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डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को महापरिनिर्वाण दिवस पर देशभर में श्रद्धांजलि, IRS अधिकारी समीर वानखेड़े ने चैत्यभूमि पर किया नमन।


 







मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

पूरे देश में 6 दिसंबर को भारतीय संविधान के शिल्पकार, समाज सुधारक और भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की पुण्यतिथि (महापरिनिर्वाण दिवस) को भव्यता और श्रद्धा के साथ मनाया गया। मुंबई के दादर स्थित चैत्यभूमि पर लाखों श्रद्धालुओं ने पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस ऐतिहासिक स्थल पर समाज के विभिन्न वर्गों और समुदायों के साथ-साथ राजनीतिक, सामाजिक और प्रशासनिक क्षेत्रों से जुड़ी प्रमुख हस्तियां भी उपस्थित रहीं।

इस महत्वपूर्ण अवसर पर भारतीय राजस्व सेवा (IRS) के अधिकारी समीर वानखेड़े ने चैत्यभूमि पर डॉ. आंबेडकर को नमन करते हुए कहा, "डॉ. आंबेडकर न केवल भारतीय समाज में समानता और न्याय की आवाज थे, बल्कि उनके विचार और दृष्टिकोण आज भी विश्व के लिए प्रेरणास्रोत हैं।" उन्होंने डॉ. आंबेडकर के आदर्शों पर चलने का आह्वान किया।

चैत्यभूमि पर उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब:

हर साल की तरह इस वर्ष भी चैत्यभूमि पर श्रद्धालुओं का विशाल जनसमूह एकत्रित हुआ। भक्तों ने मोमबत्तियां जलाकर, पुष्प अर्पित कर और उनके विचारों को आत्मसात करने की शपथ लेकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। महाराष्ट्र सरकार ने इस अवसर के लिए विशेष प्रबंध किए थे, जिसमें व्यापक सुरक्षा इंतजाम, प्राथमिक चिकित्सा सेवाएं और यातायात नियंत्रण शामिल था।

राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित कार्यक्रम:

डॉ. आंबेडकर की पुण्यतिथि पर पूरे देश में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी सोशल मीडिया पर संदेश जारी करते हुए डॉ. आंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की। संसद भवन में आयोजित एक विशेष सत्र में नेताओं ने उनके विचारों को याद करते हुए उनकी महानता को सराहा।

डॉ. आंबेडकर के विचारों की प्रासंगिकता:

महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर देशभर के सामाजिक संगठनों ने डॉ. आंबेडकर के सिद्धांतों को शिक्षा प्रणाली में शामिल करने और उनके विचारों को आम जनता तक पहुंचाने की मांग की। कई स्थानों पर रैलियों और सेमिनारों के माध्यम से समानता, सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाई गई।

महापरिनिर्वाण दिवस ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर न केवल भारतीय समाज के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बने रहेंगे। उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं और समाज को नई दिशा देने का मार्गदर्शन करते हैं।








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