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उल्हासनगर में आरक्षित भूखंडों पर अवैध टीडीआर जारी करने का मामला सामने आया, भ्रष्टाचार के आरोपों ने उठाई सरगर्मी।


 











उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

उल्हासनगर में दिव्यांगों और बेघरों के लिए आरक्षित भूखंडों पर अवैध तरीके से ट्रांसफर ऑफ डेवलपमेंट राइट्स (टीडीआर) जारी करने का बड़ा मामला सामने आया है। आरोप है कि तत्कालीन आयुक्त अजीज शेख, असिस्टेंट टाउन प्लानर ललित खोबागड़े, नगर रचनाकार प्रकाश मुले और कनिष्ठ अभियंता संजय पवार ने मिलीभगत कर बिल्डर अनिल होतचंदानी और उसके परिवार को खोटे दस्तावेजों के आधार पर टीडीआर जारी करवाया। इस मामले में उप शहर प्रमुख दिलीप मिश्रा ने तत्काल कार्रवाई की मांग करते हुए टीडीआर और प्लान को रद्द करने की मांग की है।

आरोप: अधिकारियों और बिल्डर के बीच गठजोड़

आरोप है कि उल्हासनगर महानगर पालिका के अधिकारियों ने बिल्डर अनिल होतचंदानी और उसके बेटे व भतीजे के साथ मिलकर आरक्षित भूखंडों पर अवैध तरीके से टीडीआर जारी किया। यह भूखंड दिव्यांगों के लिए गार्डन और बेघरों के लिए आवासीय योजना के लिए आरक्षित थे। अधिकारियों ने नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए बिना किसी उचित प्रक्रिया के बिल्डर को फायदा पहुंचाया। 

उप शहर प्रमुख ने उठाई आवाज

उल्हासनगर के उप शहर प्रमुख दिलीप मिश्रा ने इस मामले में तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह मामला गंभीर भ्रष्टाचार और नियमों की धांधली का है। उन्होंने मांग की कि संबंधित टीडीआर और प्लान को तुरंत रद्द किया जाए और दोषी अधिकारियों व बिल्डर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। मिश्रा ने कहा कि आरक्षित भूखंडों का दुरुपयोग करना समाज के कमजोर वर्गों के साथ अन्याय है।

जांच की मांग

इस मामले में स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने भी जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यदि यह मामला सही है तो इसमें शामिल सभी अधिकारियों और बिल्डर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही, आरक्षित भूखंडों को उनके मूल उद्देश्य के लिए वापस लिया जाना चाहिए।

उल्हासनगर महानगर पालिका की चुप्पी

इस मामले में नगर निगम की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, इस मामले की जांच शुरू हो सकती है। अधिकारियों की मिलीभगत और भ्रष्टाचार के इस मामले ने उल्हासनगर में सियासी और प्रशासनिक स्तर पर हलचल मचा दी है।

निष्कर्ष

यह मामला नगर निगम के भ्रष्टाचार और नियमों की धांधली की ओर इशारा करता है। दिव्यांगों और बेघरों के लिए आरक्षित भूखंडों का दुरुपयोग कर बिल्डर को फायदा पहुंचाने की यह घटना गंभीर चिंता का विषय है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में कितनी गंभीरता से कार्रवाई करता है और दोषियों को कितनी जल्दी सजा मिलती है।










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