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ठाणे(नेवाली): दिनेश मीरचंदानी

ठाणे जिले के नेवाली क्षेत्र से एक 19 वर्षीय युवक, धनंजय मिश्रा, पिछले छे दिनों से लापता है। स्थानीय डवल पाडा पाइपलाइन रोड निवासी यह युवक 16 अप्रैल 2025, बुधवार को दोपहर 12:30 बजे के करीब अपने घर से निकला था और तब से वापस नहीं लौटा। परिवार और स्थानीय लोगों में गहरी चिंता है, जबकि पुलिस की निष्क्रियता से आक्रोश भी फैल रहा है।

धनंजय ने लापता होने से पहले पीले रंग की टी-शर्ट और काले रंग की हाफ पैंट पहन रखी थी। परिवार का कहना है कि वह बिना किसी जानकारी के अचानक घर से निकला और अब तक उसका कोई अता-पता नहीं है।

पुलिस पर गंभीर आरोप

परिजनों ने हिल लाइन पुलिस स्टेशन में गुमशुदगी की रिपोर्ट तुरंत दर्ज कराई थी, लेकिन उनका आरोप है कि पुलिस मामले को गंभीरता से नहीं ले रही। ना तो इलाके में खोजबीन की गई और ना ही सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए हैं।

मनीष मिश्रा, जो धनंजय का पिता हैं, ने कहा – "हमें खुद इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। पुलिस सिर्फ फॉर्मेलिटी पूरी कर रही है। अगर ये किसी वीआईपी का बच्चा होता, तो अब तक पूरा शहर छान मारा गया होता।"

स्थानीयों में रोष, सोशल मीडिया पर चल रहा है #JusticeForDhananjay

स्थानीय समाजसेवियों और युवाओं ने सोशल मीडिया पर #JusticeForDhananjay अभियान शुरू कर दिया है। लोग प्रशासन से अपील कर रहे हैं कि मामले को प्राथमिकता दी जाए और धनंजय को जल्द से जल्द ढूंढ निकाला जाए।

अपील: क्या आपने इस युवक को कहीं देखा है?

यदि किसी को भी धनंजय मिश्रा जैसा युवक कहीं दिखाई देता है, तो तुरंत नीचे दिए गए नंबरों पर संपर्क करें:

हिल लाइन पुलिस स्टेशन: 0251-2520102

पिता (मनीष मिश्रा): 84848 38497











हरेश भाटिया को भाजपा 3(बी) उल्हासनगर मंडल की कमान, संगठन में नई ऊर्जा का संचार।


उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने संगठनात्मक मजबूती की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए हरेश भाटिया को भाजपा 3(बी) उल्हासनगर मंडल का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है। यह नियुक्ति न केवल पार्टी की आंतरिक संरचना को सशक्त बनाने की दिशा में निर्णायक मानी जा रही है, बल्कि आगामी स्थानीय चुनावों की रणनीति का भी अहम हिस्सा मानी जा रही है।

भाजपा की इस घोषणा के साथ ही कार्यकर्ताओं और स्थानीय नागरिकों में उत्साह की लहर दौड़ गई है। हरेश भाटिया एक अनुभवी, जनप्रिय और सामाजिक सरोकारों से जुड़े नेता के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने वर्षों तक संगठन में विभिन्न जिम्मेदारियों का सफलतापूर्वक निर्वहन किया है और जनता के बीच उनकी छवि एक ईमानदार, समर्पित और जमीनी नेता की बनी हुई है।

भाजपा नेतृत्व ने जताया विश्वास:

पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने इस नियुक्ति को संगठन के लिए ‘नई ऊर्जा का संचार’ बताते हुए कहा कि भाटिया का नेतृत्व मंडल को एक नई दिशा प्रदान करेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि उनके अनुभव और संगठनात्मक क्षमता से न केवल पार्टी कार्यकर्ता सशक्त होंगे, बल्कि क्षेत्रीय स्तर पर भाजपा की पकड़ और मजबूत होगी।

भाटिया का संकल्प:

नव-नियुक्त मंडल अध्यक्ष हरेश भाटिया ने अपनी नियुक्ति पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा,

“मैं भाजपा नेतृत्व का हृदय से आभार प्रकट करता हूं जिन्होंने मुझ पर विश्वास जताया। यह जिम्मेदारी मेरे लिए केवल एक पद नहीं, बल्कि एक सेवा का अवसर है। मेरी प्राथमिकता रहेगी संगठन को मजबूत करना, जनसेवा को प्राथमिकता देना और क्षेत्र के विकास को गति देना।”

