उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
उल्हासनगर महानगरपालिका के दिव्यांग विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं। स्थानीय समाजसेवक हीरो राजाई द्वारा दायर सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मांगी गई जानकारी में यह स्पष्ट किया गया था कि दिव्यांग निधि और कौन-कौन से साहित्य दिव्यांगों को दिए गए हैं, और कितने दिव्यांगों को इस निधि का लाभ मिला है। आश्चर्य की बात है कि इस महत्वपूर्ण जानकारी का अब तक कोई जवाब नहीं दिया गया है।
जब राजाई ने पहले अपील की, तो उसे भी नजरअंदाज कर दिया गया। इससे यह स्पष्ट होता है कि दिव्यांग विभाग के अधिकारी और कर्मचारी भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए जानबूझकर जानकारी नहीं दे रहे हैं।
उल्हासनगर महानगरपालिका के दिव्यांग विभाग पर आरोप है कि वह साल में केवल तीन-चार महीने ही पेंशन प्रदान करता है। अन्य समय में निधि और साहित्य नाम पर बोगस बिल बनाकर धन का दुरुपयोग किया जाता है। स्थानीय न्यूज में ऐसे भ्रष्टाचार के मामले उजागर हो चुके हैं, जो आम जनता के लिए चिंता का विषय बन गए हैं।
इस संदर्भ में यह भी उल्लेखनीय है कि 2005 के शासन निर्णय का उल्लंघन किया जा रहा है। ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों को दिव्यांग विभाग से हटाने और उनकी जांच कराने के आदेश देने की आवश्यकता है।
हीरो राजाई के आरटीआई के जवाब न मिलने से जनहित की समस्याओं पर ध्यान न देने का संकेत मिलता है। इसके अलावा, शिवम अपार्टमेंट, पप्पू सोसायटी (उल्हासनगर-3) के आगू-बाजू दिव्यांगों के साहित्य को बेचने के लिए कोई भी दुकान नहीं है, जो दिव्यांगों की कठिनाइयों को और बढ़ा रहा है।
उल्हासनगर में दिव्यांगों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रशासन को तुरंत कदम उठाने की आवश्यकता है। इस मामले में जनता की आवाज उठाने के लिए समाजसेवकों और स्थानीय निवासियों को एकजुट होना होगा।
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