उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
सियासत
उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
नई दिल्ली: दिनेश मीरचंदानी
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि झूठे मामले दर्ज करने या सबूतों से छेड़छाड़ करने वाले पुलिस अधिकारियों पर मुकदमा चलाने के लिए किसी पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं है। अदालत ने कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 197 ऐसे मामलों में अभियोजन से छूट नहीं देती है।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि किसी पुलिस अधिकारी पर झूठा मुकदमा दर्ज करने या सबूतों से छेड़छाड़ करने का आरोप है, तो यह एक आपराधिक कृत्य है। ऐसे मामलों में CrPC की धारा 197 के तहत अभियोजन के लिए पूर्व अनुमति की जरूरत नहीं होगी।
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने स्पष्ट किया कि झूठे मामले गढ़ना या दुर्भावनापूर्ण अभियोजन करना पुलिस अधिकारी के आधिकारिक कर्तव्यों का हिस्सा नहीं है। इसलिए, इस तरह के मामलों में CrPC की धारा 197 के तहत कोई संरक्षण नहीं दिया जा सकता।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला तब सामने आया जब मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक पुलिस अधिकारी की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने CrPC की धारा 197 के तहत अभियोजन से छूट की मांग की थी। अधिकारी पर एक आपराधिक मामले में सबूत गढ़ने का आरोप था।
सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि CrPC की धारा 197 का संरक्षण केवल उन कृत्यों पर लागू होता है, जो आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन के तहत किए जाते हैं। झूठे मुकदमे दर्ज करना या सबूतों से छेड़छाड़ करना आधिकारिक कर्तव्य नहीं, बल्कि आपराधिक कृत्य हैं।
वकील की दलीलें और कोर्ट की टिप्पणी
मामले में पुलिस अधिकारी के वकील ने तर्क दिया कि कोई भी कार्य जो एक लोक सेवक अपने आधिकारिक दायित्वों के तहत करता है, उसके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पूर्व अनुमति आवश्यक होती है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया और स्पष्ट किया कि झूठे मामले दर्ज करना और सबूतों से छेड़छाड़ करना आपराधिक कृत्य हैं, न कि आधिकारिक कर्तव्य।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि CrPC की धारा 197 लोक सेवकों को अनावश्यक उत्पीड़न से बचाने के लिए है, लेकिन इसका दुरुपयोग अवैध गतिविधियों को छुपाने के लिए नहीं किया जा सकता।
पुलिस अधिकारियों के लिए चेतावनी और प्रशासनिक सुधार की दिशा में कदम
सुप्रीम कोर्ट का यह ऐतिहासिक फैसला पुलिस कदाचार के मामलों में बड़ा असर डाल सकता है। इस निर्णय से यह सुनिश्चित होगा कि झूठे मुकदमे दर्ज करने या सबूत गढ़ने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ बिना किसी पूर्व अनुमति के कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी।
इस फैसले के बाद कानून प्रवर्तन एजेंसियों पर जवाबदेही तय होगी और झूठे मामलों में फंसाने की प्रवृत्ति पर रोक लगेगी। यह निर्णय पुलिस सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
महाराष्ट्र में गौ हत्या पर सख्ती: मुख्यमंत्री फडणवीस का बड़ा फैसला, दोहराए गए अपराधों पर लगेगा MCOCA
मुंबई: दिनेश मीरचंदानी
महाराष्ट्र सरकार ने गौ हत्या के मामलों पर सख्त रुख अपनाते हुए बड़ा निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घोषणा की है कि जो भी व्यक्ति बार-बार गौ हत्या के अपराधों में लिप्त पाया जाएगा, उसके खिलाफ MCOCA (महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम) के तहत कार्रवाई की जाएगी।
यह महत्वपूर्ण निर्णय महाराष्ट्र विधानसभा सत्र के दौरान लिया गया, जब विधायक संग्राम जगताप ने इस मुद्दे को उठाया। मुख्यमंत्री फडणवीस ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार गौ हत्या के मामलों की बारीकी से निगरानी कर रही है और ऐसे अपराधों को जड़ से खत्म करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी।
