मुंबई: दिनेश मीरचंदानी
गुरुवार को मुंबई पुलिस ने बॉम्बे हाईकोर्ट को सूचित किया कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता नवाब मलिक के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत धाराएं जोड़ी गई हैं। यह कदम भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) अधिकारी समीर वानखेड़े की शिकायत के आधार पर उठाया गया है।
2022 में वानखेड़े को जाति प्रमाणपत्र विवाद में मुंबई सिटी डिस्ट्रिक्ट कास्ट स्क्रूटनी कमेटी से क्लीन चिट मिलने के एक दिन बाद मलिक के खिलाफ मानहानि और एट्रॉसिटीज एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
मलिक और अन्य लोगों ने वानखेड़े पर मुस्लिम होने और अनुसूचित जाति से संबंधित न होने का आरोप लगाया था।
जांच पूरी कर 16 जनवरी तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश
वानखेड़े ने अधिवक्ता सना रईस खान के माध्यम से याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि उनकी शिकायत के बावजूद मुंबई के गोरेगांव पुलिस स्टेशन ने न तो जांच की और न ही आरोप पत्र दायर किया। उन्होंने आरोप लगाया कि मलिक के राजनीतिक प्रभाव के कारण उनकी हिरासत में पूछताछ भी नहीं हुई।
गुरुवार को, बॉम्बे हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे और न्यायमूर्ति शिवकुमार जी. डिगे की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान मुंबई पुलिस को चार सप्ताह के भीतर जांच पूरी कर 16 जनवरी को अगली सुनवाई की तारीख पर जांच से संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
जांच अधिकारी ने अदालत को सूचित किया कि मलिक के खिलाफ एससी/एसटी अधिनियम की धारा 3(1)(क्यू) और 3(1)(आर) (झूठी और बेबुनियाद जानकारी देना और एससी/एसटी समुदाय के सदस्य को जानबूझकर अपमानित करना) जोड़ी गई हैं और मामले की जांच जारी है।
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