उन्होंने यह भी संकेत दिया कि पार्टी की विचारधारा को आम जनता तक पहुंचाने के लिए आने वाले दिनों में व्यापक जनसंपर्क अभियान चलाया जाएगा।

स्थानीय कार्यकर्ताओं में उत्साह:

भाटिया की नियुक्ति से मंडल में उत्साह और नई ऊर्जा का संचार देखने को मिल रहा है। स्थानीय कार्यकर्ताओं का कहना है कि उनकी अगुवाई में संगठन को नई दिशा मिलेगी और युवाओं को भी प्रेरणा प्राप्त होगी। भाजपा के नगर और जिला स्तर के नेताओं ने भी उन्हें बधाई देते हुए कहा कि यह निर्णय पार्टी के हित में दूरदर्शिता से लिया गया कदम है।

राजनीतिक दृष्टिकोण से अहम कदम:

यह नियुक्ति उस समय की गई है जब महानगर पालिका चुनावों की तैयारी जोरों पर है। ऐसे समय में संगठन को एक अनुभवी, लोकप्रिय और मजबूत नेतृत्व देने का निर्णय भाजपा की रणनीतिक सोच को दर्शाता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाटिया जैसे नेताओं की सक्रियता पार्टी को आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण बढ़त दिला सकती है।

निष्कर्ष:

हरेश भाटिया की मंडल अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति केवल एक संगठनात्मक बदलाव नहीं, बल्कि भाजपा के भविष्य की दिशा तय करने वाला कदम है। उनके नेतृत्व में भाजपा 3(बी) उल्हासनगर मंडल न केवल मजबूत होगा, बल्कि क्षेत्र की राजनीति में भी एक नया प्रभाव उत्पन्न करेगा।












मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता निधि में 4.69 लाख की धोखाधड़ी, उल्हासनगर के तीन डॉक्टरों पर केस दर्ज, मई-जुलाई 2023 में 13 में से 6 मरीजों की सहायता निधि में गड़बड़ी उजागर।


मुंबई/उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 


उल्हासनगर में तीन डॉक्टरों ने फर्जी कागजात तैयार कर लगभग 4 लाख 69 हजार रुपये की निधि हड़प ली। इस मामले में मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता निधि विभाग के प्रभारी सहायक संचालक देवानंद धनाडे की शिकायत पर खड़कपाड़ा पुलिस स्टेशन में 19 अप्रैल 2025 को मामला दर्ज किया गया है।

इस धोखाधड़ी के मामले में डॉ. अनुदुर्ग ढोणे (कल्याण, ठाणे), डॉ. ईश्वर पवार (धुले) और डॉ. प्रदीप पाटिल (गौरीपाड़ा, ठाणे) सहित 26 आरोपियों को नामजद किया गया है।

मई 2023 से 10 जुलाई 2023 के बीच 13 मरीजों ने आवेदन जमा किए थे। इनमें से 6 मामलों में 4 लाख 69 हजार रुपये की वित्तीय सहायता धोखाधड़ी से प्राप्त की गई। जांच में पता चला कि आवेदनों में फर्जी नाम, चिकित्सा दस्तावेज, उपयोगिता प्रमाण पत्र बनाए गए थे।

11 जुलाई 2023 को, मरीज अरविंद सोलंकी ने मस्तिष्क सर्जरी के लिए 1 लाख 60 हजार रुपये और भगवान भदाने ने मस्तिष्क सर्जरी के लिए 3 लाख 10 हजार रुपये के दो मामलों में संदेह व्यक्त किया था।

मुख्य बिंदु:

मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता निधि में धोखाधड़ी का मामला सामने आया है।

उल्हासनगर के तीन डॉक्टरों सहित 26 लोगों पर फर्जी कागजात तैयार कर निधि हड़पने का आरोप है।

मई से जुलाई 2023 के बीच 13 मरीजों के आवेदनों में से 6 मामलों में धोखाधड़ी हुई।

जांच में फर्जी नाम, चिकित्सा दस्तावेज और उपयोगिता प्रमाण पत्र का खुलासा हुआ है।

दो मरीजों ने अपने आवेदनों में संदेह व्यक्त किया था।

रमेश्वर नाईक, मुख्यमंत्री सहायता निधि

गरीब और जरूरतमंद मरीजों के हक के पैसे हड़पने वाले, धोखाधड़ी करने वालों को सरकार किसी भी तरह की छूट नहीं देगी। इस मामले में कठोर कार्रवाई की जाएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे।

