नासिक: दिनेश मीरचंदानी
महाराष्ट्र के नासिक जिले की महसरूल निवासी 30 वर्षीय निकिता पंकज पाटोले को अचानक ब्रेन स्ट्रोक होने के कारण कोमा में जाना पड़ा। इस कठिन समय में परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी, और इलाज के लिए आवश्यक भारी भरकम खर्च को देखते हुए उनके पति पंकज पाटोले ने पैतृक कृषि भूमि बेचने का फैसला कर लिया था। लेकिन, एक सामाजिक कार्यकर्ता की सलाह से उन्होंने मुख्यमंत्री सहायता निधि से मदद की गुहार लगाई। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के आदेश और कक्ष प्रमुख रामेश्वर नाइक की तत्परता से महज 48 घंटे में आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई गई। इस मदद के चलते निकिता का इलाज शुरू हुआ और 29 दिनों तक कोमा में रहने के बाद, उन्होंने होश में आकर अपनी नवजात बच्ची को पहली बार गोद में लिया।
खुशियों के बीच अचानक छाया संकट
निकिता और पंकज पाटोले का पहले से एक छह वर्षीय बेटा है। 7 फरवरी को उनके घर एक प्यारी सी बेटी का जन्म हुआ था। पूरे परिवार में खुशी का माहौल था, लेकिन 13 फरवरी की रात निकिता को अचानक उल्टियां और डायरिया की समस्या शुरू हो गई। कुछ ही समय में वह बेहोश हो गईं। स्थानीय अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें नासिक स्थित श्री नारायणी हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां जांच में ब्रेन स्ट्रोक की पुष्टि हुई। डॉक्टरों ने बताया कि मस्तिष्क के बाईं ओर रक्तस्राव और सूजन के कारण वह कोमा में चली गई हैं। इलाज के लिए अनुमानित 8 से 10 लाख रुपये की जरूरत थी।
आर्थिक संकट और जमीन बेचने का फैसला
पाटोले परिवार के पास केवल 3 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा था, जो इलाज के खर्च से बहुत कम था। नकद धनराशि की अनुपलब्धता के चलते, पंकज पाटोले और उनके भाई योगेश जाधव ने पैतृक कृषि भूमि बेचने का निर्णय लिया। इसी दौरान, गांव के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने उन्हें मुख्यमंत्री सहायता निधि और धर्मार्थ अस्पताल सहायता कक्ष के बारे में जानकारी दी।
मुख्यमंत्री के आदेश पर 48 घंटे में मिली मदद
पंकज पाटोले ने तुरंत कक्ष प्रमुख रामेश्वर नाइक से संपर्क किया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के आदेश और प्रशासन की तत्परता से महज 48 घंटे के भीतर मुख्यमंत्री सहायता निधि से 1 लाख रुपये की वित्तीय सहायता स्वीकृत की गई। इसके अतिरिक्त, लिला हीरा सेवा भावी संस्था और सिद्धिविनायक सेवा भावी संस्था से भी दवाओं के लिए आर्थिक मदद प्राप्त हुई। समय पर मिली इस सहायता के कारण अस्पताल को आगे के इलाज की पुष्टि मिली और निकिता का उपचार तेजी से शुरू हो गया।
मां की ममता और परिवार की खुशी
लगातार 29 दिनों तक कोमा में रहने के बाद निकिता आखिरकार होश में आईं। दो दिन पहले ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी गई। जब उन्होंने पहली बार अपनी नवजात बेटी को गोद में लिया, तो पूरे परिवार की आंखों में खुशी के आंसू छलक उठे। पंकज पाटोले और उनके परिवार ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, कक्ष प्रमुख रामेश्वर नाईक, डॉक्टरों और सभी सहायक अधिकारियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "इन्हीं की बदौलत हमें हमारी बेटी की मां, एक पत्नी और एक मां के रूप में निकिता वापस मिली।"
कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें