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गरीब परिवार को न्याय: मुख्यमंत्री फडणवीस ने निजी अस्पताल की अमानवीयता पर लिया त्वरित एक्शन।


 


शिर्डी: दिनेश मीरचंदानी 

महाराष्ट्र में गरीब परिवारों के प्रति सरकार की संवेदनशीलता का एक प्रेरणादायक उदाहरण उस समय सामने आया जब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक निजी अस्पताल की अमानवीयता पर तत्काल कार्रवाई की। मामला शिर्डी के एक गरीब परिवार के 3 वर्षीय बच्चे वेद दर्शन सोमवंशी का है, जिसकी मृत्यु के बाद अस्पताल ने 2.45 लाख रुपये के बकाया बिल की मांग करते हुए शव परिजनों को देने से इनकार कर दिया था। मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद यह मामला सुलझा और परिवार को राहत मिली।

घटना का विवरण

श्रीरामपुर निवासी सोमवंशी परिवार का मासूम बेटा ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित था। परिवार ने उसके इलाज के लिए निजी अस्पताल में 2 लाख रुपये जमा किए थे और दवाइयों पर 50,000 रुपये अलग से खर्च किए थे। लेकिन 18 दिसंबर को शल्यक्रिया के दौरान बच्चे की मृत्यु हो गई। इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने बकाया 2.45 लाख रुपये की मांग करते हुए शव रोक लिया।

मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता

शिर्डी के सामाजिक कार्यकर्ता और भाजपा युवा मोर्चा के जिल्हा सरचिटणीस उत्तर नगर नरेश भारत सुराणा ने इस घटना की जानकारी मुख्यमंत्री फडणवीस को दी। नागपुर में व्यस्त होने के बावजूद मुख्यमंत्री ने तत्काल मामले का संज्ञान लिया और अस्पताल प्रशासन को आदेश दिया कि शव तुरंत परिवार को सौंपा जाए। उनके हस्तक्षेप से गहरे दुख में डूबे परिवार को अपने बच्चे को अंतिम विदाई देने का अवसर मिला।

सामाजिक कार्यकर्ता की महत्वपूर्ण भूमिका

नरेश भारत सुराणा ने इस घटना में अहम भूमिका निभाई। गरीब परिवार के संकट को समझते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री से संपर्क किया और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की। उनकी तत्परता ने इस घटना को अमानवीयता से मानवता की ओर मोड़ दिया।

बड़ा संदेश

यह घटना निजी चिकित्सा संस्थानों की संवेदनहीनता और गरीबों के प्रति उनकी बेरुखी को उजागर करती है। साथ ही, मुख्यमंत्री के त्वरित और संवेदनशील कदम ने यह स्पष्ट किया कि सरकार गरीबों और जरूरतमंदों के साथ खड़ी है।

समाज के लिए प्रेरणा

यह घटना प्रशासन और समाज के सामूहिक प्रयासों की शक्ति का उदाहरण है। मुख्यमंत्री और सामाजिक कार्यकर्ता के प्रयासों ने साबित किया कि मानवीयता से बड़े से बड़े संकट का समाधान संभव है।

निष्कर्ष

यह घटना केवल एक परिवार को राहत देने का मामला नहीं है, बल्कि एक संदेश है कि जरूरतमंदों की मदद के लिए समाज और सरकार को हमेशा तैयार रहना चाहिए। मुख्यमंत्री फडणवीस की संवेदनशीलता और नरेश सुराणा की तत्परता ने न केवल एक परिवार को न्याय दिलाया, बल्कि समाज में मानवता की लौ को भी प्रज्वलित किया।








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