सियासत
उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
उल्हासनगर महानगर पालिका में एक बड़े भूमि घोटाले का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें तत्कालीन आयुक्त अजीज शेख और सह-संचालक नगर रचनाकार ललित खोब्रागडे की संलिप्तता सामने आई है। इस टीडीआर (ट्रांसफरबल डेवलपमेंट राइट्स) घोटाले की रकम 100 करोड़ से भी अधिक आंकी जा रही है। प्रहार जनशक्ति पार्टी के ठाणे ज़िला अध्यक्ष एडवोकेट स्वप्निल पाटिल और राष्ट्र कल्याण पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शैलेश तिवारी ने सबसे पहले इस घोटाले पर आपत्ति जताई और जांच की मांग उठाई थी।
भूमाफियाओं ने लगाए प्रत्यारोप, लेकिन संघर्ष जारी रहा
जब इस घोटाले की जांच की मांग उठी, तो कुछ भू-माफियाओं ने प्रहार जनशक्ति पार्टी और राष्ट्र कल्याण पार्टी के पदाधिकारियों के खिलाफ जबरन वसूली के आरोप में मामले दर्ज करवाए। इसके बावजूद दोनों पार्टियों ने इस भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी मुहिम जारी रखी और लगातार शासन से निष्पक्ष जांच और कार्रवाई की मांग करते रहे।
शासन ने घोटाले को किया स्वीकार, सख्त कार्रवाई के निर्देश
लगातार दबाव के बाद, अंततः दिनांक 04 मार्च 2025 को महाराष्ट्र सरकार ने इस टीडीआर घोटाले को स्वीकार करते हुए इसकी जांच के आदेश जारी किए। संचालक नगर रचनाकार, महाराष्ट्र की रिपोर्ट के आधार पर, पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच कर उचित कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश उल्हासनगर महानगर पालिका के आयुक्त को दिए गए हैं।
टीडीआर, डीआरसी, आरसीसी और स्थगन से जुड़े सभी निर्माण कार्य किए गए स्थगित
घोटाले की गंभीरता को देखते हुए, महाराष्ट्र शासन ने एक और बड़ा फैसला लिया है। आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि टीडीआर, डीआरसी (डेवलपमेंट राइट्स सर्टिफिकेट), आरसीसी (रेगुलराइजेशन ऑफ अनअथराइज़्ड कंस्ट्रक्शन) और स्थगन (स्टे) से जुड़े सभी निर्माण कार्यों को तत्काल प्रभाव से रोक दिया जाए, जिनमें इन प्रक्रियाओं का अवैध रूप से उपयोग हुआ था।
भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की उम्मीद
इस घोटाले की जांच के आदेश के बाद, उल्हासनगर के नागरिकों को उम्मीद है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी और इस भ्रष्टाचार का पूरा पर्दाफाश किया जाएगा। राज्य सरकार के इस आदेश के बाद अब देखना होगा कि जांच किस दिशा में जाती है और इसमें कौन-कौन से नए खुलासे होते हैं।
उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
महाराष्ट्र सरकार द्वारा गरीबों के लिए चलाई जा रही शिव भोजन योजना में बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक, योजना के तहत जरूरतमंदों को सस्ते दर पर भोजन उपलब्ध कराने के नाम पर भारी अनियमितताएं हो रही हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, भोजन की आपूर्ति में गड़बड़ी की जा रही है। जरूरतमंदों को कम भोजन दिया जा रहा है, जबकि सरकारी रिकॉर्ड में अधिक संख्या दिखाई जा रही है। इससे सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है।
कैसे हो रही है गड़बड़ी?
सूत्रों के अनुसार, कुछ संचालक गरीबों को भोजन कम मात्रा में वितरित कर रहे हैं, लेकिन सरकारी कागजों में पूरी आपूर्ति दिखाकर बड़े पैमाने पर राशि का गबन कर रहे हैं। इसके अलावा, कई स्थानों पर खाना बेहद निम्न गुणवत्ता का है, जिससे गरीबों को सही लाभ नहीं मिल पा रहा।
सरकार कर सकती है जांच
शिव भोजन योजना को लेकर सामने आए इस घोटाले की जानकारी सरकार तक पहुंच चुकी है। प्रशासन जल्द ही इसकी विस्तृत जांच कर सकता है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की संभावना है।
गरीबों के हक के इस भोजन में भ्रष्टाचार होने से आम जनता में आक्रोश है। लोग मांग कर रहे हैं कि दोषियों के खिलाफ जल्द से जल्द कठोर कदम उठाया जाए।
(फाइल इमेज)
उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
उल्हासनगर शहर के इंटीरियर डिजाइनरों पर जीएसटी और आयकर विभाग की कड़ी नजर है। सूत्रों के अनुसार, कुछ बड़े इंटीरियर डिजाइनरों पर टैक्स चोरी और वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे हैं, जिसके चलते वे जांच के घेरे में आ गए हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, जीएसटी और इनकम टैक्स विभाग को संदेह है कि ये व्यवसायी अपनी वास्तविक आय को छुपाकर टैक्स देनदारी से बचने की कोशिश कर रहे हैं। हाल के दिनों में अधिकारियों ने कई प्रतिष्ठित इंटीरियर डिजाइनिंग फर्मों और स्वतंत्र पेशेवरों के वित्तीय रिकॉर्ड की गहन जांच शुरू की है।
सूत्र बताते हैं कि कुछ इंटीरियर डिजाइनरों के खिलाफ कर चोरी की शिकायतें मिलने के बाद, विभाग ने उनके बैंक खातों, व्यवसायिक लेन-देन और संपत्तियों की बारीकी से जांच शुरू कर दी है। यदि ठोस प्रमाण मिलते हैं, तो जल्द ही छापेमारी या कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
टैक्स नियमों के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई
विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी और आयकर कानूनों का पालन न करने पर न केवल भारी जुर्माना लग सकता है, बल्कि कानूनी कार्यवाही भी हो सकती है। अधिकारियों ने व्यापारियों को वित्तीय पारदर्शिता बनाए रखने और कर नियमों का सख्ती से पालन करने की सलाह दी है।
आगे की कार्रवाई जांच के निष्कर्षों पर निर्भर करेगी। व्यापार जगत और आम जनता की नजर अब विभाग की आगामी कार्यवाहियों पर टिकी हुई है।
उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
ब्रिटिश काल से पुलिस के कब्जे में रहे प्लॉट की सनद जारी होने पर बवाल!
