उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
प्लास्टिक प्रतिबंध को लेकर उल्हासनगर में एक नया प्रशासनिक विवाद सामने आया है, जिसने नगर की व्यापारिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। भाजपा व्यापारी प्रकोष्ठ, उल्हासनगर के महासचिव विजय खटवानी ने इस मुद्दे को लेकर उल्हासनगर महानगर पालिका आयुक्त को एक औपचारिक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें छोटे व्यापारियों के साथ हो रहे अन्याय पर गहरी नाराज़गी जताई गई है।
छोटे दुकानदारों पर कार्रवाई, बड़े उद्योगों को खुली छूट?
श्री खटवानी ने अपने ज्ञापन में यह स्पष्ट किया कि प्लास्टिक पर प्रतिबंध की आड़ में कार्रवाई का सारा बोझ सिर्फ फेरीवालों और छोटे दुकानदारों पर डाला जा रहा है। उल्हासनगर में उनकी दुकानों पर बार-बार छापेमारी की जा रही है, भारी-भरकम जुर्माने लगाए जा रहे हैं, जिससे इनका कारोबार चौपट होने की कगार पर पहुंच गया है।
लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि बड़े प्लास्टिक उत्पादकों, कारखानों और निर्माण इकाइयों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। न तो उन पर छापे मारे जा रहे हैं, न ही जुर्माने लगाए जा रहे हैं। इससे यह प्रतीत होता है कि प्रशासन की नजर में कानून सिर्फ कमजोरों के लिए है।
व्यापारी प्रकोष्ठ ने उठाई निष्पक्षता की मांग
श्री खटवानी ने आयुक्त से इस दोहरे रवैये पर तत्काल संज्ञान लेने और निष्पक्ष कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि यदि यह असंतुलन जारी रहा, तो छोटे व्यापारियों में असंतोष और भय का वातावरण और गहरा होगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचेगा।
व्यापारियों में आक्रोश, आंदोलन की चेतावनी संभव
इस ज्ञापन के सामने आते ही उल्हासनगर के व्यापारिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। व्यापारी वर्ग में भारी आक्रोश व्याप्त है और यदि प्रशासन ने जल्द ठोस कदम नहीं उठाए, तो संगठित आंदोलन की चेतावनी दी जा रही है।
क्या प्रशासन व्यापारियों की आवाज सुनेगा या बड़े पूंजीपतियों के दबाव में खामोश रहेगा? यह सवाल अब उल्हासनगर की जनता के सामने है।
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