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उल्हासनगर टीडीआर घोटाले पर मंत्रालय में हाईलेवल बैठक: डीआरसी क्रमांक 14, 17 और 18 स्थगित, दोषियों पर होगी कठोर कार्रवाई।


 



उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

उल्हासनगर में उजागर हुए बहुचर्चित टीडीआर घोटाले को लेकर गुरुवार को मंत्रालय में एक महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता राज्य के पूर्व राज्यमंत्री बच्चू भाऊ कडू ने की। इस दौरान नगरविकास विभाग के प्रधान सचिव श्री असीम गुप्ता ने उल्हासनगर महानगरपालिका आयुक्त को स्पष्ट निर्देश दिए कि टीडीआर/आरसीसी/डीआरसी क्रमांक 14, 17 और 18 को जांच पूरी होने तक पूरी तरह स्थगित रखा जाए।

इसके साथ ही इन टीडीआर की खरीद-बिक्री पर तत्काल रोक लगाने के आदेश दिए गए। इतना ही नहीं, यदि किसी निर्माण अनुमति में ये टीडीआर पहले से समाविष्ट किए गए हैं तो उन निर्माण अनुमतियों को भी तत्काल प्रभाव से निरस्त करने का निर्णय लिया गया है।

प्रधान सचिव श्री गुप्ता ने कहा कि जांच 10 दिनों के भीतर पूरी की जाएगी और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि उल्हासनगर में टीडीआर घोटाला हुआ है और इसे उजागर करने का श्रेय अधिवक्ता स्वप्निल पाटील को जाता है। गुप्ता ने सवाल उठाते हुए कहा – “जब एक समाजसेवक यह घोटाला सामने ला सकता है, तो जिम्मेदार अधिकारी इस अनियमितता से अनजान क्यों रहे? उनकी जवाबदेही तय होनी चाहिए।”

बैठक में राष्ट्र कल्याण पार्टी के अध्यक्ष श्री शैलेश तिवारी ने उल्हासनगर आयुक्त की कार्यप्रणाली पर कड़ा आक्रोश व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि 4 मार्च को दिए गए आदेशों का पालन न करना आयुक्त की गंभीर लापरवाही और निष्क्रियता को दर्शाता है।

इस हाईलेवल बैठक में माननीय राज्यमंत्री बच्चू भाऊ कडू, नगरविकास विभाग के प्रधान सचिव श्री असीम गुप्ता, अवर सचिव श्री निर्मलकुमार चौधरी, सचिव नवी-12 श्री मोरे, उल्हासनगर महानगरपालिका की आयुक्त श्रीमती मनीषा आव्हाळे, राष्ट्र कल्याण पार्टी के अध्यक्ष श्री शैलेश तिवारी, प्रहार जनशक्ति पार्टी के जिलाध्यक्ष अधिवक्ता स्वप्निल पाटील, समाजसेवक श्री वासू कुकरेजा तथा ठाणे जिला संपर्क प्रमुख श्री हितेश जाधव उपस्थित रहे।

👉 मंत्रालय स्तर पर हुई इस बैठक के बाद अब उल्हासनगर टीडीआर घोटाले की जांच तेज होने की संभावना है और आने वाले दिनों में कई बड़े खुलासे तथा सख्त प्रशासनिक कार्रवाई सामने आ सकती है।












लालबाग का राजा दर्शन व्यवस्था पर मचा बवाल, भक्तों ने उठाई आवाज – ‘शिर्डी-तिरुपति जैसी हो सिस्टम’


मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

देश की सबसे भव्य और लोकप्रिय गणेश मंडलियों में से एक लालबाग का राजा इन दिनों चर्चा के केंद्र में है। गणेशोत्सव के दौरान लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं, लेकिन इस बार भक्तों की भीड़ के बीच एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है।

सूत्रों के मुताबिक, कई श्रद्धालुओं की शिकायतें आ रही हैं कि दर्शन के नाम पर अवैध वसूली की जा रही है। भक्तों का कहना है कि उन्हें बिना पैसे दिए सुचारू रूप से दर्शन कर पाना मुश्किल हो रहा है। इन आरोपों के बाद अब मंडल की व्यवस्था और पारदर्शिता पर सवाल उठने लगे हैं।

विकलांग और सीनियर सिटीजन के लिए भी अलग से दर्शन की लाइन की व्यवस्था होनी चाहिए।

भक्तों की मांग – ‘पैड व फ्री दर्शन की आधिकारिक व्यवस्था’

