मुंबई: दिनेश मीरचंदानी
राशन वितरण प्रणाली में बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। विक्रोली पार्क साइड इलाके में एक 13 वर्षीय नाबालिग लड़के, तन्मय कांबळे, के फर्जी फिंगरप्रिंट के जरिए राशन सत्यापन का मामला सामने आया है। यह घटना न केवल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है, बल्कि सरकार द्वारा संचालित डिजिटल राशन प्रणाली की सुरक्षा को भी कठघरे में खड़ा करती है।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह नाबालिग राशन दुकान पर गया ही नहीं था, फिर भी उसका फिंगरप्रिंट सिस्टम में सत्यापित हो गया। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि बिना उपस्थिति के यह सत्यापन कैसे संभव हुआ? क्या किसी ने इस लड़के का बायोमेट्रिक डेटा चोरी किया या फिर सिस्टम में हेरफेर की गई?
बायोमेट्रिक सिस्टम की सुरक्षा पर गंभीर सवाल
सरकार द्वारा संचालित "वन नेशन, वन राशन कार्ड" योजना के तहत राशन वितरण के लिए बायोमेट्रिक सत्यापन अनिवार्य है। लेकिन अगर बिना असली व्यक्ति की मौजूदगी के भी फिंगरप्रिंट सत्यापित हो सकता है, तो यह पूरी प्रणाली की सुरक्षा को कमजोर कर सकता है।
क्या बायोमेट्रिक डेटा लीक हो रहा है?
क्या राशन दुकानों में भ्रष्टाचार चल रहा है?
क्या किसी बड़े साइबर घोटाले की शुरुआत हो चुकी है?
प्रशासन की चुप्पी, जनता में आक्रोश
इस मामले के सामने आने के बाद स्थानीय नागरिकों में आक्रोश है। लोगों का कहना है कि यदि ऐसा एक नाबालिग के साथ हो सकता है, तो फिर कितने और लोगों के बायोमेट्रिक डेटा के साथ छेड़छाड़ हो रही होगी?
राशन दुकान संचालकों और प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। क्या यह लापरवाही का मामला है या फिर एक संगठित घोटाले की शुरुआत?
केंद्र सरकार से त्वरित जांच की मांग
अब इस पूरे मामले में केंद्र सरकार और राज्य प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग की जा रही है। यदि बायोमेट्रिक सिस्टम में छेड़छाड़ संभव हो सकती है, तो यह आधार कार्ड, बैंकिंग और अन्य सरकारी सेवाओं की सुरक्षा के लिए भी खतरा बन सकता है।
यह मामला सिर्फ एक राशन दुकान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश की डिजिटल पहचान सुरक्षा से जुड़ा गंभीर मुद्दा बन चुका है। प्रशासन क्या कार्रवाई करता है, यह देखना अब बेहद जरूरी हो गया है।
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