटे में न केवल सहायता राशि स्वीकृत की गई, बल्कि उसे सीधे अस्पताल के खाते में भेज भी दिया गया।

सहायता निधि कक्ष के प्रमुख श्री रामेश्वर नाईक ने कहा, "हमारी प्राथमिकता जरूरतमंदों को त्वरित सहायता प्रदान करना है। मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में यह कक्ष भविष्य में भी गरीब और असहाय मरीजों के लिए इसी तत्परता से काम करता रहेगा।"

इस घटना ने एक बार फिर यह साबित किया है कि जब प्रशासन संवेदनशीलता और तत्परता के साथ कार्य करता है, तो जरूरतमंदों को समय पर राहत मिलती है और कई परिवारों की खुशियां बनी रहती हैं।












सोशल मीडिया यूजर्स के लिए राहत: सुप्रीम कोर्ट ने धारा 66(A) को किया खत्म।


नई दिल्ली: दिनेश मीरचंदानी 

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक निर्णय में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की विवादास्पद धारा 66(A) को असंवैधानिक करार देते हुए इसे पूरी तरह खत्म कर दिया है। इस फैसले के बाद अब सोशल मीडिया पर पोस्ट करने वाले नागरिकों के खिलाफ इस धारा के तहत कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकेगी।

क्या है धारा 66(A)?

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66(A) के तहत पुलिस को यह अधिकार था कि वह किसी भी व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर सकती थी, अगर उसकी सोशल मीडिया पोस्ट को आपत्तिजनक, गलत या भड़काऊ माना जाता। कई बार इस धारा का दुरुपयोग किया गया और आम नागरिकों, पत्रकारों तथा कार्यकर्ताओं को इसका शिकार बनना पड़ा।

सर्वोच्च न्यायालय ने क्यों बताया असंवैधानिक?

सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल विवेक सजन ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि यह धारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करती है और पुलिस को मनमाने तरीके से कार्रवाई करने की शक्ति देती है। न्यायालय ने इस तर्क से सहमति जताते हुए माना कि यह प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 19(1)(A) के तहत प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ है।

अब क्या होगा?

इस फैसले के बाद फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पोस्ट करने वाले नागरिक निडर होकर अपनी राय रख सकेंगे। पुलिस अब इस धारा का इस्तेमाल किसी के खिलाफ नहीं कर सकेगी।

2015 में भी हुई थी आलोचना

गौरतलब है कि 2015 में भी सर्वोच्च न्यायालय ने इस धारा को असंवैधानिक घोषित किया था, लेकिन इसके बावजूद कुछ मामलों में पुलिस ने इसका उपयोग किया। अब एक बार फिर सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है कि यह धारा पूरी तरह खत्म हो चुकी है और किसी भी स्थिति में इसे लागू नहीं किया जा सकता।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को मिला नया आयाम

सर्वोच्च न्यायालय के इस ऐतिहासिक फैसले को लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों की जीत के रूप में देखा जा रहा है। यह निर्णय खासतौर पर उन पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों के लिए राहत भरा है, जिन्हें पहले अपनी अभिव्यक्ति के कारण कानूनी कार्यवाही का सामना करना पड़ता था।

निष्कर्ष

यह निर्णय न केवल सोशल मीडिया यूजर्स के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। अब नागरिक खुलकर अपनी राय व्यक्त कर सकते हैं, बिना इस डर के कि उनके खिलाफ कोई अनुचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।












बॉम्बे हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: नवी मुंबई में 10,000 अवैध निर्माणों पर चलेगा बुलडोजर, 4 महीने में कार्रवाई के आदेश।


नवी मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

नवी मुंबई में अवैध निर्माणों के खिलाफ बड़ा कदम उठाते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने महानगर पालिका को चार महीनों के भीतर 10,000 अवैध इमारतों पर कार्रवाई करने का सख्त आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि अनधिकृत निर्माणों से शहरी विकास प्रभावित हो रहा है और इससे कानून-व्यवस्था की समस्याएं भी उत्पन्न हो रही हैं।

हाईकोर्ट ने महानगर पालिका को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि तय समय-सीमा में सभी अवैध इमारतों को हटाया जाए और इस पर विस्तृत रिपोर्ट अदालत को सौंपी जाए। यह फैसला शहर में तेजी से बढ़ रहे अनियंत्रित निर्माण कार्यों को रोकने और शहरी ढांचे को व्यवस्थित करने के उद्देश्य से लिया गया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से अवैध निर्माणों पर लगाम लगेगी और शहर की योजना बद्ध विकास की राह खुलेगी। प्रशासन ने भी कोर्ट के आदेश को गंभीरता से लेते हुए जल्द ही कार्रवाई शुरू करने की बात कही है।












समाज सेवा की नई पहल: समीर वानखेडे विचार मंच के पहले आधिकारिक कार्यालय का भव्य शुभारंभ।


 

मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

समाज सुधार और निष्पक्ष न्याय की दिशा में एक नई पहल के रूप में "समीर वानखेडे विचार मंच" अपने पहले आधिकारिक कार्यालय का उद्घाटन कर रहा है। यह ऐतिहासिक क्षण रविवार, 30 मार्च 2025, सुबह 09:00 बजे संपन्न होगा।

इस महत्वपूर्ण अवसर पर मा. श्री. समीर वानखेडे मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। उनके साथ गृहगृहिणी मा. सौ. क्रांती रेडकर वानखेडे भी इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगी। यह आयोजन ऐंड मिलिंग कैफे, कार्यालय क्रमांक 13, लोटस क्राउन, जवाहर नगर, एस वी रोड, गौरव परिसर, मुंबई - 400104 में आयोजित किया जाएगा।

विचार मंच का उद्देश्य:

समीर वानखेडे विचार मंच केवल एक कार्यालय तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह विचारों, नीतियों और समाज के हित में बदलाव की नई लहर का सूत्रधार बनेगा। यह मंच समाज के हितों की रक्षा, न्याय व्यवस्था में पारदर्शिता और सामाजिक विकास की दिशा में सक्रिय रहेगा।

समाज के लिए एक महत्वपूर्ण पहल

समाजहित में कार्य करने वाले व्यक्तियों और संस्थानों के लिए यह विचार मंच एक नया मंच प्रदान करेगा, जहां समसामयिक मुद्दों पर मंथन और निर्णय लिए जाएंगे। मंच का उद्देश्य समाज में जागरूकता फैलाना और न्याय की राह में बाधाओं को दूर करना है।

समाज की ताकत – आपकी उपस्थिति

इस शुभ अवसर पर हम समाज के सभी प्रबुद्ध नागरिकों, विचारकों और हितधारकों से निवेदन करते हैं कि वे अपनी उपस्थिति से इस आयोजन को सफल बनाएं। "आपकी उपस्थिति ही हमारी ताकत है!"

निमंत्रक:

मा. श्री. समीर वानखेडे विचार मंच, महाराष्ट्र राज्य