उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
वाधवा बिल्डर के मामले में ७४ लाख रुपये की सरकारी राजस्व हानि ने प्रशासनिक ढांचे को हिला कर रख दिया है। इस गंभीर मामले ने न केवल प्रांत कार्यालय की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि अधिकारियों की जवाबदेही को भी कठघरे में ला दिया है। सरकारी दस्तावेज़ों के मुताबिक, आउटवर्ड नंबर ३०७८०/२०१९ और आउटवर्ड नंबर ३०७७२/२०१९ एक ही दिन में जमा किए गए थे और दोनों के भुगतान भी एक साथ किए गए। फिर भी, वाधवा बिल्डर के प्रकरण में ७४ लाख रुपये के सरकारी राजस्व का नुकसान कैसे हुआ, यह अब गंभीर जांच का विषय बन चुका है।
प्रहार जनशक्ती पक्ष के ठाणे जिले के अध्यक्ष एडवोकेट स्वप्निल पाटिल ने इस मामले को उजागर करते हुए आरोप लगाया कि प्रांत अधिकारी जगत सिंह गिरासे, पूर्व प्रांत अधिकारी जयराज कारभारी, और मौजूदा प्रांत अधिकारियों के कार्यकाल में कितने और ऐसे घोटाले हुए, इसकी तत्काल जांच की जानी चाहिए। पाटिल ने कहा कि इस घोटाले में बड़े पैमाने पर प्रशासनिक लापरवाही और मिलीभगत सामने आ रही है, जिससे सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है।
प्रहार जनशक्ती पक्ष ने इस घोटाले को लेकर गंभीर चिंता जताई है और कहा है कि यह एक अकेला मामला नहीं हो सकता। इस तरह के कई और मामलों में सरकारी राजस्व का नुकसान किया गया होगा, जो जांच के दायरे में लाए जाने चाहिए। ७४ लाख रुपये की बड़ी रकम का गबन प्रशासन की भ्रष्ट कार्यप्रणाली को उजागर करता है, और इसके दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की जा रही है।
प्रहार ने चेतावनी दी है कि अगर इस मामले पर समय रहते जांच नहीं की गई, तो भविष्य में इससे भी बड़े घोटाले सामने आ सकते हैं, जिससे सरकारी खजाने को लगातार नुकसान उठाना पड़ेगा।
जनता के धन की बर्बादी और प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल
इस घोटाले ने जनता के धन की बर्बादी और प्रशासन की जवाबदेही पर गंभीर प्रश्न खड़े किए हैं। प्रहार जनशक्ती पक्ष ने जोर देकर कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि जनता का प्रशासन पर विश्वास बना रहे। जनता अब यह उम्मीद कर रही है कि संबंधित विभाग जल्द से जल्द कार्रवाई करेंगे और इस बड़े घोटाले की सच्चाई सामने लाएंगे।
सरकार की निष्क्रियता पर उठे सवाल
इस पूरे मामले पर सरकार की निष्क्रियता ने भी जनता के बीच नाराजगी बढ़ाई है। आम जनता यह जानना चाहती है कि आखिरकार इतनी बड़ी राशि का घोटाला कैसे संभव हुआ, और अब तक इसके खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
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