उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
उल्हासनगर महानगरपालिका (UMC) के लेखा विभाग में कार्यरत दीपक नामक कर्मचारी बीते 20 से 25 वर्षों से एक ही पद और स्थान पर कार्यरत हैं। यह स्थिति महाराष्ट्र सरकार द्वारा निर्धारित स्थानांतरण नीति के स्पष्ट उल्लंघन के रूप में देखी जा रही है।
सरकारी नियमों के अनुसार, किसी भी सरकारी कर्मचारी को एक ही पद या स्थान पर अधिकतम 3 से 5 वर्ष तक ही कार्य करने की अनुमति होती है। इसके बाद स्थानांतरण अनिवार्य होता है, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही बनी रहे। परंतु, UMC में इस नीति को दरकिनार करते हुए दीपक नामक कर्मचारी को लेखा विभाग में लगातार बनाए रखना कई सवाल खड़े करता है।
क्या राजनीतिक या प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है?
सूत्रों की मानें तो दीपक की पकड़ न सिर्फ विभागीय कार्यों में मज़बूत है, बल्कि वह "मनचाहे बिल" पास करवाने या "अवांछित बिल" रोके रखने की शक्ति भी रखता है। विभागीय कर्मचारियों और ठेकेदारों के बीच यह चर्चा आम है कि दीपक का विभाग में "बिना राजनीतिक संरक्षण" इतने वर्षों तक टिके रहना संभव नहीं है।
ऐसे में यह बड़ा सवाल उठता है कि क्या दीपक को उल्हासनगर महानगरपालिका के किसी वरिष्ठ अधिकारी या फिर स्थानीय राजनेता का आशीर्वाद प्राप्त है? अगर हाँ, तो यह एक गंभीर प्रशासनिक लापरवाही के दायरे में आता है।
पारदर्शिता की मांग
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता और नागरिक अब UMC प्रशासन से इस प्रकरण की जांच करवाने और तत्काल स्थानांतरण की मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही, लेखा विभाग में पूर्व में पास हुए बिलों की ऑडिट जांच की मांग भी जोर पकड़ रही है।
निष्कर्ष
यह मामला केवल एक कर्मचारी के स्थानांतरण का नहीं, बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र की पारदर्शिता और निष्पक्षता का है। यदि इस पर जल्द कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो इससे प्रशासन की साख पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लग सकता है।
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