भक्तों का मानना है कि लालबाग का राजा मंडल को शिर्डी साईं बाबा और तिरुपति बालाजी की तर्ज पर दर्शन व्यवस्था लागू करनी चाहिए।

फ्री दर्शन लाइन: सभी आम श्रद्धालुओं के लिए बिना किसी शुल्क के।

पैड दर्शन लाइन: उन भक्तों के लिए जो जल्दी दर्शन करना चाहते हैं और इसके लिए आधिकारिक टिकट खरीद सकते हैं।

श्रद्धालुओं का कहना है कि यदि यह व्यवस्था लागू की जाती है तो:

1. अव्यवस्था और अवैध वसूली पर रोक लगेगी।

2. भ्रष्टाचार समाप्त होगा और व्यवस्था पारदर्शी बनेगी।

3. मंडल की आधिकारिक आय में बढ़ोतरी होगी, जिससे समाजसेवा और लोकहितकारी कार्यों के लिए अधिक संसाधन उपलब्ध होंगे।

विशेषज्ञों की राय

सामाजिक कार्यकर्ताओं और धार्मिक मामलों के जानकारों का कहना है कि लाखों की भीड़ को संभालने के लिए आधुनिक और पारदर्शी दर्शन व्यवस्था अनिवार्य है। उनका मानना है कि यदि मंडल इस दिशा में कदम उठाता है तो भक्तों का विश्वास और अधिक मजबूत होगा और लालबाग का राजा की प्रतिष्ठा भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगी।

आगे की राह

अब सभी की निगाहें लालबाग का राजा सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल पर टिकी हैं। क्या मंडल भक्तों की इस मांग पर विचार करेगा? क्या आने वाले समय में यहां शिर्डी और तिरुपति जैसी ऑफिशियल फ्री और पैड दर्शन व्यवस्था देखने को मिलेगी? इसका फैसला जल्द ही सामने आ सकता है।



















दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: समीर वानखेड़े की प्रोन्नति पर लगी रोक हटाई, केंद्र को 4 हफ्ते में आदेश लागू करने का निर्देश।


नई दिल्ली: दिनेश मीरचंदानी 

दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) के आदेश को बरकरार रखते हुए भारतीय राजस्व सेवा (IRS) और पूर्व नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) अधिकारी समीर ज्ञानदेव वानखेड़े को प्रोन्नति दिए जाने का रास्ता साफ कर दिया है। अदालत ने केंद्र सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें CAT के दिसंबर 2024 के आदेश को चुनौती दी गई थी।

पृष्ठभूमि

28 अगस्त 2025 को सुनाए गए इस फैसले में हाईकोर्ट ने CAT के निर्देश को सही ठहराया, जिसके तहत सरकार को “सिल बंद लिफाफा” खोलकर वानखेड़े को UPSC की सिफारिश के आधार पर 1 जनवरी 2021 से अतिरिक्त आयुक्त (कस्टम्स एवं अप्रत्यक्ष कर) के पद पर पदोन्नत करने और उनका नाम वरिष्ठता सूची में शामिल करने का आदेश दिया गया था।

केंद्र का पक्ष

केंद्र की ओर से सीजीएससी (CGSC) आशिष के. दिक्षित ने अदालत में दलील दी कि वानखेड़े पर कई गंभीर आरोप लंबित हैं।

सीबीआई ने मई 2023 में FIR दर्ज की।

ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग (PMLA) के तहत ECIR दर्ज की।

2022 में दो बार गंभीर दंड प्रस्तावों वाली चार्ज-शीट का प्रारूप तैयार हुआ।

इसके अलावा जाति प्रमाणपत्र में कथित फर्जीवाड़ा, विदेशी यात्राओं व महंगी घड़ियों की खरीद जैसे मुद्दे भी लंबित थे।

सरकार का तर्क था कि यही कारण था कि उनकी पदोन्नति “सिल बंद लिफाफा” प्रक्रिया के तहत रोकी गई।

वानखेड़े का पक्ष

वरिष्ठ वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट के K.V. Jankiraman (1991) केस का हवाला देते हुए कहा कि “सिल बंद लिफाफा” नीति केवल तीन स्थितियों में लागू होती है—

1. चार्ज मेमो जारी होने पर

2. आपराधिक केस में चार्ज-शीट दायर होने पर

3. अधिकारी निलंबित होने पर

वानखेड़े पर इनमें से कोई भी स्थिति लागू नहीं थी। उन्हें न चार्ज-शीट दी गई थी, न निलंबन हुआ था। दिल्ली हाईकोर्ट ने भी मार्च 2024 में SIT द्वारा जुटाए गए सबूतों पर रोक लगाई थी, और CVC ने आगे की कार्रवाई टाल दी थी।

