सियासत
उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
उल्हासनगर के प्रतिष्ठित एस.एस.टी. कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स में आज 'व्यसनमुक्त भारत अभियान' के तहत एक भव्य और प्रेरणादायक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर देश के चर्चित और कर्तव्यनिष्ठ IRS अधिकारी समीर वानखेड़े मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, जिनका कॉलेज के प्राचार्य डॉ जे.सी पुरुस्वानी, समस्त शिक्षकगण एवं शहर के प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता कुमार मेंघवानी,विक्की मेंघवानी,वकील संस्कार शिंदे,दिनेश मीरचंदानी ने सम्मानपूर्वक स्वागत किया।
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य युवाओं को नशा, शराब, तंबाकू और अन्य व्यसनों से दूर रहने हेतु जागरूक करना और उन्हें समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी का बोध कराना था।
समीर वानखेड़े ने अपने ओजस्वी और विचारोत्तेजक संबोधन में कहा:
"नशा सिर्फ शरीर नहीं, समाज को भी खोखला करता है। हर युवा यदि ठान ले कि वह नशे से दूर रहेगा और दूसरों को भी प्रेरित करेगा, तो व्यसनमुक्त भारत का सपना जल्द साकार होगा।"
उन्होंने युवाओं से स्वस्थ जीवनशैली अपनाने, सकारात्मक सोच रखने, और राष्ट्रनिर्माण में भागीदार बनने का आह्वान किया।
कॉलेज के प्राचार्य ने भी कहा कि छात्रों में व्यसन के खिलाफ चेतना जगाने की दिशा में यह कार्यक्रम एक मील का पत्थर साबित होगा।
इस आयोजन में सैकड़ों छात्र-छात्राएं, शिक्षकगण, अभिभावक, और समाजसेवी संगठनों के प्रतिनिधि बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान छात्र-छात्राओं द्वारा प्रस्तुत की गई सांस्कृतिक झांकियाँ और नारों ने भी जनचेतना को गहराई से छुआ।
कार्यक्रम के अंत में एक सर्वसम्मति प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें सभी ने नशामुक्त भारत के संकल्प को दोहराया और इस मुहिम को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया।
यह आयोजन केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक क्रांति की शुरुआत थी — जो युवाओं को नई दिशा, नया जोश और एक स्वच्छ समाज की ओर ले जाने का माध्यम बनेगा।
उल्हासनगर-5 के शांत रेजिडेंशियल इलाकों में अवैध जींस और गाउन सिलाई कारखानों का जाल दिनोंदिन फैलता जा रहा है। स्थानीय नागरिकों की मानें तो इन क्षेत्रों को योजनाबद्ध तरीके से व्यावसायिक गतिविधियों का अड्डा बना दिया गया है, जिससे न केवल क्षेत्र की मूल संरचना प्रभावित हो रही है, बल्कि आम जनजीवन भी संकट में है।
🏭 अवैध कारखाने, वैध सवाल
इन अवैध गारमेंट यूनिटों में:
बिना अनुमति निर्माण और कमर्शियल उपयोग किया जा रहा है।
न तो फायर सेफ्टी के इंतजाम हैं और न ही कोई स्ट्रक्चरल ऑडिट होता है।
बाहर से आए श्रमिकों का कोई पुलिस वेरिफिकेशन नहीं — जिससे आपराधिक घटनाओं की आशंका बनी रहती है।
🛑 नागरिकों की परेशानी:
लगातार ट्रैफिक जाम और ध्वनि प्रदूषण।
पानी और बिजली की चोरी जैसी समस्याएं।
अव्यवस्थित जनसंख्या और सुरक्षा संकट।
❓ प्रशासनिक चुप्पी क्यों?
उल्हासनगर महानगरपालिका और पुलिस प्रशासन की चुप्पी से नागरिकों में गुस्सा है। अब तक न कोई अतिक्रमण विरोधी मुहिम चलाई गई, न कोई सख्त कार्रवाई की गई। सवाल यह है कि आखिर जिम्मेदारी कौन लेगा?
