उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
उल्हासनगर के उपविभागीय अधिकारी (SDO) कार्यालय में इन दिनों एक चौंकाने वाला मामला गरमा रहा है। एक व्यक्ति, जो खुद को राठौर बताता है, खुलेआम दावा कर रहा है कि "पूरा SDO ऑफिस मैं चला रहा हूँ, और मेरी मर्जी के बिना यहां एक पत्ता भी नहीं हिल सकता!"
यह बयान प्रशासनिक पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। राठौर नामक यह व्यक्ति आखिर कौन है? क्या वह किसी प्रभावशाली अधिकारी या राजनेता से जुड़ा है? या फिर सरकारी तंत्र में उसकी गहरी पैठ है?
सूत्रों के मुताबिक:
राठौर SDO कार्यालय के कई कार्यों में सीधे दखल देता है।
सनद(सीडी), सीडी वेरीफिकेशन और अन्य दस्तावेजों की प्रक्रिया में उसका कथित हस्तक्षेप आम है।
कई आवेदकों को यह कहा गया कि “राठौर से बात करो, तभी काम होगा।”
जनता का आक्रोश: स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस पूरे घटनाक्रम पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि एक आम आदमी सरकारी ऑफिस को अपने नियंत्रण में बताकर दबंगई कर रहा है, और प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है।
प्रमुख सवाल जो उठ रहे हैं:
क्या राठौर वास्तव में SDO कार्यालय में ‘सुपर अफसर’ बना बैठा है?
क्या यह अधिकारियों की मिलीभगत का मामला है?
प्रशासन कब जागेगा और इस मामले में जांच कराएगा?
👉 जनता की मांग:
उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित कर इस कथित 'राठौर राज' का पर्दाफाश किया जाए और दोषियों पर हो कड़ी कार्रवाई।
📌 यह मामला सिर्फ एक ऑफिस की साख का नहीं, बल्कि जनता के अधिकारों और लोकतांत्रिक व्यवस्था की मूल भावना का सवाल है।
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