उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
उल्हासनगर शहर का राशन कार्यालय इन दिनों दलालों की पकड़ में जकड़ा हुआ है। सरकारी योजनाओं के अंतर्गत सस्ते दाम पर अनाज और आवश्यक वस्तुएं पाने वाले गरीब एवं जरूरतमंद नागरिक दलालों की मनमानी और शोषण से बेहाल हैं।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि राशनकार्ड से जुड़ा कोई भी कार्य – चाहे नया कार्ड बनवाना हो, नाम जोड़ना/हटाना हो, या फिर कार्ड पर नियमित रूप से अनाज प्राप्त करना – दलालों की मदद के बिना लगभग असंभव हो गया है। बताया जा रहा है कि हर छोटे-बड़े कार्य के लिए नागरिकों से भारी-भरकम रकम वसूली जाती है।
लोगों का आरोप है कि इस पूरे खेल में विभागीय अधिकारी और कर्मचारी भी मौन हैं, जिससे दलालों का नेटवर्क और मजबूत होता जा रहा है। नतीजा यह है कि आम जनता को अपने हक का राशन पाने के लिए महीनों तक दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं और आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है।
सामाजिक संगठनों ने इस स्थिति पर गहरी नाराज़गी जताई है और चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन एवं जनप्रतिनिधि इस समस्या पर तुरंत संज्ञान नहीं लेते, तो नागरिक आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे।
वर्तमान में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधि गरीबों को उनका हक दिलाने और दलालों पर लगाम कसने के लिए निर्णायक कदम उठाएंगे या फिर आम जनता यूं ही शोषण का शिकार होती रहेगी।
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