मुंबई: दिनेश मीरचंदानी
महाराष्ट्र की स्वास्थ्य व्यवस्था को जनहित की दिशा में एक क्रांतिकारी मोड़ देते हुए सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल प्रकरण के बाद राज्य सरकार के विधि और न्याय विभाग ने बड़ा फैसला लेते हुए आदेश जारी किया है कि अब राज्य के सभी धर्मादाय अस्पतालों में ‘महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना’ और ‘आयुष्मान भारत योजना’ को अनिवार्य रूप से लागू करना होगा।
राज्य शासन की ओर से सोमवार को यह अहम अधिसूचना जारी की गई। इसमें स्पष्ट किया गया है कि कोई भी धर्मादाय अस्पताल इन दोनों जनकल्याणकारी योजनाओं से अलग नहीं रह सकता। यह निर्णय इस उद्देश्य से लिया गया है कि राज्य का कोई भी नागरिक महज़ आर्थिक कमजोरी के कारण इलाज से वंचित न रहे।
अब नहीं चलेगा बहाना, हर अस्पताल को देनी होगी मुफ्त चिकित्सा सुविधा
शासन ने सभी धर्मादाय अस्पतालों को निर्देशित किया है कि वे अनिवार्य रूप से इन योजनाओं के तहत मरीजों का उपचार करें। इन अस्पतालों को अपनी सेवाएं गरीब, वंचित और निम्न आय वर्ग के मरीजों के लिए सुलभ बनानी होंगी।
इस निर्णय को स्वास्थ्य के अधिकार को मजबूती देने वाला ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे राज्य में चिकित्सा सेवाओं की पहुंच बेहतर होगी और इलाज का अधिकार हर जरूरतमंद तक पहुँचेगा।
धर्मादाय अस्पतालों की जवाबदेही बढ़ेगी, सरकार रहेगी सख्त निगरानी में
अब तक कई धर्मादाय अस्पताल इन योजनाओं को लागू नहीं कर रहे थे, जिससे हजारों मरीजों को इलाज से वंचित रहना पड़ता था। लेकिन अब शासन की सख्ती के चलते इन अस्पतालों की जवाबदेही तय होगी। यह आदेश न मानने वाले संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई भी की जा सकती है।
राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था में संभावित बदलाव
इस फैसले के चलते भविष्य में महाराष्ट्र की स्वास्थ्य व्यवस्था में बुनियादी परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं। यह फैसला गरीब मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगा।
जनहित में लिया गया यह निर्णय अब एक नई स्वास्थ्य क्रांति का सूत्रपात कर सकता है।
सरकार की यह सख्त और संवेदनशील पहल दिखाती है कि अब स्वास्थ्य केवल सेवा नहीं, बल्कि हर नागरिक का अधिकार है – और यह अधिकार अब हर धर्मादाय अस्पताल में अनिवार्य रूप से सुनिश्चित किया जाएगा।
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