उल्हासनगर में सरकारी प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। SDO कार्यालय में कथित अनियमितताओं और बाहरी प्रभाव में लिए जा रहे फैसलों को लेकर स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, कुछ प्रभावशाली लोगों के दबाव में प्रशासनिक स्तर पर बड़े घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है।
पुलिस के अधीन रहे प्लॉट की सनद कैसे जारी हुई?
उल्हासनगर के BK No. 1257 और 1258 प्लॉट, जो ब्रिटिश शासनकाल से पुलिस विभाग के कब्जे में थे, उनकी सनद (अधिकार पत्र) आखिर कैसे जारी की गई? यह एक गंभीर सवाल बन गया है। स्थानीय नागरिक और सामाजिक कार्यकर्ता इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो यह प्लॉट ऐतिहासिक रूप से सरकारी संपत्ति के रूप में दर्ज थे, लेकिन हाल ही में जारी की गई सनदों ने प्रशासन की नीयत पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह प्रशासनिक लापरवाही है या फिर सत्ता और पैसों के खेल का नतीजा?
श्मशान भूमि की दफन भूमि पर भी संकट?
इस पूरे मामले में एक और गंभीर आरोप सामने आ रहा है। श्मशान भूमि में स्थित बच्चों की दफन भूमि की भी सनद जारी करने की योजना बनाई जा रही है। अगर यह सच साबित हुआ, तो यह धार्मिक और सामाजिक भावनाओं को आहत करने वाला एक संवेदनशील मामला होगा।
क्या SDO बाहरी दबाव में काम कर रहे हैं?
सूत्रों के मुताबिक, SDO कार्यालय में कुछ बाहरी लोग आकर SDO साहब को निर्देशित कर रहे हैं और उन्हीं के इशारे पर फैसले लिए जा रहे हैं। यदि ये आरोप सही हैं, तो यह एक बड़ा प्रशासनिक घोटाला साबित हो सकता है। सरकारी कार्यालयों में बाहरी हस्तक्षेप प्रशासनिक निष्पक्षता पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।
जांच और सख्त कार्रवाई की मांग
स्थानीय नागरिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और कई संगठनों ने इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। यदि जल्द ही कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो यह मामला बड़े स्तर पर विरोध और आंदोलन का रूप ले सकता है।
प्रशासन को तुरंत हस्तक्षेप कर पारदर्शिता सुनिश्चित करनी होगी, वरना यह घोटाला जल्द ही एक बड़े घोटाले के रूप में सामने आ सकता है!
उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
उल्हासनगर, 3 मार्च 2025 – राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (SP) के जिल्हा अध्यक्षा पंचम ओमी कालानी के नेतृत्व में एवं युवा नेता पंकज त्रिलोकानी के विशेष प्रयासों से उल्हासनगर में करदाताओं को बड़ी राहत देने के उद्देश्य से अभय योजना कैम्प का भव्य आयोजन किया जा रहा है।
यह विशेष कैम्प TOK कार्यालय, निरंकारी भवन के पास, गोलमैदान, उल्हासनगर-1 में आयोजित किया जाएगा, जहां पैनल 2, पैनल 5 और पैनल 6 के रहवासी अपनी टैक्स बकाया राशि जमा कर राहत प्राप्त कर सकते हैं। उल्हासनगर महानगर पालिका द्वारा संचालित इस योजना के तहत करदाताओं को विशेष छूट और राहत का लाभ दिया जाएगा, जिससे वे बिना किसी अतिरिक्त बोझ के अपने बकाया कर को चुका सकते हैं।
करदाताओं के लिए बड़ा अवसर, न चूकें यह सुनहरा मौका!
उल्हासनगर महानगर पालिका प्रशासन और आयोजनकर्ताओं ने अपील की है कि जिन नागरिकों ने अभी तक अपने प्रॉपर्टी टैक्स या अन्य बकाया जमा नहीं किया है, वे इस अभय योजना का लाभ उठाकर आर्थिक भार से मुक्ति पा सकते हैं।
कैम्प का समय व स्थान:
📅 दिनांक: 3 मार्च 2025
⏰ समय: सुबह 11:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक
📍 स्थान: TOK कार्यालय, निरंकारी भवन के पास, गोलमैदान, उल्हासनगर-1
टैक्स बकाया जमा करने का आखिरी मौका!
उल्हासनगर महानगर पालिका द्वारा आयोजित इस विशेष पहल से करदाताओं को सरकार द्वारा दी जा रही छूट और रियायतों का लाभ मिलेगा। यह कैम्प उन लोगों के लिए अवसरों का द्वार खोल सकता है जो लंबे समय से अपने बकाया कर को चुकाने के लिए उचित समय का इंतजार कर रहे थे।
उल्हासनगर के नागरिकों से अपील – जल्द करें भुगतान और राहत पाएं!