कागजात, रसीदें पेश नहीं की

छाननी के दौरान जब अस्पताल के टेलीफोन नंबर पर संपर्क किया गया, तो अरविंद सोळखी के सरस्वती हॉस्पिटल, नालासोपारा और भगवान भादाणे के गणपति हॉस्पिटल, अंबिवली में भर्ती होने की जानकारी मिली, जो दस्तावेजों में दी गई जानकारी से अलग थी।

इसके बाद तत्कालीन प्रभारी अधिकारी शिरीष पालव ने 11 जुलाई 2023 को टीम के साथ गणपति हॉस्पिटल का दौरा किया, परंतु डॉ. ढोणे ने कोई भी कागजात या रसीदें पेश नहीं कीं। आरोपियों ने बताया कि ईश्वर पवार और प्रदीप पाटिल ने उन्हें अस्पताल को पैनल में शामिल कराने में मदद की।



















उल्हासनगर बिल्डर्स एंड डेवेलपर्स एसोसिएशन की नई कमेटी का ऐलान — सभी पदों पर निर्विरोध चयन, शांति व एकता की मिसाल बनी बैठक।


उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

उल्हासनगर में बिल्डर्स और डेवेलपर्स के सबसे बड़े संगठन उल्हासनगर बिल्डर्स एंड डेवेलपर्स एसोसिएशन की वार्षिक आमसभा एक ऐतिहासिक अवसर साबित हुई, जहाँ सभी प्रमुख पदों पर निर्विरोध चयन हुआ और पूरी प्रक्रिया शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण ढंग से संपन्न हुई।

इस आमसभा में संगठन की एकजुटता और आपसी समझ की शानदार मिसाल देखने को मिली, जहां किसी भी पद के लिए कोई विरोध नहीं हुआ, और सभी पदाधिकारी सर्वसम्मति से चुने गए।

निर्विरोध चुने गए प्रमुख पदाधिकारी:

चेयरमैन: श्री भारत गंगोत्री

सेक्रेटरी: श्री अमर जगियासी

कोषाध्यक्ष: श्री भगवान माखिजा

तीनों प्रमुख पदों पर निर्विरोध निर्वाचन ने संगठन की एकजुटता और नेतृत्व में विश्वास को दर्शाया। यह स्पष्ट संकेत है कि संगठन अपने भविष्य को लेकर एक राय है और एक मजबूत नेतृत्व के साथ आगे बढ़ना चाहता है।

13 सदस्यीय कार्यकारिणी समिति इस प्रकार है:

1. भारत गंगोत्री (चेयरमैन)

2. अमर जगियासी (सेक्रेटरी)

3. भगवान माखिजा (कोषाध्यक्ष)

4. अनिल होठचंदानी

5. बृजेश नंदवानी

6. दिनेश लहरानी 

7. गोपाल रोहरा

8. हरेश हरिसिंगानी

9. कमल डेम्बा

10. कुमार वाधवा

11. राजेश गेमनानी

12. सुनील गुरदासानी

13. सुरेश थदानी

बैठक के दौरान सदस्यों ने नव-निर्वाचित टीम को बधाई दी और आशा व्यक्त की कि यह टीम बिल्डर्स व डेवेलपर्स की समस्याओं को प्रभावी रूप से उठाएगी, और साथ ही उल्हासनगर शहर के समग्र विकास में एक मजबूत भागीदारी निभाएगी।

बैठक में उपस्थित सभी सदस्यों ने एक स्वर में संगठन की एकता, सहयोग और सकारात्मक सोच की सराहना की। यह निर्विरोध चयन न सिर्फ संगठन की परिपक्वता का प्रतीक है, बल्कि भविष्य के लिए एक मजबूत नींव भी है।

नवगठित समिति को हार्दिक शुभकामनाएं!












"Win Game" लॉटरी के खिलाफ जंग तेज: उल्हासनगर के NGO और पत्रकार जल्द पहुंचेंगे मुंबई हाईकोर्ट – फर्जी स्किल गेम के नाम पर युवाओं की बर्बादी!


उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

उल्हासनगर में इन दिनों खुलेआम चल रही Win Game ऑनलाइन लॉटरी ने पूरे शहर को अपनी चपेट में ले लिया है। जगह-जगह अड्डे बन चुके हैं, जहां सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक बिना किसी रोक-टोक के नंबरों का खेल खेला जा रहा है। इसे "स्किल गेम" बताकर वैधता का नकाब पहनाया जा रहा है, लेकिन असलियत यह है कि इसमें न कोई स्किल है और न ही कोई वैध प्रोसेस — बस सीधा पैसा लगाओ और हार-जीत का इंतजार करो।

हालांकि Bombay High Court ने अपने एक पुराने आदेश में कहा था कि अगर गेम में 15 मिनट में कोई स्किल-बेस्ड टास्क हल कर के नंबर लगाए जाते हैं, तो उसे स्किल गेम माना जा सकता है। मगर उल्हासनगर में ऐसा कुछ नहीं होता! यहां सिर्फ नंबर (आंकड़ा) लगते हैं और पैसे की हार-जीत चलती है — यानी पूरा सिस्टम लॉटरी जैसा और अवैध है।

अब बर्दाश्त नहीं: उल्हासनगर के NGO, समाजसेवी संगठन और पत्रकार करेंगे मुंबई हाईकोर्ट में याचिका दायर

इस गंभीर मुद्दे पर अब उल्हासनगर के कई समाजिक संगठन, NGO और जागरूक पत्रकार एकजुट हो गए हैं। जल्द ही मुंबई हाईकोर्ट में एक रिव्यू पिटीशन या जनहित याचिका (PIL) दाखिल की जाएगी, जिसमें कोर्ट से अपील की जाएगी कि उल्हासनगर और अन्य शहरों में चल रहे इस फर्जी "स्किल गेम" की सच्चाई सामने लाई जाए और ऐसे अड्डों को तुरंत बंद करवाया जाए।

युवाओं का भविष्य अधर में

यह गेम सैकड़ों युवाओं को लत में धकेल चुका है, जो दिनभर इसी खेल में पैसा हारते और मानसिक तनाव में जीते हैं। यह सिर्फ एक ऑनलाइन लॉटरी नहीं, बल्कि एक सामाजिक बीमारी बन चुकी है, जिसे अब कानून के माध्यम से जड़ से उखाड़ फेंकना जरूरी हो गया है।

प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में

जब सब कुछ खुलेआम हो रहा है, तो आखिर प्रशासन क्यों चुप है? क्या ये अड्डे किसी राजनीतिक संरक्षण में चल रहे हैं? क्या इनसे होने वाला "गुप्त लाभ" कानून पर भारी पड़ रहा है?

अब वक्त आ गया है कि अदालत का दरवाजा खटखटाया जाए – और उल्हासनगर को इस डिजिटल जुए के चंगुल से आज़ाद कराया जाए।

"Win Game" नहीं, ये है "Trap Game" – जिसमें फंसकर बर्बाद हो रहा है उल्हासनगर का युवा वर्ग।












बॉम्बे हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: गृह निर्माण संस्था की स्थापना के 4 माह के भीतर बिल्डर को ज़मीन सोसाइटी को सौंपनी होगी।


मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

मकान ख़रीदारों के हितों की सुरक्षा की दिशा में बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक और दूरगामी असर वाला फैसला सुनाया है। न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि जैसे ही किसी हाउसिंग प्रोजेक्ट के अंतर्गत गृह निर्माण संस्था (हाउसिंग सोसाइटी) की स्थापना होती है, बिल्डर को अनिवार्य रूप से चार महीनों के भीतर उस ज़मीन का स्वामित्व सोसाइटी को सौंपना होगा, जिस पर वह प्रोजेक्ट विकसित किया गया है।

विवादों को रोकने की दिशा में बड़ा कदम

हाईकोर्ट का यह निर्णय ऐसे अनेक मामलों के मद्देनज़र आया है, जिनमें बिल्डर्स वर्षों तक ज़मीन अपने कब्ज़े में रखते हैं और सोसाइटी को हस्तांतरण नहीं करते, जिससे सोसाइटी को प्रॉपर्टी टैक्स, विकास कार्यों, मेंटेनेंस अधिकारों और कानूनी स्वायत्तता के संबंध में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

कानून का उल्लंघन माना जाएगा देरी

न्यायालय ने यह भी कहा कि यदि बिल्डर तय समयसीमा में ज़मीन का हस्तांतरण नहीं करता, तो इसे महाराष्ट्र कोऑपरेटिव सोसायटी एक्ट और रियल एस्टेट (रेरा) कानून का उल्लंघन माना जाएगा। ऐसे मामलों में कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।

निवासियों को मिली बड़ी राहत

यह फैसला हज़ारों हाउसिंग सोसाइटीज़ के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है, जो वर्षों से बिल्डरों की टालमटोल नीति के चलते अधिकारहीन बनी हुई थीं। कोर्ट ने राज्य सरकार और सहकारी सोसाइटी रजिस्ट्रार को निर्देश दिए हैं कि वे इस नियम का सख़्ती से पालन सुनिश्चित करें।

विशेषज्ञों की राय में...