सरकार का यह फैसला गौ रक्षा के प्रति राज्य की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और अवैध रूप से गौ हत्या में संलिप्त अपराधियों पर लगाम लगाने के उद्देश्य से लिया गया है। MCOCA, जो आमतौर पर संगठित अपराधों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है, अब गौ हत्या के पुनरावृत्ति मामलों पर भी लागू होगा, जिससे अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जा सकेगी।
इस फैसले के कई कानूनी, सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव होंगे, जिन पर आगे चर्चा की जाएगी। सरकार की इस घोषणा से गौ रक्षा से जुड़े संगठनों और आम जनता में संतोष की लहर देखी जा रही है। अब यह देखना होगा कि इस सख्त कानून के तहत कितनी प्रभावी कार्रवाई की जाती है और इसका वास्तविक प्रभाव कितना व्यापक होता है।
ठाणे(टिटवाला): दिनेश मीरचंदानी
टिटवाला के प्रसिद्ध श्री सिद्धिविनायक गणपति मंदिर में काम करने वाले कर्मचारियों के साथ हो रहे अन्याय और शोषण का बड़ा मामला सामने आया है। कर्मचारियों की वेतन वृद्धि ठप, भविष्य निधि में घोटाले और अत्यधिक श्रम के बावजूद चिकित्सा सुविधाओं का अभाव जैसी गंभीर शिकायतें दर्ज की गई हैं। विराट कामगार संघटना ने मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर मंदिर प्रशासन की लापरवाहियों और कर्मचारियों के हक की अनदेखी के खिलाफ ठोस कार्रवाई की मांग की है।
मंदिर प्रशासन पर लगे बड़े आरोप
संघटना के सचिव श्री. मनोज दळवी ने बताया कि मंदिर में 2015 से वेतन वृद्धि नहीं हुई, जबकि 2011 से 2015 तक मनमाने ढंग से वेतन में फेरबदल किया गया। जब कर्मचारियों ने सहायक कामगार उप-आयुक्त, कल्याण से शिकायत की, तो कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। एडवोकेट मयुरेश मोदेगी कामगारून की तरफ से न्यायालयीन कामकाज देखकर न्याय दिलाने की कोशिश कर रहे है
यह हैं मंदिर प्रशासन की बड़ी लापरवाहियां:
✅ कर्मचारियों की संख्या में भारी कटौती:
पहले मंदिर में 20-22 कर्मचारी कार्यरत थे, लेकिन सेवानिवृत्ति और इस्तीफे के बाद नए कर्मचारियों की भर्ती नहीं की गई। मौजूदा कर्मचारियों को तीन गुना ज्यादा काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
✅ सुरक्षा के नाम पर जीरो इंतजाम:
मंदिर में पहले 5-6 सुरक्षाकर्मी हुआ करते थे, लेकिन अब एक भी सुरक्षाकर्मी नहीं है। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के बावजूद सुरक्षा को लेकर लापरवाही बरती जा रही है।
✅ कर्मचारियों से जबरन अतिरिक्त श्रम, लेकिन चिकित्सा सुविधाएं नहीं:
कर्मचारियों से अत्यधिक काम कराया जा रहा है, जिससे वे गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। इलाज का खर्च करके वह कर्जदार बन रहे है उन्हे इ एस आय सी और मेडिक्लेम जेसी सुविधा से भी वो वंचित है।
✅ धर्मशाला में अव्यवस्था:
मंदिर की धर्मशाला को अनुबंध पद्धति पर सौंप दिया गया, लेकिन वहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बुनियादी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं कराई जा रही हैं।
✅ दान पेटियों का अपारदर्शी प्रबंधन:
मंदिर में रखी गई दान पेटियों को बिना सील के खुला छोड़ा जाता है और उन्हें खोलते समय कोई सक्षम अधिकारी मौजूद नहीं रहता। पेटियों में जमा होने वाली राशि का कोई स्पष्ट हिसाब नहीं दिया जाता, जिससे पैसों के दुरुपयोग की आशंका है।
✅ अनुचित वेतन नीतियां:
8 घंटे से ज्यादा काम करने के बावजूद कर्मचारियों को कोई अतिरिक्त भुगतान नहीं दिया जाता, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही है।
✅ भविष्य निधि में घोटाले का शक:
मंदिर प्रशासन ने अब तक कर्मचारियों के लिए भविष्य निधि (PF) खाता नहीं खोला और उन्हें झूठे आश्वासन देकर बरगलाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री से न्याय की गुहार
संघटना ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को भी पहले इस मुद्दे पर पत्र भेजा गया था, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से अनुरोध किया गया है कि वे इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करें और कर्मचारियों के वेतन, सुरक्षा और अन्य अधिकारों की रक्षा के लिए कड़े कदम उठाएं।
क्या मंदिर प्रशासन देगा जवाब?
