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उल्हासनगर SDO कार्यालय में घोटाले की बू, प्रशासन पर उठे सवाल – उच्चस्तरीय जांच की मांग।


उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

ब्रिटिश काल से पुलिस के कब्जे में रहे प्लॉट की सनद जारी होने पर बवाल!

उल्हासनगर में सरकारी प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। SDO कार्यालय में कथित अनियमितताओं और बाहरी प्रभाव में लिए जा रहे फैसलों को लेकर स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, कुछ प्रभावशाली लोगों के दबाव में प्रशासनिक स्तर पर बड़े घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है।

पुलिस के अधीन रहे प्लॉट की सनद कैसे जारी हुई?

उल्हासनगर के BK No. 1257 और 1258 प्लॉट, जो ब्रिटिश शासनकाल से पुलिस विभाग के कब्जे में थे, उनकी सनद (अधिकार पत्र) आखिर कैसे जारी की गई? यह एक गंभीर सवाल बन गया है। स्थानीय नागरिक और सामाजिक कार्यकर्ता इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।

सूत्रों की मानें तो यह प्लॉट ऐतिहासिक रूप से सरकारी संपत्ति के रूप में दर्ज थे, लेकिन हाल ही में जारी की गई सनदों ने प्रशासन की नीयत पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह प्रशासनिक लापरवाही है या फिर सत्ता और पैसों के खेल का नतीजा?

श्मशान भूमि की दफन भूमि पर भी संकट?

इस पूरे मामले में एक और गंभीर आरोप सामने आ रहा है। श्मशान भूमि में स्थित बच्चों की दफन भूमि की भी सनद जारी करने की योजना बनाई जा रही है। अगर यह सच साबित हुआ, तो यह धार्मिक और सामाजिक भावनाओं को आहत करने वाला एक संवेदनशील मामला होगा।

क्या SDO बाहरी दबाव में काम कर रहे हैं?

सूत्रों के मुताबिक, SDO कार्यालय में कुछ बाहरी लोग आकर SDO साहब को निर्देशित कर रहे हैं और उन्हीं के इशारे पर फैसले लिए जा रहे हैं। यदि ये आरोप सही हैं, तो यह एक बड़ा प्रशासनिक घोटाला साबित हो सकता है। सरकारी कार्यालयों में बाहरी हस्तक्षेप प्रशासनिक निष्पक्षता पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।

जांच और सख्त कार्रवाई की मांग

स्थानीय नागरिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और कई संगठनों ने इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। यदि जल्द ही कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो यह मामला बड़े स्तर पर विरोध और आंदोलन का रूप ले सकता है।

प्रशासन को तुरंत हस्तक्षेप कर पारदर्शिता सुनिश्चित करनी होगी, वरना यह घोटाला जल्द ही एक बड़े घोटाले के रूप में सामने आ सकता है!









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