मुंबई: दिनेश मीरचंदानी
देश के प्रतिष्ठित लीलावती अस्पताल ट्रस्ट में 1500 करोड़ रुपये के घोटाले का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। इस घोटाले में पूर्व ट्रस्टियों पर अस्पताल के फंड से करोड़ों रुपये की हेराफेरी का गंभीर आरोप लगा है। बताया जा रहा है कि यह फर्जीवाड़ा पिछले दो दशकों से चल रहा था, जिसके चलते अस्पताल की सेवाओं पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। मामले की गंभीरता को देखते हुए 7 मार्च, 2025 को एफआईआर दर्ज की गई, और अब पुलिस तथा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) इस बहुचर्चित घोटाले की गहराई से जांच में जुट गए हैं।
ट्रस्ट की ऑडिट जांच में हुआ वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा
लीलावती अस्पताल ट्रस्ट की ऑडिट रिपोर्ट में व्यापक वित्तीय अनियमितताएं सामने आई हैं। जांच में पता चला कि ट्रस्ट के धन का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया गया। मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने बताया कि वर्ष 2002 के बाद, जब ट्रस्ट के प्रमुख किशोर मेहता की तबीयत बिगड़ी, तो उनके कुछ नजदीकी रिश्तेदारों ने अस्पताल के संचालन पर अवैध रूप से कब्जा जमा लिया। इसके बाद, अगले 20 वर्षों में ट्रस्ट के फंड में बड़े पैमाने पर हेराफेरी की गई, जिससे ट्रस्ट को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा।
1500 करोड़ रुपये की हेराफेरी, विदेशी लेन-देन का भी शक
प्रारंभिक जांच के अनुसार, ट्रस्ट से हेराफेरी किए गए 1500 करोड़ रुपये की राशि को अवैध तरीके से देश से बाहर भेजे जाने की आशंका जताई जा रही है। वित्तीय गड़बड़ियों के इस मामले में कई प्रभावशाली लोगों के शामिल होने का अंदेशा है। जांच एजेंसियां अब यह पता लगाने का प्रयास कर रही हैं कि इस धनराशि का कहां और कैसे इस्तेमाल किया गया।
चिकित्सा क्षेत्र में बड़े घोटाले की गूंज, होगी कड़ी कार्रवाई
यह घोटाला न केवल एक प्रतिष्ठित अस्पताल के फंड के दुरुपयोग को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि किस प्रकार कुछ लोग चिकित्सा क्षेत्र को भी भ्रष्टाचार का अड्डा बना सकते हैं। इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए प्रवर्तन निदेशालय और पुलिस की विशेष टीमें गहन जांच में जुट गई हैं।
सरकार और जांच एजेंसियों ने आश्वासन दिया है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और इस घोटाले के हर पहलू की गहराई से जांच की जाएगी। लीलावती अस्पताल ट्रस्ट से जुड़े इस महाघोटाले के खुलासे से चिकित्सा जगत में हड़कंप मचा हुआ है और अब सबकी निगाहें जांच एजेंसियों की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।
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