मंदिर प्रशासन पर लगे इन गंभीर आरोपों के बाद अब सरकार की प्रतिक्रिया पर सबकी नजरें टिकी हैं। अगर जल्द ही कोई समाधान नहीं निकला, तो यह मामला और बड़ा हो सकता है और कर्मचारियों का आक्रोश सड़कों पर दिख सकता है।
क्या सरकार कर्मचारियों के हक में कोई ठोस कार्रवाई करेगी? या फिर मंदिर प्रशासन के इन गंभीर आरोपों पर चुप्पी साधी जाएगी?
उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
18 मार्च की रात करीब 10:00 बजे उल्हासनगर महानगरपालिका में एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसे केवल वित्तीय अनियमितता ही नहीं, बल्कि गंभीर साइबर अपराध भी माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, एक राजनीतिक परिवार के दबाव में आकर या किसी बड़े उद्योगपति से आर्थिक लाभ लेकर, अधिकारियों ने कंप्यूटर सॉफ्टवेयर में हेराफेरी की है।
प्रारंभिक जांच में संकेत मिले हैं कि इस घोटाले को योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया, जिससे महत्वपूर्ण डेटा में छेड़छाड़ कर मनचाही वित्तीय अनियमितताएँ की गईं। आशंका जताई जा रही है कि इसमें उच्च पदस्थ अधिकारी भी संलिप्त हो सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार, इस कांड के पीछे एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार और एक बड़े उद्योगपति का नाम सामने आ रहा है। संभावना है कि इस सॉफ्टवेयर हेराफेरी के जरिए करोड़ों रुपये का गबन किया गया हो।
इस घोटाले का पर्दाफाश होते ही नगर प्रशासन में हड़कंप मच गया है। जांच एजेंसियों ने इस मामले की विस्तृत जांच शुरू कर दी है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।
शहरवासियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस कृत्य की कड़ी निंदा की है और निष्पक्ष जांच की मांग की है। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस घोटाले पर क्या कदम उठाता है और दोषियों को कानून के कटघरे में कब लाया जाता है।
इस भ्रष्टाचार में उमपा को करीब 50 लाख के ऊपर का नुकसान हुआ है।
मुंबई: दिनेश मीरचंदानी
दिशा सालियन मौत मामले में एक बड़ा राजनीतिक मोड़ आया है। भाजपा नेता और मंत्री नितेश राणे ने शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता और विधायक आदित्य ठाकरे पर सीधा हमला बोलते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है।
नितेश राणे ने इस मामले को लेकर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह तो सिर्फ शुरुआत है और आगे और बड़े खुलासे होने की संभावना है। उन्होंने इशारा किया कि इस मामले में कई और चौंकाने वाली जानकारियां सामने आ सकती हैं, जिससे महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल आ सकता है।
राणे के इन बयानों के बाद राज्य की राजनीति गरमा गई है। इस मामले को लेकर विरोधी दलों के बीच बयानबाजी तेज हो गई है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद आने वाले दिनों में और बड़ा रूप ले सकता है।
इस मुद्दे पर आदित्य ठाकरे या शिवसेना (यूबीटी) की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन, माना जा रहा है कि इस आरोप के जवाब में जल्द ही पार्टी कोई ठोस कदम उठा सकती है।
राजनीतिक हलकों में इस मामले की गूंज तेज होती जा रही है। देखना होगा कि आगे क्या नया मोड़ आता है और क्या सच सामने आता है।
मुंबई: दिनेश मीरचंदानी
दिवंगत सेलिब्रिटी मैनेजर दिशा सालियान की मौत को लेकर एक बार फिर विवाद गहराता जा रहा है। दिशा के पिता सतीश सालियान ने मुंबई उच्च न्यायालय में एक नई याचिका दायर कर सनसनीखेज आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया है कि दिशा की सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या की गई थी और इसके पीछे एक बड़ा षड्यंत्र हो सकता है।
एनआईए जांच की मांग, समीर वानखेडे जैसे अधिकारी की निगरानी पर जोर
