उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
महाराष्ट्र सरकार के सख्त प्लास्टिक प्रतिबंध के बावजूद उल्हासनगर में अवैध प्लास्टिक थैलियों का कारोबार तेजी से पनप रहा है। यह अवैध व्यापार न केवल पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा है, बल्कि प्रशासन और कानून-व्यवस्था पर भी बड़े सवाल खड़े कर रहा है।
लोगों का मानना है कि इस अवैध धंधे के पीछे किसी का बड़ा आशीर्वाद है। स्थानीय व्यापारियों का बेधड़क तरीके से अवैध प्लास्टिक का उपयोग और व्यापार करना यह दर्शाता है कि कहीं न कहीं राजनीतिक संरक्षण या अधिकारियों की मिलीभगत हो सकती है। सवाल यह उठता है कि जब सरकार और स्थानीय प्रशासन ने प्लास्टिक के इस्तेमाल पर सख्त प्रतिबंध लगा रखा है, तो यह कारोबार किस तरह से चल रहा है?
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
उल्हासनगर महानगर पालिका (UMC), महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB) और स्थानीय पुलिस विभाग को इस अवैध कारोबार पर रोक लगाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, लेकिन अब तक इन विभागों की निष्क्रियता जनता के बीच आक्रोश पैदा कर रही है।
स्थानीय जनता का गुस्सा
स्थानीय निवासी सवाल कर रहे हैं कि आखिर इस गंभीर पर्यावरणीय खतरे को क्यों नजरअंदाज किया जा रहा है? लोग यह जानना चाहते हैं कि क्या इन विभागों के पास इस समस्या से निपटने के लिए सही योजना और इच्छाशक्ति है?
क्या होगी सख्त कार्रवाई?
अब यह देखना बाकी है कि उल्हासनगर महानगर पालिका, MPCB और पुलिस विभाग इस अवैध कारोबार पर कब तक और कैसे कार्रवाई करेंगे। क्या यह धंधा राजनीतिक आशीर्वाद से यूं ही चलता रहेगा या फिर जल्द ही इस पर लगाम कसी जाएगी?
जनता के दबाव और बढ़ते आक्रोश के बीच यह मुद्दा अब एक बड़ी चुनौती बन चुका है। प्रशासन की कार्रवाई या उसकी कमी, दोनों ही आने वाले दिनों में उल्हासनगर में बड़ा प्रभाव डाल सकती हैं।
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