न्यायालय की टिप्पणी

हाईकोर्ट ने कहा कि केवल प्रारंभिक जांच के आधार पर किसी अधिकारी की पदोन्नति नहीं रोकी जा सकती। यदि आरोप इतने गंभीर थे तो सरकार के पास निलंबन का विकल्प था, जो इस्तेमाल नहीं किया गया। लिहाज़ा CAT के आदेश में कोई खामी नहीं पाई गई और केंद्र को चार हफ्तों के भीतर प्रोन्नति आदेश लागू करने का निर्देश दिया गया।

समीर वानखेड़े का करियर

2008 बैच के आईआरएस अधिकारी वानखेड़े, मुंबई में एनसीबी के जोनल डायरेक्टर के रूप में कार्य करते हुए 2021 के बहुचर्चित कोर्डेलिया क्रूज ड्रग केस की जांच के दौरान सुर्खियों में आए थे। इसी दौरान उन पर राजनीतिक विवाद और विभिन्न जांचें भी शुरू हुईं।

👉 हाईकोर्ट के इस फैसले से समीर वानखेड़े के करियर को बड़ी राहत मिली है और अब उनके अतिरिक्त आयुक्त पद पर पदोन्नत होने का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है।













उल्हासनगर-5 जींस मार्केट में 25 से 30 लाख का संदिग्ध सौदा, विकी के खिलाफ शिकायत की तैयारी – पुलिस जांच के आसार


(फाइल इमेज)

उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

उल्हासनगर-5 का जींस मार्केट एक बार फिर सुर्खियों में है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मार्केट से जुड़ा एक बड़ा आर्थिक मामला प्रकाश में आया है। बताया जा रहा है कि विकी नामक व्यक्ति ने बीते तीन से चार दिनों के भीतर लगभग 25 से 30 लाख रुपये मूल्य का माल बेचा है। यह सौदा उल्हासनगर-5 स्थित 444 धागे वाले क्षेत्र के आसपास संपन्न हुआ।

व्यापारी वर्ग और सूत्रों की मानें तो इस लेन-देन में कई तरह की अनियमितताओं और संदिग्ध गतिविधियों की आशंका जताई जा रही है। बाजार के जानकारों का कहना है कि यदि जल्द ही इस मामले में स्पष्टता नहीं आती है, तो इसकी औपचारिक शिकायत पुलिस थाने में दर्ज कराई जा सकती है।

मार्केट एसोसिएशन ने भी मामले पर करीबी नजर रखी हुई है और प्राथमिक स्तर पर इसे गंभीरता से लिया जा रहा है। व्यापारियों का मानना है कि यदि इस पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो आने वाले दिनों में मार्केट का माहौल प्रभावित हो सकता है।

फिलहाल पुलिस जांच की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा है और व्यापारी वर्ग सख्त कानूनी कदमों की उम्मीद लगाए बैठा है।













उल्हासनगर-5 जींस मार्केट में करोड़ों की ठगी! व्यापारी तरुण फरार, पुलिस में शिकायत की तैयारी..?


(फाइल इमेज)

उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

उल्हासनगर-5 के जींस मार्केट से एक बड़े आर्थिक घोटाले का मामला सामने आया है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, तरुण नामक व्यापारी ने मार्केट के कई व्यापारियों से करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी की है। बताया जा रहा है कि तरुण बीते कुछ समय से जींस के कपड़े (रोल) के कारोबार में सक्रिय था और इसी कारोबार के बहाने उसने बड़े पैमाने पर व्यापारियों से धन वसूला।

सूत्रों की मानें तो धोखाधड़ी का शिकार हुए व्यापारी अब पुलिस थाने में आधिकारिक शिकायत दर्ज कराने की तैयारी में हैं। इस घोटाले ने पूरे मार्केट में सनसनी फैला दी है और व्यापारी वर्ग में भारी आक्रोश देखा जा रहा है।

मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस विभाग भी सतर्क हो गया है और जल्द ही जांच शुरू होने की संभावना है। उधर, व्यापारियों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचाती हैं बल्कि बाजार की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े करती हैं।

👉 विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय रहते कड़ी कार्रवाई नहीं की गई तो ऐसे घोटाले शहर के व्यापारिक माहौल पर गहरा असर डाल सकते हैं।












उल्हासनगर-5 जींस मार्केट में 4 करोड़ की ठगी! व्यापारी तरुण फरार, पर्दे के पीछे कौन – जल्द होगा खुलासा