सतीश सालियान ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) से इस मामले की स्वतंत्र जांच की मांग की है। उन्होंने इस जांच की निगरानी किसी ईमानदार और निष्पक्ष अधिकारी, जैसे कि पूर्व नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) अधिकारी समीर वानखेडे, से कराने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उनका कहना है कि मौजूदा जांच में कई महत्वपूर्ण तथ्य नजरअंदाज किए गए हैं और सच को सामने लाने के लिए एक निष्पक्ष जांच आवश्यक है।
मुंबई पुलिस, आदित्य ठाकरे, सूरज पंचोली समेत कई लोगों पर गंभीर आरोप
याचिका में मुंबई पुलिस, पूर्व महापौर किशोरी पेडणेकर, शिवसेना (यूबीटी) विधायक आदित्य ठाकरे, अभिनेता सूरज पंचोली और अन्य लोगों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। सतीश सालियान का कहना है कि पत्रकार अर्णब गोस्वामी और भाजपा नेता नितेश राणे द्वारा लगाए गए आरोपों में सच्चाई है और उन्हें गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि मुंबई पुलिस और किशोरी पेडणेकर ने उन्हें गुमराह किया और मानसिक दबाव डाला, जिससे वह उन सबूतों को मानने के लिए मजबूर हो गए जो पुलिस ने उनके सामने रखे थे।
पहले परिवार ने किया था इनकार, अब दोबारा जांच की मांग
यह उल्लेखनीय है कि इससे पहले दिशा सालियान के परिवार ने आदित्य ठाकरे के इस मामले से किसी भी संबंध से इनकार किया था। हालांकि, अब सतीश सालियान ने अपनी याचिका में पुनः जांच की मांग की है, जिससे इस मामले में एक नया मोड़ आ गया है।
भाजपा नेता नितेश राणे की मांग: आदित्य ठाकरे से हो पूछताछ
भाजपा नेता नितेश राणे ने भी अपनी मांग को दोहराते हुए कहा कि दिशा सालियान और सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामलों में आदित्य ठाकरे से हिरासत में पूछताछ की जानी चाहिए। उन्होंने 8 जून 2020 को दिशा सालियान, आदित्य ठाकरे, राहुल कनाल, सूरज पंचोली, सचिन वाझे और एकता कपूर के मोबाइल लोकेशन की जांच की मांग की है। उनका दावा है कि ये सभी लोग उस रात 100 मीटर के दायरे में मौजूद थे, जिससे कई सवाल खड़े होते हैं।
सुशांत सिंह राजपूत की मौत से भी जुड़ा मामला, मोबाइल लोकेशन और सीसीटीवी फुटेज की जांच की मांग
इसके अलावा, मुंबई उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर 13 और 14 जून 2020 को सुशांत सिंह राजपूत, रिया चक्रवर्ती, आदित्य ठाकरे, अरबाज खान, संदीप सिंह और शौविक चक्रवर्ती के मोबाइल लोकेशन की जांच की मांग की गई है।
याचिका में इन दोनों दिनों के दौरान आदित्य ठाकरे से संबंधित सभी सीसीटीवी फुटेज की भी जांच की अपील की गई है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि उन दिनों क्या हुआ था।
न्यायालय के फैसले पर टिकी नजरें
इस मामले की आगे की सुनवाई पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। अदालत का निर्णय इस मामले में नए मोड़ ला सकता है और कई बड़े नामों की भूमिका पर सवाल खड़े कर सकता है। अब यह देखना होगा कि न्यायालय इस याचिका पर क्या रुख अपनाता है और क्या इस मामले की फिर से जांच शुरू होगी।
Advertisement
Most Reading
-
महाराष्ट्र : दिनेश मीरचंदानी महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ आ सकता है, जैसा कि सूत्रों से पता चला है कि आयुष्मान भारत मिशन महाराष्...
-
ट्रेनी IAS अफसर रही पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका दिल्ली कोर्ट ने खारिज कर दी है। पटियाला हाउस कोर्ट ने गुरुवार 1 अगस्त को दिल्ली पुलि...
-
राज्य सरकारें अब अनुसूचित जाति, यानी SC के रिजर्वेशन में कोटे में कोटा दे सकेंगी। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (1 अगस्त) को इस बारे में बड़ा फैस...
-
मुंबई. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री एवं शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख उद्धव ठाकरे मंगलवार को अपनी पत्नी रश्मी और विधायक पुत्र आदित्य ठाक...
-
अमेजन इंडिया के कंट्री हेड मनीष तिवारी ने इस्तीफा दे दिया है। कंपनी के स्पोक्सपर्सन ने मनीष के इस्तीफे की पुष्टि की है। रिपोर्ट्स के मुताब...