(फाइल फोटो)
उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
उल्हासनगर महानगरपालिका (यूएमसी) की वर्तमान आयुक्त मनीषा आव्हाले पर पद का दुरुपयोग करने के गंभीर आरोप लगे हैं। सूत्रों के अनुसार, सेंचुरी रेयान कंपनी ने उन्हें अपने परिसर में एक आलीशान बंगला रहने के लिए दिया है, जबकि पूर्व आयुक्तों को केवल सामान्य सरकारी आवास ही उपलब्ध कराए जाते थे।
इसके साथ ही, यह आरोप भी सामने आया है कि उस बंगले की साफ-सफाई, रसोई और अन्य घरेलू कार्यों के लिए मनपा के 7–8 नियमित कर्मचारियों को तैनात किया गया है, जिनका वेतन उल्हासनगर महानगर पालिका के बजट से यानी जनता के टैक्स से चुकाया जा रहा है। इस पूरी व्यवस्था को महानगर पालिका के नियमों और सेवा शर्तों का घोर उल्लंघन माना जा रहा है।
जानकारी के अनुसार, सेंचुरी रेयान कंपनी को हाल ही में मनपा ने लगभग 9 करोड़ रुपये की संपत्ति कर में बड़ी राहत दी है। इस रियायत और आयुक्त को बंगला देने के मामले को आपस में जोड़कर देखा जा रहा है, जिसे "क्लियर बार्टर डील" यानी सुविधा के बदले लाभ की संज्ञा दी जा रही है।
स्थानीय जनप्रतिनिधि और सामाजिक संगठन इस पर तीखी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। उनका कहना है कि आयुक्त ने व्यक्तिगत फायदे के लिए एक उद्योग समूह को अनुचित लाभ पहुंचाया है, जबकि उल्हासनगर में पेयजल संकट, टूटी सड़कों और कचरा प्रबंधन जैसी समस्याएं अब भी जस की तस बनी हुई हैं। सामाजिक संगठनों ने राज्य सरकार से इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज करने की मांग की है।
अब शहर के जागरूक नागरिकों की निगाहें नगरविकास मंत्रालय पर टिकी हैं। सवाल उठता है — क्या इस बार सत्ता में बैठे अधिकारी भी कानून की पकड़ में आएंगे, या यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह केवल फाइलों तक सीमित रह जाएगा?
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