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मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता निधि में 4.69 लाख की धोखाधड़ी, उल्हासनगर के तीन डॉक्टरों पर केस दर्ज, मई-जुलाई 2023 में 13 में से 6 मरीजों की सहायता निधि में गड़बड़ी उजागर।


मुंबई/उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 


उल्हासनगर में तीन डॉक्टरों ने फर्जी कागजात तैयार कर लगभग 4 लाख 69 हजार रुपये की निधि हड़प ली। इस मामले में मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता निधि विभाग के प्रभारी सहायक संचालक देवानंद धनाडे की शिकायत पर खड़कपाड़ा पुलिस स्टेशन में 19 अप्रैल 2025 को मामला दर्ज किया गया है।

इस धोखाधड़ी के मामले में डॉ. अनुदुर्ग ढोणे (कल्याण, ठाणे), डॉ. ईश्वर पवार (धुले) और डॉ. प्रदीप पाटिल (गौरीपाड़ा, ठाणे) सहित 26 आरोपियों को नामजद किया गया है।

मई 2023 से 10 जुलाई 2023 के बीच 13 मरीजों ने आवेदन जमा किए थे। इनमें से 6 मामलों में 4 लाख 69 हजार रुपये की वित्तीय सहायता धोखाधड़ी से प्राप्त की गई। जांच में पता चला कि आवेदनों में फर्जी नाम, चिकित्सा दस्तावेज, उपयोगिता प्रमाण पत्र बनाए गए थे।

11 जुलाई 2023 को, मरीज अरविंद सोलंकी ने मस्तिष्क सर्जरी के लिए 1 लाख 60 हजार रुपये और भगवान भदाने ने मस्तिष्क सर्जरी के लिए 3 लाख 10 हजार रुपये के दो मामलों में संदेह व्यक्त किया था।

मुख्य बिंदु:

मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता निधि में धोखाधड़ी का मामला सामने आया है।

उल्हासनगर के तीन डॉक्टरों सहित 26 लोगों पर फर्जी कागजात तैयार कर निधि हड़पने का आरोप है।

मई से जुलाई 2023 के बीच 13 मरीजों के आवेदनों में से 6 मामलों में धोखाधड़ी हुई।

जांच में फर्जी नाम, चिकित्सा दस्तावेज और उपयोगिता प्रमाण पत्र का खुलासा हुआ है।

दो मरीजों ने अपने आवेदनों में संदेह व्यक्त किया था।

रमेश्वर नाईक, मुख्यमंत्री सहायता निधि

गरीब और जरूरतमंद मरीजों के हक के पैसे हड़पने वाले, धोखाधड़ी करने वालों को सरकार किसी भी तरह की छूट नहीं देगी। इस मामले में कठोर कार्रवाई की जाएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे।

कागजात, रसीदें पेश नहीं की

छाननी के दौरान जब अस्पताल के टेलीफोन नंबर पर संपर्क किया गया, तो अरविंद सोळखी के सरस्वती हॉस्पिटल, नालासोपारा और भगवान भादाणे के गणपति हॉस्पिटल, अंबिवली में भर्ती होने की जानकारी मिली, जो दस्तावेजों में दी गई जानकारी से अलग थी।

इसके बाद तत्कालीन प्रभारी अधिकारी शिरीष पालव ने 11 जुलाई 2023 को टीम के साथ गणपति हॉस्पिटल का दौरा किया, परंतु डॉ. ढोणे ने कोई भी कागजात या रसीदें पेश नहीं कीं। आरोपियों ने बताया कि ईश्वर पवार और प्रदीप पाटिल ने उन्हें अस्पताल को पैनल में शामिल कराने में मदद की।



















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