रियल एस्टेट विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय बिल्डरों को जवाबदेह बनाने में मदद करेगा और मकान खरीदारों को उनके वैध अधिकार दिलाने में मील का पत्थर साबित होगा। साथ ही यह फैसला पूरे रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता और नियमबद्धता की दिशा में भी एक अहम कदम है।

निष्कर्ष:

बॉम्बे हाईकोर्ट का यह फैसला न केवल कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आम नागरिकों के हितों की रक्षा की दिशा में न्यायपालिका की सक्रिय भूमिका को भी दर्शाता है। यह उम्मीद की जा रही है कि अब भविष्य में बिल्डर्स द्वारा ज़मीन के हस्तांतरण में टालमटोल की प्रवृत्ति पर लगाम लगेगी और हाउसिंग सोसाइटीज़ को उनका पूरा अधिकार समय पर मिलेगा।












उल्हासनगर सेक्शन 17 बना अपराध और अव्यवस्था का अड्डा, पुलिस और महानगर पालिका की चुप्पी पर उठे सवाल..!


उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

उल्हासनगर का सेक्शन 17 इलाका अब रात के समय एक अनियंत्रित बाजार का रूप ले चुका है, जहां अवैध रूप से चल रही नाश्ते की दुकानें, ठेले और हाथगाड़ियां न सिर्फ ट्रैफिक जाम और अव्यवस्था का कारण बन रही हैं, बल्कि क्षेत्र में अपराध दर में भी इजाफा कर रही हैं। इन दुकानों की अधिकतर गतिविधियां देर रात तक जारी रहती हैं, जिससे स्थानीय नागरिकों में असुरक्षा का माहौल व्याप्त हो गया है।

अपराध और झगड़ों का अड्डा बना सेक्शन 17 चौक:

स्थानीय निवासियों का कहना है कि इन अवैध दुकानों के कारण पहले भी कई बार झगड़े और हिंसक घटनाएं हो चुकी हैं। विशेष रूप से सेक्शन 17 चौक पर आए दिन होने वाले विवाद अब आम बात बन गए हैं। लोगों का यह भी कहना है कि देर रात यहां नशाखोरी, ऊंची आवाज में गाली-गलौच और छोटे-मोटे अपराधों की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं।

फूड लाइसेंस के बिना बिक रहा है खाना:

जांच में यह भी सामने आया है कि इन दुकानों में से कई के पास आवश्यक फूड लाइसेंस तक नहीं हैं। बिना लाइसेंस के खुलेआम खाद्य सामग्री बेचना न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरा है, बल्कि यह कानून का भी उल्लंघन है।

क्या पुलिस की मिलीभगत है जिम्मेदार?

इन अवैध नाश्ते वालों पर पुलिस कार्रवाई क्यों नहीं कर रही? क्या पुलिस का मौन समर्थन इन्हें संरक्षण दे रहा है? स्थानीय लोगों द्वारा बार-बार शिकायत करने के बावजूद अब तक कोई कठोर कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे लोगों में आक्रोश और निराशा दोनों बढ़ रही हैं।

स्थानीय लोगों की मांगें:

1. रात्रिकालीन अवैध दुकानों पर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाए।

2. फूड लाइसेंस और अन्य आवश्यक परमिट की सख्त जांच हो।

3. पुलिस द्वारा नियमित गश्त की जाए और संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखी जाए।

4. पूर्व में हुए झगड़ों की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो।

5. क्षेत्र में कानून व्यवस्था बनाए रखने हेतु CCTV कैमरों की संख्या बढ़ाई जाए।

प्रशासन की भूमिका पर उठ रहे हैं गंभीर सवाल:

उल्हासनगर के सेक्शन 17 में यह स्थिति कब तक बनी रहेगी? स्थानीय प्रशासन और पुलिस विभाग इस विषय में कब तक आंखें मूंदे बैठे रहेंगे? क्या किसी बड़े हादसे का इंतज़ार किया जा रहा है?

अब समय आ गया है कि प्रशासन सख्त कदम उठाए और अवैध कारोबारियों पर कठोर कार्रवाई कर इस क्षेत्र को फिर से सुरक्षित और व्यवस्थित बनाए।