उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
उल्हासनगर में इन दिनों खुलेआम चल रही Win Game ऑनलाइन लॉटरी ने पूरे शहर को अपनी चपेट में ले लिया है। जगह-जगह अड्डे बन चुके हैं, जहां सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक बिना किसी रोक-टोक के नंबरों का खेल खेला जा रहा है। इसे "स्किल गेम" बताकर वैधता का नकाब पहनाया जा रहा है, लेकिन असलियत यह है कि इसमें न कोई स्किल है और न ही कोई वैध प्रोसेस — बस सीधा पैसा लगाओ और हार-जीत का इंतजार करो।
हालांकि Bombay High Court ने अपने एक पुराने आदेश में कहा था कि अगर गेम में 15 मिनट में कोई स्किल-बेस्ड टास्क हल कर के नंबर लगाए जाते हैं, तो उसे स्किल गेम माना जा सकता है। मगर उल्हासनगर में ऐसा कुछ नहीं होता! यहां सिर्फ नंबर (आंकड़ा) लगते हैं और पैसे की हार-जीत चलती है — यानी पूरा सिस्टम लॉटरी जैसा और अवैध है।
अब बर्दाश्त नहीं: उल्हासनगर के NGO, समाजसेवी संगठन और पत्रकार करेंगे मुंबई हाईकोर्ट में याचिका दायर
इस गंभीर मुद्दे पर अब उल्हासनगर के कई समाजिक संगठन, NGO और जागरूक पत्रकार एकजुट हो गए हैं। जल्द ही मुंबई हाईकोर्ट में एक रिव्यू पिटीशन या जनहित याचिका (PIL) दाखिल की जाएगी, जिसमें कोर्ट से अपील की जाएगी कि उल्हासनगर और अन्य शहरों में चल रहे इस फर्जी "स्किल गेम" की सच्चाई सामने लाई जाए और ऐसे अड्डों को तुरंत बंद करवाया जाए।
युवाओं का भविष्य अधर में
यह गेम सैकड़ों युवाओं को लत में धकेल चुका है, जो दिनभर इसी खेल में पैसा हारते और मानसिक तनाव में जीते हैं। यह सिर्फ एक ऑनलाइन लॉटरी नहीं, बल्कि एक सामाजिक बीमारी बन चुकी है, जिसे अब कानून के माध्यम से जड़ से उखाड़ फेंकना जरूरी हो गया है।
प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में
जब सब कुछ खुलेआम हो रहा है, तो आखिर प्रशासन क्यों चुप है? क्या ये अड्डे किसी राजनीतिक संरक्षण में चल रहे हैं? क्या इनसे होने वाला "गुप्त लाभ" कानून पर भारी पड़ रहा है?
अब वक्त आ गया है कि अदालत का दरवाजा खटखटाया जाए – और उल्हासनगर को इस डिजिटल जुए के चंगुल से आज़ाद कराया जाए।
"Win Game" नहीं, ये है "Trap Game" – जिसमें फंसकर बर्बाद हो रहा है उल्हासनगर का युवा वर्ग।
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