(फाइल इमेज)
उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
उल्हासनगर महानगर पालिका के आयुक्त और स्वास्थ्य विभाग के लिए शहर में अवैध प्लास्टिक थैलियों और कारखाने पर प्रतिबंध लगाना एक गंभीर चुनौती बन चुका है। बढ़ते प्रदूषण और पर्यावरणीय खतरों को देखते हुए प्रशासन ने कई बार सख्त कदम उठाए, लेकिन अवैध प्लास्टिक थैलियों का कारोबार अभी भी रुकने का नाम नहीं ले रहा है।
राजनीतिक दबाव बना सबसे बड़ी बाधा
सूत्रों के अनुसार, प्रतिबंध लागू करने में सबसे बड़ी बाधा राजनीतिक हस्तक्षेप है। यह आरोप लगाया जा रहा है कि कुछ प्रभावशाली नेताओं का संरक्षण इस अवैध कारोबार को मिल रहा है, जिससे प्रशासनिक सख्ती कारगर साबित नहीं हो रही है। हालांकि, इन आरोपों पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन शहर में इस मुद्दे को लेकर हलचल तेज हो गई है।
क्या इतिहास दोहराया जाएगा?
शहर के जागरूक नागरिकों का मानना है कि जिस तरह पहले नेहरू चौक को हाथगाड़ी मुक्त करने में प्रशासन को सफलता मिली थी, उसी तरह अगर राजनीतिक इच्छाशक्ति मजबूत हो तो शहर को अवैध प्लास्टिक थैलियों और कारखानों से भी मुक्त किया जा सकता है। इसके लिए एक संगठित अभियान और सख्त कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता होगी।
विधानसभा अधिवेशन में गूंज सकता है मुद्दा
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि उल्हासनगर के वर्तमान विधायक इस गंभीर समस्या को आगामी विधानसभा अधिवेशन में उठा सकते हैं। अगर यह मुद्दा विधानसभा में जोर-शोर से उठाया गया, तो राज्य सरकार की ओर से ठोस कार्रवाई की उम्मीद की जा सकती है। यह कदम न केवल पर्यावरण संरक्षण के लिए अहम होगा, बल्कि शहर की स्वच्छता और छवि को भी बेहतर बनाएगा।
प्रशासन की कड़ी अपील
महानगर पालिका प्रशासन ने व्यापारियों और नागरिकों से एक बार फिर अपील की है कि वे प्लास्टिक थैलियों का उपयोग तुरंत बंद करें और शहर को स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल बनाने में सहयोग करें। प्रशासन ने जल्द ही एक सघन अभियान चलाने की भी योजना बनाई है, जिसमें दंडात्मक कार्रवाई का भी प्रावधान होगा।
क्या उल्हासनगर प्लास्टिक मुक्त हो पाएगा?
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या प्रशासन राजनीतिक दबाव से पार पाते हुए अवैध प्लास्टिक थैलियों के खिलाफ मजबूत और प्रभावी अभियान चला पाएगा, या यह मुद्दा एक बार फिर से राजनीतिक उठापटक की भेंट चढ़ जाएगा। पूरे शहर की निगाहें प्रशासन और स्थानीय नेताओं की अगली कार्रवाई पर टिकी हुई हैं।
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