(फाइल इमेज)

उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

उल्हासनगर-5 के जींस मार्केट से करोड़ों रुपये की ठगी का एक बड़ा मामला उजागर हुआ है। सूत्रों के अनुसार, तरुण नामक व्यापारी, जो लंबे समय से जींस के कपड़े (रोल) का कारोबार करता था, अचानक मार्केट के व्यापारियों से लगभग 4 करोड़ रुपये लेकर फरार हो गया है। तरुण करीब 7 साल पहले भी बाजार के कई व्यापारियों से 15 से 17 करोड़ रुपए लेकर गायब हो चुका था।

जानकारी के मुताबिक, तरुण पहले कुछ महीनों से मार्केट में कारोबार कर रहा था और इस दौरान उसने स्थानीय व्यापारियों का भरोसा जीता। लेकिन हाल ही में उसने एकाएक बड़े पैमाने पर पैसे लेकर कारोबारियों को चूना लगाया और फरार हो गया।

व्यापारियों का आरोप है कि यह कोई सामान्य धोखाधड़ी नहीं है, बल्कि इसके पीछे बड़े स्तर पर मिलीभगत और षड्यंत्र हो सकता है। हालांकि, अभी तक इस मामले में किसी भी प्रकार की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। 

इस घटना के बाद जींस मार्केट के सैकड़ों व्यापारी गहरे आर्थिक संकट में फंस गए हैं। कई व्यापारियों ने बताया कि उनकी सालों की मेहनत और पूंजी तरुण के धोखे से बर्बाद हो गई है। मार्केट में अब भय, आक्रोश और असुरक्षा का माहौल है।

👉 जल्द होगा खुलासा: तरुण के फरार होने के पीछे किसका हाथ है, इसका खुलासा बहुत जल्द किया जाएगा।












जॉली LLB 3 पर विवाद: हाईकोर्ट के वकीलों ने CBFC में दर्ज कराई शिकायत, न्यायपालिका की गरिमा भंग करने का आरोप।


 






मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

बॉलीवुड की बहुप्रतीक्षित फिल्म जॉली LLB 3 अपने रिलीज़ से पहले ही विवादों में घिर गई है। फिल्म के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता आशीष राय और पंकज मिश्रा ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) के समक्ष औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है।

शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि फिल्म की सामग्री न्यायपालिका की गरिमा को आहत करती है और वकील समुदाय की छवि को हास्यास्पद रूप में प्रस्तुत करती है।

शिकायत के मुख्य बिंदु:

फिल्म जॉली LLB 3 का रिलीज़ 19 सितंबर को प्रस्तावित है।

हाल ही में जारी टीज़र में वकीलों को “जोकर” की तरह लड़ते-झगड़ते दिखाया गया है, जिससे वकीलों की पेशेवर छवि को नकारात्मक रूप से पेश किया गया है।

फिल्म के संवाद और दृश्य अदालत की कार्यप्रणाली को मजाकिया ढंग से दिखाते हैं, जो न केवल वकीलों की प्रतिष्ठा बल्कि न्यायपालिका की गरिमा पर भी सीधा प्रहार माना जा रहा है।

इससे पहले फिल्म श्रृंखला की पिछली कड़ियों (जॉली LLB और जॉली LLB 2) में भी अदालतों और वकीलों को हास्य और व्यंग्य के माध्यम से चित्रित किया गया था।

शिकायतकर्ताओं की मांग:

शिकायत में स्पष्ट कहा गया है कि फिल्म निर्माता और कलाकार जानबूझकर न्यायिक संस्थानों की साख को ठेस पहुँचाने का प्रयास कर रहे हैं। उनका उद्देश्य न्यायपालिका का मज़ाक उड़ाकर व्यावसायिक लाभ कमाना है।

फिल्म को रिलीज़ से पहले दोबारा सेंसर किए जाने की मांग की गई है।

साथ ही, फिल्म को प्रमाणन या किसी भी प्रकार की मान्यता देने पर रोक लगाने का आग्रह भी किया गया है।

न्यायपालिका की गरिमा बनाम मनोरंजन

वकीलों का कहना है कि अदालत और न्यायिक कार्यप्रणाली समाज में विश्वास और न्याय की नींव हैं। ऐसे में, फिल्मों के माध्यम से इस गरिमा को भंग करना लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरनाक संकेत है।

अब देखना यह होगा कि CBFC इस शिकायत पर क्या रुख अपनाता है और क्या जॉली LLB 3 नियोजित तारीख पर रिलीज़ हो पाएगी या नहीं।