उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
उल्हासनगर-3 स्थित लोकनिर्माण विभाग (PWD) के डिवीजन-बी कार्यालय में कार्यरत एक जूनियर इंजीनियर अनिल (उपनाम बदल दिया गया) पर गंभीर भ्रष्टाचार, अवैध वसूली और अघोषित संपत्ति अर्जित करने के आरोप सामने आए हैं। विभागीय सूत्रों और स्थानीय ठेकेदारों के अनुसार, यह अधिकारी लंबे समय से ठेकेदारों को विभिन्न प्रोजेक्ट्स के कामकाज में अनावश्यक अड़चनें डालकर “लेन-देन” के नाम पर वसूली करता रहा है।
जानकारी के अनुसार, अनिल नामक यह इंजीनियर अपने पद का दुरुपयोग करते हुए कार्यादेशों, बिलों की मंजूरी और भुगतान प्रक्रिया को रोककर ठेकेदारों से पैसों की मांग करता था। ठेकेदारों के अनुसार, जो लोग उसकी मांगों को पूरा नहीं करते, उनके कामों में जानबूझकर अड़चनें डाली जाती थीं।
सूत्रों का दावा है कि उक्त अधिकारी ने पिछले कुछ वर्षों में अघोषित संपत्ति का विशाल जाल खड़ा कर लिया है, जिसमें शहर और आसपास के इलाकों में कई फ्लैट्स, भूखंड, और अन्य निवेश शामिल हैं। बताया जाता है कि वह अपने प्रभावशाली राजनीतिक और प्रशासनिक संपर्कों का हवाला देकर अकसर कहता है — “मेरी ऊपर तक पहुंच है, कोई मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता।”
अब यह मामला एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB), केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (IT) और अन्य डिपार्टमेंट के रडार पर आ गया है। विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, जल्द ही इस इंजीनियर की आय और संपत्तियों की जांच शुरू की जा सकती है। साथ ही, विभागीय स्तर पर भी विस्तृत जांच रिपोर्ट तैयार करने और कार्रवाई के लिए प्रस्ताव भेजे जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
वहीं, पीडब्ल्यूडी मुख्यालय और राज्य सरकार के उच्च अधिकारी इस पूरे प्रकरण की गंभीरता से समीक्षा कर रहे हैं। हालांकि, अभी तक विभाग की ओर से कोई आधिकारिक बयान या सफाई जारी नहीं की गई है।
स्थानीय राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में चर्चा है कि यदि इन आरोपों की पुष्टि होती है, तो यह मामला उल्हासनगर पीडब्ल्यूडी इतिहास का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार घोटाला साबित हो सकता है।

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