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उल्हासनगर में 65.80 लाख रुपये का बड़ा राजस्व घोटाला, तत्कालीन प्रांत अधिकारी तथा एसडीओ पर लगे गंभीर आरोप।


 




उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

 उल्हासनगर में सरकारी राजस्व को 65.80 लाख रुपये का नुकसान पहुंचाने का एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसमें तत्कालीन प्रांत अधिकारी और एसडीओ पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। आरोप है कि इन अधिकारियों ने वाधवा बिल्डर के साथ मिलीभगत कर सरकार के राजस्व को करोड़ों रुपये का चूना लगाया है।

कैसे हुआ घोटाला?

यह घोटाला जनवरी 2021 में तब सामने आया जब 3500 स्क्वायर यार्ड जमीन का अलॉटमेंट वाधवा बिल्डर को 20 जनवरी 2021 को किया गया। नियमों के अनुसार, इस जमीन की कीमत 235 रुपये प्रति स्क्वायर फुट तय की गई थी, लेकिन प्रांत अधिकारी ने आदेश में हेराफेरी कर इसे 235 रुपये प्रति स्क्वायर यार्ड कर दिया।

इसके बाद, 27 जनवरी 2021 को वाधवा बिल्डर ने सिर्फ 8,22,500 रुपये की राशि जमा कर दी, जो कि 3500 स्क्वायर यार्ड के हिसाब से बहुत कम थी। दरअसल, बिल्डर को नियमों के अनुसार 74,02,500 रुपये भरने थे, क्योंकि वास्तविक दर 9 गुना अधिक बैठती थी। लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत के चलते केवल 8 लाख रुपये ही जमा किए गए।

जगतसिंह गिरासे का ट्रांसफर और करबारी की भूमिका

इस घोटाले के बाद तत्कालीन एसडीओ जगतसिंह गिरासे का तबादला कर दिया गया। इसके बाद भी नए एसडीओ कारभारी ने घोटाले को नजरअंदाज करते हुए, 26 मार्च 2021 को वाधवा बिल्डर को 3500 स्क्वायर यार्ड की सनद सौंप दी, जो की कम राशि जमा की गई थी। यह स्पष्ट रूप से अधिकारियों की मिलीभगत और हेराफेरी का मामला है, जिससे सरकार के राजस्व को बड़ा नुकसान हुआ है।

65.80 लाख का सरकारी नुकसान

इस धोखाधड़ी के कारण वाधवा बिल्डर को व्यक्तिगत रूप से फायदा पहुंचाया गया और सरकार को कुल 65 लाख 80 हजार रुपये का राजस्व नुकसान हुआ है। इस पूरे घोटाले के लिए तत्कालीन एसडीओ जगतसिंह गिरासे और कारभारी को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, जिन्होंने अपने निजी स्वार्थ के लिए सरकार को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाया।

प्रहार जनशक्ति पार्टी की शिकायत

इस गंभीर मामले को लेकर प्रहार जनशक्ति पार्टी के ठाणे जिला अध्यक्ष, एडवोकेट स्वप्निल पाटिल ने पुनर्वास सचिव को लिखित शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने मांग की है कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए , इस तरह के ऐसे कितने प्रकरण प्रांत कार्यालय मै हुऐ उनकी सखोल जांच हो और सरकार के राजस्व की भरपाई की जाए तथा एफ आय आर की मांग की गयी है ! 

इस घोटाले ने पूरे उल्हासनगर में सनसनी फैला दी है और अब सभी की नजरें इस पर हैं कि आगे की जांच में क्या निष्कर्ष निकलते हैं और दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है।






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