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टिटवाला में नकली सीमेंट रैकेट का भंडाफोड़ – शीर्ष ब्रांडों की हो रही थी नकल


 


ठाणे (टिटवाला): दिनेश मीरचंदानी 

ठाणे ग्रामीण पुलिस ने टिटवाला पुलिस स्टेशन के अंतर्गत काम्बा गांव में संचालित एक अवैध फैक्ट्री से लगभग 3,000 पैकेट नकली सीमेंट बरामद किए हैं। इसमें 200 से अधिक बोरे एक ट्रक से जब्त किए गए, जबकि 2,500 से अधिक बोरे फैक्ट्री से बरामद किए गए। ये सीमेंट पैकेट भारत के शीर्ष ब्रांडों की नकली प्रतियां थे, जिन पर "बेचने के लिए नहीं" लिखा हुआ था।

ठाणे ग्रामीण पुलिस अधीक्षक डॉ. डी. एस. स्वामी के निर्देश पर पुलिस टीम ने इस ठिकाने पर छापा मारा। जांच में सामने आया कि यह नकली सीमेंट गोरेगांव से लोड किया जाता था और कल्याण-मुरबाड रोड, टिटवाला पुलिस स्टेशन क्षेत्र में स्थित फैक्ट्री तक पहुंचाया जाता था।

फरार आरोपी, पहले भी हो चुकी है गिरफ्तारी
फैक्ट्री के मालिक संजय भाटिया और राजेश भाटिया हैं, जिन्हें पूर्व में भी इसी तरह के मामले में गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल वे जमानत पर थे। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, छापेमारी के बाद से दोनों फरार हैं।

पुलिस कार्रवाई जारी
पुलिस ने इस मामले में पंचनामा और एफआईआर की प्रक्रिया शुरू कर दी है और आगे की जांच जारी है।


















टिटवाला सिद्धिविनायक मंदिर के कर्मचारियों को मिलेगा न्याय? देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग।


 

ठाणे(टिटवाला): दिनेश मीरचंदानी 

टिटवाला के प्रसिद्ध श्री सिद्धिविनायक गणपति मंदिर में काम करने वाले कर्मचारियों के साथ हो रहे अन्याय और शोषण का बड़ा मामला सामने आया है। कर्मचारियों की वेतन वृद्धि ठप, भविष्य निधि में घोटाले और अत्यधिक श्रम के बावजूद चिकित्सा सुविधाओं का अभाव जैसी गंभीर शिकायतें दर्ज की गई हैं। विराट कामगार संघटना ने मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर मंदिर प्रशासन की लापरवाहियों और कर्मचारियों के हक की अनदेखी के खिलाफ ठोस कार्रवाई की मांग की है।

मंदिर प्रशासन पर लगे बड़े आरोप

संघटना के सचिव श्री. मनोज दळवी ने बताया कि मंदिर में 2015 से वेतन वृद्धि नहीं हुई, जबकि 2011 से 2015 तक मनमाने ढंग से वेतन में फेरबदल किया गया। जब कर्मचारियों ने सहायक कामगार उप-आयुक्त, कल्याण से शिकायत की, तो कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। एडवोकेट मयुरेश मोदेगी कामगारून की तरफ से न्यायालयीन कामकाज देखकर न्याय दिलाने की कोशिश कर रहे है 

यह हैं मंदिर प्रशासन की बड़ी लापरवाहियां:

✅ कर्मचारियों की संख्या में भारी कटौती:

पहले मंदिर में 20-22 कर्मचारी कार्यरत थे, लेकिन सेवानिवृत्ति और इस्तीफे के बाद नए कर्मचारियों की भर्ती नहीं की गई। मौजूदा कर्मचारियों को तीन गुना ज्यादा काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

✅ सुरक्षा के नाम पर जीरो इंतजाम:

मंदिर में पहले 5-6 सुरक्षाकर्मी हुआ करते थे, लेकिन अब एक भी सुरक्षाकर्मी नहीं है। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के बावजूद सुरक्षा को लेकर लापरवाही बरती जा रही है।

✅ कर्मचारियों से जबरन अतिरिक्त श्रम, लेकिन चिकित्सा सुविधाएं नहीं:

कर्मचारियों से अत्यधिक काम कराया जा रहा है, जिससे वे गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। इलाज का खर्च करके वह कर्जदार बन रहे है उन्हे इ एस आय सी और मेडिक्लेम जेसी सुविधा से भी वो वंचित है।

✅ धर्मशाला में अव्यवस्था:

मंदिर की धर्मशाला को अनुबंध पद्धति पर सौंप दिया गया, लेकिन वहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बुनियादी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं कराई जा रही हैं।

✅ दान पेटियों का अपारदर्शी प्रबंधन:

मंदिर में रखी गई दान पेटियों को बिना सील के खुला छोड़ा जाता है और उन्हें खोलते समय कोई सक्षम अधिकारी मौजूद नहीं रहता। पेटियों में जमा होने वाली राशि का कोई स्पष्ट हिसाब नहीं दिया जाता, जिससे पैसों के दुरुपयोग की आशंका है।

✅ अनुचित वेतन नीतियां:

8 घंटे से ज्यादा काम करने के बावजूद कर्मचारियों को कोई अतिरिक्त भुगतान नहीं दिया जाता, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही है।

✅ भविष्य निधि में घोटाले का शक:

मंदिर प्रशासन ने अब तक कर्मचारियों के लिए भविष्य निधि (PF) खाता नहीं खोला और उन्हें झूठे आश्वासन देकर बरगलाया जा रहा है।

मुख्यमंत्री से न्याय की गुहार

संघटना ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को भी पहले इस मुद्दे पर पत्र भेजा गया था, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से अनुरोध किया गया है कि वे इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करें और कर्मचारियों के वेतन, सुरक्षा और अन्य अधिकारों की रक्षा के लिए कड़े कदम उठाएं।

क्या मंदिर प्रशासन देगा जवाब?

मंदिर प्रशासन पर लगे इन गंभीर आरोपों के बाद अब सरकार की प्रतिक्रिया पर सबकी नजरें टिकी हैं। अगर जल्द ही कोई समाधान नहीं निकला, तो यह मामला और बड़ा हो सकता है और कर्मचारियों का आक्रोश सड़कों पर दिख सकता है।

क्या सरकार कर्मचारियों के हक में कोई ठोस कार्रवाई करेगी? या फिर मंदिर प्रशासन के इन गंभीर आरोपों पर चुप्पी साधी जाएगी?