उल्हासनगर महानगर पालिका प्रशासन और आयोजनकर्ताओं ने सभी करदाताओं से अपील की है कि वे इस सुनहरे अवसर को न गवाएं और अपने टैक्स बकाया को समय पर जमा कर इस योजना का अधिकतम लाभ उठाएं।
यह कैम्प सरकार और जनता के बीच सहयोग का एक महत्वपूर्ण उदाहरण बनेगा और करदाताओं को राहत पहुंचाने के उद्देश्य से की गई इस पहल को लेकर नागरिकों में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है।
📢 तो इस अवसर को हाथ से न जाने दें – 3 मार्च को पहुंचे और अपने बकाया कर का निपटारा कर लाभ प्राप्त करें!
उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
सूचना का अधिकार (RTI) आम जनता के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण साधन है, लेकिन उल्हासनगर महानगरपालिका में इसे लेकर गंभीर लापरवाही देखने को मिल रही है। सूत्रों के मुताबिक, बीते दो से तीन दिनों से आम नागरिकों को कोई भी आरटीआई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जा रही है।
प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से लगातार यह बहाना दिया जा रहा है कि "सर्वर डाउन" है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यह वास्तव में तकनीकी समस्या है, या फिर जानबूझकर सूचना देने से इनकार किया जा रहा है? आम जनता में इस रवैये को लेकर भारी आक्रोश है और लोग इसे प्रशासन की एक साजिश करार दे रहे हैं।
पारदर्शिता पर उठे सवाल, RTI कानून की खुली अनदेखी!
सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI Act) के तहत किसी भी सरकारी विभाग को तय समयसीमा में जानकारी देना अनिवार्य है। लेकिन जब एक बड़े नगर निगम में ही सूचना छिपाने की कोशिश हो रही है, तो इससे पारदर्शिता और कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।
क्या हो रही है किसी घोटाले को छिपाने की कोशिश?
उल्हासनगर महानगरपालिका में हाल के दिनों में कई विकास योजनाओं और टेंडरों को लेकर सवाल उठे हैं। ऐसे में RTI से जुड़ी इस लापरवाही को लेकर नागरिकों में संदेह बढ़ रहा है कि कहीं कोई घोटाला तो नहीं छिपाया जा रहा?
नागरिकों की मांग – प्रशासन दे जवाब!
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मामले में जल्द से जल्द जवाब और पारदर्शिता की मांग की है। अगर प्रशासन ने उचित स्पष्टीकरण नहीं दिया तो जल्द ही इसके खिलाफ आंदोलन या कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।
अब देखना यह होगा कि उल्हासनगर महानगरपालिका इस गंभीर मामले पर क्या सफाई देती है और नागरिकों की RTI मांगों को कब तक पूरा किया जाता है!
उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर उल्हासनगर-3 के दशहरा मैदान, इंदिरा गांधी गार्डन के सामने, भव्य प्रसाद वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह आयोजन "उल्हास जनपथ" के संपादक श्री शिव कुमार मिश्रा की ओर से किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं को विशेष रूप से प्रसाद वितरित किया गया।
शहरभर से हजारों श्रद्धालु इस आयोजन में शामिल हुए और भगवान शिव की आराधना कर प्रसाद ग्रहण किया। आयोजन स्थल पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी, और भक्ति के माहौल में शिव भजनों की गूंज सुनाई दी।
आयोजन की भव्यता और धार्मिक महत्व
महाशिवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है, और इसी उपलक्ष्य में श्री शिव कुमार मिश्रा ने भक्ति व सेवा का परिचय देते हुए यह विशाल प्रसाद वितरण किया। श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण कर इस नेक पहल की सराहना की और आयोजन को सफल बनाने के लिए आयोजकों को शुभकामनाएं दीं।
इस भव्य आयोजन में शहर के गणमान्य व्यक्तियों सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे। भक्तों ने भगवान शिव के चरणों में अपनी श्रद्धा अर्पित कर मंगलकामना की और शिवरात्रि पर्व को धूमधाम से मनाया।
शिवभक्ति और सेवा का अनुपम उदाहरण
