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"सर्वर डाउन" या सच्चाई छुपाने का बहाना? RTI मामले में उल्हासनगर महानगर पालिका प्रशासन कटघरे में..!


उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

सूचना का अधिकार (RTI) आम जनता के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण साधन है, लेकिन उल्हासनगर महानगरपालिका में इसे लेकर गंभीर लापरवाही देखने को मिल रही है। सूत्रों के मुताबिक, बीते दो से तीन दिनों से आम नागरिकों को कोई भी आरटीआई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जा रही है।

प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से लगातार यह बहाना दिया जा रहा है कि "सर्वर डाउन" है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यह वास्तव में तकनीकी समस्या है, या फिर जानबूझकर सूचना देने से इनकार किया जा रहा है? आम जनता में इस रवैये को लेकर भारी आक्रोश है और लोग इसे प्रशासन की एक साजिश करार दे रहे हैं।

पारदर्शिता पर उठे सवाल, RTI कानून की खुली अनदेखी!

सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI Act) के तहत किसी भी सरकारी विभाग को तय समयसीमा में जानकारी देना अनिवार्य है। लेकिन जब एक बड़े नगर निगम में ही सूचना छिपाने की कोशिश हो रही है, तो इससे पारदर्शिता और कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।

क्या हो रही है किसी घोटाले को छिपाने की कोशिश?

उल्हासनगर महानगरपालिका में हाल के दिनों में कई विकास योजनाओं और टेंडरों को लेकर सवाल उठे हैं। ऐसे में RTI से जुड़ी इस लापरवाही को लेकर नागरिकों में संदेह बढ़ रहा है कि कहीं कोई घोटाला तो नहीं छिपाया जा रहा?

नागरिकों की मांग – प्रशासन दे जवाब!

स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मामले में जल्द से जल्द जवाब और पारदर्शिता की मांग की है। अगर प्रशासन ने उचित स्पष्टीकरण नहीं दिया तो जल्द ही इसके खिलाफ आंदोलन या कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।

अब देखना यह होगा कि उल्हासनगर महानगरपालिका इस गंभीर मामले पर क्या सफाई देती है और नागरिकों की RTI मांगों को कब तक पूरा किया जाता है!









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