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पाँच अनाथ बच्चों ने पुलिस उपनिरीक्षक बन रचा इतिहास, 'तर्पण' फाउंडेशन का महत्वपूर्ण योगदान।


 


नाशिक: दिनेश मीरचंदानी 

भाजपा विधायक श्रीकांत भारतीय की 'तर्पण' फाउंडेशन, जो 18 वर्ष से अधिक आयु के अनाथ बच्चों के लिए काम करती है, ने एक और प्रेरणादायक कहानी गढ़ी है। संस्था द्वारा सहायता प्राप्त पाँच अनाथ बच्चों ने पुलिस उपनिरीक्षक की परीक्षा उत्तीर्ण कर दीक्षांत समारोह में भाग लिया। यह उल्लेखनीय उपलब्धि 'तर्पण' फाउंडेशन की निरंतर समर्पित सेवा का प्रमाण है, जिसने इन बच्चों के जीवन को एक नई दिशा दी।

124वीं बैच में पुलिस उपनिरीक्षक के रूप में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले इन बच्चों ने हाल ही में आयोजित दीक्षांत समारोह में मार्च पास्ट किया। इस अवसर पर विधायक श्रीकांत भारतीय और उनकी पत्नी श्रेया भारतीय भी उपस्थित थे। समारोह में इन बच्चों ने भावुक होकर कहा, "आज हमारे माता-पिता भी हमारी प्रशंसा करने के लिए यहाँ उपस्थित होंगे," और उनकी आँखों में खुशी के आँसू छलक पड़े।

संघर्ष से सफलता तक का सफर

अभय अशोक तेली, सिंधुदुर्ग के निवासी, उनमें से एक हैं। पाँच वर्ष की उम्र में माता-पिता की दुर्घटना में मृत्यु के बाद, अभय और उनकी बहन को बाल सुधार गृह में भेजा गया। वहीं उन्होंने सातवीं तक की शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद सिंधुदुर्ग के डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर छात्रावास में दाखिला लेकर दसवीं कक्षा तक पढ़ाई की। इसी दौरान अभय 'तर्पण' फाउंडेशन के संपर्क में आए। संस्था ने उनकी मानसिक और आर्थिक सहायता की।

अभय ने पुलिस सिपाही के रूप में करियर शुरू किया और समाज कल्याण शास्त्र में स्नातक डिग्री भी हासिल की। उनकी बहन, जो अब एक सिविल इंजीनियर हैं, को भी 'तर्पण' ने सहयोग प्रदान किया। दीक्षांत समारोह में अभय ने कहा, "मेरे माता-पिता आज भी मेरे साथ हैं," और उनकी वर्दी पर लिखा नाम 'अभय भारतीय अशोक तेली' इसे प्रमाणित करता है।

'तर्पण' फाउंडेशन का योगदान

'तर्पण' फाउंडेशन ने अब तक 1,206 अनाथ बच्चों की शिक्षा पूरी करवाई है। इनमें से कई बच्चों को रोजगार मिला है और छह की शादी भी संस्था ने करवाई है। अभय तेली के साथ अन्य चार बच्चे – एस.बी. सुंदरी (पुणे), जया सोनटक्के (नागपुर), सुधीर चौगुले (धाराशिव), और अमोल मांदवे (सातारा) – भी पुलिस उपनिरीक्षक बने हैं।

दीक्षांत समारोह के बाद इन बच्चों ने श्रीकांत भारतीय और श्रेया भारतीय के प्रति आभार प्रकट करते हुए उनके चरण स्पर्श किए और उनके साथ फोटो खिंचवाई। यह प्रेरणादायक यात्रा यह संदेश देती है कि सही मार्गदर्शन और सहयोग से कोई भी सफलता प्राप्त की जा सकती है।








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