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ठाणे में झूठे एफआईआर पर मचा हड़कंप: सामाजिक कार्यकर्ता करेंगे अनशन, एसआईटी जांच की मांग।


 



ठाणे/उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

ठाणे में एक झूठे एफआईआर के मामले ने तूल पकड़ लिया है। सामाजिक कार्यकर्ता और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले प्रमुख व्यक्ति ने आरोप लगाया है कि उनके और उनके सहयोगी श्री शैलेश तिवारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर नंबर 902/2024 पूरी तरह से झूठा है और इसे उन्हें बदनाम करने के लिए रचा गया है। इस मामले में उन्होंने 3 जनवरी 2025 से ठाणे पुलिस आयुक्त कार्यालय के बाहर अनशन पर बैठने की चेतावनी दी है।

क्या है मामला?

28 दिसंबर 2024 को ठाणे के हिल लाइन पुलिस स्टेशन में शिकायतकर्ता राजेश जेमनानी ने अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। एफआईआर के अनुसार, एक अज्ञात व्यक्ति ने उनके घर पर जाकर 25 लाख रुपये की मांग की। शिकायत में आरोप लगाया गया कि यह फिरौती सामाजिक कार्यकर्ता और उनके सहयोगी के नाम पर मांगी गई। एफआईआर भारतीय दंड संहिता की धारा 308(3), 308(5), 308(4), 351(2), 352, और 3(5) के तहत दर्ज की गई है।

संदिग्ध परिस्थितियां और आरोप

सामाजिक कार्यकर्ता ने इस मामले को "पूर्व नियोजित साजिश" करार देते हुए कई गंभीर सवाल उठाए:

1. पूर्व चेतावनी पर सवाल: शिकायतकर्ता ने घटना से 5 दिन पहले ही समाचार पत्रों और पुलिस को फिरौती की आशंका व्यक्त की थी। ऐसे में जब अज्ञात व्यक्ति 5 लाख रुपये लेने आया, तो उसे रंगे हाथों क्यों नहीं पकड़ा गया?

2. सीसीटीवी की अनदेखी: पुलिस ने घटना के बाद तुरंत इलाके की सीसीटीवी फुटेज को क्यों नहीं जब्त किया?

3. पुलिस की मिलीभगत: सामाजिक कार्यकर्ता ने आरोप लगाया कि पुलिस और भू-माफिया के बीच मिलीभगत के कारण यह झूठा मामला दर्ज किया गया।

भ्रष्टाचार की ओर इशारा

सामाजिक कार्यकर्ता ने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता ने 5 लाख रुपये नकद में अज्ञात व्यक्ति को दिए, जो बेहद संदिग्ध है। उन्होंने सवाल उठाया कि इतनी बड़ी राशि कहां से आई और इसका स्रोत क्या है?

उच्चस्तरीय जांच की मांग

सामाजिक कार्यकर्ता ने झूठे एफआईआर की निष्पक्ष जांच के लिए एसआईटी (विशेष जांच दल) के गठन की मांग की है। उन्होंने यह सुनिश्चित करने की अपील की कि:

अज्ञात व्यक्ति की पहचान कर उसे गिरफ्तार किया जाए।

नकद लेन-देन के स्रोत की जांच हो।

शिकायतकर्ता और पुलिस अधिकारियों की भूमिका की गहन जांच की जाए।

अनशन की चेतावनी

सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि अगर 3 जनवरी 2025 तक निष्पक्ष जांच शुरू नहीं हुई, तो वे ठाणे पुलिस आयुक्त कार्यालय के सामने अनशन पर बैठेंगे। उन्होंने इस मुद्दे पर सभी सामाजिक संगठनों और जनता से समर्थन की अपील की है।

सामाजिक संगठनों का समर्थन बढ़ा

इस घटना के बाद विभिन्न सामाजिक संगठनों और कार्यकर्ताओं ने उनके समर्थन में आवाज बुलंद की है। ठाणे और आसपास के क्षेत्र में इस मामले ने जनांदोलन का रूप ले लिया है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई

यह मामला सिर्फ झूठे एफआईआर तक सीमित नहीं है। सामाजिक कार्यकर्ता ने आरोप लगाया है कि इस साजिश के पीछे ठाणे में करोड़ों के टीडीआर (ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट्स) और डीआरसी (डेवलपमेंट राइट सर्टिफिकेट) घोटाले को छिपाने की कोशिश की जा रही है।

सरकार और पुलिस प्रशासन पर दबाव

ठाणे के नागरिक अब यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या भ्रष्टाचार और भू-माफिया के खिलाफ आवाज उठाने वालों को झूठे मामलों में फंसाकर चुप कराया जाएगा।










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