मुंबई: दिनेश मीरचंदानी
समीर वानखेड़े के पिता द्वारा नवाब मलिक के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर आज माननीय उच्च न्यायालय में महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। याचिका में आरोप लगाया गया है कि मलिक ने अदालत द्वारा दिए गए आदेश और अपने वादे का उल्लंघन करते हुए वानखेड़े परिवार पर आपत्तिजनक टिप्पणी की।
अदालत के आदेश की अवहेलना का आरोप
याचिकाकर्ता के वकील, अधिवक्ता सना रईस खान ने अदालत को सूचित किया कि नवाब मलिक ने यह वादा किया था कि वह वानखेड़े और उनके परिवार के खिलाफ कोई बयान नहीं देंगे। इसके बावजूद, मलिक ने 27 अक्टूबर 2024 को एक टेलीविजन साक्षात्कार में चुनाव के दौरान समीर वानखेड़े पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए कहा, "जनता हैसियत बता देगी।" अधिवक्ता खान ने इसे याचिकाकर्ता और उनके परिवार की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने वाला कदम बताया।
जमानत शर्तों के उल्लंघन का आरोप
खान ने यह भी तर्क दिया कि मलिक, जो गंभीर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी हैं और दो वर्षों तक जेल में रहे, उन्हें केवल चिकित्सा आधार पर जमानत मिली है। उन्होंने कहा कि मलिक की यह टिप्पणी उनकी जमानत की शर्तों का खुला उल्लंघन है और यह माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों का भी अपमान है।
अदालत ने चार हफ्तों में जवाब दाखिल करने का दिया निर्देश
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने नवाब मलिक को चार सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत के इस निर्देश के बाद मलिक की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।
पृष्ठभूमि में गंभीर आरोप
नवाब मलिक, जो मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोपों में दो साल तक हिरासत में रहे, अब चिकित्सा आधार पर जमानत पर बाहर हैं। इस याचिका ने उनके खिलाफ चल रहे कानूनी संकट को और गहरा कर दिया है।
यह मामला राजनीतिक और कानूनी हलकों में चर्चा का प्रमुख विषय बन गया है। अब सभी की निगाहें नवाब मलिक की ओर हैं कि वह अदालत में अपनी सफाई में क्या प्रस्तुत करेंगे।
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