उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
उल्हासनगर-3 के सेक्शन 17 में स्थित लाल बहादुर शास्त्री चौक पर देश के दूसरे प्रधानमंत्री और 'जय जवान, जय किसान' का नारा देने वाले महान नेता लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर एक अकल्पनीय दृश्य देखने को मिला।
शास्त्री जी की जयंती के अवसर पर उल्हासनगर के नागरिकों द्वारा न तो कोई कार्यक्रम आयोजित किया गया, न ही उनके पुतले पर एक भी फूलमाला अर्पित की गई। जहां एक तरफ पूरे देश में शास्त्री जी की जयंती को श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया गया, वहीं दूसरी तरफ उल्हासनगर-3 में स्थित शास्त्री जी के पुतले पर न केवल उपेक्षा का भाव दिखा, बल्कि उनके पुतले के चारों ओर मिट्टी का ढेर जमा हुआ था।
इस घटना ने शहरवासियों और प्रशासन की असंवेदनशीलता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह स्थिति न केवल शास्त्री जी के प्रति सम्मान की कमी दर्शाती है, बल्कि यह बताती है कि इस ऐतिहासिक नेता की स्मृति को लेकर स्थानीय प्रशासन और नागरिकों की कितनी अनदेखी हो रही है।
यह दृश्य उस समय और भी अधिक दुखद था जब देश के अन्य हिस्सों में शास्त्री जी की जयंती को हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा था। सवाल यह उठता है कि आखिर कब तक इस महान नेता की विरासत की ऐसी अनदेखी होती रहेगी? क्या शहर और प्रशासन इस उपेक्षा को सुधारने के लिए कोई कदम उठाएंगे, या यह महज़ एक और जयंती बनकर रह जाएगी?
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