(फाइल इमेज)
उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रतिबंधित प्लास्टिक थैलियों के उपयोग, निर्माण और वितरण पर लगाए गए सख्त नियमों के बावजूद, उल्हासनगर में अवैध प्लास्टिक थैलियों का कारोबार जोरों पर है। यह न केवल स्थानीय प्रशासन के लिए बल्कि पूरे राज्य के पर्यावरण और कानून व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है।
पूरे महाराष्ट्र में हो रही आपूर्ति
सूत्रों के अनुसार, उल्हासनगर के लगभग 25 से 30 स्थानों से अवैध प्लास्टिक थैलियों की आपूर्ति पूरे महाराष्ट्र में की जा रही है। खन्ना कंपाउंड गेट नंबर 1 और 2, लक्ष्मीनारायण कंपाउंड और महादेव कंपाउंड ऐसे हॉटस्पॉट हैं, जहां यह गोरखधंधा बड़े पैमाने पर संचालित किया जा रहा है।
पर्यावरणीय संकट और कानून व्यवस्था पर सवाल
प्लास्टिक थैलियों का यह अवैध व्यापार पर्यावरण के लिए गंभीर संकट पैदा कर रहा है। इनका उत्पादन न केवल मिट्टी, जल और वायु को दूषित करता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक साबित हो रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रशासनिक लापरवाही और अवैध कारोबारियों के मजबूत नेटवर्क ने इस समस्या को और गहरा दिया है।
सरकारी प्रतिबंध की खुलेआम अवहेलना
महाराष्ट्र सरकार ने पर्यावरण संरक्षण के तहत प्लास्टिक थैलियों पर पूर्ण प्रतिबंध लागू किया है। बावजूद इसके, उल्हासनगर से इन थैलियों की सप्लाई राज्यभर में बेखौफ की जा रही है। यह सरकारी आदेशों की सीधी अवहेलना है।
मनपा आयुक्त और स्वास्थ्य विभाग पर दबाव
मनपा आयुक्त और स्वास्थ्य विभाग इस अवैध कारोबार पर रोक लगाने में अब तक असफल साबित हुए हैं। बार-बार शिकायतों और दावों के बावजूद, अवैध प्लास्टिक के उत्पादन और वितरण पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है।
जनता और विशेषज्ञों की अपील
पर्यावरणविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से अपील की है कि अवैध प्लास्टिक थैलियों के कारोबार पर तत्काल रोक लगाने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं। स्थानीय निवासियों ने भी प्रशासन से यह मांग की है कि दोषियों को गिरफ्तार कर उनके कारखानों को सील किया जाए।
उल्हासनगर में अवैध प्लास्टिक थैलियों का कारोबार न केवल कानून व्यवस्था को कमजोर कर रहा है, बल्कि पूरे राज्य के पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए खतरा बन चुका है। क्या प्रशासन इस चुनौती से निपटने में सक्षम होगा, या यह समस्या और गंभीर रूप लेगी, यह देखना बाकी है।
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