✅ नागरिकों की पांच प्रमुख मांगें:
1. रेजिडेंशियल एरिया से अवैध गारमेंट यूनिटों को तत्काल हटाया जाए।
2. बाहर से आए कारीगरों का पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य किया जाए।
3. उल्हासनगर महानगर पालिका नियोजन के उल्लंघन पर नियमित निरीक्षण व कार्रवाई हो।
4. खतरनाक इमारतों की फायर सेफ्टी और स्ट्रक्चरल जांच कर उन्हें सील किया जाए।
5 यह सब अवैध जींस और गाउन सिलाई कारखाने कब इंडस्ट्रियल जोन में जाएंगे।
🔍 सवाल यही है:
क्या प्रशासन की नींद टूटेगी? या फिर एक हादसे का इंतजार है?
उल्हासनगर महानगरपालिका और पुलिस प्रशासन को अब "कार्रवाई" शब्द को सिर्फ फाइलों से निकालकर जमीनी हकीकत में बदलना होगा — इससे पहले कि यह संकट और गहरा हो जाए।
उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
उल्हासनगर के उपविभागीय अधिकारी (SDO) कार्यालय में इन दिनों एक चौंकाने वाला मामला गरमा रहा है। एक व्यक्ति, जो खुद को राठौर बताता है, खुलेआम दावा कर रहा है कि "पूरा SDO ऑफिस मैं चला रहा हूँ, और मेरी मर्जी के बिना यहां एक पत्ता भी नहीं हिल सकता!"
यह बयान प्रशासनिक पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। राठौर नामक यह व्यक्ति आखिर कौन है? क्या वह किसी प्रभावशाली अधिकारी या राजनेता से जुड़ा है? या फिर सरकारी तंत्र में उसकी गहरी पैठ है?
सूत्रों के मुताबिक:
राठौर SDO कार्यालय के कई कार्यों में सीधे दखल देता है।
सनद(सीडी), सीडी वेरीफिकेशन और अन्य दस्तावेजों की प्रक्रिया में उसका कथित हस्तक्षेप आम है।
कई आवेदकों को यह कहा गया कि “राठौर से बात करो, तभी काम होगा।”
जनता का आक्रोश: स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस पूरे घटनाक्रम पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि एक आम आदमी सरकारी ऑफिस को अपने नियंत्रण में बताकर दबंगई कर रहा है, और प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है।
प्रमुख सवाल जो उठ रहे हैं:
क्या राठौर वास्तव में SDO कार्यालय में ‘सुपर अफसर’ बना बैठा है?
क्या यह अधिकारियों की मिलीभगत का मामला है?
प्रशासन कब जागेगा और इस मामले में जांच कराएगा?
👉 जनता की मांग:
उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित कर इस कथित 'राठौर राज' का पर्दाफाश किया जाए और दोषियों पर हो कड़ी कार्रवाई।
📌 यह मामला सिर्फ एक ऑफिस की साख का नहीं, बल्कि जनता के अधिकारों और लोकतांत्रिक व्यवस्था की मूल भावना का सवाल है।
उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
देश के जाने-माने और अपने निडर कार्यशैली के लिए प्रसिद्ध भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) अधिकारी समीर वानखेड़े आगामी 19 जुलाई, 2025 को उल्हासनगर का दौरा करेंगे। इस बहुप्रतीक्षित दौरे पर, समीर वानखेड़े विशेष कार्यक्रम में शामिल होंगे, जिसकी तैयारी उल्हासनगर में बड़े पैमाने पर की जा रही है।
अपनी सख्त और बेबाक छवि के लिए पहचाने जाने वाले समीर वानखेड़े ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) में अपने कार्यकाल के दौरान कई हाई-प्रोफाइल मामलों को संभाला है, जिसने उन्हें पूरे देश में एक 'शेरदिल' अधिकारी के रूप में पहचान दिलाई है। उनके कार्यकाल में ड्रग्स विरोधी अभियानों और माफिया के खिलाफ की गई कठोर कार्रवाई ने उन्हें जनमानस में नायक का दर्जा दिलाया है।