श्री शिव कुमार मिश्रा द्वारा किया गया यह आयोजन न केवल धार्मिक भावना से परिपूर्ण था, बल्कि समाजसेवा और भक्तिभाव का भी एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन आगे भी हर साल इसी श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाएगा ताकि अधिक से अधिक श्रद्धालु लाभान्वित हो सकें।
महाशिवरात्रि के इस शुभ अवसर पर पूरा शहर शिवमय हो उठा और भक्ति के इस पर्व ने सभी को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।
उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
उल्हासनगर नं. 3 क्षेत्र में स्थित सात से अधिक परमिट रूम, बार और रेस्टोरेंट राज्य उत्पादन शुल्क अधिकारियों की मिलीभगत से खुलेआम कर चोरी कर रहे हैं। ये प्रतिष्ठान वैध परमिट के बावजूद वाइन शॉप की तरह काउंटर चलाकर अवैध रूप से देशी-विदेशी शराब की बिक्री कर रहे हैं, जिससे सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है।
विधिवत कानूनी प्रक्रिया पूरी कर कोई भी व्यवसायी जब शराब बिक्री का लाइसेंस प्राप्त करता है, तो उससे सरकार को राजस्व मिलता है। लेकिन उल्हासनगर में कुछ प्रतिष्ठान—(1) जॉली बार एंड रेस्टोरेंट (FL-3/2631), (2) गीता भवन (FL-3/33), (3) अंश पैलेस (FL-3/1275), (4) न्यू नीलम रेस्टोरेंट एंड बार (FL-3/283), (5) देव प्लाजा बार एंड रेस्टोरेंट एनक्स (FL-3/2613), (6) मीट वाटिका (FL-3/2528), (7) साई फास्ट फूड रेस्टोरेंट एंड बार (FL-3/2264)—सरकारी नियमों की धज्जियां उड़ाकर शराब बिक्री कर रहे हैं।
बेकाबू शराब बिक्री और कर चोरी का बड़ा खेल
महाराष्ट्र राज्य में शराब की बिक्री के लिए कड़े नियम लागू हैं, जिसके तहत परमिट रूम, बार और रेस्टोरेंट में मद्य सेवन के लिए राज्य उत्पादन शुल्क विभाग का लाइसेंस जरूरी होता है। लेकिन उल्हासनगर में इन नियमों का खुला उल्लंघन हो रहा है। इन परमिट रूम्स पर वाइन शॉप की तर्ज पर अवैध काउंटर बनाए गए हैं, जहां किसी भी समय ग्राहक आकर शराब खरीद सकते हैं।
सूत्रों के मुताबिक, परमिट रूम मालिक अन्य वैध वाइन शॉप से सस्ती दरों पर शराब खरीदते हैं और उसे अपने गैरकानूनी काउंटर से एमआरपी रेट पर बेचते हैं। इससे न केवल सरकार को राजस्व का भारी नुकसान होता है, बल्कि अन्य कानूनी वाइन शॉप संचालकों के व्यापार पर भी बुरा असर पड़ रहा है।
कानून के साथ खिलवाड़
महाराष्ट्र राज्य उत्पादन शुल्क अधिनियम के तहत, बिना लाइसेंस के शराब रखना या बेचना कानूनी अपराध है। हर शराब विक्रेता के लिए यह अनिवार्य है कि वह ग्राहक से मद्य सेवन परमिट की जांच करे। लेकिन उल्हासनगर के इन अवैध परमिट रूम्स में यह नियम कहीं भी लागू नहीं किया जा रहा।
रात 3.30 बजे तक धड़ल्ले से चल रहा गैरकानूनी कारोबार
नियमों के अनुसार, परमिट रूम्स को शराब परोसने की समय-सीमा निर्धारित है, लेकिन उल्लासनगर के ये अवैध प्रतिष्ठान रात 3.30 बजे तक शराब बेचते हैं। इस पूरी अवैध गतिविधि को दैनिक 'पुलिस महानगर' के पत्रकारों ने कैमरे में कैद किया है।
इस मामले को लेकर राज्य के उपमुख्यमंत्री और उत्पादन शुल्क मंत्री अजित पवार, राज्य उत्पादन शुल्क आयुक्त राजेश देशमुख और ठाणे अधीक्षक प्रवीण तांबे को ज्ञापन सौंपा गया है। ठाणे अधीक्षक प्रवीण तांबे ने मामले की गंभीरता को देखते हुए दोषी परमिट रूम संचालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
क्या होगी कार्रवाई?
अब देखना यह होगा कि सरकार और प्रशासन इस अवैध शराब बिक्री के नेटवर्क पर कब तक लगाम लगाते हैं। क्या दोषी परमिट रूम्स के लाइसेंस रद्द किए जाएंगे? या फिर यह खेल अधिकारियों की मिलीभगत से यूं ही जारी रहेगा?
(फाइल इमेज)
उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
शहर में अवैध डांस बारों की बढ़ती संख्या और उनमें कथित रूप से अवैध रूप से रह रही बांग्लादेशी युवतियों के नृत्य करने की खबरों ने स्थानीय जनता में गहरी चिंता पैदा कर दी है। सूत्रों के अनुसार, कई डांस बार बिना किसी वैध अनुमति के संचालित हो रहे हैं, जहां संदिग्ध पहचान वाली युवतियों को नचाया जा रहा है। इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि क्या पुलिस ने इन युवतियों के पैन कार्ड, आधार कार्ड और अन्य वैध दस्तावेजों की जांच की है या नहीं?
