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कल्याण महानगरपालिका के सख्त कदमों के बाद उल्हासनगर प्रशासन क्यों नहीं उठाता ठोस कार्रवाई?


कल्याण/उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

उल्हासनगर में प्रतिबंधित प्लास्टिक का कारोबार खुलेआम फल-फूल रहा है, लेकिन प्रशासन चुप्पी साधे हुए है। नेहरू चौक से अमन टॉकीज रोड तक प्रतिबंधित प्लास्टिक पन्नियों की निर्बाध बिक्री हो रही है। और उल्हासनगर में प्रतिबंधित प्लास्टिक पन्नियों के धड़ल्ले से कारखाने भी चालू है। मगर उल्हासनगर पालिका की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही। स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि इस अवैध व्यापार को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, जिसके कारण प्रशासन कार्रवाई करने से बच रहा है।

क्या राजनीतिक संरक्षण के कारण प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है?

स्थानीय व्यापारियों और नागरिकों के अनुसार, इस अवैध धंधे को शहर के एक भाजपा नेता का समर्थन प्राप्त है, जिसके चलते उल्हासनगर महानगरपालिका कोई कदम नहीं उठा रही। जबकि अन्य शहरों में प्रतिबंधित प्लास्टिक पर कड़ी कार्रवाई हो रही है, उल्हासनगर में प्रशासन की निष्क्रियता ने सवाल खड़े कर दिए हैं।

कल्याण महानगरपालिका ने दिखाई सख्ती, उल्हासनगर कब जागेगा?

गौरतलब है कि हाल ही में कल्याण महानगरपालिका ने 120 किलो प्रतिबंधित प्लास्टिक जब्त कर ₹25,000 का जुर्माना लगाया। यह कार्रवाई परिक्षेत्र-1 के उप आयुक्त प्रसाद बोरकर के मार्गदर्शन में सहायक आयुक्त धनंजय थोरात, अधीक्षक उमेश यमगर और स्वच्छता निरीक्षक जगन्नाथ वड्डे की टीम द्वारा की गई।

पर्यावरण को गंभीर खतरा, बढ़ रही नागरिकों की नाराजगी

पर्यावरण विशेषज्ञों के मुताबिक, प्रतिबंधित प्लास्टिक का बढ़ता उपयोग शहर के जल निकायों, नालों और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। नागरिकों ने इस मुद्दे पर चिंता जताई है और प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की है।

प्रशासन की चुप्पी कब टूटेगी?

जब देशभर में अवैध प्लास्टिक के खिलाफ अभियान तेज किया जा रहा है, तब उल्हासनगर महानगरपालिका की चुप्पी पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या प्रशासन राजनीतिक दबाव में काम कर रहा है? क्या इस अवैध कारोबार पर कभी लगाम लगेगी? या फिर यह धंधा यूं ही जारी रहेगा?

अब यह देखना अहम होगा कि क्या उल्हासनगर प्रशासन अपनी निष्क्रियता तोड़कर इस अवैध व्यापार पर अंकुश लगाएगा या फिर इसे अनदेखा करता रहेगा।







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