उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
उल्हासनगर तहसीलदार कार्यालय बिना कंप्लीशन सर्टिफिकेट (पूर्णता प्रमाण पत्र) के ही शुरू कर दिया गया है। यह एक बड़ा प्रशासनिक सवाल खड़ा करता है कि जब इस कार्यालय के पास आवश्यक इमारत प्रमाणपत्र ही नहीं है, तो इसे कैसे शुरू किया गया?
सूत्रों के अनुसार, किसी भी सरकारी या निजी इमारत को उपयोग में लाने के लिए कंप्लीशन सर्टिफिकेट आवश्यक होता है। यह सर्टिफिकेट प्रमाणित करता है कि इमारत सभी नियमों और सुरक्षा मानकों का पालन करती है। लेकिन उल्हासनगर तहसीलदार कार्यालय के मामले में इस नियम को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है।
दिव्यांगों के लिए नहीं है कोई सुविधा
सरकारी नियमों के अनुसार, किसी भी सार्वजनिक कार्यालय में दिव्यांगों के लिए लिफ्ट या रैंप जैसी सुविधाएं अनिवार्य होती हैं। लेकिन उल्हासनगर तहसीलदार कार्यालय में न तो लिफ्ट की सुविधा है और न ही व्हीलचेयर रैंप की कोई व्यवस्था। इससे दिव्यांग नागरिकों और वरिष्ठ नागरिकों को कार्यालय में आने-जाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
MSEB ने कैसे दे दिया बिजली कनेक्शन?
बिना कंप्लीशन सर्टिफिकेट के बिजली कनेक्शन देना महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी (MSEB) के नियमों के खिलाफ है। महाराष्ट्र इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (MERC) के अनुसार, किसी भी नई इमारत को तब तक बिजली कनेक्शन नहीं दिया जा सकता जब तक उसके पास वैध कंप्लीशन सर्टिफिकेट न हो।
इससे भी बड़ी बात यह है कि पुराने बिजली कनेक्शन को नई जगह शिफ्ट करना भी नियमों के खिलाफ है। ऐसे में सवाल उठता है कि MSEB ने तहसीलदार कार्यालय को बिजली कनेक्शन किस आधार पर दिया?
प्रशासन की चुप्पी, जनता की परेशानी
स्थानीय प्रशासन और MSEB अधिकारियों से इस मामले में जवाब मांगा गया है, लेकिन अब तक कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है। नागरिकों का कहना है कि जब आम जनता को बिजली कनेक्शन के लिए तमाम नियमों का पालन करना पड़ता है, तो सरकारी कार्यालयों पर यह नियम क्यों लागू नहीं होते?
सरकार को इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान देने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसे मामलों को रोका जा सके और नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं मिल सकें।
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