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि प्रशासन को इस मामले में सख्ती दिखानी चाहिए और सभी डांस बारों की गहन जांच करनी चाहिए। बताया जा रहा है कि कुछ डांस बारों में अवैध गतिविधियों का संचालन भी हो रहा है, जिससे कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
हालांकि, पुलिस अधिकारियों ने अब तक इस विषय पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन अगर इन आरोपों में सच्चाई है, तो यह सुरक्षा के लिहाज से एक गंभीर मसला बन सकता है। प्रशासन को चाहिए कि वह तुरंत कार्रवाई करे और यह सुनिश्चित करे कि कोई भी अवैध प्रवासी बिना उचित दस्तावेजों के शहर में न रह सके।
अब देखना यह होगा कि स्थानीय पुलिस और प्रशासन इस मुद्दे को कितनी गंभीरता से लेते हैं और क्या अवैध डांस बारों पर नकेल कसने के लिए ठोस कदम उठाते हैं या नहीं।
उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
उल्हासनगर में दिव्यांगों और बेघरों के लिए आरक्षित भूखंडों पर अवैध तरीके से ट्रांसफर ऑफ डेवलपमेंट राइट्स (टीडीआर) जारी करने का बड़ा मामला सामने आया है। आरोप है कि तत्कालीन आयुक्त अजीज शेख, असिस्टेंट टाउन प्लानर ललित खोबागड़े, नगर रचनाकार प्रकाश मुले और कनिष्ठ अभियंता संजय पवार ने मिलीभगत कर बिल्डर अनिल होतचंदानी और उसके परिवार को खोटे दस्तावेजों के आधार पर टीडीआर जारी करवाया। इस मामले में उप शहर प्रमुख दिलीप मिश्रा ने तत्काल कार्रवाई की मांग करते हुए टीडीआर और प्लान को रद्द करने की मांग की है।
आरोप: अधिकारियों और बिल्डर के बीच गठजोड़
आरोप है कि उल्हासनगर महानगर पालिका के अधिकारियों ने बिल्डर अनिल होतचंदानी और उसके बेटे व भतीजे के साथ मिलकर आरक्षित भूखंडों पर अवैध तरीके से टीडीआर जारी किया। यह भूखंड दिव्यांगों के लिए गार्डन और बेघरों के लिए आवासीय योजना के लिए आरक्षित थे। अधिकारियों ने नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए बिना किसी उचित प्रक्रिया के बिल्डर को फायदा पहुंचाया।
उप शहर प्रमुख ने उठाई आवाज
उल्हासनगर के उप शहर प्रमुख दिलीप मिश्रा ने इस मामले में तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह मामला गंभीर भ्रष्टाचार और नियमों की धांधली का है। उन्होंने मांग की कि संबंधित टीडीआर और प्लान को तुरंत रद्द किया जाए और दोषी अधिकारियों व बिल्डर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। मिश्रा ने कहा कि आरक्षित भूखंडों का दुरुपयोग करना समाज के कमजोर वर्गों के साथ अन्याय है।
जांच की मांग
इस मामले में स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने भी जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यदि यह मामला सही है तो इसमें शामिल सभी अधिकारियों और बिल्डर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही, आरक्षित भूखंडों को उनके मूल उद्देश्य के लिए वापस लिया जाना चाहिए।
उल्हासनगर महानगर पालिका की चुप्पी
इस मामले में नगर निगम की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, इस मामले की जांच शुरू हो सकती है। अधिकारियों की मिलीभगत और भ्रष्टाचार के इस मामले ने उल्हासनगर में सियासी और प्रशासनिक स्तर पर हलचल मचा दी है।
निष्कर्ष
यह मामला नगर निगम के भ्रष्टाचार और नियमों की धांधली की ओर इशारा करता है। दिव्यांगों और बेघरों के लिए आरक्षित भूखंडों का दुरुपयोग कर बिल्डर को फायदा पहुंचाने की यह घटना गंभीर चिंता का विषय है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में कितनी गंभीरता से कार्रवाई करता है और दोषियों को कितनी जल्दी सजा मिलती है।
उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
उल्हासनगर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के व्यापारी सेल के सचिव श्री अजीत चावला का जन्मदिन बुधवार को एक भव्य समारोह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं, कार्यकर्ताओं और स्थानीय गणमान्य व्यक्तियों ने उन्हें जन्मदिन की हार्दिक बधाई दी।
गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति
कार्यक्रम में उल्हासनगर भाजपा व्यापारी सेल के महासचिव श्री नरेश थारवानी, महासचिव श्री विजू खटवानी, उपाध्यक्ष श्री रमेश बजाज और 141 उल्हासनगर विधानसभा अध्यक्ष श्री गुलशन हरिसिंघानी सहित कई प्रमुख हस्तियों ने शिरकत की। सभी ने श्री चावला के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए उनके अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र की प्रार्थना की।
श्री चावला का आभार व्यक्त
श्री चावला ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनका समर्थन और स्नेह ही उन्हें सामाजिक और राजनीतिक कार्यों में निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि वह भाजपा के मूल्यों और सिद्धांतों के साथ समाज के विकास के लिए काम करना जारी रखेंगे।
नेताओं की सराहना
इस अवसर पर मौजूद नेताओं ने श्री चावला के समर्पण और कड़ी मेहनत की सराहना की और कहा कि उनका योगदान पार्टी और समाज के लिए अमूल्य है। उन्होंने यह भी कहा कि श्री चावला के नेतृत्व में व्यापारी सेल ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं और वह समाज के हर वर्ग के लोगों के बीच पार्टी के संदेश को पहुंचाने में सफल रहे हैं।
समारोह का समापन
कार्यक्रम का समापन मिठाई वितरण और सामूहिक फोटो सत्र के साथ हुआ। इस दौरान सभी ने श्री चावला के उज्ज्वल भविष्य और उनके स्वास्थ्य के लिए एक बार फिर से शुभकामनाएं दीं।
भाजपा के प्रति समर्पण
श्री चावला ने अपने संबोधन में कहा कि वह भाजपा के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित हैं और पार्टी के मूल्यों और सिद्धांतों के साथ समाज के विकास के लिए काम करना जारी रखेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि उनका उद्देश्य समाज के हर वर्ग के लोगों तक पार्टी के संदेश को पहुंचाना और उनकी समस्याओं का समाधान करना है।
निष्कर्ष
उल्हासनगर में आयोजित यह भव्य समारोह न केवल श्री अजीत चावला के जन्मदिन का उत्सव था, बल्कि यह भाजपा के प्रति उनके समर्पण और कड़ी मेहनत का एक प्रमाण भी था। इस अवसर पर मौजूद सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने श्री चावला के योगदान की सराहना की और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
(फाइल इमेज)
उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
महाराष्ट्र में अब तक का सबसे बड़ा टीडीआर घोटाला उजागर होने की संभावना जताई जा रही है। 2000 करोड़ रुपये से अधिक की इस धोखाधड़ी में उल्हासनगर महानगर पालिका के वरिष्ठ अधिकारियों और बड़े बिल्डरों के शामिल होने का संदेह है।
कैसे हुआ घोटाला?
