(फाईल फोटो)
उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
उल्हासनगर शहरी क्षेत्र में अवैध प्लास्टिक थैलियों का कारोबार लगातार बढ़ता जा रहा है। इस काले धंधे को लेकर शहर के लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं। आखिर किसके संरक्षण में यह अवैध कारोबार खुलेआम फल-फूल रहा है? क्या इसके पीछे स्थानीय राजनीतिक नेताओं का हाथ है या उल्हासनगर महानगरपालिका के कुछ भ्रष्ट कर्मचारी इसमें शामिल हैं? या फिर महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) के अधिकारियों की मिलीभगत हो सकती है?
अवैध प्लास्टिक के कारोबार में लिप्त कुछ लोगों का दावा है कि उन्हें स्थानीय नेताओं का पूरा समर्थन प्राप्त है। इतना ही नहीं, वे यह भी कहते हैं कि महानगरपालिका के कुछ कर्मचारियों और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों का भी सहयोग उन्हें मिल रहा है, जिससे उनका धंधा बेखौफ चल रहा है। "हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता," उनका यह दावा उल्हासनगर में लोगों की चिंताओं को और बढ़ा रहा है।
शहरवासियों का मानना है कि अगर प्रशासन और संबंधित विभाग ईमानदारी से कार्रवाई करें तो इस अवैध धंधे पर रोक लगाई जा सकती है। लेकिन सवाल यह उठता है कि जब खुद सरकारी महकमों के लोग इसमें शामिल होंगे तो इस समस्या का समाधान कैसे होगा?
यह अवैध कारोबार न सिर्फ पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा है बल्कि प्रशासनिक तंत्र की निष्क्रियता और भ्रष्टाचार को भी उजागर कर रहा है। अब देखना यह है कि इस पर कब और कैसे कार्रवाई होती है।
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