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गूगल पे के जरिए रिश्वतखोरी! ठाणे के खाद्य निरीक्षक की हरकतें उजागर।


ठाणे: दिनेश मीरचंदानी 

महाराष्ट्र के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ठाणे कार्यालय में भ्रष्टाचार के गंभीर मामले ने प्रशासनिक व्यवस्था को हिलाकर रख दिया है। खाद्य निरीक्षक श्री वी. एच. चव्हाण पर रिश्वतखोरी और अवैध संपत्ति बनाने के सनसनीखेज आरोप लगे हैं। इस मामले को उजागर करते हुए पेशेवर कंसल्टेंट अमर भाटिया ने मुख्यमंत्री, खाद्य मंत्री, एफडीए आयुक्त और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से शिकायत की है।

आरोप: रिश्वत मांगने के लिए दलालों का सहारा

शिकायतकर्ता अमर भाटिया का दावा है कि श्री वी. एच. चव्हाण आवेदकों को खाद्य लाइसेंस जारी करने में अनावश्यक अड़चनें डालते हैं और उनकी समस्याओं को सुलझाने के नाम पर रिश्वत मांगते हैं। आरोप है कि चव्हाण ने रिश्वत लेने के लिए एक संगठित नेटवर्क बना रखा है, जिसमें उनके दलाल ऑनलाइन भुगतान प्लेटफॉर्म जैसे गूगल पे के जरिए रिश्वत लेते हैं।

सुनियोजित रिश्वत तंत्र का खुलासा

अमर भाटिया ने अपनी शिकायत में स्पष्ट रूप से बताया है कि उन्होंने "सिटी बार एंड रेस्टोरेंट" के लिए खाद्य लाइसेंस का आवेदन किया था। लेकिन श्री वी. एच. चव्हाण ने आवेदन को लेकर अनावश्यक सवाल खड़े किए और ₹10,000 की रिश्वत की मांग की। मजबूरी में, यह राशि उनके कथित दलाल श्री कुणाल परेश शाह को 23 दिसंबर 2024 को गूगल पे के माध्यम से ट्रांसफर की गई। शिकायत के मुताबिक, रिश्वत की राशि मिलने के बाद ही लाइसेंस (संदर्भ संख्या: 20241126106704705) जारी किया गया।

भ्रष्टाचार के जरिए अवैध संपत्ति का आरोप

शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया है कि श्री वी. एच. चव्हाण ने रिश्वत के जरिए भारी संपत्ति अर्जित की है। उनके परिवार और दोस्तों के नाम पर बेनामी संपत्तियां होने की भी संभावना जताई गई है।

प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल

इस घटना ने न केवल एफडीए कार्यालय की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार के दावों पर भी गंभीर चर्चा छेड़ दी है। शिकायतकर्ता ने महाराष्ट्र सरकार और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से इस मामले की गहन जांच और दोषी के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है।

सरकार से त्वरित कार्रवाई की उम्मीद

यह मामला सामने आने के बाद से प्रशासनिक हलकों में हलचल मच गई है। जनता उम्मीद कर रही है कि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से लेगी और दोषी अधिकारियों को कड़ी सजा देकर एक मिसाल पेश करेगी।

क्या कहता है यह मामला?

ठाणे एफडीए कार्यालय के इस मामले ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि भ्रष्टाचार के ऐसे नेटवर्क पर कार्रवाई कब होगी। आम जनता की लाइसेंस प्रक्रिया को सुगम बनाने का दावा करने वाले विभाग में इस तरह की घटनाएं सरकार की साख पर बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करती हैं।

क्या होगी सरकार की प्रतिक्रिया?

अब देखना यह होगा कि महाराष्ट्र सरकार और भ्रष्टाचार निरोधक विभाग इस मामले को कितनी गंभीरता से लेते हैं और क्या कदम उठाते हैं।









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