सूत्रों के मुताबिक, फर्जी ट्रांसफरबल डेवलपमेंट राइट्स (TDR) का इस्तेमाल कर अवैध इमारतों को मंजूरी दी गई। इस अनियमितता के कारण सरकारी खजाने को हजारों करोड़ का नुकसान हुआ है, और उल्हासनगर का शहरी विकास पूरी तरह सवालों के घेरे में आ गया है।
शहर में हड़कंप, सरकार और जांच एजेंसियां सतर्क
महाराष्ट्र सरकार इस मामले में विशेष जांच दल (SIT) या आर्थिक अपराध शाखा (EOW) से जांच कराए जाने की संभावना जताई जा रही है।
बिल्डरों और अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई की मांग
शहर के नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने इस घोटाले के दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की है। यदि यह घोटाला सिद्ध होता है, तो इसमें शामिल बिल्डरों की संपत्ति जब्त हो सकती है, और दोषी अधिकारियों पर भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत केस दर्ज हो सकता है।
क्या ध्वस्त होंगी अवैध इमारतें?
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि फर्जी टीडीआर के जरिए बनी इमारतें अवैध साबित होती हैं, तो सैकड़ों इमारतों को गिराया जा सकता है। इससे न केवल निर्माण क्षेत्र में हलचल मच जाएगी, बल्कि कई निवेशकों को भी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
उल्हासनगर के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला?
2000 करोड़ रुपये से अधिक की इस वित्तीय गड़बड़ी को देखते हुए यह घोटाला उल्हासनगर महानगरपालिका के इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला साबित हो सकता है।
अब सवाल यह है कि क्या सरकार दोषियों को सजा दिलाने में सफल होगी, या फिर यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह राजनीतिक प्रभाव में दब जाएगा?
शहर के कई नामी बिल्डरों और उल्हासनगर महानगर पालिका के अधिकारियों की मिलीभगत से यह घोटाला किया गया है। और जल्द ही उनके नाम भी जाहिर किये जायेंगे!
आगे की जानकारी के लिए जुड़े रहें!
उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
शहर में करोड़ों रुपये के टीडीआर (ट्रांसफर डेवलपमेंट राइट्स) घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। राज्य सरकार ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए बिल्डर सुरेश थदानी को दिए गए टीडीआर को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है। लेकिन बड़ा सवाल यह उठता है कि जिन इमारतों को इसी अवैध टीडीआर के आधार पर मंजूरी दी गई थी, उन पर अब क्या कार्रवाई होगी?
अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों का खेल!
इस घोटाले में उल्हासनगर महानगरपालिका के तीन शीर्ष अधिकारी संलिप्त बताए जा रहे हैं—
1. नगर रचनाकार प्रकाश मुळे
2. असिस्टेंट टाउन प्लानर ललित खोब्रागड़े
3. शहर अभियंता तरुण सेवकानी
इन अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने नियमों को ताक पर रखकर बिल्डर सुरेश थदानी को करोड़ों रुपये का अनुचित लाभ पहुंचाया। उन्होंने फर्जी टीडीआर जारी कर कई अवैध इमारतों को मंजूरी दी, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।
अब क्या होगा उन इमारतों का, जो बोगस टीडीआर पर बनीं?
राज्य सरकार द्वारा घोटाले को संज्ञान में लेने के बाद सभी फर्जी टीडीआर, डीआरसी और आरसीसी रद्द कर दिए गए हैं। लेकिन इसके बावजूद अवैध टीडीआर से बनी इमारतों पर अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
"अवैध इमारतों पर तुरंत स्टे लगाया जाए!" – उपशहर प्रमुख दिलीप मिश्रा
इस घोटाले को लेकर उपशहर प्रमुख दिलीप मिश्रा ने नगर निगम आयुक्त से मांग की है कि –
जिन इमारतों को बोगस टीडीआर के आधार पर मंजूरी दी गई थी, उन पर तत्काल निर्माण कार्य रोका जाए।
सरकार इस मामले में जल्द से जल्द जांच कर दोषी अधिकारियों और बिल्डरों पर सख्त कार्रवाई करे।
किसी भी तरह की कानूनी अड़चनें पैदा होने से पहले इन अवैध निर्माणों पर रोक लगाई जाए।
उल्हासनगर का सबसे बड़ा घोटाला!
विशेषज्ञों का मानना है कि यह उल्हासनगर महानगरपालिका के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला है, जिसमें सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। अगर इस पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो यह घोटाला आने वाले समय में और भी बड़े भ्रष्टाचार को जन्म दे सकता है।
क्या सरकार दोषियों पर सख्त कार्रवाई करेगी?
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या सरकार बिल्डरों और अधिकारियों पर ठोस कार्रवाई करेगी या यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह दबा दिया जाएगा?
क्या उल्हासनगर की जनता को मिलेगा न्याय? या फिर यह घोटाला भी फाइलों में ही दफन हो जाएगा?