कार्यक्रम के आयोजकों ने बताया कि समीर वानखेड़े युवाओं को प्रेरणा देने और देश सेवा के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से इस आयोजन में शिरकत करेंगे। सूत्रों के अनुसार, वे भ्रष्टाचार, ड्रग्स के खतरे और राष्ट्र निर्माण में नागरिक भागीदारी जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं।
श्री वानखेड़े का यह दौरा न केवल उल्हासनगर के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है, बल्कि यह देश के युवाओं और नागरिकों को ईमानदारी, साहस और कर्तव्यनिष्ठा के प्रति प्रेरित करने का भी एक प्रयास है। 19 जुलाई 2025 का यह दिन उल्हासनगर के इतिहास में एक यादगार तारीख बनने वाला है, जब एक सच्चे राष्ट्रसेवक का आगमन होगा।
उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
उल्हासनगर महानगरपालिका (यूएमसी) में लेखा विभाग को लेकर गंभीर अनियमितताएं सामने आ रही हैं। महाराष्ट्र सरकार के स्पष्ट शासन निर्णय (GR) के बावजूद, यूएमसी की आयुक्त मनीषा आव्हाळे ने पुराने अधिकारियों को पद पर बनाए रखा है, जो न सिर्फ नियमों के खिलाफ है बल्कि प्रशासनिक प्रक्रियाओं की भी अनदेखी करता है।
सूत्रों के अनुसार, लेखा अधिकारी किरण भिल्लाडे और ऑडिटर देशमुख का कार्यकाल पूर्ण होने के बाद जून 2025 में उनका स्थानांतरण किया गया था। महाराष्ट्र शासन के अनुसार किसी भी लेखा अधिकारी को एक ही पद पर अधिकतम तीन वर्षों से अधिक नहीं रखा जा सकता। परंतु, ट्रांसफर ऑर्डर जारी होने और नए लेखा अधिकारी पांडे के यूएमसी पहुंचने के बावजूद उन्हें चार्ज नहीं दिया जा रहा है।
आश्चर्यजनक बात यह है कि यूएमसी कमिश्नर मनीषा आव्हाळे न केवल स्थानांतरित अधिकारियों को अवैध रूप से कार्यरत रख रही हैं, बल्कि उन्हें सरकारी भुगतान जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को निभाने की अनुमति भी दे रही हैं।
वर्तमान में स्थानांतरित लेखा अधिकारी किरण भिल्लाडे शासन पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि उनका ट्रांसफर आदेश रद्द किया जाए और कार्यकाल में विस्तार दिया जाए। यह बात प्रशासनिक पारदर्शिता और निष्पक्षता पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।
❗प्रमुख सवाल जो उठ रहे हैं:
जब नया अधिकारी चार्ज लेने के लिए उपस्थित है तो चार्ज क्यों नहीं दिया जा रहा?
महाराष्ट्र शासन के नियमों की यूएमसी में खुलेआम अनदेखी क्यों की जा रही है?
क्या यह किसी बड़े वित्तीय घोटाले को छिपाने का प्रयास है?
किसके दबाव में कार्यकाल पूरा कर चुके अधिकारियों को बनाए रखा जा रहा है?
अगर यह परंपरा बन गई तो क्या भविष्य में शासन के ट्रांसफर नियम केवल दिखावा बनकर रह जाएंगे?
नए अधिकारी पहले ही आ चुके हैं, फिर भी उन्हें चार्ज नहीं दिया जा रहा है।
नए अधिकारी को रोका क्यों जा रहा है❓
पहली बार...
यूएमसी आयुक्त की मनमानी!
यह पहली बार हो रहा है जब यूएमसी में ट्रांसफर ऑर्डर के बावजूद पुराने अधिकारी अवैध रूप से पद पर बने हुए हैं और नए अधिकारियों को चार्ज नहीं सौंपा जा रहा है। यह एक अत्यंत गंभीर और ऐतिहासिक उल्लंघन है जो पूरे प्रशासन की नीयत पर सवाल खड़ा करता है।
अब देखना यह होगा कि राज्य सरकार इस अवैध कृत्य के विरुद्ध कब और क्या ठोस कदम उठाती है।
इस मामले में तत्काल उच्चस्तरीय जांच और कार्रवाई की मांग की जा रही है।
मुंबई: दिनेश मीरचंदानी
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