उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
उल्हासनगर में जातीय अत्याचार के एक गंभीर मामले में आखिरकार पुलिस ने राजेश पुरस्वानी और प्रशांत पुरस्वानी पर भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अंतर्गत गंभीर धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है।
इससे पहले 16 मई 2025 को वाल्मीकि समाज के युवक साहिल के साथ कथित जातीय अपमान और अभद्र भाषा का प्रयोग किए जाने को लेकर वाल्मीकि समाज के नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भारी संख्या में सेंट्रल पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी। इसके पश्चात 20 मई को पीड़ित युवक साहिल और पत्रकार सोमवीर भगवाने के बयान दर्ज किए गए थे।
हालांकि, पुलिस द्वारा लंबे समय तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने के कारण समाज में रोष व्याप्त था। इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए 22 मई को अखिल भारतीय श्री वाल्मीकि नव युवक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मोहन कंडारे, राष्ट्रीय संयोजक श्री सुरेश राठी, उल्हासनगर शहर अध्यक्ष श्री रवि खैरालिया समेत कई समाजसेवी और कार्यकर्ता डीसीपी (Zone-4) श्री सचिन गोरे से मिले। डीसीपी ने आश्वासन दिया कि दोषियों पर शीघ्र कार्रवाई की जाएगी।
आठ दिन के भीतर प्रशासन ने अपने वादे को पूरा करते हुए 30 मई 2025 को राजेश पुरस्वानी और प्रशांत पुरस्वानी पर निम्नलिखित धाराओं में मामला दर्ज किया:
1. भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 - धारा 118(1)
2. भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 - धारा 351(2)
3. भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 - धारा 352
4. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 - धारा 3(1)(h)
5. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 - धारा 3(1)(u)
वाल्मीकि समाज के नेताओं ने पुलिस की इस कार्रवाई का स्वागत किया है और चेतावनी दी है कि यदि मामले में निष्पक्ष जांच न हुई तो आंदोलन किया जाएगा।
यह मामला एक बार फिर दर्शाता है कि संगठित सामाजिक संघर्ष और कानूनी दवाब से न्याय की राह प्रशस्त की जा सकती है।
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