उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
शहर में अवैध प्लास्टिक पनियों की बिक्री पर उल्हासनगर महानगरपालिका (UMC) की कार्रवाई को लेकर भारी विवाद खड़ा हो गया है। स्थानीय नागरिकों और व्यापारियों का आरोप है कि प्रशासन केवल छोटे दुकानदारों और फेरीवालों को निशाना बना रहा है, जबकि बड़े व्यापारियों और फैक्ट्री मालिकों को खुली छूट दी जा रही है।
अवैध प्लास्टिक बन भी रही है, बिक भी रही है – फिर कार्रवाई एकतरफा क्यों?
शहर के नागरिकों का कहना है कि यह अवैध प्लास्टिक पनियां खुद उल्हासनगर में ही निर्मित हो रही हैं और खुलेआम बेची जा रही हैं। फिर भी प्रशासन छोटे दुकानदारों पर शिकंजा कस रहा है, जबकि बड़े उद्योगपतियों और व्यापारियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही।
नेहरू चौक से लेकर अमन टॉकीज रोड तक की बड़ी दुकानों में यह अवैध प्लास्टिक पनियों धड़ल्ले से बेची जा रही है, लेकिन प्रशासन की कार्रवाई केवल उन दुकानदारों तक सीमित रह गई है, जो रोज़ाना की कमाई पर निर्भर हैं। इससे जनता के बीच यह सवाल उठ रहा है कि क्या प्रशासन जानबूझकर बड़े व्यापारियों को बचा रहा है?
महानगरपालिका पर उठे सवाल – क्या कानून सभी के लिए समान नहीं?
उल्हासनगर की जनता और व्यापारी वर्ग ने महानगरपालिका आयुक्त से इस भेदभावपूर्ण रवैये पर सवाल उठाते हुए पारदर्शिता की मांग की है। नागरिकों का कहना है कि यदि अवैध प्लास्टिक पनियों की बिक्री पर रोक लगानी है, तो यह कार्रवाई सभी पर समान रूप से होनी चाहिए, न कि केवल छोटे दुकानदारों और फेरीवालों पर।
अब देखना यह होगा कि महानगरपालिका प्रशासन इस जनआक्रोश के बाद क्या कदम उठाता है। क्या बड़े व्यापारियों और कारखानों पर भी कार्रवाई होगी, या फिर यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहेगा?
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