शहर के प्रतिष्ठित और प्रभावशाली व्यापारियों ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सदस्यता ग्रहण कर राजनीतिक माहौल में बड़ा बदलाव ला दिया है। इस ऐतिहासिक निर्णय से न केवल बीजेपी के व्यापारी प्रकोष्ठ को मजबूती मिली है, बल्कि आगामी चुनावी समीकरण भी बदल सकते हैं।
बीजेपी नेतृत्व ने व्यापारिक समुदाय की इस सक्रिय भागीदारी को देखते हुए उन्हें संगठन में अहम जिम्मेदारियां सौंपी हैं। विजु खटवानी को उल्हासनगर जिला भाजपा व्यापारी सेल का महासचिव, रमेश बजाज को उल्हासनगर जिला भाजपा व्यापारी सेल का उपाध्यक्ष, और अनिल कटेजा को उल्हासनगर जिला भाजपा व्यापारी सेल का सचिव नियुक्त किया गया है।
बीजेपी के लिए चुनावी बढ़त का संकेत?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इन प्रभावशाली व्यापारियों का बीजेपी में शामिल होना पार्टी के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है। इससे न केवल व्यापारिक वर्ग बीजेपी के करीब आएगा, बल्कि आगामी चुनावों में बीजेपी को सीधा फायदा मिल सकता है।
व्यापारी वर्ग की आवाज़ को मिलेगा मजबूत मंच
बीजेपी नेतृत्व ने इस मौके पर कहा कि नए पदाधिकारी व्यापारियों की समस्याओं को सुलझाने, आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने और संगठन के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। यह फैसला उल्हासनगर के व्यापारी समुदाय के लिए एक सशक्त मंच प्रदान करेगा, जिससे उनकी मांगों और जरूरतों को प्राथमिकता मिलेगी।
उल्हासनगर की राजनीति में हलचल, विपक्ष की बढ़ी चिंता
व्यापारियों के इस संगठित रूप से बीजेपी में शामिल होने के बाद विपक्षी दलों की चिंता बढ़ गई है। व्यापारिक समुदाय की राजनीति में सक्रिय भागीदारी आने वाले दिनों में उल्हासनगर के राजनीतिक समीकरणों को नया मोड़ दे सकती है।
आगे की रणनीति पर नजर
बीजेपी व्यापारी प्रकोष्ठ की यह नई टीम कैसे काम करेगी और इसका शहर की राजनीति पर क्या असर होगा, यह देखना दिलचस्प होगा। लेकिन एक बात तय है—इस घटनाक्रम से उल्हासनगर की राजनीति में एक नई ऊर्जा और जोश का संचार हुआ है।
उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
शहर में अवैध प्लास्टिक पनियों की बिक्री पर उल्हासनगर महानगरपालिका (UMC) की कार्रवाई को लेकर भारी विवाद खड़ा हो गया है। स्थानीय नागरिकों और व्यापारियों का आरोप है कि प्रशासन केवल छोटे दुकानदारों और फेरीवालों को निशाना बना रहा है, जबकि बड़े व्यापारियों और फैक्ट्री मालिकों को खुली छूट दी जा रही है।
अवैध प्लास्टिक बन भी रही है, बिक भी रही है – फिर कार्रवाई एकतरफा क्यों?
शहर के नागरिकों का कहना है कि यह अवैध प्लास्टिक पनियां खुद उल्हासनगर में ही निर्मित हो रही हैं और खुलेआम बेची जा रही हैं। फिर भी प्रशासन छोटे दुकानदारों पर शिकंजा कस रहा है, जबकि बड़े उद्योगपतियों और व्यापारियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही।
नेहरू चौक से लेकर अमन टॉकीज रोड तक की बड़ी दुकानों में यह अवैध प्लास्टिक पनियों धड़ल्ले से बेची जा रही है, लेकिन प्रशासन की कार्रवाई केवल उन दुकानदारों तक सीमित रह गई है, जो रोज़ाना की कमाई पर निर्भर हैं। इससे जनता के बीच यह सवाल उठ रहा है कि क्या प्रशासन जानबूझकर बड़े व्यापारियों को बचा रहा है?
महानगरपालिका पर उठे सवाल – क्या कानून सभी के लिए समान नहीं?
उल्हासनगर की जनता और व्यापारी वर्ग ने महानगरपालिका आयुक्त से इस भेदभावपूर्ण रवैये पर सवाल उठाते हुए पारदर्शिता की मांग की है। नागरिकों का कहना है कि यदि अवैध प्लास्टिक पनियों की बिक्री पर रोक लगानी है, तो यह कार्रवाई सभी पर समान रूप से होनी चाहिए, न कि केवल छोटे दुकानदारों और फेरीवालों पर।
अब देखना यह होगा कि महानगरपालिका प्रशासन इस जनआक्रोश के बाद क्या कदम उठाता है। क्या बड़े व्यापारियों और कारखानों पर भी कार्रवाई होगी, या फिर यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहेगा?
उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने व्यापारिक समुदाय के बीच अपनी पकड़ को और मजबूत करने के उद्देश्य से एक अहम फैसला लिया है। पार्टी ने अनुभवी और सक्रिय व्यापारी नेता विजु खटवानी को बीजेपी व्यापारी प्रकोष्ठ, उल्हासनगर का महासचिव नियुक्त किया है। इस महत्वपूर्ण नियुक्ति को व्यापारी वर्ग और राजनीतिक हलकों में बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।
व्यापारी समुदाय में खुशी की लहर
विजु खटवानी की नियुक्ति से स्थानीय व्यापारियों में उत्साह और उम्मीदों का नया दौर शुरू हो गया है। वे लंबे समय से व्यापारिक समुदाय की समस्याओं को उठाते रहे हैं और उनके समाधान के लिए सक्रिय रूप से कार्यरत रहे हैं। उनकी संगठनात्मक क्षमता और मजबूत नेतृत्व कौशल को देखते हुए बीजेपी ने उन्हें यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है।
विजु खटवानी ने जताया आभार
अपनी नियुक्ति पर विजु खटवानी ने पार्टी नेतृत्व का आभार व्यक्त करते हुए कहा,
"मैं बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व का धन्यवाद करता हूं, जिन्होंने मुझ पर विश्वास जताया। मैं पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ व्यापारी वर्ग के हितों की रक्षा के लिए कार्य करूंगा और संगठन को और अधिक मजबूत बनाने के लिए हर संभव प्रयास करूंगा।"
बीजेपी की रणनीति का अहम हिस्सा
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह नियुक्ति बीजेपी की आगामी रणनीति का अहम हिस्सा है, जिसके तहत पार्टी व्यापारिक समुदाय को और अधिक सशक्त बनाना चाहती है। विजु खटवानी की नियुक्ति को व्यापारियों की आवाज को राजनीति में प्रभावी रूप से उठाने के एक बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है।
इस घोषणा के बाद उल्हासनगर के व्यापारी संगठनों और बीजेपी कार्यकर्ताओं में जबरदस्त उत्साह है।
उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
शहर में ईगल इंफ्रा कंपनी की लापरवाही ने स्थानीय नागरिकों की जिंदगी दुश्वार कर दी है। माता मंदिर बेफिक्री चौक और सिरू चौक के आसपास की सड़कें महीनों से खुदी पड़ी हैं, लेकिन अब तक मरम्मत नहीं की गई है। जल आपूर्ति लाइनें क्षतिग्रस्त हो गई हैं, जिससे लगातार पानी बह रहा है और सड़कें दलदल में तब्दील हो गई हैं। इस जलभराव और कीचड़ के कारण कई वाहन फिसल चुके हैं, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है।
धूल, गड्ढे और जलभराव से नागरिक त्रस्त
स्थानीय लोगों के अनुसार, सड़क किनारे बड़े पैमाने पर मलबा पड़ा हुआ है, जिससे धूल का गुबार उठता रहता है। इससे न केवल स्वच्छता प्रभावित हो रही है, बल्कि लोगों को सांस की बीमारियों का भी खतरा बढ़ रहा है। "हर रोज़ हमें धूल और कीचड़ से होकर गुजरना पड़ता है। प्रशासन से कई बार शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही," एक स्थानीय निवासी ने बताया।
न सुरक्षा इंतजाम, न मरम्मत कार्य में कोई तेजी
हैरानी की बात यह है कि ना तो खुदाई के बाद बैरिकेडिंग की गई है और ना ही कोई सुरक्षा इंतजाम हैं। नागरिकों का कहना है कि कंपनी ने सड़कें खोद दीं और उसके बाद उन्हें महीनों तक वैसे ही छोड़ दिया, जिससे स्थानीय लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित हो रही है।
ईगल इंफ्रा कंपनी पर कड़ी कार्रवाई की मांग
नागरिकों ने प्रशासन और सरकार से मांग की है कि ईगल इंफ्रा कंपनी को न केवल उल्हासनगर से, बल्कि पूरे महाराष्ट्र और भारत से ब्लैकलिस्ट किया जाए। इस तरह की लापरवाही आम जनता के जीवन के लिए खतरा बन रही है। अगर जल्द ही इन समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो नागरिक बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
प्रशासन की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
शहर के लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर प्रशासन कब जागेगा? क्या किसी बड़े हादसे का इंतजार किया जा रहा है? इस लापरवाही के खिलाफ जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो नागरिक सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
क्या प्रशासन कार्रवाई करेगा या जनता को ऐसे ही परेशानी झेलनी पड़ेगी?
उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
उल्हासनगर शहर के कोचिंग क्लासेस पर इनकम टैक्स विभाग का ध्यान आकर्षित हुआ है। जानकारी के अनुसार, इन संस्थानों में बड़ी फीस ली जाती है, लेकिन टैक्स भुगतान में गंभीर अनियमितताएं पाई जा रही हैं। ये कोचिंग सेंटर न केवल इनकम टैक्स और अन्य करों से बचने की कोशिश कर रहे हैं, बल्कि गरीब छात्रों को भी फीस में किसी भी प्रकार की छूट नहीं दी जा रही है।
बड़ी मात्रा में टैक्स चोरी का शक
कई कोचिंग संस्थान अपनी असली आय को छिपाने के लिए छात्रों की संख्या को कम दर्शा रहे हैं। वे सैकड़ों छात्रों को प्रवेश दिलवाते हैं और बड़ी रकम वसूलते हैं, जबकि अपनी टैक्स रिटर्न में बहुत कम छात्रों का उल्लेख करते हैं। यह एक संकेत है कि ये संस्थान संभवतः बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी में शामिल हो सकते हैं।
क्या हो सकती है कार्रवाई?
यदि कोचिंग क्लासेस पर टैक्स चोरी का आरोप साबित होता है, तो उन्हें भारी जुर्माने के साथ कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। दोषी पाए जाने पर इन संस्थानों पर सख्त कदम उठाए जाएंगे।
शहर में शिक्षा के नाम पर हो रही इस वित्तीय धोखाधड़ी को लेकर स्थानीय लोग भी नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इनकम टैक्स विभाग इस मामले में कब निर्णायक कदम उठाता है।
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