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आईपीएल की आड़ में हाई-टेक सट्टेबाज़ी का भंडाफोड़: गोवा पुलिस की बड़ी कार्रवाई, उल्हासनगर से जुड़े तार।


पणजी/उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) जैसे प्रतिष्ठित क्रिकेट टूर्नामेंट की आड़ में संचालित हो रहे एक हाई-टेक और संगठित सट्टेबाज़ी गिरोह का पर्दाफाश करते हुए गोवा पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। इस सट्टेबाज़ी नेटवर्क की जड़ें महाराष्ट्र के उल्हासनगर शहर से जुड़ी पाई गई हैं, जो न केवल तकनीक का दुरुपयोग कर रहा था बल्कि युवाओं के भविष्य और मानसिक स्थिति को भी गहरे संकट में डाल रहा था।

मुख्य आरोपी फरार, पूरे राज्य में जारी है सर्च ऑपरेशन

पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि इस सट्टेबाज़ी रैकेट का संचालन अवि इसरानी और गिरिष जेसवानी नामक दो आरोपियों द्वारा किया जा रहा था, जो उल्हासनगर के निवासी हैं। दोनों आरोपी फिलहाल फरार हैं और उनके खिलाफ पहले से भी कई खुफिया जानकारियाँ पुलिस को प्राप्त थीं। गोवा में बढ़ती निगरानी से बचने के लिए इन आरोपियों ने वहां से अपना नेटवर्क चलाना शुरू किया और आईपीएल जैसे मेगा-इवेंट को हथियार बनाकर करोड़ों रुपये की सट्टेबाज़ी को अंजाम दे रहे थे।

डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और क्रिप्टो के जरिए किया जा रहा था लेनदेन

गिरोह द्वारा मोबाइल ऐप्स, वर्चुअल वॉलेट्स, फर्जी बैंक खातों और क्रिप्टोकरेंसी जैसे डिजिटल माध्यमों का इस्तेमाल कर लेनदेन किया जा रहा था, ताकि कानूनी निगरानी से बचा जा सके। अब तक दो आरोपियों को पुलिस ने हिरासत में लिया है, जिनसे पूछताछ के बाद और भी नाम सामने आने की संभावना है। जब्त किए गए इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़ की फॉरेंसिक जांच शुरू कर दी गई है, जिससे महत्वपूर्ण सुराग मिलने की उम्मीद है।

कॉलेज और बेरोजगार युवाओं को बना रहे थे निशाना

इस रैकेट का सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि यह गिरोह कॉलेज विद्यार्थियों और बेरोजगार युवाओं को 'झटपट कमाई' का लालच देकर सट्टेबाज़ी में फंसा रहा था। उल्हासनगर जैसे शहरी क्षेत्रों में पहले से मौजूद मानसिक तनाव और बेरोजगारी की स्थितियों का लाभ उठाकर यह गिरोह युवाओं को अपराध की दलदल में धकेल रहा था, जिससे समाज में गंभीर सामाजिक और मानसिक प्रभाव उत्पन्न हो रहे हैं।

प्रशासनिक और सुरक्षा एजेंसियों से की गई चार महत्वपूर्ण मांगें

मंत्रालय टाइम्स इस गंभीर और सुनियोजित अपराध के विरुद्ध प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों से निम्नलिखित ठोस कदम उठाने की मांग करता है:

1. मुख्य आरोपियों की शीघ्र गिरफ्तारी सुनिश्चित कर उनके विरुद्ध महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (MCOCA) के अंतर्गत कठोर कार्रवाई की जाए।

2. गिरोह से जुड़े आर्थिक स्रोतों की गहन जांच कर उनकी संपत्तियों को तत्काल ज़ब्त किया जाए।

3. युवाओं को सट्टेबाज़ी और साइबर अपराध से बचाने हेतु विशेष जागरूकता अभियान, परामर्श केंद्रों और साइबर हेल्पलाइन की स्थापना की जाए।

4. गोवा और उल्हासनगर पुलिस के बीच समन्वय हेतु एक विशेष अंतरराज्यीय सेल का गठन किया जाए, ताकि भविष्य में ऐसे नेटवर्कों पर त्वरित और समन्वित कार्रवाई की जा सके।

यह केवल आर्थिक नहीं, सामाजिक हमला है

यह मामला केवल अवैध धन कमाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज की बुनियाद, युवा पीढ़ी की मानसिकता और उनके भविष्य पर एक सुनियोजित हमला है। अब समय आ गया है कि हम न सिर्फ ऐसे अपराधियों को उनके अंजाम तक पहुँचाएं, बल्कि अपने युवाओं को अपराध की दुनिया से बाहर निकालकर उन्हें सुरक्षित, जिम्मेदार और उज्जवल भविष्य की ओर अग्रसर करें।












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