उल्हासनगर नगरपालिका में निविदा प्रक्रियाओं में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए पूर्व नगरसेविका और लोक निर्माण विभाग की अध्यक्ष रही दिंपल नरेंद्र ठाकुर ने नगर आयुक्त को एक गंभीर पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने निविदा जारी करने की प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और निष्पक्षता की कमी की ओर इशारा किया है और तत्काल जांच की मांग की है।
ठाकुर ने अपने पत्र में निविदाओं को बंडल करके जारी करने की प्रथा पर सवाल उठाया है, जिसमें अलग-अलग कार्यों को एक ही निविदा में मिलाया जा रहा है। उन्होंने इस प्रथा को प्रतिस्पर्धा के लिए हानिकारक बताया और कहा कि इससे चुनिंदा ठेकेदारों को फायदा हो रहा है। ठाकुर ने आरोप लगाया कि इस तरह की गतिविधियाँ करदाताओं के पैसे का दुरुपयोग कर सकती हैं और घटिया सेवाओं की ओर ले जा सकती हैं।
दिंपल ठाकुर ने राजीव गांधी उद्यान (सपना गार्डन) की स्थिति पर भी सवाल उठाए हैं, जो उनके पैनल क्षेत्र में आता है। उन्होंने बताया कि उद्यान की दीवारों और प्रवेश द्वार को बिना किसी अनुमति के ध्वस्त कर दिया गया है। उन्होंने एक साल से इस मुद्दे पर नगर निगम के अधिकारियों से संपर्क किया है, लेकिन कोई ठोस जवाब नहीं मिला।
उन्होंने बताया कि ₹5 करोड़ की एक निविदा पारित की गई थी, जिसे ठेकेदार द्वारा सुरक्षा राशि जमा न कर पाने के बाद रद्द किया जाना चाहिए था। इसके बजाय, उसी निविदा को जय हिंद कंस्ट्रक्शन कंपनी को दे दिया गया और कार्य जय भारत कंस्ट्रक्शन द्वारा किया जा रहा है। ठाकुर ने इसे निविदा प्रक्रिया में गंभीर उल्लंघन बताया और इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
निविदा प्रक्रिया में गड़बड़ियों का खुलासा
ठाकुर ने निविदा जारी करने की प्रक्रिया में कई अन्य अनियमितताओं की भी ओर इशारा किया, जैसे कि अपर्याप्त सूचना अवधि, अस्पष्ट मूल्यांकन मानदंड और सार्वजनिक जांच का अभाव। उन्होंने कहा कि इन प्रथाओं से जनता का विश्वास कमजोर होता है और नगर निगम की प्रक्रियाओं की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं।
तत्काल जांच की मांग
दिंपल ठाकुर ने आयुक्त से अपील की है कि इन मुद्दों की गहन जांच की जाए और निविदा प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जाए। उन्होंने निगम की सभी खरीद प्रक्रियाओं में उच्चतम मानकों का पालन करने का आग्रह किया है ताकि करदाताओं के धन का सही उपयोग हो और निगम की विश्वसनीयता बनी रहे।
क्या निगम प्रशासन लेगा ठोस कदम?
अब देखना यह होगा कि उल्हासनगर नगरपालिका इन गंभीर आरोपों पर क्या कार्रवाई करती है और निविदा प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए कौन से कदम उठाए जाते हैं।
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